Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 39 in Hindi Fiction Stories by ARUANDHATEE GARG मीठी books and stories PDF | एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 39

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 39





मिशा की कॉफी ख़तम हो चुकी थी । उसने अपना कप , सामने रखी टेबल पर रखा और रामू को आवाज़ दी ।

मिशा - रामू......., रामू........, कहां मर गए ....?????

रामू ( हड़बड़ाते हुए दौड़ कर आया और बोला ) - जी ......, जी मेमसाब ..........।

मिशा - कहां चले गए थे तुम ? कब से तुम्हें आवाज़ दे रही हूं ....!!!!

रामू - सॉरी मेमसाब, आपके लिए लंच तैयार करवा रहा था । इस लिए आने में थोड़ी देर हो गई ।

मिशा - अच्छा ठीक है । ये कॉफी का कप ले जाओ । और मेरे रूम से मेरा फोन लेकर आओ ।

रामू - जी मेमसाब ।

कुछ ही मिनटों में रामू मिशा का फोन ले आया और उसे फोन पकड़ा कर बोला ।

रामू - मेमसाब ....!!!!

मिशा - हां बोलो ।

रामू - आपके कमरे में फ्लॉवर पॉट के टुकड़े बिखरे पड़े हैं ......।

मिशा ( रामू की बात को पूरा सुने बिना ही कहती है ) - उन्हें, फ्लॉवर पॉट के बिखरे हुए टुकड़े मत कहो रामू । वो किसी के, सपनों के टूटकर बिखरने के बाद, जमीन में पड़े टुकड़े हैं । जिन्हें मैं खुद उसी की तरह तोड़ने वाली हूं । ( रामू की ओर देख कर )
तुम जाओ और जाकर रूम साफ कर दो । और हां , उन टुकड़ों को कांच के एक बाउल में रखकर , मेरी स्टडी टेबल पर रख देना । मैं उन्हें अपने आंखों के सामने ही रखना चाहती हूं , ताकि मैं अपने काम को बखूबी अंजाम दे सकूं । उस पॉट के एक भी टुकड़े , मेरे रूम के बाहर नहीं जाना चाहिए ।

रामू को समझ नहीं आ रहा था , कि मिशा के कहने का मतलब क्या है , आखिर वो क्यों उन फ्लॉवर पॉट के टुकड़ों को अपने पास रखना चाहती है और वो किसके सपनों के बारे में बात कर रही है ? ये सारी बातें सोचते हुए रामू ने मिशा से फिर कहा ।

रामू - मेमसाब ! आखिर इतना भी खास क्या है उन फ्लॉवर पॉट के टुकड़ों में , जो आप उन्हें अपने रूम से बाहर भी नहीं फेंकना चाहती ???

मिशा ( अपने फोन को साइड में रख कर, गुस्से से रामू को देख चिल्लाते हुए कहती है ) - जस्ट शट अप.......। तुम होते कौन हो मुझसे ये सवाल करने वाले । जितना कहा है , उतना करो, बस...... । जाओ यहां से, जस्ट गो नाउ .......।

रामू ने मिशा को इतनी तेज़ आवाज़ में चिल्लाते हुए देखा , तो बेचारा सहम गया । और जल्दी ही मिशा के रूम में चला गया । और इधर रामू के जाते ही मिशा ने अपना फोन अपने हाथ में लेकर , एक आदमी को कॉल किया । दो घंटी जाने के बाद, उस आदमी ने कॉल रिसीव किया । तो मिशा ने उसे कुछ समझाया और फिर उसके द्वारा मिशा के बात मानते ही, मिशा ने फोन कट कर टेबल पर रख दिया और मुस्कुराकर खुद से कहा।

मिशा - अब आएगा मजा । जब उलझन में कोई और होंगे और असलियत में फंसेंगा कोई और । मैं आरव और राजवीर को उनकी आपसी लड़ाई में इतना उलझा दूंगी , कि उन्हें कायरा पर ध्यान देने का मौका भी नहीं मिलेगा । और मैं अपना काम आसानी से कर पाऊंगी।

इतना कह कर मिशा जहरीला मुस्कुराई और फिर बाहर गार्डन में आकर , झूला झूलने लगी । इधर राजवीर अपनी सोच में गुम ही था, कि तभी मिस्टर तिवारी उसके रूम में आए और आते ही साथ गुस्से में उन्होंने राजवीर से कहा ।

मिस्टर तिवारी - राजवीर ....!!!!

राजवीर ( फटाफट सोफे से उठते हुए ) - जी डैड .....।

मिस्टर तिवारी - ये क्या किया तुमने ???

राजवीर ( नासमझ सा ) - क्या डैड , आप किस बारे में बात कर रहे हैं ???

मिस्टर तिवारी ( गुसे से ) - तुम बहुत अच्छे से जानते हो, कि मैं किस बारे में तुमसे बात कर रहा हूं । क्या जरूरत थी तुम्हें, आरव से लड़ाई करने की , क्यों तुम उससे उलझे ??? और ये चोटें.…. , ये चोटें तुम्हें उसी वजह से, तोहफ़े में मिली हैं ना। ठीक ही हुआ । जब आग से खेलोगे , तो हाथ तो तुम्हारे भी जलेंगे ना .....। ( राजवीर को गुस्से में घूरते हुए ) आरव सिर्फ हमारा रिश्तेदार ही नहीं , बल्कि हमारा बिजनेस पार्टनर भी है। अगर गलती से भी उसने हमारी कंपनी के साथ, साइन किया गया कॉन्ट्रैक्ट कैंसल कर दिया, तो हमारी कंपनी सड़क पर आ जाएगी । हम किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। और आरव इतना अच्छा लड़का है , भला क्या जरूरत पड़ गई तुम्हें उस पर हाथ उठाने की ? उससे बत्तमीजी से पेश आने की..... ???

राजवीर ( मन ही मन चिढ़ते हुए ) - ओह...., तो इन्हें पता लग गया है । जरूर आरव ने ही बताया होगा मेरे डैड को , वरना वहां पर ऐसा कोई नहीं था , जो डैड से इस बारे में कुछ भी कहता। और मेरे डैड....., उन्हें तो अपने बेटे से ज्यादा आरव में खूबियां नज़र आती हैं । आई स्वेर......., इसका अंजाम अब तुम बहुत बुरी तरह से भूगतोगे आरव शर्मा ।

मिस्टर तिवारी ( तेज़ आवाज़ में चिल्लाते हुए ) - मैं जो कह रहा हूं, उसे सुन भी रहे हो तुम ????

राजवीर ( नीचे सिर झुकाकर ) - जी डैड ।

मिस्टर तिवारी - तो फिर जाओ , और जाकर आरव के ऑफिस में, उससे माफी मांगों। इससे पहले कि ये बात , मिस्टर शर्मा या अरनव बेटे तक पहुंचे । तुम जल्द से जल्द आरव से बात कर लो, ताकि बात यहीं पर खत्म हो सके ।

राजवीर ( अपने गुस्से को काबू करते हुए ) - जी डैड।

मिस्टर तिवारी ( राजवीर को अपने हाथ की उंगली दिखाकर वॉर्न करते हुए ) - और हां, ये गलती दोबारा दोहराई नहीं जानी चाहिए । वरना मुझसे बुरा तुम्हारे लिए कोई नहीं होगा। इतना याद रखना तुम ........।

इतना कह कर मिस्टर तिवारी राजवीर के रूम से बाहर चले गए । उनके जाते ही राजवीर ने अपने सामने टेबल पर रखा कांच का गिलास उठाकर, जमीन पर फेंक दिया और खुद से गुस्से में कहा ।

राजवीर - आपसे बुरा कोई है भी नहीं डैड। दुनिया अपने बच्चों का सपोर्ट करती है और आप......., आप अपने ही बेटे को हर बार उस आरव के कारण , नीचा दिखा कर चले जाते हैं । कसम से , अगर आप मेरे डैड ना होते, तो मैं आपकी बात मानना तो दूर, आपकी मैं सुई की नोक के बराबर भी रिस्पेक्ट नहीं करता ।

इतना कह कर गुस्से में उसने अपने पैर से टेबल पर लात मारी । जिससे टेबल अपनी जगह से थोड़ा सा दूर खिसक गया । राजवीर कितना भी बुरा इन्सान हो , पर वो अपने मां बाप और अपनी बहन खुशी से बहुत प्यार करता था। इस लिए वह अपने पिता की बात को कभी नहीं टालता था। राजवीर की चोटें अब तक काफी ठीक हो चुकी थीं । बस सिर पर हल्की सी बैंडेज थी । वह फटाफट रेडी हुआ और आरव के ऑफिस के लिए निकल गया।

कायरा ने आरव के सवाल पर उसे एक पल देखा और फिर मुस्कुराते हुए कहा ।

कायरा - आरव सर.....!!!! वो बात तो मैं कब का भूल चुकी हूं । ( मन में ) अगर नहीं भूली हूं , तो भूलने की कोशिश भी कर रही हूं । शायद सच में भूल ही जाऊं । ( आरव से ) मैंने आपको पहले ही कहा था, कि जितनी गलती आपकी थी उस वक्त, उतनी ही मेरी भी थी । इस लिए उस बात को आप भूल जाइए । कोई रीजन ही नहीं है मेरे पास, उस बात के लिए आपसे नाराज़ होने का ।

आरव ( तपाक से ) - तो फिर तुमने सैलरी लेने से मना क्यों किया ? और फिर उसके अलावा, तुम किस बात पर नाराज़ हो मुझसे ?

कायरा ( मुस्कुराते हुए ) - मैं आपसे किसी भी बात पर नाराज़ नहीं हूं । और मैं चाहती हूं कि मेरी सैलरी मेरे अकाउंट में ना जाकर, मेरे फादर के अकाउंट में ट्रांसफर हो ।

आरव ( कायरा को असमंजस की स्थिति में देख कर ) - पर ऐसा क्यों ????

कायरा - मैंने ये जॉब सिर्फ इस लिए स्टार्ट की थी , जिससे मैं अपने मां बाप की हेल्प कर सकूं । मुझे इन पैसों की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है । इस लिए मैं चाहती हूं, कि ये मेरे पापा के अकाउंट में जाएं । जब मां बाप अपने बच्चो के लिए कमा सकते हैं, तो हम बच्चे क्यों , अपने मां बाप के लिए नहीं कमा सकते ......!!!!!????

आरव ने जब उसकी बात सुनी , तो काफी इंप्रेस हुआ । उसने कायरा को देखते हुए मन ही मन खुद से कहा ।

आरव - कितना अच्छी थिंकिंग रखती है ये लड़की । आज के जमाने में जब, बच्चों के लिए मां बाप सिर्फ उनकी ख्वाहिशें पूरी करने का जरिया होते हैं । उस जमाने ये लड़की अपनी जरूरतें छोड़ कर, अपने मां बाप की जरूरतें पूरी कर रही है । और रूही ने बताया था , कि इसने शायद अपने जॉब करने का असली रीजन, अपने घर वालों को नहीं बताया होगा । कितनी अजीब हो ना तुम कायरा ....., अभी कल ही तुम रास्ते पर अपने मोबाइल और वॉच के लिए पैसे कहां से कलेक्ट करोगी, इस बारे में सोच रही थी । और आज जब तुम्हें ये पैसे......., तुम्हारे मेहनत की कमाई तुम्हें मिली है , तो उसे तुम बिना अपनी जरूरत की फिक्र कर , सीधे अपने पिता को देना चाहती हो । यू आर सच अ वंडर फुल गर्ल .........। काश कि तुम्हारी तरह ही आजकल के जनरेशन के सारे लोगों की थिंकिंग हो, तो आजकल के पैरेंट्स को अपने बच्चों की परवरिश को लेकर , निराशा ना होती । मैं जितना तुम्हें धीरे - धीरे जानता जा रहा हूं , उतना ही मुझे तुमसे, तुम्हारी अच्छाइयों से प्यार होता जा रहा है ।

आरव कायरा की बात से खासा इंप्रेस था, वह ये सब सोच ही रहा था , कि तभी कायरा ने उससे कहा , जो कि बहुत देर से आरव को शांत बैठे, खुद को घूरते हुए देख, उसके बोलने की प्रतीक्षा कर रही थी । पर जब आरव ने कुछ नहीं कहा तो कायरा ने कहा ।

कायरा - आरव सर ....।

आरव ( अपनी सोच से बाहर आकर हड़बड़ाते हुए ) - हां ....., हां कायरा ।

कायरा - व्हाट .......???? मैंने आपसे जो कहा वो आपने सुना ????

आरव - हां सुना ना । पर मैं ये नहीं कर पाऊंगा ।

कायरा ( परेशानी के भाव से ) - पर क्यों ???? ( हल्के गुस्से के साथ ) आपको हमेशा मेरी बात काटनी होती है । मैं जो भी कहती हूं , आपको वो कभी पसंद ही नहीं आता । चाहे कल रात की बात हो , या फिर अभी की । आप तो मेरी बात सुनना ही नहीं चाहते ।

आरव ( असमंजस की स्थिति में ) - कायरा ......, मैंने ऐसा कब कहा ....!!!! तुम मेरी पूरी बात तो सुनो । ( कायरा ने कुछ नहीं कहा , तो आरव ने आगे कहा ) मैं इस लिए ऐसा नहीं कर सकता , क्योंकि ये कंपनी का रूल है । एम्प्लॉइ की सैलरी उसके अकाउंट में ही ट्रांसफर होती है । क्योंकि ये रेकॉर्ड्स सारे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सामने रिप्रेजेंट होते हैं । और अगर मैंने तुम्हारे अकाउंट की जगह तुम्हारे फादर के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए , तो तुम्हारी फाइल में उनका ही नाम शो होगा । और फिर बात सीधे कंपनी पर आएगी । इस लिए मैं ऐसा नहीं कर सकता ।

कायरा ( नजरें झुका कर ) - ठीक है , आप मेरे ही अकाउंट में ट्रांसफर कर दीजिए ।

कायरा को अब अपने, बिना रीजन जाने रिएक्ट करने पर , बुरा लग रहा था। क्योंकि उसने आरव की सुने बिना ही उसे , बहुत कुछ सुना दिया । पर शायद माफी मांगने की हिम्मत कायरा में नहीं थी , इस लिए उसने सिर्फ अकाउंट में पैसे डालने को बस कहा और फिर चुप हो गई।

आरव ( उसका उदास चेहरा देख कर कहता है ) - लेकिन एक तरीका है , जिससे तुम अपने फादर के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर सकती हो ।

कायरा ( आरव की ओर नजरें घुमाते हुए ) - वो कैसे ????

आरव - नेट बैंकिंग से।

कायरा ( खुश होते हुए ) - अरे हां ...., ये तो मुझे याद ही नहीं आया । ( कुछ पल सोचते हुए ) पर मेरा तो फोन खराब हो चुका है , और मेरा लेपटॉप भी घर पर है । फिर कैसे मैं अपने अकाउंट से, पापा के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करूंगी ।

आरव ( लेपटॉप पर बटन क्लिक कर, मुस्कुराते हुए कहता है ) - वेरी सिम्पल कायरा.....। तुम अपनी ईमेल आईडी मुझे बताओ , अपनी और अपने फादर की अकाउंट डिटेल्स मुझे दो । मैं यहीं से उनके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दूंगा ।

कायरा ने सुना तो बहुत खुश हुई । उसने आरव के कहें अनुसार, सारी डिटेल्स आरव को दे दी और आरव ने बड़े ही आसानी से पैसे कायरा के अकाउंट से , देवेश जी के अकांउट में ट्रांसफर कर दिए । कायरा, पैसे ट्रांसफर होते ही बेहद खुश हुई । आरव ने जब उसे इतना खुश देखा तो मन ही मन खुद से कहा ।

आरव - कैसी लड़की हो तुम कायरा ? जहां लोग अपनी पहली सैलरी से घूमने जाते हैं, पार्टीस करके खुशी मनाते हैं । वहां तुम अपनी पहली सैलरी अपने पिता के अकाउंट में ट्रांसफर करके इतना खुश हो रही हो , जैसे तुम्हें तुम्हारी मन पसंद चीज़ मिल गई हो । कितनी अलग हो तुम सभी से ......।

कायरा ने जब आरव को एक बार फिर खुद को घूरते हुए पाया तो कहा ।

कायरा - वैसे सैलरी अकाउंट में ट्रांसफर करने का काम , तो अकाउंटेंट का होता है । और आप तो इस कंपनी के एमडी और सीईओ हैं । फिर आपने अपने सारे काम साइड में रख कर , मेरे अकाउंट में सैलरी ट्रांसफर करने का काम क्यों किया ????

आरव ( मुस्कुराकर कायरा को देखते हुए ) - क्योंकि मैं तुम्हारे चेहरे की खुशी , जो इस वक्त तुम्हारे चेहरे पर साफ झलक रही है , उसे देखना चाहता था।

कायरा ने जब सुना, तो उसने अपनी नजरें नीची कर लीं , और हल्का सा मुस्कुरा दी । उसे आरव का खुद के लिए ये सब करना , बहुत ही अच्छा लग रहा था । अब आरव के इतना कहने के बाद , शायद कायरा के पास कुछ कहने को बचा ही नहीं था , या ये कहें कि उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वो अब क्या बोले । तो उसने नजरें झुका कर ही आरव से कहा ।

कायरा - शायद मेरा काम हो चुका है , इस लिए मुझे अब जाना चाहिए ।

आरव उसे जाने तो नहीं देना चाहता था , पर उसे अपने पास रोकने का कोई जरिया ही नहीं था । इस लिए उसने कायरा को जाने के लिए कह दिया । कायरा दरवाज़े तक ही पहुंची थी , कि आरव ने उसे पीछे से आवाज़ दी ।

आरव - कायरा .......।

कायरा ( तुरंत पलट कर आरव की ओर देखते हुए कहती है ) - जी ........।

आरव ( अपने टेबल पर रखे मोबाइल फोन की तरफ इशारा करते हुए ) - ये तुम्हारे लिए । तुम्हारा फोन कल खराब हो चुका था , इस लिए तुम्हारे लिए ये न्यू फोन मंगवाया है मैंने ।

कायरा ने सुना तो उसे खुशी हुई , ये सोच कर कि कितना सोचते हैं आरव उसके बारे में । पर अगले ही पल उसे कुछ याद आया और उसकी खुशी अब गुस्से में तब्दील हो गई । कायरा दरवाज़े से वापस आरव के टेबल के सामने आकर खड़ी हो गई और गुस्से से कहा ।

कायरा - मानती हूं कि मेरा फोन खराब हो चुका था। पर इसका मतलब ये तो नहीं, कि मैं दूसरा फोन खरीदने की जगह आपसे नया फोन लूं । इतनी भी सेलफिश नहीं हूं मैं आरव सर, कि अपनी जरूरतों के सामान के लिए आप पर निर्भर हो जाऊं ।

आरव ( अपनी चेयर से उठकर , हैरानी से कायरा को देखते हुए ) - पर मैंने ऐसा तो नहीं कहा कायरा..... । मैं तो बस तुम्हें ये इस लिए देना चाहता था , ताकि तुम्हारी हेल्प हो सके...।

कायरा ( उसकी बात बीच में काटते हुए ) - ओह....., प्लीज आरव सर । मैं मेरी हेल्प खुद भी कर सकती हूं । मैंने आपसे नहीं कहा था , कि आप मेरी हेल्प कीजिए ।

आरव - आई नो कायरा ....., तुम अपनी हेल्प खुद कर सकती हो । और न ही तुमने मुझसे ऐसा कुछ कहा है । पर मैंने ये तुम्हें , तुम्हारे सेल्फ रिस्पेक्ट को हर्ट करने के लिए नहीं दिया है .....।

कायरा ( एक बार फिर आरव की बात बीच में काटते हुए ) - बंद कीजिए आप ....., सफाई देना मुझे ......। अगर कोई लड़की आपसे थोड़ी से हेल्प मांग ले , या फिर आपसे हंस बोलकर बातें कर ले , आपकी कुछ बातें मान ले , इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है, कि आपको उस लड़की से पूछे बिना उसके बारे में सारे फैसले लेने का लाइसेंस मिल गया है । आपने मुझसे एक बार पूछा भी नहीं , और बस कह दिया कि तुम ये मोबाइल फोन ले लो । क्या मैं आपको छोटी सी बच्ची दिखती हूं , जो आपकी हर बात मान लूं । या फिर लालची लड़कियों की तरह दिखती हूं आपको , जो अपने लालच के चलते आपके द्वारा दी गई सारी चीज़ें खुशी - खुशी एक्सेप्ट कर लेगी । क्या इतनी गई गुजरी लगती हूं मैं आपको ??? मैंने अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट बेंच नहीं दी है आपको , जो आप मेरे लिए सारे फैसले लें ....., समझे आप ।

आरव ( गुस्से से मुट्ठी भींचते हुए ) - तुम गलत समझ रही हो कायरा........।

कायरा ( फीकी सी मुस्कान के साथ ) - ओह....., तो सही - सही आप ही समझा दीजिए मुझे । क्या बाकी एम्प्लॉयज के फोन टूटने पर भी, आप उन्हें फोन लाकर देते हैं ???? अगर ऐसा नहीं है , तो फिर ये सब सिर्फ मेरे लिए ही क्यों ??? क्यों आरव , जवाब दीजिए.....!!!!!

आरव को कायरा की बातें सुनकर बेहद गुस्सा आ रहा था । उसने अपनी हाथों की मुट्ठी भींची और दांत पीसते हुए कायरा की ओर धीरे - धीरे बढ़ते हुए कहा ।

आरव - तुम्हें जानना है , कि मैं तुम्हारे लिए क्यों ये सब कर रहा हूं??? तुम मुझे इतना घटिया इन्सान समझती हो , कि मैं सिर्फ इस लिए ये फोन दे रहा हूं , क्योंकि तुम लड़की हो ??? तुम ये समझती हो , कि तुम्हारे हंसने बोलने से, तुम्हारे द्वारा मेरी बात मानने से, मैं इंप्रेस हो चुका हूं ??? ये सोच रखती हो तुम कायरा मेरे बारे में ....???

कायरा आरव के कदमों के साथ ही पीछे बढ़ती जा रही थी , और एक वक्त ऐसा आया , जब कायरा अपने पीछे दीवार से जाकर सट गई । उसने अपने पीछे देखा , तो अब उसके और पीछे जाने के लिए रास्ता ही नहीं बचा था । कायरा ने एक नजर आरव को देखा , जो गुस्से से बस उसे ही देख रहा था और धीरे - धीरे उसके एक दम नजदीक पहुंच चुका था। कायरा उसका गुस्सा देख कर सहम गई । उसने देखा कि आरव के साइड से जगह है निकलने की , तो उसने अपने कदम उस ओर बढ़ाए । पर वह उस तरफ से निकल पाती, उससे पहले ही आरव ने दीवाल पर अपना, एक हाथ टिका कर उसे रोक लिया । कायरा आरव की इस हरकत से बुरी तरह डर गई , क्योंकि इस वक्त शायद वो आरव का गुस्सा बर्दास्त करने की हालत में नहीं थी। इस लिए उसने दूसरे तरफ से निकलने की सोची और उस ओर अपने कदम बढ़ाए, तो आरव ने उस तरफ भी अपना दूसरा हाथ रख दिया। कायरा अब पूरी तरह से आरव के कैद में थी। फर्क सिर्फ इतना था , कि दोनों के जिस्मों के बीच कुछ इंच का फासला अभी भी बाकी था । कायरा ने अब आरव को देखा , जो गुस्से में उसे ही देख रहा था । पर अब उसके चेहरे में गुस्से के साथ ही , एक तकलीफ भी थी , जो शायद कायरा के ऐसे व्यवहार करने की वजह से थी। कायरा ने उस तकलीफ पर चोट करने के इरादे से फिर कहा, पर धीमी आवाज़ में । क्योंकि आरव को खुद के इतने करीब देख कर उसकी आवाज़ बड़ी ही मुश्किल से निकल रही थी ।

कायरा - हां आरव , मैं जानना चाहती हूं , कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं ....!!!!

आरव को उसकी बात पर अब और ज्यादा गुस्सा आया। वह कायरा के एकदम नजदीक आया, इतना कि अब आरव की गर्म सांसें कायरा को अपने चेहरे पर महसूस हो रहीं थीं । आरव ने उसे देखते हुए ही कहा ।

आरव - क्योंकि मैं तुम्हें .......।

इससे आगे आरव कुछ कह ही नहीं पाया, क्योंकि अब कायरा उसे ही देख रही थी । जिससे आरव उसकी आंखों की कशिश में खो सा गया । जिससे उसके आगे के शब्द और गुस्सा दिल के किसी कोने में ही दफन हो गए । कायरा भी अब आरव की आंखों की, इस वक्त की मासूमियत में खो चुकी थी । क्योंकि अब आरव उसे बड़े ही प्यार से देख रहा था । आरव ने कायरा के चेहरे को अपने एक हाथ में लिया और अपना चेहरा उसके एक दम नजदीक कर लिया । आरव ने कायरा के माथे पर हल्का सा अपने होठों से स्पर्श किया, जिससे कायरा ने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हाथों में अपनी कुर्ती के दोनों छोर को, कस कर जकड़ लिया । एक खूबसूरत सा एहसास दोनों के दिलों में उमड़ पड़ा । आरव ने अब अपने होठ कायरा के माथे से हटा लिए और कायरा को एक बार फिर देखने लगा । इस वक्त कायरा बंद आंखों में किसी छोटे से मासूम बच्चे की तरह लग रही थी । आरव तो बस उसकी मासूमियत में ही खो गया। कायरा ने अब अपनी पलकें खोली, तो आरव को अपने चेहरे के एक दम नजदीक पाया और फिर वह भी एक टक आरव को देखने लगी ।

तभी राजवीर आरव के केबिन की ओर आया । आरव और कायरा को एक दूसरे के इतना नजदीक देख कर , वह दरवाज़े के बाहर ही खड़ा हो गया । उसका गुस्सा अब और ज्यादा बढ़ गया । उसने गुस्से से भर कर अपने हाथो की मुट्ठी भींच ली और फिर आरव के केबिन के कांच के दरवाज़े पर , जोर से अपना एक हाथ दे मारा । जिससे उस दरवाज़े का कांच एक दम से टूट कर, तेज़ आवाज़ के साथ जमीन में बिखर गया। कांच की आवाज़ सुनकर ऑफिस के सारे लोग राजवीर को हैरानी से देखने लगे। और राजवीर अब भी आरव और कायरा को जलती हुई आंखों से देख रहा था।

आरव और कायरा के कानों में जैसे ही कांच के टूटने की आवाज़ पड़ी , दोनों ही चौंक गए। कायरा ने डर के कारण अपने एक हाथ से, आरव की एक हाथ की हथेली, कस कर पकड़ ली । दोनों की नजर दरवाज़े की ओर गई । जहां से राजवीर जलती हुई आंखों से उन्हें ही देख रहा था। उसके उस हाथ से हल्का सा ब्लड भी निकल रहा था , जिससे उसने दरवाज़े पर मारा था। शायद कांच का एकाद टुकड़ा चुभ गया था उसके हाथ पर, लेकिन उसके चेहरे पर दर्द नहीं बल्कि गुस्सा था , आरव और कायर को एक दूसरे के इतने करीब देखने पर। जबकि आरव ने जब राजवीर की इस हरकत को देखा , तो गुस्से से उसकी भौहें तन गई । उसने गुस्से में अपने कदम राजवीर की ओर बढ़ाए , कि तभी कायरा ने अपने दोनो हाथों से उसकी बांह पकड़ ली और न में सिर हिला दिया । कायरा के मना करने पर आरव रुक गया , पर उसने कायरा की ओर देखा, जिसकी नज़रों में, इतनी तेज़ आवाज़ कानों में पड़ने के कारण, डर साफ दिखाई रहा था ।

आरव ने कायर की बांह को पकड़ कर , उसे चेयर पर बैठाया और उसे पानी दिया । कायरा पानी पीने लगी और इधर राजवीर आरव के केबिन में एंटर हुआ । उसे देखते ही आरव का खून खौल गया और कायरा के आंखों में कल रात के सारे सीन एक - एक कर सामने आने लगे । और उसे याद कर कायरा को भी गुस्सा आने लगा। आरव ने राजवीर के आते ही उससे गुस्से से पूछा।

आरव - तुम यहां क्या कर रहे हो ??? और ये दरवाज़ा क्यों तोड़ा तुमने ? ऐसी हरकतें करके, क्या साबित करना चाहते हो तुम ???

राजवीर ( मुस्कुराकर कायरा के बगल वाली चेयर पर बैठते हुए कहता है ) - मुझे कुछ भी साबित करने की जरूरत है क्या आरव ??? मैं तो ........।

उसके आगे कुछ बोलने से पहले ही, कायर पानी का गिलास टेबल पर रखती है और चेयर से उठकर कहती है ।

कायरा - तुम यही देखने आए हो ना, कि हम डर कर , सहम कर एक जगह बैठे हैं या नहीं ...????

उसके इस सवाल से आरव हैरानी से कायरा को देखने लगा , और सोचने लगा कि उसने तो कायरा को कुछ भी नहीं कहा , फिर उसे कैसे पता चला , कि राजवीर ने उस पर हमला करवाया था , वो भी सिर्फ उन्हें डराने के लिए । जबकि राजवीर इत्मीनान से बैठा हुआ था। क्योंकि उसे लग रहा था , कि ये बात आरव ने ही कायरा को बताई होगी । राजवीर से जब कोई रिएक्शन नहीं मिला तो कायरा ने आगे कहा।

कायरा ( अपने हाथों की घड़ी बनाते हुए ) - तो तुम सुन लो राजवीर , हम डर कर घर में दुबककर बैठने वालों में से नहीं है । और एक बात....... , पीठ पीछे वार करना और फिर उसका लाइव वीडियो किसी लाइव शो की तरह देखना , तुम्हारा शौक है , हमारा नहीं । अगर इतना ही हमसे मुकाबला करना चाहते हो , तो सामने से करो ना। पीठ पीछे वार करके साबित क्या करना चाहते हो तुम ???

अब ये दूसरा झटका था आरव के लिए , और राजवीर के लिए पहला । क्योंकि राजवीर और उसके आदमियों के अलावा किसी को ये बात पता नहीं थी, कि राजवीर के मोबाइल से, उस आदमी के कान के छोटे से इयर पिन पर लगा कैमरा, कनेक्ट था.......... ।

क्रमशः