कई दिनों से राजन और गरिमा का मूड एक दूसरे से काफी उखड़ा उखड़ा था। दोनों ही आपस में ढंग से बात नहीं कर रहे थे। सुबह उठकर नाश्ता, फिर ऑफिस और ऑफिस से आकर दोनों अनजानो की तरह एक ही बिस्तर पर मुंह फेर सो जाते ।
और दोनों की इस बेरुखी का कारण था, वो अनचाहा मेहमान!! जिसकी दस्तक मात्र से दोनों का दिल बैठा जा रहा था। राजन अपनी सफाई देते हार गया था कि उसका कोई दोष नहीं है लेकिन गरिमा!!! गरिमा उसकी सुनने को तैयार ही नहीं थी!
"अगर वह आया तो तुम उसके जिम्मेदार होंगे ! मैं उसकी कोई जिम्मेदारी उठाने वाली नहीं। मुझमें इतनी ताकत नहीं कि घर परिवार, नौकरी और इन दो बच्चों के साथ साथ उसकी भी देखभाल करूं!!!"
"अरे यार, तुम क्यों टेंशन ले रही हो। जरूरी है कि वो आए!! एक हफ्ता तो हो गया। अब तक तो वो आया नहीं!!" राजन अपनी सफाई देते हुए बोला।
" तुम तो रहने ही दो!! ये सब तुम्हारे ही कारण है!! तुम आदमी होते ही ऐसे हो। बस अपना सुख दिखता है तुम्हें!!!! झेलना तो मुझे ही पड़ेगा ना!! मैंटिली भी और फिजिकली भी!!!" गरिमा आंखों में आए आंसूओं को पोंछते हुए बोली।
"प्लीज गरिमा!!" राजन की पूरी बात सुने बिना वह ऑफिस के लिए निकल गई।
वैसे गरिमा को तो वह तसल्ली दे रहा था लेकिन टेंशन उसे भी कम ना था।। अगर सचमुच आ गया तो सब कुछ कैसे मैनेज होगा!! गरिमा ठीक ही तो कहती है। मैं हर बात में कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड हो जाता हूं !!
और यह एक्साइटमेंट हर बार मुझ पर ही भारी पड़ जाती है लेकिन इस बार!!! नहीं नहीं!! मैं इतना भी बेवकूफ नहीं। जितना गरिमा मुझे समझती है।
वैसे मैं कुछ ज्यादा ही नेगेटिव हो रहा हूं!!! कह उसने अपने विचारों को एक तरफ झटक दिया और फिर वह भी ऑफिस के लिए निकल गया।
लेकिन ऑफिस में भी कहां उसका मन लग रहा था। उसने एक दो बार गरिमा को फोन भी किया लेकिन गरिमा ने फोन नहीं उठाया। अब तो उसका भी अनचाहे मेहमान के आगमन की दस्तक से दिल बैठा जा रहा था।
कहीं वह घर पहुंचे और अनचाहे मेहमान के आने की खुशखबरी मिले। हे भगवान! इस बार बचा ले आगे से!!!!!
खैर छुट्टी के बाद राजन घर के लिए निकला लेकिन जहां कभी घर पहुंचने की उसे जल्दी रहती थी। आज उसका चोर मन गरिमा का सामना करने के लिए कतई तैयार ना था। गाड़ी की स्पीड भी जहां पहले 70-80 होती थी । आज 40 पर ही किसी तरह से वह गाड़ी को खींच रहा था लेकिन घर तो जाना ही था। आधे घंटे का सफर उसने डेढ़ घंटे में तय किया।
डोर बेल बजाई। बच्चों ने दरवाजा खोला। इधर उधर नजर दौड़ाई लेकिन कोई दिखाई ना दिया। उसने राहत की सांस ली।
"मम्मी कहां है!"
"मम्मी की तबीयत सही नहीं पापा! आराम कर रही है और उन्होंने , उन्हें डिस्टर्ब करने के लिए मना किया है। हां, खाना बाहर से ऑर्डर कर दिया। मम्मी ने कहा था खाना खाकर हम अपने कमरे में पढ़ाई कर सो जाएं।"
बच्चों की बात सुन राजन मन ही मन सोचने लगा। अच्छा तो यह आने वाले तूफान से पहले की शांति है।
खैर जब तक वह कपड़े बदल फ्रेश हुआ, खाना भी आ गया। गरिमा के पास बच्चों के हाथों संदेशा भेजा तो उसने खाने से मना कर दिया। राजन ने अभी उसे कुछ भी कहना मुनासिब नहीं समझा।
एक बार तो उसका मन किया कि बच्चों के कमरे में ही सो जाएंगे लेकिन कहीं इससे बात बिगड़ ना जाए । यह सोच वह किसी तरह हिम्मत जुटा कमरे में पहुंचा तो देखा गरिमा अपने फेवरेट रेड कलर के गाउन में बैड पर बैठी अपना मनपसंद नॉवेल पढ़ रही थी। कमरे में उसकी मनपसंद रूम फ्रेशनर की खुशबू फैली हुई थी।
उसको देखते ही गरिमा शरारत से आंख मारते हुए मुस्कुरा उठी।
और उसके चेहरे और कमरे की रंगीनियत देख राजन को
समझते देर न लगी कि वो अनचाहा मेहमान जिसके आने की चिंता में दोनों घुले जा रहे थे। केवल उनके मन का वहम था। यानी कि वो बेचारा बेगुनाह था। इतने दिनों से गरिमा ने उसे यूं ही कटघरे में खड़ा किया हुआ था।
राजन ने राहत की सांस ली और वह मुस्कुराते हुए जैसे ही गरिमा के करीब आने लगा। गरिमा पीछे हटते हुए गुनगुनाने लगी...पास नहीं आना, दूर नहीं जाना
तुमको सौगंध है कि अब कुछ दिनों मोहब्बत बंद है।।
दोस्तों कैसा लगा आपको मेरा अनचाहे मेहमान के आने की संभावना मात्र से घबराएं पति पत्नी का यह रोचक ब्लॉग। वैसे आमतौर हम सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी ऐसी मजेदार परिस्थितियों का सामना किया।