Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 43 in Hindi Fiction Stories by ARUANDHATEE GARG मीठी books and stories PDF | एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 43

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 43







आरव उन सभी को देख कर मुस्कुरा रहा था और कायरा उसे देख कर । लड़कियों का ना यही होता है , जब उनके सामने दिल से अजीज कोई हो , तो वे सब कुछ भूल जाती हैं । ऐसा ही कुछ इस वक्त कायरा के साथ हो रहा था । आरव की मुस्कान देख कर , वह खुद को सबसे बड़ा खुशनसीब समझ रही थी , कि वो अपने इश्क को कम से कम अपने सामने मुस्कुराते हुए तो देख पा रही है । इसी लिए कायरा इस वक्त ये भूल चुकी थी , कि उसे आरव से दूरी बनाकर रखना है । क्योंकि जब मोहब्बत सामने हो , तब लोग तो आस - पास के लोगों को भूल जाते हैं , फिर तो ये अतीत की बातें और महज कुछ बंदिशें है , जिन्हें कुछ पल के किए भूल जाना तो , बड़ी आम सी बात है ।

सभी ने जब आरव को खुद पर हंसते हुए देखा , तो तुरंत तालियां बजानी रोक दी । और किसी अच्छे बच्चे की तरह शांत मुद्रा में बैठ गए , ताकि आरव को एक बार फिर अपने ऊपर हंसने का मौका ना दें । पर आरव तो आरव , सभी का भोले - भाले बच्चो सा रूप देखकर उसे और ज्यादा हंसी आ रही थी और अब वह ठहाका मार कर हंसने लगा था । क्योंकि वो अच्छे से जानता था , कि सब कितने सीधे हैं , जितना कि यहां पर बन रहे हैं......। नील से आरव का खुद पर हंसना, देखा नहीं गया तो उसने मुंह बनाते हुए उससे कह ही दिया ।

नील - बहुत हंसी आ रही है तुझे ???? पहले का समझ आता है, जब हम खुद के लिए क्लैपिंग कर रहे थे । पर अब....., अब क्यों दांत फाड़े हंस रहा है????

आरव ( अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए ) - तुम लोग हो ही पूरे के पूरे कार्टून । अरे कोई खुद पर ताली बजाता है क्या???? और तो और अब ऐसे शांत बैठे हो, जैसे सब के सब बड़े ही मासूम हो । मैं तुम सबकी सारी असलियत जानता हूं , इस लिए तुम लोगों का ये मासूम सा बनाया हुआ चेहरा देखकर मुझे और हंसी आ रही है ।

राहुल - हां......, हां तो.....!!!??? अब हम शांति से बैठे हैं , वो भी तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या???? जो इतना ज्यादा हंस रहा है???

आरव - नहीं....., नहीं..। बहुत अच्छे लग रहे हो तुम लोग....। बैठो ....., बैठो ऐसे ही शांति से ....।

इतना कहने के बाद कुछ देर तो आरव शांत रहा , पर उन लोगों का बना हुआ चेहरा देख कर , एक बार फिर उसकी हंसी छूट गई । और एक बार फिर वह जोर - जोर से पेट पकड़ कर हंसने लगा । इस बार उन सभी नमूने जैसे बैठे दोस्तों को देखकर , कायरा भी दबी हंसी हंसने लगी । कुछ देर तो सारे दोस्तों ने उन दोनों को घुरकर देखा और फिर अगले ही पल खुद भी उनके साथ ही हंसने लगे । इस मस्ती मजाक में आज उन सभी का दिन बन गया था । तभी आरव ने आदि से कहा ।

आरव - आदि , तूने मेरे केबिन का डोर कब ठीक करवाया ।

आदित्य - उसी दिन ....., जिस दिन राजवीर ने तेरे केबिन के डोर को खराब किया था । जब तू घर चला गया था , उसके जस्ट बाद मैं नील और राहुल को उनके घर छोड़ कर ऑफिस गया था । तब रमेश ने मुझे राजवीर की करतूत बताई। उस टाइम ना मुझे राजवीर पर बहुत गुस्सा आया । पर उस वक्त गुस्से से ज्यादा , तेरे केबिन का डोर ठीक करवाना जरूरी था । सो उसी रात को रमेश से कह कर , तेरे केबिन का डोर ठीक करवाया । जब तक तक डोर का काम कंप्लीट नहीं हुआ , तब तक हम दोनों ऑफ़िस में ही थे । ( सौम्या की तरफ तिरछी नजर से देखते हुए ) इसी वजह से मुझे मेरी वाली से , खूब खरी खोटी सुनने को भी मिली ।

सौम्या ( तैश में आकर , तुरंत कहती है ) - हां तो ....। ठीक ही तो डांटा था मैंने तुम्हें । रात के ग्यारह बजे तक तुम ऑफिस में थे । और जाने कब से तुमसे बात करने के लिए मैं तुम्हारा वेट कर रही थी और तुम....., तुम डोर ठीक करवा रहे थे । अरे करवा भी रहे थे , तो मुझे कॉल कर लेते , वहीं बात कर लेती । तुम्हारा हाल चाल ही तो जानना था मुझे , इससे ज्यादा तो एक्सपेक्टेशन रहती नहीं है मुझे तुमसे ।

आदित्य - वहां पर रमेश भी था , साथ में दो आदमी और थे । उन सब के सामने मैं भला कैसे तुमसे बात करता???

सौम्या ( कमर में हाथ रखकर ) - वाह......, बहुत अच्छे । उनके सामने तुम बात नहीं कर सकते , पर मेरे सामने सभी से बात कर सकते हो । और तो और जिस वक्त तुम्हें अपने घर पर डिनर करने के बाद , मुझसे थोड़ी बहुत बातें करना चाहिए , ताकि मुझे भी थोड़ा अच्छा लगे । उस वक्त तुम आरव के केबिन का डोर सुधरवा रहे थे । अरे आरव को बुला लेते , या फिर उसके घर के किसी नौकर को बुला लेते । कोई नहीं , तो कम से कम रमेश तो था ही ना वहां ....., उसे कह देते, वो काम कंप्लीट करवा लेता । तुम्हें ज्यादा जरूरत थी क्या , वहीं खड़े रहकर डोर चेंज करवाने की ??? ........,

तभी सौम्या की नजर आरव और बाकी लोगों पर गई , जो कि सिर्फ सौम्या और आदित्य को ही देख रहे थे । उन्हें खुद की ओर देखता पा कर , सौम्या झेंप गई । उसने तुरंत आरव से कहा ।

सौम्या - आई एम् सो सॉरी आरव .....!!!! मुझे इस तरह नहीं कहना चाहिए था । आखिर तुम, आदि , नील , राहुल और रेहान पांचों का अधिकार बनता है , एक - दूसरे की मदद करना और तुम पांचों इसे अपनी जिम्मेदारी समझ कर अच्छे से निभाते भी हो । पर मैं भी तो इन्सान ही हूं ना ...., मेरा भी तो इस आदि की लाइफ में एक अहम हिस्सा है । कुछ जिम्मेदारी इसकी मेरे तरफ भी तो बनती है ना , जिसे ये आजकल भूल गया है । कॉलेज में इससे मिलने के बाद से मैं , रात में इसके घर पहुंचने तक का वेट करती रहती हूं , कि अब इससे बात होगी , अब इसका कॉल आएगा । पर ये , हर दिन किसी न किसी काम के कारण या तो लेट घर पहुंचता है या फिर बात ही नहीं करता । तरसती रहती हूं मैं इससे दो बोल बात चीत करने को , लेकिन ये तो कुछ ज्यादा ही बिज़ी हो गया है आजकल , इसके पास मेरे लिए तो टाइम ही नहीं है।

ये सब कहते - कहते सौम्या की आंखों से एक बूंद आंसू उतर आया । आदित्य ने जब सौम्या की बात सुनी , तो उसे एहसास हुआ, कि वो सौम्या के साथ कितना गलत कर रहा है । वो काम को ज्यादा तवज्जो देकर , सौम्या के फीलिंग्स को नीगलेक्ट कर रहा है । आदित्य सौम्या से कुछ कहता , उससे पहले ही आरव ने मुंह बनाकर कहा ।

आरव ( जान बूझ कर , कायरा के पीछे दिख रही , पहाड़ी एरिया की तरफ देखकर कहता है ) - काश ...., कोई हमारा भी ऐसे ही वेट करता । कोई हमें भी ऐसे ही सुनाता । हमारी हमसे शिकायतें करता । इतनी शिद्दत से कोई हमसे भी प्यार करता । तो फिर बात ही कुछ और होती ।

इतना कह कर उसने कायरा की ओर देखा । कायरा को समझते देर न लगी , कि आरव ने ये ताना उसे ही मारा है । पर कायरा ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया , जबकि बाकी के लोग आरव की इस हरकत पर हंस रहे थे। तभी राहुल ने कायरा की ओर इशारा कर आरव से कहा ।

राहुल - मिल जाएगी ....., बहुत जल्द मिल जाएगी । तू उसे अपनी दिल की बात कह तो सही , वो मान भी जाएगी ।

आरव ( रूही की ओर इशारा कर राहुल को रिप्लाई करता है ) - हां......., सही है भाई । जैसे तुझे मिल गई है.…... , हमारी भाभी ।

राहुल ने सुना तो सकपका गया , क्योंकि आरव की वजह से वो अपनी ही बात पर फंस गया था । जबकि रूही शरमाने लगी । तो अंशिका ने तुरंत सवाल किया ।

अंशिका - पर वो कौन है आरव भाई ???? हमारे राहुल भाई की होने वाली......., आई मीन हमारी भाभी । राहुल भाई ...., आपने मुझे नहीं बताया !!!! मैं आपसे गुस्सा हूं , सबको पता है इस बारे में , लेकिन मुझे नहीं पता , कि मेरी न्यू भाभी कौन है ....????

शिवानी ( अंशिका को हल्का सा गले लगाते हुए ) - अरे पता तो हमें भी नहीं है आंशी ( अंशिका )....। हम तो सिर्फ अंदाजा लगा रहे हैं । अब इस बात को कन्फर्म तो राहुल ही करेगा ।

नील - तो बता मेरे भाई राहुल , क्या हम जो सोच रहे हैं वहीं सच्चाई है ????

राहुल ने शरमाते हुए , हां में सिर हिला दिया तो अंशिका ने नासमझ होकर तुरंत कहा ।

अंशिका - एक मिनिट....., कोई मुझे नाम बताएगा , मेरी भाभी का ....????

आदित्य - बताना क्या है , हमारे साथ , हमारे सामने ही बैठी है ।

अंशिका - पर कौन......????

रेहान - मेरी बहन ।

अंशिका - कौन सी बहन ???? कायरा दी....????

सौम्या ( मुस्कुराते हुए ) - हमारी पागल ननद साहिबा....., कायरा तो आलरेडी बुक्ड है ।

अंशिका ( आखें टिपटिपाते हुए ) - तो........?????

शिवानी ( रूही की तरफ देखकर , मुस्कुराते हुए कहती है ) - रूही.......। रूही है तुम्हारी और हम सबकी भाभी ।

रूही शिवानी की बात सुनकर शर्माकर रह गई । तो कायरा और अंशिका , दोनों ने साथ में रूही को गले लगाया और उसे काॅग्रेट्स कहा । जबकि रूही तो शर्म से पानी - पानी हुई जा रही थी । तभी अंशिका रूही से अलग हुई और उसने कहा ।

अंशिका - पर ये सब कब , कहां और कैसे हुआ???

राहुल - फंक्शन वाले दिन ही , हम दोनों ने एक - दूसरे से अपने दिल की बात कही ।

आदित्य - अरे वाह ......, फंक्शन का दिन हम सभी के लिए बहुत अच्छा साबित हुआ । आखिर उस दिन चार लोगों ने अपने दिल की बात एक - दूसरे से कह ही दी ।

शिवानी , नील , राहुल और रूही आदित्य की बात पर शर्माकर मुस्कुरा दिए । बाकी लोग इनके रिएक्शन पर हंस रहे थे । तभी आदित्य ने सौम्या की तरफ देखा और प्यार उसका हाथ पकड़कर कहा ।

आदित्य - सौम्या ...., आई एम सॉरी.....। तुम्हारी जो भी शिकायतें हैं मुझसे , आज के बाद मैं वो शिकायतें कभी हमारे बीच में नहीं आने दूंगा । और अगर और कोई शिकायत हुई भी , तो मैं उसे दूर करने की पूरी कोशिश करूंगा ।

सौम्या ने पहले तो बड़े प्यार से आदित्य को देखा और फिर उसे गले से लगा लिया । तो अंशिका ने तुरंत कहा ।

अंशिका - हाऊ रोमेंटिक .........।

रेहान ने अंशिका की बात सुनी , तो वह अंशिका की तरफ बड़े प्यार से देखने लगा । तभी आदित्य और सौम्या एक दूसरे से दूर हुए , तो आरव ने फिर से कहा ।

आरव ( अपने हाथों को अपने गालों में रखकर , खोए हुए अंदाज़ में कहता है ) - तू सही कह रहा था राहुल । मेरे लिए भी कोई न कोई बनी होगी । जो मुझे पाने के लिए सावन सोमवार , तीज और करवाचौथ का व्रत रख रही होगी । मेरी सलामती के लिए , मंदिर जाकर चढ़ावा चढ़ाती होगी और भगवान से मन्नतें मांगती होगी । हाय..…, कब मिलेगी वो हमें????

इतना कहकर आरव कायरा की ओर देखने लगा । कायरा ने सुना , तो पता नहीं उसे क्या सूझा । उसने चिढते हुए तपाक से आरव से कहा ।

कायरा - मैं बिल्कुल भी वैसी नहीं हूं , जैसा आप सोच रहे हैं । मैंने आपको पाने के लिए कोई व्रत वगेरह नहीं रखा है , न ही सावन सोमवार का , न ही तीज का और न ही करवाचौथ का । समझे आप........???? और न ही मुझे कोई भूत चढ़ा है , आपकी सलामती के लिए मंदिर में चढ़ावा चढ़ाने का और आपकी लम्बी उम्र के लिए मन्नतें मांगने का ।

आरव ( शरीफ बनते हुए ) - पर मैंने तो तुमसे नहीं कहा ये सब ......।

कायरा ( आरव को घूरते हुए ) - तो आप मेरे अलावा किसी और के खयाल पालने लगे हैं । शर्म नहीं आती आपको ???? इश्क की सारी रस्में मेरे साथ निभा रहे हैं और खयाल किसी और का अपने मन में पाल रहे हैं । ये ठीक नहीं कर रहे हैं आप , आरव......।

आरव ( मुस्कुराते हुए ) - तो तुम ही बता दो , कि मैं क्या करूं ??? अब तुम तो मुझसे अपने दिल की बात कहती नहीं हो । इसलिए किसी न किसी को तो अपने खयालों में बसाना ही होगा। न मुझे .…!!!

कायरा - वाह जी.......!!!! हमने अपने दिल की बात नहीं कही, तो आपने कौन सा अपने दिल के एहसासों का हमारे सामने ढिंढोरा पीट कर , बखान किया है ....!!!!! कितनी बार कहते - कहते रुक गए हैं आप , अपने दिल की बात...!!!!!

आरव ने सुना तो हैरानी से कायरा को देखने लगा , तभी सारे दोस्तों के हंसने की आवाज़ आरव और कायरा के कानों में पड़ी । उनकी हंसने की आवाज़ सुनकर , दोनों बुरी तरह से झेंप गए । आरव कायरा को छेड़ रहा था , पर ये एक्सपेक्टेशन उसे नहीं थी , कि दोनों की दिल की बात इंडायरेक्टली इस तरह जुबान पर आ जाएगी । जबकि कायरा को जब महसूस हुआ कि वो क्या बोल गई , तो उसने तुरंत अपने मुंह पर हाथ रख लिया । आरव ने उसे ऐसे करते देखा, तो मुस्कुरा दिया । तभी रूही ने कायरा के कान में धीरे से, उसे छेड़ते हुए उससे कहा ।

रूही - वैसे अगर तुम कहो तो , अरेंजमेंट करवा दें तुम दोनों के लिए । लगे हाथ प्रपोज भी कर देना और अपनी फर्स्ट डेट भी एन्जॉय कर लेना ।

कायरा ( आरव की ओर एक नज़र देखा और फिर आंखों में मायूसी लिए रूही से कहा ) - ये कभी नहीं हो सकता रूही । मेरे नसीब में आरव का प्यार और उनका साथ , दोनों ही नहीं है ।

रूही ( हैरानी से कायरा को देखकर बोली ) - ये तू क्या कह रही है कायरा???? और ऐसा क्यों नहीं हो सकता....????

कायरा - बहुत लंबी कहानी है रूही । कभी फुर्सत में तुझे सुनाऊंगी ।

रूही ने कायरा की बात पर कोई जवाब नहीं दिया और वह कायर और आरव दोनों को लेकर परेशान हो गई । इधर रेहान हाथ में पकड़ी हुई मटकी को , वापस उसी जगह पर रखने के लिए जाने लगा , तो कायरा ने उसे अपनी जगह से उठते देख कहा ।

कायरा - लाइए भैया , ये मटकी मुझे दे दीजिए । मैं इसे इसकी जगह पर रख आती हूं ।

रेहान ने कायरा को मटकी दे दी । तो कायरा उस मटकी को लेकर , वहीं रखने के लिए जाने लगी , जहां से रेहान उसे उठाकर लाया था । वहीं एक पेड़ की ओट में छुपे दो इन्सान , कायरा को देख रहे थे । जैसे वो कायरा के उसके दोस्तों से दूर, उसके अकेले होने का ही जाने जब से इंतजार कर रहे हों । कायरा जैसे - जैसे मटकी को रखने के स्थान की दिशा की ओर बढ़ रही थी , वो दोनो आदमी भी हाथ में चाकू लिए , वहां उपस्थित लोगों की नज़रों से छिपते - छिपाते कायरा की ओर बढ़ रहे थे । शायद उनका प्लान , उनके हाथों में पकड़ी हुई चाकू से कायरा को घायल करने का था ।

तो वहीं कायरा को अकेले पार्क के किनारे की ओर जाता देख , आरव भी उसके पीछे - पीछे चल दिया । कुछ देर बाद आरव कायरा के साथ , एक दम नजदीक होकर चलने लगा । उन आदमियों ने जब आरव को कायरा के साथ देखा , तो उन्होंने अपने कदम रोक लिए । और फिर आरव और कायरा को बड़े ध्यान से देखने लगे । कायर ने आरव को खुद के साथ चलते देखा , तो हैरानी से आरव को देखने लगी फिर उसने आरव से कहा ।

कायर - आप......, आप यहां ....!!!!

आरव - हां......, क्यों ......., मैं यहां नहीं हो सकता क्या???

कायरा ( आरव से नजरें चुराते हुए कहती है ) - नहीं ...., ऐसी बात नहीं है । आप हो सकते हैं यहां , पर अचानक से आप यहां आए , तो मैंने पूछा लिया......।

आरव - तुम अकेले ही इस तरफ आ रही थी , इस लिए सोचा , मैं भी तुम्हारे साथ इस पार्क की थोड़ी सी सैर कर लूं ।

कायरा ने आरव की बात पर कुछ नहीं कहा । इसके बाद कुछ पल दोनों ही शांत रहें, शायद एक दूसरे के बोलने का वेट कर रहे हों । जब कुछ सेकंड्स तक शांति ही छाई रही , तो आरव ने ही कहा ।

आराव - वैसे अभी कुछ देर पहले तुम क्या कह रही थी । दिल की बात....., ढिंढोरा पीटना ...., दिल के एहसास समथिंग... ।

कायरा ( एक बार फिर आरव से नजरें चुराते हुए बोली ) - कुछ खास नहीं .....। वो ऐसे ही गलती से मुंह से निकल गया । आई एम सॉरी , मुझे आपसे उस वक्त इस तरह बहस नहीं करनी चाहिए थी ।

आरव - कोई बात नहीं कायरा ......। इसी बहाने कुछ बातें क्लियर तो हो गई ।

कायरा ( आरव की तरफ नजरें घुमाकर ) - क्या.....???

तब तक दोनों ही पार्क के उस स्थान पर आ गए , जहां पर मटकी का स्थान था । आरव ने बात ही पलट दी और कहा ।

आरव - बातें करते हुए पता ही नहीं चला, कि कब हम सबसे दूर इस पार्क के किनारे आ पहुंचे ।

कायरा ने मटकी नीचे जमीन पर रखी और पार्क की सुंदरता को देखते हुए कहा ।

कायरा - सही कहा आपने । लेकिन देखिए ना ....., ये पार्क यहां से देखने में और भी ज्यादा सुंदर लग रहा है । बिल्कुल........।

आरव ( कायरा के बोलने से पहले ही उसकी तरफ प्यार से देखते हुए कहता है ) - बिल्कुल तुम्हारी तरह ......।

कायरा ( आरव को हैरानी से देखते हुए ) - जी.......!!!???

आरव ( कायरा से नजरें हटा कर , तुरंत कहता है ) - यही.... , कि ये जगह बहुत खूबसूरत है ।

कायरा - हम्मम, अब हमें चलना चाहिए । सभी हमारा वेट कर रहे होंगे ।

आरव घड़ी की ओर देखते हुए, जिसमें दो बज रहे थे , कहता है ।

आरव - हम्ममम......, वैसे दो बज गए हैं । चलो यहां से निकल कर , इस जगह के आस - पास के दार्शनिक स्थलों को भी देख लेते हैं । तब तक तो , पांच आसानी से बज जाएंगे । फिर मुंबई वापस भी तो जाना है ।

कायरा - सही कह रहे हैं आप । चलिए सभी के पास चलते हैं और उनसे इस बारे में बात करते हैं ।

इतना कह कर दोनों सारे दोस्तों की ओर चल दिए । कुछ कदम ही चले थे , कि कायरा की सेंडिल्स में एकाद कोई छोटा सा कंकड़ फंस गया । जिसके कारण उसे चलने में परेशानी होने लगी । जीन्स पहनने की वजह से वो अपने घुटने नहीं मोड़ पा रही थी , तो वह वहीं पास में बनी बड़ी से सीमेंट कि चेयर पर बैठ गई और अपनी सैंडिल उतार कर , उसमें से कंकड़ निकालने लगी । जबकि आरव इस बात से अनजान , सारे दोस्तों की ओर बढ़ा जा रहा था । कायरा आरव से थोड़ी दूरी में थी और अकेली भी थी । इसी कारण उन दो आदमीयों को ये सही मौका लगा , कायरा को हार्म करने का । तो वो दोनो एक बार फिर कायरा की ओर बढ़ने लगे । वो दोनो कायरा के एक दम नजदीक ही पहुंच गए थे , कि तभी आरव कायरा के पास आया । और उसने कायरा को बैठे देखा तो कहा ।

आरव - व्हाट हैपेन्ड.....??? तुम यहां अकेली क्यों बैठी हुई हो ????

कायरा ( अपनी सैंडिल दिखाते हुए ) - मेरी सैंडिल में छोटा सा कंकड़ आ गया था । जिससे मुझे चलने में तकलीफ हो रही थी ।

आरव ( कायरा की ओर झुकते हुए ) - लाओ मैं निकाल देता हूं ।

कायरा ( आरव को रोकते हुए ) - नहीं ......, रहने दीजिए । मैंने निकाल दिया है । ( अपने सैंडिल पहनकर उठते हुए ) और देखिए , अब मैं आसानी से चल भी सकती हूं , बिना किसी परेशानी के ।

आरव ने सुना तो उसका हाथ पकड़ा और उसके साथ चलते हुए कहने लगा ।

आरव ( बिना कायरा की ओर देखे ) - मैंने तुम्हारा हाथ इस लिए पकड़ा हैं, ताकि तुम दोबारा कहीं रुक मत जाओ । और अगर रुको भी , तो मुझे आसानी से पता चल जाए ।

कायरा ने आरव का क्लरीफिकेशन सुना , तो एक टक बिना कुछ बोले , बिना कुछ सोचे आरव को देखने लगी । जैसे कह रही हो , कि आपको मेरा हाथ पकड़ने के लिए , सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है । तो वहीं कायरा को आरव के साथ जाता देख , वो दोनो आदमी , जो आरव के आने से एक बार फिर पेड़ के पीछे छुप गए थे , दोनों ने निराशा से अपने हाथ मले । और जाती हुई कायरा को देखकर , ही उन्होंने अपने बॉस को कॉल किया । और अभी कुछ पल पहले जो हुआ , वो सारा वाकिया कह सुनाया । उनके बॉस ने सुना तो गुस्से से आगबबूला होकर , दोनों से कहा ।

बॉस - एक काम ठीक से नहीं होता है तुम लोगों से । सारे निकम्में लोग पाल रखे हैं मैंने , अपना काम कराने के लिए । अब मेरी बात ध्यान से सुनो । जो हुआ उसे जाने दो , और अब वेट करो, उन सभी के वापस मुंबई आने का । रास्ते में ही मौका देखकर , तुम लोग अपना काम कर देना । और हां , उनके साथ उनकी सिक्योरिटी के लिए बहुत से लोग होंगे । उन्हें कायरा तक पहुंचने से कैसे रोकना है , ये तुम लोग बहुत अच्छी तरह से जानते हो ।

दोनों आदमी - जी बॉस.....।

कहकर उन्होंने फोन कट कर दिया और फिर दूर से ही , कायरा , आरव और उनके साथ बाकी के लोगो को भी निहारने लगे और सही समय आने पर अपने प्लान को अंजाम देने का , इंतेज़ार करने लगे ।

इधर कायरा और आरव जैसे ही सारे दोस्तों के पास पहुंचे , वैसे ही आदित्य , राहुल , नील और आरव के एक साथ फोन बजना चालू हो गए । सभी ने एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखा, फिर अपना - अपना फोन कॉल पिक कर , साइड में आकर बात करने लगे । लेकिन आरव ने कॉल अटेंड नहीं किया और फोन को साइलेंट मोड पर डालकर , फोन अपने हाथ में ले लिया । बाकी सारी गर्ल्स और रेहान टेंट के नीचे , बैठे बातें कर रहे थे । आरव भी उन्हीं के साथ बैठ गया । आरव का फोन लगातार रिंग हुए जा रहा था , पर आरव किसी भी कॉल का आंसर नहीं दे रहा था । कुछ पल बाद , आदित्य , राहुल और नील चेहरे पर टेंशन के भाव लिए, सभी के पास आए और आदित्य ने सबके पास आकर तुरंत आरव से कहा ।

आदित्य - आरव ......, वो हमारे फैक्ट्री से क्लाइंट को जाने वाला मटेरियल......।

इससे आगे आदित्य कुछ कह ही नहीं पाया और उसने अपने सिर पर हाथ रखा और परेशान सा इधर - उधर देखने लगा । सौम्या ने जब उसे इस तरह परेशान देखा, तो तुरंत उसके पास आयी और उसके कंधे को पकड़ कर कहा ।

सौम्या - क्या हुआ है आदि ???? तुम इतना टेंशन में क्यों साउंड कर रहे हो....????

रेहान ( राहुल और नील जी तरफ देखकर ) - और तुम दोनो भी इतने परेशान क्यों दिख रहे हो ???

नील - बात ही इतनी बड़ी है यार , कि समझ नहीं आ रहा है, क्या कहें । कैसे रिएक्ट करें .....।

कायरा - अरे पर हुआ क्या है ...??? कुछ तो बताओ तुम लोग...!!???

राहुल - कायरा.......!!!!! हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर गया । और हमें बहुत बड़ा नुकसान हुआ है । जिसकी वजह से सारे क्लाइंट हमसे नाराज़ है ।

आदित्य - क्लाइंट्स का कॉल पर कॉल आ रहा है । हमारा जो मटेरियल , आज क्लाइंट को पहुंचा है । वो सब खराब मटेरियल पहुंचा है । जगह - जगह से फेब्रिक फटे हुए हैं , जैसे उन्हें काटा गया हो या फिर चूहों ने उन्हें कुतरा हो ।

नील - अभी तक हमारी कंपनी , हमारे अच्छे मटेरियल और अच्छे परफॉर्मेंस की वजह से , क्लाइंट्स को खुश कर पा रही थी । पर अब ......, अब पता नहीं क्या होगा । क्लाइंट्स हमसे बहुत ज्यादा नाराज़ है । आज जिस - जिस कंपनी के पास हमारा मटेरियल पहुंचा है , सब डैमेज है ।

सभी बात कर ही रहे थे , कि तभी आरव का फोन फिर से बाईब्रेट हुआ । आरव ने देखा , फोन मिस्टर शर्मा का है । तो उसने तुरंत कॉल पिक किया । पर आरव के कुछ कहने से पहले ही , मिस्टर शर्मा गुस्से से भरी आवाज़ में उससे बोले

मिस्टर शर्मा ( फोन पर ) - आरव......!!!! तुम कहां हो ???

आरव - पापा आपको बताया तो था , कि हम आज घूमने जा रहे हैं । मैं अभी उसी पिकनिक स्पॉट पर हूं ।

मिस्टर शर्मा - तुम और तुम्हारी टीम....., जहां कहीं भी हो । तुरंत अभी के अभी वहां से निकलो और जल्द ही ऑफिस पहुंचो ।

इतना कहकर उन्होंने , बिना आरव का रिप्लाई सुने कॉल कट कर दिया । मिस्टर शर्मा के फोन कॉल कट होते ही , अरनव का आरव के फोन पर कॉल आया । आरव ने कॉल रिसीव किया तो अरनव ने तुरंत कहा ।

अरनव - आरव तू कहां है ??? पापा बहुत गुस्से में हैं , वो जल्द से जल्द तुझे अपनी आंखों के सामने देखना चाहते है ।

आरव - पर हुआ क्या है भैया ????

अरनव - हमारी फैक्ट्री से खराब फेब्रिक मटेरियल , क्लाइंट्स के पास पहुंचा है । सारे क्लाइंट्स के कॉल मुझे और पापा को बार - बार आ रहे हैं । ये पहली बार हुआ है , कि हमारी किसी कंपनी से इतनी बड़ी गलती हुई है । अब ये कंपनी तू हैंडल करता है । इस लिए जहीर सी बात है , सारा ब्लेम तुझपर ही आएगा । सारे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स , कॉन्फ्रेंस हॉल में तेरा वेट कर रहे हैं । प्लीज आरव जल्दी आ । मुझे डर है, कि पापा बिना तेरा क्लैरिफिकेशन सुने , कहीं कोई ठोस कदम न उठा लें । तू जल्दी आ ......, प्लीज ।

आरव - मैं तुरंत यहां से निकल रहा हूं भाई । आप बस पापा को संभालो ।

इतना कह कर आरव ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया । तभी कायरा ने पूछा ।

कायरा - किसका कॉल था आरव ...???

आरव - पापा और भैया का.... ।

अंशिका - क्या कहा उन्होंने ????

आरव ने अंशिका के सवाल पर , मिस्टर शर्मा और अरनव से हुई सारी बात चीत बता दी । तो आदित्य ने परेशान होकर कहा ।

आदित्य - ऐसा कैसे हो सकता है ???? कल शाम को ही तो मैं और राहुल , सारा मटेरियल चेक करके आए थे । तब तो सब ठीक था । पर अचानक से ये सब ......।

नील और राहुल ( एकसाथ ) - यही तो हमें भी समझ नहीं आ रहा , कि ये सब हुआ कैसे है???

आदित्य ( कुछ सोचते हुए ) - कहीं ये सब किसी ने जान बूझकर तो नहीं किया ???

आरव ( अपने माथे की लकीरों को समेटते हुए ) - मुझे अच्छे से पता है, ये किसका काम है .....!!!!

सभी ने जब आरव की बात सुनी , तो हैरानी से सबके - सब आरव को देखने लगे और सोचने लगे , कि आरव किसकी बात कर रहा है .........।

क्रमशः