Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 37 in Hindi Fiction Stories by ARUANDHATEE GARG मीठी books and stories PDF | एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 37

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 37




आरव ने कायरा के सवाल के जवाब में कुछ भी नहीं कहा , कायरा ने भी दोबारा सवाल नहीं किया । और बॉटल आरव की कार की बोनट पर रख कर , अपनी स्कूटी की ओर जाने लगी । आरव ने सारे दोस्तों से घर जाने के लिया कहा, पर उसकी नज़र कायरा पर थी । मन में उसके उथल - पुथल मची थी , ये सोचकर कि कायरा जा कहां रही है ??? आदित्य ने आरव से कहा ।

आदित्य - पर भाई कायरा ???

आरव ( धीरे से कहा ) - उसे मैं घर छोड़ने जाऊंगा । डोंट वरी...., तुम लोग आराम से घर जाओ । रात में ग्यारह बजे मैं तुम लोगों से कॉन्फ्रेंस कॉल पर बात करूंगा।

आरव की बात सुनकर , सभी दोस्तों ने हामी भरी और अपनी - अपनी कार में जाकर बैठ गए । और आरव को बाय बोलकर सभी अपने घर की ओर निकल गए ।

कायरा अपनी स्कूटी के पास आकर , अपना टूटा हुआ फोन देख रही थी और सोच रही थी ।

कायरा ( खुद से ) - पता नहीं , मम्मा का न जाने कितनी बार कॉल आया होगा । और मेरा फोन स्विच ऑफ है , सोच कर वे खूब परेशान हो रही होंगी । ( अपनी रिस्ट वॉच को देखते हुए ) अरे ये तो टूट गई । इसे अभी संभाल कर , स्कूटी की डिक्की में रख देती हूं । वरना घर जाते तक बचे हुए पार्ट्स भी इसके , रास्ते में ही गिर जाएंगे । मोबाइल तो वैसे भी टूट कर चकना चूर हो ही चुका है और वॉच भी अगर पूरी तरह खराब हो गई , तो फिर मेरे पास वॉच लेने के लिए पैसे ही नहीं बचेंगे । अभी तो मुझे मेरी फर्स्ट सैलरी भी नहीं मिली है......। ( वॉच को हाथों से निकाल कर , संभालकर , अपने क्लच में रखते हुए ) इसे सही - सलामत बचा कर रखना ही ठीक होगा , कल इसे वॉच शॉप पर देकर , ठीक करवा लूंगी ।

इतना कह कर उसने स्कूटी की डिक्की बंद कर दी , और उसने देखा कि , स्कूटी की चाबी स्कूटी में लगी हुई है , तो उसने एक बार फिर खुद से कहा ।

कायरा - शुक्र है , मेरी स्कूटी को कुछ नहीं हुआ । वरना मैं आज घर कैसे पहुंचती ????

आरव जो काफी देर से , कायरा से कुछ ही दूरी पर खड़े होकर, उसकी खुद से की गई बातें सुन रहा था । वह अब कायरा के पास आया और बिना किसी भाव के , अपने हाथों की घड़ी बना कर, स्कूटी को और फोन को देखते हुए कहा ।

आरव - वो तो तुम अब भी नहीं जा पाओगी, इस स्कूटी से अपने घर ......।

कायरा ( हैरानी से आरव को देखते हुए ) - पर क्यों......??? क्यों नहीं जा पाऊंगी मैं...., अपनी स्कूटी से अपने घर !!???

आरव ( कायरा को तिरछी नज़रों से देखते हुए ) - क्योंकि मैं तुम्हें , तुम्हारे घर ड्रॉप करने जाऊंगा ।

कायरा ( आरव के जस्ट सामने आकर , अकड़ते हुए ) - क्यों भला ....???? मेरे हाथ पैर अभी सही - सलामत हैं । मेरा दिमाग भी ठिकाने पर है और मुझसे स्कूटी चलाते भी अच्छे से आ जाती है । इस लिए मैं स्कूटी ड्राइव कर सकती हूं और अपने घर भी खुद ही जा सकती हूं । आपको तकलीफ उठाने की जरूरत नहीं है ....., आरव सर.......।

आरव ( गुस्से से कायरा को देखते हुए ) - क्या प्रॉब्लम है तुम्हें मेरे साथ जाने में??? और ये सर - सर क्या लगा रखा है ? नाम लेते नहीं बनता क्या तुमसे????

कायरा ( खुद में बड़बड़ाते हुए ) - मेरी प्रॉब्लम ......., ( आरव से ) मेरी प्रॉब्लम से आपको क्या...!!!??? और एक बात.... , सर बोलने के लिए आपने ही कहा था , अपने ऑफिस के केबिन में .....। याद है या भूल गए ....????

इतना कह कर कायरा अपनी स्कूटी में बैठ कर , उसे स्टार्ट करने लगती है । के तभी आरव उसकी दोनो बांह पकड़ कर , उसे स्कूटी से नीचे उतारता है और स्कूटी को बंद कर , उसकी चाबी अपने हाथ में ले - लेता है । और कायरा को गुस्से से अपने करीब लाकर कहता है ।

आरव - मैंने ऑफिस में कहने के लिए कहा था , ऑफिस के बाहर नहीं .....। और तुम्हारी प्रॉब्लम इस समय क्या है , ये मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं । ( कायरा आरव की बात सुनकर सोच में पड़ गई , कि आरव को कैसे पता उसकी प्रॉब्लम के बारे में?? जबकि आरव उसकी इस सोच से बेखबर होकर कहता है ) और उसी को सॉल्व करने के लिए तुमसे कह रहा हूं , कि तुम मेरे साथ अपने घर जाओगी । मैं तुम्हें तुम्हारे घर ड्रॉप करूंगा .......।

इतना कह कर आरव उसे उसकी बाहों से खींच कर, अपनी कार की ओर ले जाता है, तो कायरा एक झटके से उसका हाथ झटकती है , जिससे आरव हैरानी से उसे पलटकर देखने लगता है तो कायरा उससे कहती है ।

कायरा - मुझे आपके साथ कहीं भी नहीं जाना है......। ( आरव के हाथ से , स्कूटी की चाबी लेने की कोशिश करते हुए ) आप मेरी स्कूटी की चाबी दीजिए.... , मुझे घर जाना है..... ।

आरव ( गुस्से से एक बार फिर उसकी बाहों में अपने हाथ कसते हुए ) - तुम्हें एक बार में मेरी बात समझ क्यों नहीं आती???? अभी जो हुआ है , क्या चाहती हो ,वो फिर से हो????

कायरा ( आरव की आंखों में देखते हुए ) - अगर दोबारा ऐसा हुआ , तब भी मैं खुद को प्रोटेक्ट कर लूंगी , बिना आपकी मदद के.....।

आरव - हां ....., देखा मैंने , कैसे खुद को प्रोटेक्ट कर रही थी .....। अगर मैं टाइम पर नहीं पहुंचता , तो आज शायद......। ( कायरा के चेहरे को, अपने हाथों में लेकर कहता है ) तुम समझ क्यों नहीं रही हो कायरा ...??? आज जो भी हुआ....., एक पल के लिए तो मैं सहम गया था , जब वो आदमी तुम्हारे ऊपर चाकू से प्रहार करने वाला था , तब.......। मेरे जहन में तुम्हें लेकर , जाने कहां से अजीब - अजीब से खयाल आने लगे थे । मुझे ऐसा लग रहा था, कि मैं तुम्हें आज हमेशा - हमेशा के लिए खो दूंगा कायरा ......। और तुम इन सबके बाद भी , अकेले जाने की बात कर रही हो , वो भी इस टाइम ......, तुम्हें पता भी है ...??? नौ बज चुके हैं , और तुम चाहती हो कि इतना सब देखने के बाद भी मैं तुम्हें अकेले घर जाने दूं...!!! कैसे कायरा ....??? कैसे जाने दूं अब मैं तुम्हें खुद से दूर?????

इतना कहते हुए उसकी आंखों में हल्की नमी उतर आती है। और वह कायरा को अपने सीने से लगा लेता है , कायरा भी उसे मना नहीं करती और उसके सीने से लगे हुए , हल्के आंसुओं के साथ आरव से कहती है ।

कायरा - तो मत कीजिए ना खुद से दूर ...., कौन कह रहा है आपको , मुझे अपने आप से अलग करने के लिए । मैं तो खुद आपके पास ही रहना चाहती हूं ......।

कायरा , आरव के प्यार को महसूस कर , और उसके आंखों के आसुओं को देखकर , सारी चीज़ें भूल चुकी थी और इसी के चलते वह, आरव से ये सब कह गई । और आरव भी इस समय ये भूल चुका था , कि उसने अभी तक कायरा से अपने दिल की बात नहीं कही थी । पर इनकी बातों से लग रहा था , जैसे शायद आज ये दोनों अपने दिल की बात , एक - दूसरे के सामने जुबान पर ले आएंगे और कह देंगे अपनी दिल की बातों को । आरव ने जब कायरा की बात सुनी , तो कहा ।

आरव ( कायरा के सिर पर हाथ फेरते हुए ) - मैं बता नहीं सकता कायरा ....., आज तुम्हें इतनी परेशानी में देख कर मैं क्या महसूस कर रहा था । अभी भी मुझे लग रहा है , जैसे फिर से ऐसा ही कुछ होगा , जो थोड़ी देर पहले हुआ था....., और मैं तुम्हें हमेशा के लिए खो दूंगा ......।

कायरा ( आरव की आंखों में प्यार से देखते हुए ) - ऐसा कुछ भी नहीं होगा आरव ......। और अगर ऐसा हुआ भी , तो आप हो ना मुझे बचाने के लिए । फिर आपके रहते कैसा डर.......!!!???

आरव कायर की बात पर , मुस्कुराकर उसे देखने लगा । और उसके मुस्कुराने से कायरा के होठ भी खिल गए । और दोनों ही एक दूसरे को, खोए हुए से देखने लगे । आरव ने कायरा की आंखों में देखते हुए , अपना चेहरा कायरा के नजदीक किया और कायरा ने भी आरव की सासों में खोते हुए अपने होठ आरव के होठ के नजदिक ले जाने लगी । धड़कने तो दोनों की बढ़ी ही हुईं थीं और गर्म सासें भी दोनों की एक दूसरे के चेहरे पर पड़ रही थीं । आरव कायरा के एक दम नजदीक आ चुका था , इतना कि दोनों के बीच हवा जाने की भी जगह नहीं बची थी । कायरा को जब ये महसूस हुआ तो उसने आरव का कोर्ट , जो आरव ने पहना हुआ था , उसे अपने हाथों में कस लिया और शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली । आरव उसकी इस अदा पर इतना ज्यादा फिदा हो गया , कि उसने तुरंत कायरा का चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और अपने होठ उसके एक दम नजदीक ला दिए । आंखें बंद करते ही कायरा को होश आया , कि वह क्या कर रही है और उसे क्यों ऐसा नहीं करना है । इससे पहले कि दोनों के जज्बातों के साथ , होठ मिल पाते, उससे पहले ही कायरा ने आरव को पीछे की ओर धकेल दिया । आरव कायरा के ऐसे व्यवहार से , हतप्रभ होकर उसे देखने लगा , और कायरा के धक्का देने से वह गिरते - गिरते बचा , पर उसने खुद को संभाल लिया । लेकिन खुद को संभालते - संभालते , उसके हाथ से कायरा की स्कूटी की चाबी गिर गई ।

कायरा ने जब देखा , तो झट से स्कूटी की चाबी उठाई और जल्दी से अपनी स्कूटी की ओर बढ़ गई । आरव को अब कायरा के ऊपर बहुत गुस्सा आया। उसने कायरा की ओर अपने कदम बढ़ाए और उसे स्कूटी पर बैठने से रोकते हुए , उसका हाथ पकड़ कर कहा।

आरव - तुम्हें एक बार में मेरी बात समझ में नहीं आती क्या ???? क्यों नहीं सुन रही हो मेरी बात ....!!!!

कायरा ( आरव से नजरें चुरा कर , गुस्से में साउंड करते हुए ) - क्योंकि मुझे ना ही आपकी बात सुननी है और ना ही समझनी है । आपके लिए अच्छा यही होगा , कि आप अपना काम करें और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दें ।

आरव - अगर तुम कुछ पल पहले की बात पर गुस्सा हो , तो आई एम् सॉरी कायरा .....। पता नहीं कैसे वो सब...., पर अब के बाद से ये दोबारा कभी नहीं होगा.......।

कायरा ( आरव का हाथ झटकते हुए ) - किस - किस बात के लिए आप सॉरी कहेंगे आरव ????? ( कायरा की बात सुनकर आरव हैरान था । कायरा ने उसके एक्सप्रेशन को नोटिस कर कहा ) खैर......, मैं कुछ पल पहले वाली बात को लेकर नाराज नहीं हूं , क्योंकि अगर गलती आपकी थी, तो सही मैं भी नहीं थी । इस लिए हम दोनों को वो बात भूल जानी चाहिए ....।

आरव - तो फिर क्या बात है कायरा ....!!!??? तुम मुझसे किस बात पर नाराज़ हो ??? तुम आजकल इतना ज्यादा गुस्सा......... , और मुझसे बार - बार ऐसे नाराज़ होकर दूर चले जाना ...., क्यों कायरा ....., क्यों......???? क्यों ऐसा कर रही हो तुम ????

कायरा ( आरव की आंखों में देख कर ) - तो आप क्या चाहते हैं आरव ....??? मैं आपकी गोद में बैठे रहूं ......., या फिर जो कुछ पल पहले हुआ , वैसे ही मैं आपके साथ हमेशा बिहेव करूं और आपकी ज़िन्दगी को हसीन बनाऊं...., यही चाहते हैं आप ....????

आरव ने जब कायरा की बात सुनी , तो उसका हाथ अपने आप कायरा के हाथ से छूट गया और उसने अपनी आंखें बंद कर ली । जब कायरा ने उसे ऐसे देखा , तो खुद से मन ही मन कहा ।

कायरा - क्यों इतना हर्ट कर रही है तू आरव को, कायर ....!!!! तू चाहती क्या है .........???? कोई और तरीका भी तो हो सकता है न......, आरव से दूरी बनाए रखने का .....। फिर ......, फिर तू ऐसा क्यों कर रही है , क्यों ऐसे शब्द उन्हें बोल रही है , जिसे बोलने में तुझे खुद तकलीफ हो रही है । सोच कायरा , फिर तो आरव पर, न जाने क्या बीत रहीं होगी ......। पर शायद तेरे पास कोई और रास्ता सच में नहीं है कायरा .....। आरव को खुद से दूर मैं तभी कर सकती हूं , जब उन्हें इस तरह से हर्ट करूं ......। तुझे ये करना होगा कायरा ...., तुझे ये करना होगा ......।

आरव ने अपनी आंखें खोली और कायरा के सामने आकर उसकी आंखों में देखकर , गुस्से से कहा ।

आरव - तुम्हें मैं ऐसा लगता हूं ??? राह चलता आवारा लड़का लगता हूं ???? ( कायरा ने कुछ नहीं कहा और अपनी नजरें नीचे झुका लीं , और साथ ही उसकी आंखों में नमी तैर गई । पर मजाल है , जो वो आरव के सामने उसकी आंखों में आयी नमी को दिखाए । आरव ने जब उसे चुप देखा तो कहा ) बताओ ना , जवाब नहीं है तुम्हारे पास ......? होगा भी नहीं ....., क्योंकि तुम खुद मुझे ऐसा इन्सान नहीं समझती । ( कायरा ने सुना तो हैरानी से आरव की ओर देखने लगी , पर इसबार वह अपनी आंखों की नमी आरव से छुपा नहीं पाई । आरव ने जब उसके आसूं देखे तो कहा ) जब चीज़ें छुपा नहीं पाती , तो उसे छुपाने की नाकाम कोशिश क्यों करती हो???? ( कायरा ने उसकी बात सुनकर , एक बार फिर नजरें नीची कर लीं । आरव ने आगे कहा ) लीट्सेन.....!!!! क्या वजह है , तुम्हारे ऐसे मेरे साथ बिहेव की , मैं नहीं जानता और ना ही जानना चाहता हूं ...। क्योंकि इस वक्त मेरे लिए तुम्हारी सेफ्टी से बढ़कर और कुछ भी मायने नहीं रखता , मेरी इंसल्ट भी नहीं .....। इस लिए सीधे से मेरी बात मानो और चुप - चाप मेरे साथ कार में चलकर बैठो.....।

कायरा अपनी आंखों के आसूं पोंछती है और एक बार फिर अकड़ कर कहती है ।

कायरा - मुझे आपके साथ कहीं नहीं जाना .....।

आरव - जाना तो तुम्हें होगा ..।

कायरा ( आरव की आंखों में देख कर ) - और अगर न जाऊं तो.......।

आरव ने जब उसकी बात सुनी , तो कहा तो कुछ नहीं पर कायरा को बाहों में उठा कर , सीधे अपनी कार की ओर बढ़ गया । कायर उसकी इस हरकत से हैरान थी और उसकी बाहों में छटपटा रही थी , और बार - बार उसे नीचे उतारने के लिए, आरव से कह रही थी । पर आरव तो आरव , जितना ज्यादा गुस्से वाला , उतना ही ज़िद्दी .....। जो कह दिया तो समझो पत्थर की लकीर । और जो चीज़ करने पे आ गया , तो फिर तो उसे वो चीज़ पूरा करने से रोकने के लिए शायद कोई पैदा ही नहीं हुआ ।

आरव ने कायरा की एक नहीं सुनी , और कार का डोर ओपन कर, कायरा को ड्राइविंग सीट के बगल वाली सीट पर बैठा दिया और साथ ही उसकी सीट का सीट बेल्ट भी लगा दिया और डोर लॉक कर अपनी ड्राइविंग सीट पर आकर कार स्टार्ट करने लगा । कायरा जब उसके हाथ से छूटी , तो वह सीट बेल्ट हटा कर भागने की सोचकर , सीट बेल्ट निकालने लगी । पर वह सीट बेल्ट निकाल पाती, उससे पहले ही आरव ने कार स्टार्ट कर एक झटके से फूल स्पीड में कार, कायरा के घर की ओर बढ़ा दी । कायरा ने जब इतनी स्पीड से चल रही कार देखी , तो डर गई और आरव की ओर देखकर कहा ।

कायरा - क्यों कर रहे हैं आप ये सब ???? क्यों मेरे लिए ये सारे जोखिम उठा रहे हैं ....., क्या इसके पीछे कोई वजह है ????

आरव ने जब कायर के मुंह से ये सुना , तो उसने अपने - आप कार की स्पीड नॉर्मल कर दी । और फिर कायरा की ओर बिना देखे , ही गेयर पीछे करते हुए कहा ।

आरव - वजह मैं भी जानना चाहता हूं , तुम्हारे मुंह से । वो भी बहुत सारी चीज़ों की .....। पर जिस तरह तुम मुझे बताने में इंटरेस्टेड नहीं हो , वैसे ही मैं भी तुम्हें कुछ भी बताने में इंटरेस्टेड नहीं हूं ....।

कायरा ने जब आरव का दो टूक जवाब सुना , जो उसकी आगे कुछ और कहने की हिम्मत ही नहीं हुई । और कार की बंद कांच की खिड़की से ही वह , बाहर की ओर देखने लगी । मौसम फिर से खुशनुमा हो चला था । बादल आसमान में मंडरा रहे थे और बिजली भी अपनी आवाज़ से पानी को, अपनी बौछार जमीन पर गिराने के इशारे दे रही थी और उसका इशारा पा कर , अब बादलों ने गरजने के साथ - साथ बरसना भी चालू कर दिया था । पर ये खुशनुमा मौसम भी , कायर और आरव के दिल की आग को शांत नहीं कर पा रहा था । एक तरफ जहां आरव को कायरा की कहीं गई बातें हर्ट हुई थी , तो वहीं कायरा अपनी अलग ही दुनिया में खोई खुद से मन ही मन बातें कर रही थी ।

कायरा - पर मैं आपकी सारी वजह बहुत अच्छे से जानती हूं आरव .....। आपका मुझे खुद घर छोड़ने जाना हो ....., या फिर कल राजवीर से लड़ाई करना ......। सब कुछ बहुत अच्छे से जानती हूं मैं आरव .....। पर आप नहीं जानते कि मुझे सब पता है ......, ये भी कि आज जो मेरे ऊपर हमला हुआ , उसे राजवीर ने करवाया था और ये भी , कि कल आप हॉल के बाहर छुप कर,मेरी और राजवीर की बातें सुन रहे थे । कल मैंने आपको हॉल के दरवाज़े के पास, छुपते हुए देख लिया था आरव और इसीलिए मैंने कल राजवीर से कहा, कि मैं प्यार से नफ़रत करती हूं ....। और आज जब आप दोस्तों को ये बता रहे थे , कि आज के हमले के पीछे की वजह राजवीर है और वो भी सिर्फ उसने हम दोनों को डराने के लिए ये सब किया है , तब मैं अपना मुंह धोकर , आपकी तरफ वापस लौट ही रही थी , पर जैसे ही मैंने आप लोगों की कन्वर्सेशन सुनी , तो मैं आपकी कार के पास खड़ी होकर, आप पांचों की बातें ध्यान सेल सुनने लगी । और मैं बहुत अच्छे से जानती हूं , कि राजवीर आपके दिमाग में मुझे लेकर ये डर बैठने में कहीं ना कहीं कमियाब हो भी गया है, पर ज्यादा दिन तक नहीं कमियाब हो पायेगा ......। क्योंकि जब मैं आपसे कोई रिश्ता ही नहीं रखूंगी , हमारे बीच कभी - भी नजदीकियां बढ़ने ही नहीं दूंगी , तो आप खुद ही अपने कदम पीछे कर लेंगे । फिर राजवीर किसे डराएगा.....???? और रही बात राजवीर के मुझे डराने धमकाने की , तो वो अब कभी मेरे करीब नहीं पा पाएगा , क्योंकि उस जैसे इन्सान से कैसे निपटना है , ये मैं बहुत अच्छे से जानती हूं .....।

कायरा अपने मन में ये सब सोच रही थी , जबकि आरव की सोचने समझने की शक्ति छीर्ण हो चुकी थी । शोर दोनों के दिल में मचा हुआ था , पर जबान पर शांति थी , इसी वजह से कार में भी शांति पसरी हुई थी । ना ही आरव कायरा से कुछ कह रहा था और ना ही कायरा आरव से .....। आरव ने कार में पसरी हुई खामोशी को तोड़ने के लिए , कार का म्यूजिक प्लेयर चालू कर दिया । बाहर झमाझम बारिश , और उसके साथ ही इनके दिलों में उठते तूफान को अगर मैच किया जाए , तो गाना बखूबी उनकी सीचुएशन के अकॉर्डिंग ही था .......।

आ आ..
दिल आज् ये सौ दफा कह रहा है
बारिश में संग भीगना है
जितनी भी मेरी ये सांसें बची है
सब तेरे संग जीना है
एहसास से तेरे जुड़ने लगे
होश-ओ-हवास मेरे उड़ने लगे
ऐसे में चुप ना रहो ........,

आरव ने गाने के बोल सुनकर कायरा की ओर देखा , तभी गाने के बोल उसके कानों में पड़े । उसे सुन कर लगभग , मन ही मन आरव ने उसे गुनगुनाया......,

आकर मेरी बाहों में
जो कुछ भी है कह भी दो
आकर मेरी बाहों में
जो कुछ भी है कह भी दो
जो कुछ भी है कह भी दो..

कायरा ने जब गाने के बोल सुने , तो उसकी नजरें अपने - आप ही आरव की ओर घूम गई । कायर की नजरें आरव से टकरा गई । पर कायरा ने तुरन्त अपनी नजरें फेर लीं , और फिर एक बार, बाहर की ओर देखने लगी । तो आरव ने भी अपनी नजरें , सामने के रास्ते की ओर कर ली ।

ये मौसम, ये बादल, ये बारिश की राहत
ऐसे हमेशा मिलती रहे
ये मौसम, ये बादल, ये बारिश की राहत
ऐसे हमेशा मिलती रहे
एक बार तू बेवजह मुस्कुरा दे
आदत फिजा की बदलती रहे
रेत पे तेरा नाम लिखते रहे
आसमां से बूंदे गिरती रहे
अकेले ना भीगा करो....

आकर............,

इससे पहले कि गाना और आगे तक चलता , कायरा ने उससे पहले ही म्यूज़िक प्लेयर बंद कर दिया । क्योंकि शायद अब उससे, उस गाने के शब्द बर्दास्त नहीं हो रहे थे । वो नहीं चाहती थी, आरव से कुछ भी शेयर करना , पर उस गाने के शब्द उसे बार - बार यही करने के लिए कह रहे थे , इसी लिए उसने गुस्से से भरकर म्यूज़िक प्लेयर ही बंद कर दिया । ये सोचकर , कि ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी........।

आरव ने जब ये देखा , तो उसने कायरा की ओर नजरें घुमाई। जो बस परेशान सी , बंद कांच की खिड़की से बाहर की ओर देख रही थी । तो आरव ने उसे ऐसे देख , कुछ भी नहीं कहा । क्योंकि इतना तो वो जान चुका था , कायरा से इस वक्त कुछ भी कहना , नदी में एक बाल्टी पानी फेकने के बराबर ही है , क्योंकि पानी उसी में मिल जाएगा और हाथ कुछ भी नहीं आएगा । कहने का मतलब है , कि अगर आरव, कायरा से कुछ कहेगा , तो कायरा गुस्सा करेगी या फिर जवाब नहीं देगी , इस लिए या तो आरव को भी गुस्सा आ जाएगा या फिर आरव भी उसी की तरह चुप हो जाएगा । इस लिए अभी मेहनत करने से कोई लाभ नहीं होगा, सोचकर उसने कुछ भी नहीं कहा और अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी । पर अब कार में और ज्यादा खामोशी छा चुकी थी । और दोनों ही अपनी - अपनी सोच में डूबे हुए थे । और इसकी अब वजह थी , तो वो सिर्फ और सिर्फ राजवीर.......।

कुछ देर बाद आरव ने एक हॉस्पिटल के सामने अपनी कार रोकी , जो कि कायरा के घर के रास्ते पर ही पड़ता था । कायर ने जब देखा, तो हैरानी से आरव की ओर देख कर कहा ।

कायरा - हम यहां क्यों आए हैं ...????

आरव ( अपनी ड्राइविंग सीट से उतर कर , कायरा की साइड का डोर ओपन करते हुए ) - अब हॉस्पिटल में हम लोग , कैंडल लाइट डिनर करने तो आएंगे नहीं , मिस कायरा। ओवियस सी बात है , हम यहां हॉस्पिटल के काम से ही आएंगे होंगे । अब चलो......।

कायरा उसके कहने से कार से उतर गई , और असमझ कि स्थिति में उसके पीछे - पीछे चलने लगी । उसने कुढ़कर खुद से बड़बड़ाते हुए कहा ।

कायरा - सीधे से किसी बात का जवाब ही नहीं रहता है इनके पास , कुछ पूछना ही बेकार है इनसे तो ....। अगर ढंग से बोल लेंगे तो पता नहीं, क्या चला जाएगा इनका....???

आरव ( हॉस्पिटल की सीढ़ियां चढ़ते हुए ) - ढंग से जवाब तो तुम भी दे सकती हो , मेरी बातों का ......। जवाब दोगी , तो बदले में जवाब मिलेगा ......, वरना ........।

इतना कह कर , वह रिसेप्शन पर आया और वहां पर , किसी डॉक्टर के बारे में पूछा । रिसेप्शनिस्ट ने उसे डॉक्टर का रूम बताया , और आरव कायरा को लेकर उस डॉक्टर के केबिन की ओर बढ़ गया । वहां पहुंच कर , उसने कायर को बैठाया और डॉक्टर से कुछ बात की । डॉक्टर उसकी बात सुनकर, कायरा के पास आया और उसको बांह में लगी चोट पर पट्टी की और इंजेक्शन में दवाई भरते हुए कहा ।

डॉक्टर - चोट थोड़ी गहरी है । बट डोंट वरी , दवाइयों से कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगी । और टिटनेस का इंजेक्शन भी इनको दे देता हूं , जिससे किसी भी तरह का, कोई इन्फेक्शन भी इन्हें नहीं होगा ।

कायरा पूरी तरह से शोक थी , क्योंकि उसने खुद अपनी चोट पर ध्यान नहीं दिया था । जबकि आरव ने उसकी चोट के बारे में उससे कोई जिक्र ही नहीं किया था और ना ही कायरा ने उससे इस बारे में कुछ कहा था , तो फिर उसे कैसे पता चला….....!!! यही सोच - सोचकर उसका सिर चकरा रहा था । तभी उसकी नज़र इंजेक्शन पर गई , जो डॉक्टर के हाथों में था और डॉक्टर उस इंजेक्शन को कायरा की दूसरी बांह में लगाने के लिए , उसके करीब ही ला रहे थे । कायरा ने जब देखा , तो उसकी डर के मारे आंखें फैल गई ।डॉक्टर ने दवाई से भीगी हुई कॉटन को कायरा की बांह पर रगड़ा और उसकी तरफ सीरिंज बढ़ा दी । पर डॉक्टर इंजेक्शन कायर को लगा पाता, उससे पहले ही कायर चिल्लाते हुए वहां से उठी और सीधे आरव के गले आ लगी , किसी छोटे से बच्चे की तरह । उसने अपने आंखों में मोटे - मोटे आंसू भरे और आरव से कस के गले लगते हुए, डरी हुई आवाज़ में, किसी पांच साल की छोटी सी बच्ची की तरह कहा ।

कायरा - मैं नहीं लहवाऊंगी वो इंजेक्शन ......, मुझे डर लगता है .....। अगर वो सुई मुझे लगी , तो मुझे दुखेगा....। मैं नहीं लगवाऊंगी , प्लीज़ आप उनको मना कीजिए ना इंजेक्शन लगाने के लिए ।

आरव ने जब उसे ऐसे इंजेक्शन से घबराते हुए देखा तो उसे हंसी आ गई , साथ ही कायरा की ऐसी हरकतें देख कर डॉक्टर भी मुस्कुरा दिया । आरव ने कायरा के सिर पर हाथ फेरा और डॉक्टर को इशारा किया । असल में कायरा का चेहरा जिस तरफ था , उसकी दूसरी तरफ की बांह पर इंजेक्शन लगना था , इस लिए कायरा को पता ही नहीं चला, कि डॉक्टर फिर एक बार उसे इंजेक्शन लगाने वाले हैं । आरव ने कायरा से कहा ।

आरव ( कायरा का सिर जान बूझ कर अपने सीने से लगाए हुए , ताकि कायरा को पता ना चले इंजेक्शन के बारे में ...., कहता है ) - कोई तुम्हें इंजेक्शन नहीं लगाएगा...। ( कायरा ने उसकी बात सुनी , तो बच्चो की तरह उससे लिपट गई , आरव ने आगे कहा ) वैसे एक बात समझ में नहीं आयी कायरा ...., तुम तो इतनी बहादुर हो , फिर इस छोटे से इंजेक्शन से क्यों डरती हो ???

कायरा ( मासूमियत से ) - हाथी कितना भी ताकतवर हो , पर चींटी का एक डंक भी , उसे तकलीफ देने के लिए काफी रहता है ।

आरव ( मुस्कुराते हुए ) - मतलब कि तुम खुद को हाथी और इंजेक्शन को चींटी समझती हों....., ग्रेट ......।

कायरा ( आरव से थोड़ा अलग होकर, उसके चेहरे को देखकर कहती है ) - मैंने सिर्फ एग्जाम्पल दिया है। और मैं किसी भी एंगल से हाथी नहीं हूं .....। बस मुझे डर लगता है इंजेक्शन से , क्योंकि उसकी सीरिंज चुभती है । इस लिए मैं इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगी .....।

आरव - पर इंजेक्शन तो तुम्हें लग गया....।

कायरा ( हैरानी से ) - कहां....., कैसे..... , कब...... ?????

आरव ( उसकी बांह की ओर इशारा करके ) - इधर पर ......, डॉक्टर ने लगाया ........, जब तुम मुझसे बातें कर रही थी तब ......।

कायरा ( रोनी सी सूरत बना कर ) - अयि मम्मा .......। दुख रहा है .....।

आरव ( उसके थोड़ा करीब आकर ) - इंजेक्शन लग चुका है , और अब तुम मेरे सामने नाटक मत करो । क्योंकि ना ही अब तुम्हारी बांह में दर्द है , और ना ही अब तुम्हें दोबारा कोई इंजेक्शन लगा रहा है ।

कायरा ( मायूसी से ) - तो क्या करूं ....., आपने मुझे बातों में उलझाकर , मेरे कोमल - कोमल हाथों पर इंजेक्शन लगवा दिया और अब आप कह राहत हो, कि मैं रोऊं भी नहीं......, मम्मा .......😢😥😭। आप बहुत गंदे हैं आरव ....., आपने ये ठीक नहीं किया ।

इतना कह कर वह फिर से अपनी आंखों से, मोटे - मोटे आसूं बहाने लगती है । जिसे देख कर डॉक्टर हंस रहा होता है । जबकि आरव उसकी ये हरकतें देख कर , अपना सिर पीट रहा होता है और मन ही मन कह रहा होता है ।

आरव ( मन में ) - कौन से मुहूर्त में मैं इसे हॉस्पिटल लाया , ये सोचकर कि इसके घाव की ड्रेसिंग करवा दूं । पर ये लड़की है कि, अपनी नौटंकियों से बाज ही नहीं आ रही है । इसका रोना देख कर तो , अब मुझे भी अपनी मम्मी को याद आने लगी । इससे पहले कि सभी इसकी इस बेसुरी रोतली आवाज़ से परेशान होकर , हॉस्पिटल छोड़ कर चले जाएं । उससे पहले ही मुझे इसे यहां से लेकर जाना होगा.... ।

आरव ने तुरंत डॉक्टर को थैंक्यू कहा और कायरा को लेकर हॉस्पिटल के बाहर आया । कायरा का बेसुरे ढंग से रोना अभी भी बन्द नहीं हुआ , तो आरव ने उसके मुंह पर अपना हाथ कर कर , गुस्से से कहा ।

आरव - चुप......., एकदम चुप.....। ( कायरा ने उसकी तेज़ आवाज़ सुनी तो एक दम चुप हो गई , आरव ने कहा ) बच्चों की तरह ओवर रिएक्ट करना जरूरी है क्या....???? क्या सोच रहे होंगे डॉक्टर तुम्हारे बारे में ...., कि कैसे बड़े से पैकेट में बच्ची आ गई उनके पास । जो छोटे से इंजेक्शन से डरती है । कान पकड़ता हूं मैं , तुम्हें अब कभी दोबारा हॉस्पिटल लेकर नहीं आऊंगा । चाहे भले ही तुम कितनी भी बीमार हो जाओ , या फिर बड़ा सा पत्थर ही क्यों ना तुम्हारे ऊपर गिर जाए , उसकी चोट से बचाने के लिए मैं तुम्हें कभी भी डॉक्टर के पास नहीं लेकर आऊंगा । पिछली बार आए थे , तो दवाई खाने में नखरे किए थे । इस बार आए, तो इंजेक्शन लगवाने में नखरें है । नखरों की दुकान हो तुम .......पूरी की पूरी.....।

आरव बस कहे जा रहा था , या यूं कहें कि कायरा को सुनाए जा रहा था । और कायरा एक जगह खड़ी बस सिसक रही थी । आरव का जब उस पर ध्यान गया , तो उसने कहा ।

आरव - अब रो क्यों रही हो ??? अब कौन सा पहाड़ टूट गया....????

कायरा ( मासूमियत से ) - आप मुझपर गुस्सा कर रहे हैं .....। इंजेक्शन होता ही ऐसा है , जिससे अधिकतर लोगों को डर लगता है। मुझे भी लगता है , इसमें मेरी क्या गलती ....।

आरव ने सुना तो उसे पहले तो गुस्सा आया , पर कायर का मासूमियत भरा चेहरा देख कर, उसके होठों पर मुस्कान तैर गई । उसने कायरा को गले लगाया , फिर उसे खुद से अलग करके मुस्कुराकर कहा ।

आरव - ओके....., मैं अब तुम्हें नहीं डाटूंगा । अब खुश ...???

आरव ने उसके चेहरे को देख कर कहा , तो कायरा भी उछल पड़ी और कहा ।

कायरा - बहुत ज्यादा खुश ....।

आरव - हम्मम , चलो अब घर चलते हैं , बहुत रात हो चुकी है । और इस वक्त तुम्हें आराम की जरूरत है । इस लिए जल्दी से कार में बैठो , ताकि मैं तुम्हें कुछ ही देर में तुम्हारे घर ड्रॉप कर सकूं ।

कायर ने सुना तो वो तुरंत , आरव के साथ आकर कार में बैठ गई । आरव ने कार स्टार्ट की और सड़क पर दौड़ा दी । कायरा ने उसे देख कर , उससे कहा ।

कायर - आपको कैसे पता चला , मेरी चोट के बारे में ? मैंने तो आपको नहीं बताया था .....।

आरव ( गहरी सांस लेकर कहता है ) - तुम भले ही अपनी चोट भूल गई थी कायरा, पर मेरे आखों के सामने अभी भी वो पल घूम रहा है, जब उस आदमी ने तुम्हारी बांह में चाकू गड़ा कर रखी थी । और शायद तुमने ध्यान नहीं दिया , पर जब - जब मैंने तुम्हारी बांह पकड़ी थी , तब - तब तुम्हारे हाथों से खून रिस कर, मेरी हथेलियों को भिगो रहा था ।

कायरा ने जब उसकी बात सुनी , तो उसने आरव की एक हाथ की हथेली देखी और फिर कार की स्टेयरिंग देखी । हथेली खून से लाल थी और आरव के द्वारा स्टेयरिंग पर हाथ रखने से , स्टेयरिंग में भी खून थोड़ा - थोड़ा सा लग गया था । उसने खुद से कहा ।

कायरा ( बड़बड़ाते हुए ) - मुझे अपने गुस्से में ना ही मेरी चोट का ध्यान रहा, और ना ही आरव की हथेली पर लगे खून का .....।

आरव ( बिना कायरा की ओर देखे ) - यस...., इसी लिए मैं तुम्हें हॉस्पिटल लेकर आया ।

कायर ने जब सुना , तो हैरानी से आरव को देखकर, एक बार फिर खुद में बड़बड़ करते हुए बोली ।

कायरा - इन्हें मेरी कही, हर बात कैसे पता चल जाती है ....!!?? वहां हॉस्पिटल के बाहर भी इन्होंने मेरी बात सुन ली थी और अब यहां भी ....। पर मैंने तो बहुत धीमी आवाज़ में कहा था और वो भी खुद से । फिर इन्हें कैसे सब पता चल गया ? कहीं ये कोई जादूगर या अन्तर्यामी तो नहीं है ???

आरव ( स्टेयरिंग लेफ्ट साइड घुमाते हुए ) - नो ..... , मैं कोई जादूगर या अन्तर्यामी नहीं हूं ।

कायरा ( आरव से ) - तो फिर आपको मेरी बात कैसे सुनाई दे जाती है? जबकि मैं तो बहुत धीरे बोलती हूं ....।

आरव - रोंग......, तुम धीरे नहीं बल्कि इतनी आवाज़ में बोलती हो , कि आसानी से कोई भी तुम्हारी आवाज़ सुन सकता है ।

कायरा ने जब सुना , तो अपने होठ दांतों तले दबा लिए । बारिश अब रुक चुकी थी । और अब कायरा का घर भी आ चुका था । कायरा ने कार का डोर ओपन किया और कार के बाहर आयी , तो आरव ने उसे रोकते हुए कहा ।

आरव - रुको....., मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं , ताकि कल की तरह अगर अंकल गुस्सा करें, तो मैं उन्हें बता सकूं, कि इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है । और इसी बहाने अंकल आंटी और अंश से भी मिल लूंगा ।

इतना कह कर आरव सीट बेल्ट खोलने लगता है , तो कायरा तुरंत कहती है ।

कायरा - नहीं ....., आप मेरे साथ नहीं आएंगे । मैं खुद चली जाऊंगी ।

आरव ( हैरानी से ) - पर क्यों ..????

कायरा - क्योंकि मैं अपने पड़ोसियों को आपके और मेरे बारे में बातें बनाने का मौका नहीं से सकती । और आपके ऐसे डेली - डेली मेरे घर आने से , लोगों के साथ - साथ अपने घर के सदस्यों के मन में भी, शक पैदा करने की वजह नहीं बनना कहती हूं । और ना ही उनकी नजरों में गिरना चाहती हूं । अच्छा यही होगा , कि अब आप यहां से चले जाएं ।

इतना कह कर बिना आरव का रिप्लाई सुने , कायरा अपने घर की ओर बढ़ गई । आरव ने जब कायरा की बात सुनी , तो वह समझ गया, कि कायरा क्या कहना चाह रही थी । पर उसे बुरा लगा , कि कायर उसके बारे में ऐसा सब सोचती है। बल्कि सिर्फ घर छोड़ने भर से , ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला था , जैसा कायरा ने कहा था। ऐसा आरव सोच रहा था और लगातार जाती हुई कायरा को देख रहा था। कायरा ने दरवाज़े पर आकर बेल बजाई , तो डोर अंश ने खोला । कायरा बिना आरव की ओर पलटे , सीधे घर के अंदर चली गई । उसका ऐसे एक बार फिर बिहेव करना , आरव के मन को चुभ सा गया । पर उसने कुछ नहीं कहा , और अपने घर की ओर निकल गया ......।

क्रमशः