Resume Vaali Shaadi - 9 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | रेज़्यूमे वाली शादी - भाग 9

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रेज़्यूमे वाली शादी - भाग 9



अवनी को लड़का पसंद आया या नहीं, ये ना तो निलय को विकास और अभय ने बताया, ना ही उसे पिछले दो हफ्ते में अवनी से बात करने को मिली।

अवनी जैसे निअव में रहकर भी निलय के साथ लुका छुपी में लगी हुई थी, जिससे निलय की बेचैनी और बढ़ रही थी।

वो तो शुक्र है, इस बार अवनी ने कहा था कि वो सब को "थैंक यू लंच" पे ले जाएगी जिसकी वजह से निलय थोड़ा शाँत था कि वो अच्छे से बैठ कर बात कर पाएंगे।


"चलो चले", अवनी लंच टाइम पर कहती है।


"हाँ, बस 5 मिनट दो मुझे, पता नहीं कब से धोखा दे रहा है ये कोड, अब तो सही से चलना ही चाहिए।"


"हह..", अवनी निलय को हैरानी से बोलती है। "तुम्हें कौन लंच पर ले कर जा रहा है, मिस्टर निलय वाधवा, ये लंच मेरे टीचरस को थैंक यू बोलने के ले करा रही हूँ मैं, और तुम मेरे टीचर नहीं हो, तो हम तुम्हें लंच नहीं कराएंगे।"


अवनी की इस बात पे निलय अपना गला ठीक करते हुए बोला, "तुम्हारे लंच कराने की जरूरत नहीं है, मैं खुद लंच कर लूंगा वहाँ जाकर, अब कितना अजीब लगेगा अगर तुम सबके सामने मुझे खिलाओगी तो, मैं कोई बच्चा थोड़ी हूँ।"


"बकवास करा लो बस", अवनी ने गुस्से में जवाब दिया।


"शुरू किसने किया था?", निलय ने पलट कर जवाब दिया।


"नौटंकी हो गई हो दोनों की, तो चले??", अभय और विकास ने बीच में टोकते हुए बोले।


"चलो चले, ये अवनी बहुत बड़ी कंजूस है, मुझे खिलना नहीं है इसे इसलिए कुछ भी कह रही है।"


"तुम तो रहने दो, तुमसे बड़ा कंजूस कोई नहीं है, एक बार सैलरी मत देना बोल दिया, तो दोबारा बोला भी नहीं कि पढ़ा फ्री में देंगे, काम के पैसे तो ले लो..."।

".."

बहुत देर तक जब दोनों शांत नहीं हुए, तो अभय और विकास उन्हें ऐसे झगड़ा करते हुए ही कैब में बैठा देते है।


दिल्ली की मशहूर गलियों में से एक गली थी, वो जहाँ वो लोग खाना खाने गए थे, एक साथ सटे हुए कई नामी रेस्टोरेंटे थे वहाँ, जहाँ तरह तरह के लोग आये हुए थे, कुछ स्कूल से बंक मार कर आए बच्चे, कुछ उनका भविष्य जो वहाँ तड़ी मार रहा था।


कुछ वो भी थे जो अपने घर वालों के साथ आए थे, कुछ एक दूसरे के साथ आए लड़का लड़की भी वहाँ थे और जो कुछ बच गए वो शायद इन लोगों की तरह कोई बकरा हलाल करने के लिए आए थे।


"विकास आज तो अवनी की एक महीने की सैलरी उड़ा कर ही भेजेंगे इसे भी तो पता चलना चाहिए हमारे आगे पार्टी पार्टी करने पे क्या हो सकता है", अभय कहता है।

"चलो देखते हैं!!!" , अवनी ने सामने से बड़ी सी मुस्कराहट के साथ बोला।

चारों ने बड़ी मुश्किल से एक रेस्तरॉ फाइनल किया और वहाँ बैठकर आर्डर करने की तैयारी में थे, की इतने, "मैं अभी आया", यह कह कर निलय वहाँ से उठ कर चला जाता है।


कुछ पाँच-सात मिनट हुए होंगे, उसको गए हुए, की इतने फोन पर बात करती हुई, रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ आती है, "क्या सच कह रहे हो, वहाँ आग लग गयी है, क्या हमें भी अपना रेस्तरॉ खाली कर देना चाहिए?"


वो आवाज़ इतनी तेज़ थी, की वहाँ बैठे सारे लोगो में उसने हड़कंप मचा दिया था, कुछ लोग जो अभी आये थे,बिना रुके वापस भागने लगे, कुछ बिल बिल चिल्लाने लगे, और कुछ ऐसे ही भागा दौड़ी करने लग गए।


अवनी थोड़ा परेशान होकर, अभय और विकास की तरफ देखती हैं, "निलय.. ??", वो धीरे से बोली।


"आता हुआ दिख तो नहीं रहा है", विकास बोला।


"एक काम करो तुम दोनों निकलो यहाँ से, जितनी जल्दी निकलेंगे उतना अच्छा होगा, मैं वाशरूम में जाकर देखता हूँ।"

विकास की ये बात सुनकर अभय और अवनी खड़े होकर जाने लगे पर शायद निलय और विकास के बिना जाने की उनकी इच्छा नहीं थी उनकी, तभी थोड़ी दूर जाकर विकास के आने का इंतजार करने लगे।


"यहां भी नहीं है", विकास उनकी तरफ़ आते हुए बोला।

"मुझे लगता है कि हमें अब चलना चाहिए शायद निलय पहले ही नीचे चला गया हो", विकास बोला।


अवनी उसकी बात मानने में थोड़ा हिचकिचा तो रही थी, पर कोई और चारा ना होने की वजह से वो उन दोनों के साथ नीचे चल दी।


वह लोग जैसे ही नीचे पहुंचे सामने वाली बिल्डिंग की तरफ देखते हुए अवनी ने बोला, "निलय..."।


निलय वहाँ कुछ लोगों की मदद करने में लगा हुआ था।


थोड़ी देर बाद निलय को जब अहसास हुआ की वो लोग भी नीचे आ गए है, तो मुस्कुराते हुए उनकी तरफ आया और बोला, "अच्छा हुआ तुम लोग आ गए, बहुत भूख लग रही थी।"

उसके गायब होने से परेशान हुई अवनी, एक दम से जाकर उसके गले लग जाती है, "निलय, तुम ठीक हो ना?"


निलय उसके कंधे पे हल्के से हाथ रखते हुए उसे कहता हैं, "हाँ, मैं बिल्कुल ठीक हूँ, कुछ नहीँ हुआ था यहाँ, वो तो किसी स्कूल के बच्चे का प्रैंक था, की उसे बिल न देने पड़े।"


"अच्छा.. सच में?"


"हाँ, सब सही है अवनी", निलय एक बार फिर उसे समझाते हुए कहता है।


"पर निलय??", विकास निलय को प्रैंक वाली बात के लिए टोकता हैं, पर अपने मुँह पे उँगली रख, निलय विकास को चुप रहने के लिए कहता है।


वो अवनी के इस पुराने डर को समझता था, और शायद वो नहीं चाहता था, की वो डर अवनी को फिर से नुकसान पहुँचाए ।


"हम लंच किसी और दिन करते है", ये बोलते हुए निलय अपने और अवनी के लिए कैब बुक करता है और औपचारिक बाय बोलकर वो दोनों कैब में बैठ जाते है।

हर दम झगड़ा करने वाले वो दोनों आज बहुत शांत थे।

"क्यों गये थे वहाँ?", रास्ते भर में अवनी निलय से बस ये पूछ पाती है।


"मदद करने, तुम मेरी फिक्र मत करो, मैंने ट्रेनिंग ली है, ऐसी आपदा के समय लोगो की मदद करने की, तो मैं ठीक कैसे नहीं रहूँगा।"


"ठीक है, अपना ख्याल रखना बस, और कहीं भी लगे तो मुझे तुरंत से बता देना", ये बोलकर अवनी कहीं अपने ख्यालो में खो गयी।

"हंजी", इतना बोलने के बाद निलय ने भी कुछ और बोलना ठीक नहीं समझा और अवनी की तरह सोच में ही सफर काट दिया।