Risky Love - 58 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | रिस्की लव - 58

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रिस्की लव - 58



(58)

सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज के ऊपर दबाव बढ़ गया था। अब तो उसे इस केस से हटाए जाने की मांग भी हो रही ‌थी। वह बीस साल से सिंगापुर पुलिस में था। अब तक उसने पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम किया था। उसका रिकॉर्ड बहुत अच्छा था। लेकिन अंजन के केस ने उसकी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया था। उसकी कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल उठाए जा रहे थे। वह चाहता था कि अंजन को गिरफ्तार करके सबको सही जवाब दे दे।
हान लिम दोबारा उस गली में गया था जहाँ अंजन को आखिरी बार सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था। जिस मोड़ से वह गायब हुआ था हान लिम उसके आगे की गली में स्थित हर मकान में एक बार फिर पूँछताछ कर रहा था। उस गली में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था। अंजन वहाँ से इस तरह गायब हो गया था जैसे कि कोई भूत हो। उस दिन भी पुलिस टीम ने सबसे पूँछताछ की थी लेकिन कुछ पता नहीं चला था। आज सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने उसे फिर से भेजा था।
बातचीत में एक नई बात पता चली। गली में अगल बगल के दो मकान खाली पड़े थे। उनमें से एक में कुछ दिनों के लिए कुछ लोगों का आना जाना हुआ था। हान लिम ने उन दोनों मकानों के मालिक के बारे में पता किया। दोनों मकानों का मालिक एक ही आदमी था। हान लिम ने इस बात की सूचना फौरन सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज को दी। उसने कहा कि वह पूँछताछ के लिए मकान मालिक को पुलिस स्टेशन ले आए।
पुलिस स्टेशन में उन दोनों मकानों के मालिक से कड़ाई से पूँछताछ हुई।‌ उसने पुलिस को बताया कि उसने दोनों मकानों में से एक मकान किसी भारतीय को दिया था। उसने मकान केवल दस दिनों के लिए लिया था पर किराया दो महीने का दिया था।‌ उसने कहा कि उसे नहीं पता कि लेने वाले ने किस उद्देश्य से मकान लिया था। उसने तो बस पैसों के लालच में दे दिया था। उसे किराएदार के बारे ‌में अधिक मालूम नहीं है। उसने दो माह की रकम एडवांस दे दी थी। वह उस व्यक्ति से सिर्फ एक बार मिला था जिसने मकान किराए पर लिया था।
मकान मालिक ने उस आदमी का स्केच बनवाया। स्केच देखकर सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज को वह कुछ पहचाना सा लगा। उसने फौरन पुलिस डाटाबेस की जांच करवाई। उस शख्स का नाम प्रवेश गौतम था।
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज को याद आया कि एक बार उसे टिप मिली थी कि एक नाइट क्लब में गलत हरकतें होती हैं। जब वह अपनी टीम के साथ पहुँचा तो क्लब में ऐसा कुछ नहीं मिला। वहाँ उसने प्रवेश को देखा था। उसके बाद भी एक झगड़े के केस में प्रवेश गौतम को पुलिस थाने लाया गया था। इसलिए उसका रिकॉर्ड था।‌ उसने हान लिम को निर्देश दिया कि वह उस स्केच की कॉपियां निकलवा कर प्रवेश गौतम को तलाश करने के लिए अपने आदमी लगा दे।
हान लिम ने उसके आदेश का पालन किया। उस स्केच की कॉपियां बनवा कर अपने आदमियों को हिदायत दी कि प्रवेश गौतम नाम के हिंदुस्तानी को तलाश करें।

प्रवेश गौतम अपने काम में व्यस्त था। अंजन का फोन बार बार आ रहा था। लेकिन उस समय उसके लिए फोन उठाना संभव नहीं था।‌ उस समय उसने फोन साइलेंट पर कर दिया था। काम पूरा होने के बाद उसने अंजन को फोन करके कहा कि वह परेशान ना हो। फ्लैट में उसके लिए हर सामान मौजूद है। कुछ समय धैर्य रखकर वहीं रहे। वह उसके लिए कोशिश कर रहा है। समय निकाल कर उसके पास आएगा।
अंजन से बात करने के बाद प्रवेश गौतम उस शख्स से मिलने गया था जो अंजन को थाईलैंड भेजने में उसकी मदद कर सकता था। वह उस आदमी से मिलने के लिए एक छोटे से रेस्टोरेंट में गया था। उस आदमी ने जो वक्त दिया था उससे अधिक हो गया था। लेकिन अभी तक वह पहुँचा नहीं था। प्रवेश गौतम को उसका इंतज़ार करते हुए आधे घंटे से अधिक का समय हो गया था।
प्रवेश गौतम को लगा कि अब और अधिक इंतज़ार करने का कोई फायदा नहीं है। वह रेस्टोरेंट से निकल आया। वह अपनी कार की तरफ गया। कार का दरवाज़ा खोल ही रहा था कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। प्रवेश गौतम ने घूम कर देखा तो वह एक पुलिस वाला था। उस पुलिस वाले ने कहा,
"मिस्टर प्रवेश गौतम। मैं इंस्पेक्टर हान लिम हूँ। आपको कुछ पूँछताछ के लिए पुलिस स्टेशन चलना होगा।"
प्रवेश गौतम अंदर से डर गया था। पर बाहर से सामान्य होने का दिखावा करते हुए बोला,
"मैं जान सकता हूँ कि किस संबंध में मुझे पूँछताछ के लिए ले जाया जा रहा है।"
"हमारे साथ चलिए पता चल जाएगा। हमारा सहयोग करिए नहीं तो आपके लिए कठिनाई होगी।"
प्रवेश गौतम ने देखा कि इंस्पेक्टर हान लिम के साथ दो लोग और थे। उसके लिए चुपचाप चले जाने में ही समझदारी थी। उसने अपनी कार लॉक की और चुपचाप पुलिस की गाड़ी की तरफ चल दिया।
हान लिम प्रवेश गौतम को लेकर ‌अपनी टीम के साथ पुलिस स्टेशन पहुँचा तो अचानक ही कुछ मीडिया वालों ने उन्हें घेर लिया। उसकी तरफ सवालों की बौछार होने लगी।
"आप लोग किसे गिरफ्तार करके लाए हैं ?"
"क्या ये उस अंजन विश्वकर्मा का साथी है जो बार में आपके हाथ आते आते बच गया था।"
"आपने इसे कहाँ से गिरफ्तार किया ?"
इन सवालों के साथ कैमरे प्रवेश गौतम की तस्वीर ले रहे थे। हान लिम परेशान था कि मीडिया यहाँ कैसे आ गई। तब तक उसकी मदद के लिए और पुलिस वाले आ गए। प्रवेश गौतम को पुलिस स्टेशन के अंदर ले जाया गया।
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने अपने साथियों को शाबाशी दी। उन्हें भी इस बात का आश्चर्य हो रहा था कि अचानक मीडिया कहाँ से आ गई। लेकिन इस बात पर चिंता करने की जगह उसने प्रवेश गौतम से पूँछताछ शुरू कर दी।

मीरा को नींद नहीं आ रही थी। जबसे उसे सच पता था वह बस रो रही थी। बहुत देर तक रो लेने के बाद अब आंसू भी सूख गए थे। वह अब चुपचाप अपने बिस्तर पर लेटी छत को देख रही थी। अब उसे कोई उम्मीद नहीं रह गई थी। वह नहीं जानती थी कि उसे किस काम के लिए यहाँ कैद किया गया है। वह बस यह जानती थी कि उसकी ज़िंदगी जो पहले ही तकलीफों से गुज़र रही थी अब और मुश्किल में पड़ गई है। उसे अब इसी तरह घुट घुट कर बचे हुए दिन काटने होंगे।
वह अंदाज़ लगाने की कोशिश कर रही थी कि उसे किस मकसद से यहाँ लाया जा सकता है। सोचते हुए एक बात उसके दिमाग में आई। ये जो भी लोग हैं अंजन को जानते हैं। उसकी स्थित के बारे में भी जानते हैं। तभी तो अंजन का नाम लेकर उसे यहाँ लाए थे। ये लोग अंजन से किसी बात का बदला लेना चाहते हैं। इसलिए उसे धोखा देकर यहाँ कैद करके रखा है।
उसके दिमाग में आ रहा था कि अगर एक बार वह अंजन से बात कर सके तो कितना अच्छा होगा। हो सकता है कि वह उसकी मदद के लिए आ जाए। इस समय वह जिस मानसिक स्थिति में थी इस खयाल ने उसे तसल्ली दी। पर अंजन तक खबर पहुँचाने का कोई ज़रिया नहीं था।
मीरा को एक बार फिर वॉशरूम जाने की ज़रूरत महसूस हुई। वह नर्स को बुलाने के लिए बेल का बटन दबाने जा रही थी कि उसकी रुखाई को याद करके उसने अपना हाथ वापस खींच लिया। पहले भी जब वह नर्स को लेकर वॉशरूम गई थी तो उसे बहुत अजीब लग रहा था। लेकिन मजबूरी थी। उस समय वह उठ नहीं पा रही थी।
इस समय खाना खाने के बाद उसे इतनी कमज़ोरी नहीं लग रही थी। उसने सोचा कि एक बार खुद कोशिश करती है। अगर नहीं कर पाई तो नर्स को बुला लेगी। उसने कुछ देर शांत रहकर अपनी शक्ति बटोरी। कोशिश करके उठकर बैठ गई। फिर धीरे से खड़ी हो गई। इससे उसके अंदर आत्मविश्वास आ गया था। संभलकर कदम बढ़ाते हुए वह वॉशरूम तक पहुँच गई।
वाशरूम से लौटकर वह बिस्तर पर बैठ गई। एक बात उसके दिमाग में आई थी। क्यों ना एक बार कमरे से बाहर निकल कर देखे। पता तो चले यह जगह कैसी है। जब वह आई थी तो उसने अधिक ध्यान नहीं दिया था। वह उठी धीरे धीरे कदम रखती हुई दरवाज़े तक आई। दरवाज़ा खोलकर बाहर झांका। एक हॉल दिखाई पड़ा। मद्धम रोशनी थी। पर उसे और कोई दिखाई नहीं पड़ा। वह हिम्मत करके कमरे से बाहर निकल गई‌।

दिनकर प्रधान की निगाह पामेला पर थी। वह बहुत आकर्षक थी। यह सोचकर कि मीरा तो कमज़ोर है कुछ कर नहीं सकती है, उसने पामेला को अपने पास बुलाया था। खुले शब्दों में उसके सामने एक रंगीन रात बिताने की पेशकश की। पामेला भी रंगीन मिजाज़ थी। सुबह से यहाँ बैठे हुए ऊब गई थी। उसने दिनकर प्रधान की पेशकश स्वीकार करने में देर नहीं की।
ऊपर दोनों शराब के नशे में चूर एक दूसरे के आगोश में समाए हुए थे। दोनों मीरा की तरफ से पूरी तरह से बेफिक्र थे। उन्हें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि नीचे मीरा कमरे के बाहर निकल कर हॉल में इधर उधर देख रही थी।
मीरा कुछ डरी हुई थी। लेकिन वह अब यह मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी। इसलिए हॉल में देख रही थी कि शायद कोई फोन दिख जाए।