"वकील साहब आप ही मुझे बचा सकते है,"गबरू नौजवान मेरे पैर पकड़कर गिड़गिड़ाया,"आपका बहुत नाम है।लोगों की सलाह पर ही मैं आपके पास आया हूँ।"
"पहले मुझे बताओ तो माजरा क्या है?"
"मेेेरी माँ ने मुझ पर बलात्कार का आरोप लगाया है।मेेरे.खिलाफ धारा 376 में एफ आई आर लिखायी है।"
"जानते हो इस धारा का मतलब।"
"वकील साहब मैं गांव का कम पढ़ा लिखा।क्या जानू इस बारे में।"
"आजीवन कारावास भी हो सकता है।कोई सूरत नही है बचने की।"मैं उसकी बात सुनकर बोला।
"वकील साहब आप मुझे बचा सकते है।आपको मेरा मुकद्दमा लड़ना ही होगा।"वह नौजवान बोला।
मैं वकील था।केस लड़ता रहता था।मैं जानता था इस धारा मे आजीवन कारावास की सजा थी और ज़मानत का तो प्रश्न ही नही था।नया मजिस्ट्रेट युवा होने के साथ सख्त था।कोई भी केस हो वह पहले मुलजिम को सीधा जेल भेजता था।मुझे ज़मानत कि बिल्कुल आशा नही थी।नौजवान बराबर गिड़गिड़ाए जा रहा था।मैं समझ गया वह सीधी तरह मेरा पीछा छोड़ने वाला नही है।इसलिए मैंने दूसरी तरकीब से उससे पीछा छुड़ाना चाहा।उसका पहनावा और हालात देखकर मुझे उसकी आर्थिक स्थिति का अंदाज हो गया था।
इसलिए उसे अपने पास से भगाने के लिए मैं बोला,"तुम्हारा केस बहुत पेचीदा है।इसे लड़ने के लिए मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।मैं पचाश हज़ार लूंगा।"
मेरे आश्चर्य का कोई ठिकाना नही रहा जब उसने बिना कोई मोल भाव किए अपनी जेब से निकालकर मुझे पचाश हज़ार रुपये दे दिए।अब मेरे पास कोई बहाना नही था।उसका केस चाहे जितना पेचीदा हो अब मुझे लड़ना ही था।मैं उसे नौजवान को अपने पास बैठाते हुए बोला,"तुम्हारा नाम क्या है₹"
"जसराज।"
"तुम्हारी माँ सौतेली है?"
"किसने कहा आप से?मैने तो नही कहा,"जसराज बोला,"सरला मेरी सगी मां है।"
"सरला तुम्हारी सगी मां है,"मैं जसराज की बात सुनकर चोंकते हुए बोला,"कोई न कोई बात जरूर होगी।सगी मां ऐसा आरोप बेवजह नही लगा सकती।"
"झूँठा।बिल्कुल झूँठा और घिनोना आरोप मुझ पर लगाया है,"जसराज बोला,"अपनी करतूत छिपाने के लिए मुझ पर इतना घिनोना आरोप लगाया है।"
"क्या मतलब?तुम विस्तार से सारी बात मुझे बताओ।"और जसराज ने पूरी कहानी मुझे सुना दी थी।
और मैने जसराज की जमानत की अर्जी लगा दी थी।और केस फ़ाइल को देखते ही युवा मजिस्ट्रेट अपनी सीट से उछलते हुए बोला,"आप जानते है।इस धारा मे आजीवन कारावास की सजा है।और आरोप भीउस्की में ने लगाया है।आपका मुवक्किल बच नही सकता।उसे सजा जरूर होगी।"
"हुज़ूर मैं तो अभी ज़मानत के लिए आया हूँ।"
"ज़मानत।बलात्कारी को जमानत।वकील साहिब क्या बलात्कारी को खुला छुड़वाकर और किसी की इज़्ज़त लुटवाना चाहते है।"
"सर् मेरा मुवक्किल शरीफ आदमी है।वह निर्दोष है।उसे ज़बरदस्ती साजिस के तहत फसाया जा रहा है।आप मेरी बात सुन तो ले।"
"मैं कुछ नही सुननाचाहता।इस केस को सुनकर मैं अपना समय बर्बाद नही करना चाहता।"
मेरे बार बार आग्रह करने पर भी जज महोदय मेरी बात सुनने के लिए तैयार नही थे।लेकिन मैंने भी अर्ज करना नही छोड़ा।तब वह बोले,"आप सब कुछ जानते हुए भी क्यो सुनने पर जोर दे रहे है?"
"हुजूर सरकार आपको तन्खाह देती है।आप सरकार की बजाते है।मुझे जसराज ने फीस दी है।मेरा कर्तव्य है मैं ईमानदारी से केस लडू।मैं यह नही कह रहा।आप उसे ज़मानत दे ही।आप उसे जेल भेज दे।लेकिन उसकी बात सुनने के बाद।"
शायद मेरी बात का कुछ असर जज साहिब पर पड़ा।वह मुझसेबोले,"वकील साहिब आज मेरे पास बहुत केस है।"
"हुज़ूर आप अगर चाहें तो मैं पांच बजे बाद भी अपनी बात कहने के लिए तैयार हूँ।"
"ठीक है।"
और में अपने चेम्बर में आकर केस की तैयारी करने में लग गया।समय पांच बजे बाद का तय हुआ था।लेकिन मुझे तीन बजे ही बुला लिया गया।"
"कहिए आप क्या कहना चाहते है?"
"सर् मेरे मुवक्किल पर बलात्कार का आरोप है।वो भी अपनी माँ से।सरला, जसराज की सगी मां है।जसराज के पास गांव में एक ही कमरे का मकान है।उस रात कमरे में जसराज की पत्नी लीला और उसका बेटा कमल भी सरला के साथ सो रहा था।जसराज बाहर छप्पर में सो रहा था।गांव में मकान एक दूसरे से जुड़े हुए है।अगर औरत के साथ बलात्कार होता है।ज़बरदस्ती होती है।कोई उसकी आबरू लूटने का प्रयास करता है।औरत आसानी से अपनी इज़्ज़त नही लुट जाने देती।वह चीखती है।चिल्लाती है।बचाने की आवाज लगाती है।,"
मैं सांस लेते हुए बोला,"मी लार्ड।अभी मानवता इतनी भी नही मरी है कि औरत की चीख सुनकर कोई मदद के लिए न आये।गांव में मकान पास पास होते है।लोग एक दूसरे की मदद के लिए दौड़े चले आते हैं।लेकिन ऐसा नही हुआ।किसी ने भी औरत के चीखने की आवाज नही सुनी।मतलब साफ है।झूँठा मुकदमा है।"
"लेकिन मां बेटे पर ऐसा आरोप क्यो लगाएगी?"जज साहिब बोले।
"सरला बदचलन है।उसके ठाकुर से अवैध संबंध है।माँ बदचलन हो तो बेटे पर लोग छींटाकसी करते है।सरला के अवैध सम्बन्धो का पता गांव वालो को है।गांव वाले जसराज का मजाक उड़ाते है।जसराज माँ को रोकता था लेकिन वह नही मानती थी।उस बात पर माँ बेटे में झगड़ा भी होता था।सरला अवैध सम्बन्धो में इतनी अंधी हो चुकी है कि उसे अपना बेटा ही दुश्मन नज़र आने लगा था।इसलिए उसने उसे बलात्कार के केस में फंसाने के षड्यंत्र रचा है।"
मेरी दलीलें सुनने के बाद पहली बार ऐसे केस में जिसमे ज़मानत मिलने की उम्मीद नही थी।जमानत दे दी थी।
और ज़मानत का मतलब आधी जीत