Rewind Jindagi 4.2 in Hindi Love Stories by Anil Patel_Bunny books and stories PDF | Rewind ज़िंदगी - Chapter-4.2:  दोस्ती

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Rewind ज़िंदगी - Chapter-4.2:  दोस्ती

Chapter-4.2: दोस्ती


“चलो इसी बहाने तूने अच्छा गाया, सब को पसंद तो आया ना?” अरुण ने पूछा।
“बहुत पसंद आया, मुझे और कई फिल्मों में गाने का मौका मिला है, बस अरुण तू साथ देना मेरा वरना मैं एकदम से टूट जाऊंगा।” यह कहकर माधव बुरी तरह से फूट-फूट कर रोने लगा। अरुण ने उसे दिलासा देते हुए गले लगा लिया और कहा, “रो मत यार, तेरा बुरा वक़्त और अच्छा वक़्त दोनों एक साथ चल रहे है, तेरी जगह मैं होता तो ये नहीं कर पाता। तू सच में बहुत हिम्मत वाला है।”
अरुण ने माहौल सामान्य करने के लिए टॉपिक बदल दिया, “पर एक बात बता, ये तेरा और उस लड़की का क्या चक्कर है? मैंने इतना समझाया पर तू नहीं समझा, उसके ख्यालों से ही तू जोश में आ गया?”
“क्या बकवास कर रहा है? मुझे उसका नाम भी याद नहीं बस उसकी कही हुई बात दिमाग में चिपक गई थी और कुछ नहीं, उसको मैं सही साबित नहीं होने दे सकता था।”
“अच्छा मतलब तुझे तेरे गाने और कैरियर की इतनी चिंता नहीं थी जितनी तुझे उसके सच साबित होने की थी?” अरुण ने मजाक करते हुए ताना मारा।
“हो गई तेरी बकवास ख़त्म? वो मेरी कोई नहीं है, और ना ही कोई हो पाएगी। अगर भविष्य में कभी उससे मिलना हुआ भी तो ये याद रखना अरुण कि हम दोनों में सिर्फ ३६ का आंकड़ा है, और कुछ नहीं।”
अरुण मन ही मन हँसे जा रहा था, माधव ने ज़ोर से उसे दबोच लिया और दोनों जोर से हँसने लगे।

दिन बीतते गए, और कुछ ही समय में 2 महीने भी बीत गए। एक दिन रिकॉर्डिंग स्टूडियो में माधव गाना गाने की तैयारी कर रहा था, तभी उसे सामने कीर्ति नज़र आई। उसे दो पल लगा ये आँखों का भ्रम है, पर सचमुच में कीर्ति वहीं पर थी।

“माधव इनसे मिलो ये है कीर्ति जैन, इसने बताया सुरवंदना संगीत में ये तुम्हारे साथ ही थी, तुम्हें जान के ये ख़ुशी होगी माधव कि इस महीने की विजेता कीर्ति हुई है।” प्रोड्यूसर ने उन दोनों को मिलाते हुए कहा।
“मुबारक हो आपको।” माधव ने कहा।
“आपको?” कीर्ति ने आश्चर्य के साथ पूछा।
“जी।”
“क्या बात है, 2 महीने में आप औरतो की इज्जत करना सीख ही गए।” कीर्ति ने कहा।
“आप? आप ने मुझे आप कहा? आप ने 2 महीनों में किसके पास ट्रेनिंग ले ली? जिसने आपको तमीज़ सीखा दी।” माधव ने पलटकर जवाब दिया।

आगे वो दोनों कुछ बोलते इससे पहले प्रोड्यूसर ने उन दोनों को रोक लिया और कहा, “बस करो दोनों, और काम की बात सुनो, मेरी अगली फ़िल्म के लिए तुम दोनों को एक रोमेंटिक सॉन्ग ड्यूएट में गाना है।”

“क्या?” माधव और कीर्ति दोनों एक ही सुर में बोले।
“हां, क्यों है ना ख़ुशी की बात?”
माधव और कीर्ति कुछ बोल ना सके बस एक दूसरे को घूरते रह गए। प्रोड्यूसर को कुछ काम आया इसीलिए वो वहां से चला गया।
“क्या बकवास किस्मत है मेरी जो मुझे तुम्हारे साथ गाने का पहला मौका मिल रहा है।” कीर्ति ने कहा।
“तुमसे ज़्यादा खराब किस्मत तो मेरी है जो मुझे तुम्हारे साथ गाना पड़ेगा।” माधव ने कहा।
दो घड़ी माधव ने सोचा कि प्रोड्यूसर को ना कह दे, पर फिर उसने सोचा की उसके हाथ दूसरी और कोई नौकरी नहीं थी। क्या पता ना कहने से उसको ही बॉलीवुड से निकाल दिया जाए। इसीलिए वो कुछ नहीं बोला।
प्रोड्यूसर ने उन दोनों को 1 हफ़्ते में तैयार रहने के लिए कहा। उन दोनों ने हां में सर हिलाया।

माधव अपने घर पहुंचा और सोचने लगा, “आखिर ये मेरे साथ ही क्यों हो रहा है? जिस से पीछा छुड़ाने की कोशिश करता हूं वो ही मेरे पीछे क्यों पड़ जाता है? बहुत मुश्किल से इस लड़की के ख़्याल दिमाग में से निकला था अब वही मेरे सामने मेरे साथ गाना गाएगी! हद है मेरी किस्मत पर। मुझे अरुण से बात करनी चाहिए। नहीं यार वो इस समय अपनी परीक्षा की तैयारियों में लगा होगा उसे कहां इस मामले में डिस्टर्ब करु और वैसे भी वो मेरा उस लड़की के साथ मज़ाक ही बनाएगा।”

Chapter 4.3 will be continued soon…

यह मेरे द्वारा लिखित संपूर्ण नवलकथा Amazon, Flipkart, Google Play Books, Sankalp Publication पर e-book और paperback format में उपलब्ध है। इस book के बारे में या और कोई जानकारी के लिए नीचे दिए गए e-mail id या whatsapp पर संपर्क करे,

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✍️ Anil Patel (Bunny)