Noukrani ki Beti - 26 in Hindi Human Science by RACHNA ROY books and stories PDF | नौकरानी की बेटी - 26

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नौकरानी की बेटी - 26

एक अच्छी शोध कर्ता की विशेषता जो कि आनंदी में थी वो उसको युनिवर्सिटी से मिला उसका विवरण रीतू ने पढ़ा।


75000 बड्स की थीसिस राइटिंग प्रोडक्टिव मैनर से एनालाइजिग प्लानिंग और इनफार्मेशन कलेक्ट करने में कुशल।

डाटा एनालिसिस कम्प्लेक्स डाटा को एनालाइज और प्रेजेंट करने की काबिलियत आप नंबर्स में माहिर हैं।


क्डकि्टग इंटरव्यूज रिसर्च में एक्सेप्शनल सि्कल्स में रूचि डिप्लोमेटिक अप्रोच से स्ट्रक्चड इंटरव्यूज कंडक्ट करने की क्षमता।

समय पर पीएचडी का समापन किसी दिए गए निर्धारित समय में मुश्किल प्रोजेक्ट को हैंडल करना और पूरा करने की क्षमता।

रिसर्च सेमिनार आर्गनाइज करना आगे बढ़कर नेतृत्व करने की क्षमता और बेहतरीन आत्म विश्वास।


ये आनंदी को युनिवर्सिटी से उसके गाइड करने वाले प्रोफेसर ने दिया था।

रीतू ने पढ़ने के बाद बहुत ताली बजाकर खुशी जाहिर किया।


आनंदी ने कहा दीदी आज मैं जो कुछ भी बन पाई हुं सिर्फ आपकी वजह है।

रीतू ने कहा नहीं ऐसा नहीं है अगर तुम्हारे अन्दर वो आत्मविश्वास नहीं होता तो यहां तक मैं नहीं ला पाती तुम्हें।
रीतू ने कहा आनंदी तुमलोग संडे को आ जाना। शैलेश का बर्थडे है।
आनंदी ने कहा ओके दी।

फिर आनंदी अपनी कार से वापस चली गई। उसने डाइविंग भी सिख लिया था।

फिर घर आकर ही आनंदी ने मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।


कृष्णा ने कहा आज क्या कुछ है? आनंदी ने हंस कर कहा अरे हां मां मुझे युनिवर्सिटी से एक लैटर मिला है जिसमें मेरी पढ़ाई करने की क्षमता पर बहुत सारे अच्छे कमेन्ट मिले हैं।
कृष्णा ने कहा हां।


आनंदी ने कहा सन्डे को हमे रीतू दी ने बुलाया है शैलेश जी का बर्थडे पार्टी है।
कृष्णा ने कहा हां ज़रूर जायेंगे।

फिर सोमवार को रीतू के घर पहुंच कर शैलेश का बर्थडे सेलीब्रेट किया और फिर रीतू बोली आनंदी तेरी शोध अब कमपीलट को गया।
आनंदी ने कहा हां बस कुछ बाकी है।

फिर ऐसे ही एक महीना बीत गया और आनंदी का शोध पुरा हो गया और कल ही उसका सबमिशन का दिन है।

आनंदी खुशी से झूम उठी थी और फिर तैयार हो कर युनिवर्सिटी निकल गई।
उसने अपने हेड मरियम चाल्स को अपनी थीसिस राइटिंग सबमिट कर दिया और फिर मैम ने बताया कि उसे बुलाया जाएगा वाइवा के लिए।
आनंदी आज बहुत ही हल्का फुल्का महसूस कर रही हैं।
वो बोली आज एक दम सोयेगी।

मां ने कहा हां बेटा नाश्ता करके सो जा।

फिर आनंदी एक लम्बी नींद में चली गई और शाम को उठी तो देखा कि शना और रीतू दी आई है।
आनंदी ने कहा अरे आप कब आए और मेरी गुड़िया।
शना आनंदी से लिपट गई और फिर बातचीत करने लगी। आनंदी ने युनिवर्सिटी की बातें बताई।
रीतू बोली बधाई हो आनंदी अफसर थी और अब एक डाक्टर भी बन गई।
आनंदी ने कहा हां दीदी अब तो छुट्टियां भी खत्म और जाने का समय आ गया।
कृष्णा ने कहा हां बेबी की याद बहुत आयेगी।
आनंदी ने कहा हां अब जाना होगा ही।
फिर दो दिन बाद आनंदी को एक मेल आया कि उसको युनिवर्सिटी में जाना होगा।
वाइवा के लिए।
आनंदी ने रीतू को फोन पर सब विस्तार से बताया और रीतू ने कहा आनंदी मुझे यकीन है कि तू सब बखुबी निभायेगी।
फिर आनंदी समय से युनिवर्सिटी पहुंच गई और फिर पता चला कि बहुत सारे युनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर आएं हैं।
फिर आनंदी अपने शोध के मुताबिक हालॅ में पहुंच गई और फिर उसने देखा कि बहुत सारे लोग बैठे थे और आनंदी भी जाकर एक कुर्सी पर बैठ गई।
मरियम चाल्स ने सबको आनंदी के परसोनालटी के बारे में बताया और शुरू हो गया आनंदी के शोध कार्यों पर एक एक सवाल।
आनंदी ने बड़े ही प्यार से सारे सवालों के जवाब देती जा रही थी।
उसका विषय ही बहुत महत्वपूर्ण था जो वहां के सभी लोगों को आकर्षित किया।
एक घंटे तक तर्क वितर्क चला और अन्त में आनंदी की जीत हुई उसके सच्चाई की जीत हुई।


फिर सभी ने आनंदी के थीसीस को सराहा।

फिर आनंदी ने काउंटर पर जाकर पता किया तो वहां से पता चला कि अब दिक्क्षान्त समारोह में बुलाया जायेगा।

आनंदी खुश हो कर वापस आ गई। रीतू घर पर ही आनंदी का इन्तजार कर रही थी।
आनंदी आते ही सारी बात बताई तो रीतू बोली मैंने कहा था ना आनंदी।
आज की डिनर मेरी तरफ से।
आनंदी ने पूछा ये शैलेश सर कहा है? रीतू वो कनाडा गए हैं एक हफ्ते तक आएंगे।
इसी लिए हमलोग यहां आ गए।
आनंदी ने कहा बहुत अच्छा किया दीदी।

शना कैसी है लाडो? ये प्यार से आनंदी ने कहा।
शना दौड़ कर आ गई और आनंदी को प्यार करने लगी।
फिर रात को डिनर के लिए सभी बाहर निकल गए।

आनंदी बहुत अच्छा डाइविंग करने लगी थी।
उसे अब सारे तौर तरीके आ गए थे।
ये लोग उसी रेस्तरां में गए जहां आनंदी और रीतू जाया करते थे।

सभी ने बहुत अच्छी तरह डिनर किया और घर वापस आ गए।

फिर एक दिन आनंदी के पास युनिवर्सिटी से मेल आया कि अगले हफ्ते उपाधि प्राप्त होने वाला है । सुबह 7.30से 9.30 बजे तक, लड़कियों का डैस कोड हैं सफेद रंग की साड़ी या सलवार सूट,लड़कों को कुरता पजामा।

आनंदी मेल पढ़ते ही रीतू को भी सब कुछ बता दिया।
फिर आनंदी ने आन लाइन साड़ी अगर ॲऻडर कर दिया।
फिर देखते देखते एक हफ्ते बिता गए।

आनंदी साड़ी में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
कृष्णा वाई और रीतू आपस में बातचीत कर रहे थे कि अब आनंदी को शादी कर लेनी चाहिए।

आनंदी ने कहा क्या बातें हो रही हैं।
बस एक ही बात करते हैं आप लोग मेरी शादी।
मां मैं सच में शादी नहीं करना चाहती हुं।
इसी दुनिया के काम आना चाहती हुं मैं उन गरीब बच्चों,उन औरतों को इन्साफ दिलाना चाहती हुं उनके पास रहना चाहती हूं।

शादी करके मैं अपना जीवन नहीं गवाना चाहतीं हुं।


रीतू ने कहा हां ठीक है चल पहले युनिवर्सिटी में पहुंच।

आनंदी ने कहा हां चलो चलतीं हुं।

फिर आनंदी युनिवर्सिटी में पहुंच गई।

वहां बहुत ही बड़ा सा स्टेज़ सजाया गया था।
सभी जाकर बैठ गए और आनंदी भी जाकर बैठ गई। कुछ देर बाद ही समारोह आयोजित कर दिया गया। पहले तो बहुत सारा लेक्चरर्स हुए।

उसके बाद पीएचडी करने वाले लोगों का नाम घोषित होने लगा। आनंदी ने अपना नाम सुनते ही बहुत खुश हो गई।

आनंदी का शोध संस्थान में टाप पोजीशन पर था और फिर आनंदी को स्टेज पर बुलाया गया और फिर उसे गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ।
तालियों की गूंज पुरे युनिवर्सिटी में फैल गई।

साथ ही एक डी लिट ् की डिग्री भी दी गई।
फिर आनंदी को कुछ बोलने के लिए कहा गया।

आनंदी ने फिर से अपना परिचय दिया और एक बार फिर रीतू दी को धन्यवाद दिया उसने कहा कि धन्यवाद बहुत छोटा शब्द होगा।

उसके बाद सभी को खाने के लिए आमंत्रित किया गया।

आनंदी भी अपनी सहेली के साथ खाना खाने गई।

फिर सभी ने मिलकर आनंदी घर लौट आई और आकर ही पहले मां का आशीर्वाद लिया।

कुछ देर बाद ही आनंदी ने देखा कि बहुत सारे लोग उसको बधाई देते हुए आ रहे थे उसमें राजू दादा,अनु मैम,सर, शैलेश और रीतू सब आकर ताली बजाकर खुशी जाहिर किया।


फिर एक बड़ा सा केक आ गया। रीतू ने कहा आनंदी प्लीज़ कट द केक वी आर सेलिब्रेट।

आनंदी भी खुश हो कर केक काट कर सबसे पहले रीतू को खिलाया।
फिर सब मिलकर बात करने लगे।
फिर राजू ने प्रोजेक्टर स्मार्ट क्लास पर आनंदी के युनिवर्सिटी का पुरस्कार समारोह दिखाने लगा।

रीतू तो रो पड़ी उस समय जब आनंदी ने एक बार फिर रीतू को सम्मान दिया।

फिर सभी लोगों लंच किया और फिर चले गए।

आनंदी ने कहा रीतू दीदी मुझे यकीन था कि आज एक बार फिर आप मुझे उत्साहित करोगी।
अगर मैं कुछ भी बन पाई हुं तो सिर्फ आपकी वजह से।
ये मेरा सौभाग्य है कि आप मेरी जिंदगी में मेरी प्रेरणा बन कर आई।

रीतू ने कहा बस कर रुलायेगी क्या?
आनंदी ने कहा मेरी शोध अब एक किताब का रूप लेने वाली हैं।
देश विदेश में प्रकाशित होगा।
राजू ने कहा आनंदी अब डाक्टर आनंदी बन गई।


आनंदी ने कहा हां पर दी अब मेरे वापस जाने का समय आ गया और अब फिर एक साल बाद ही आ पाऊंगी।
रीतू ने कहा हां, मैं तुम्हें रोक तो नहीं सकती क्योंकि तुम्हारी बहुत सारी जिम्मेदारी भी है।

आनंदी ने कहा हां अगले महीने की टिकट बुक करवाया है।


क्रमशः