देवेन, निशा और गीता चाय पीने लगे।राहुल निशा की गोद मे सो गया था। जब वे चाय पयु चुके तब रमेश बोला,"दीदी मैं जीजाजी को अपने साथ ले जाता हूँ।"
"हां ले जाओ।"
देवेन रमेश के साथ चला गया। रमेश और देवेन जल्दी ही एक दूसरे से घुल मिल गए थे।।रमेश शादी के काम मे व्यस्त था।देवेन भी उसका हाथ बंटाने लगा।
सर्दी के मौसम में दिन छोटे और राते लम्बी होती है।शाम जल्दी ढल जाती है
जल्दी अंधेरा ही जाता है।पांच बजे बाद ही अंधेरे की परतें धरती पर उतरने लगती है।छः बजे से पहले ही चारो तरफ अंधेरे का साम्राज्य हो गया था।अंधेरा होते ही लाला अमरनाथ की कोठी रंग बिरंगी रोशनी में नहा गई थी।कोठी के बाहर के खाली हिस्से को दो भागों में बांट दिया गया था।एक हिस्से में खाने का इन्तजाम था।दूसरे हिस्से में स्टेज का कार्यक्रम था।डी जे बज रहा था।बच्चे संगीत की धुनों पर थिरक रहे थे।
रात होते ही मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू हो गया।लम्बे कद के सेठ अमरनाथ काले बन्द गले के कोट और सफेद पेंट पहने हुए थे।वह गेट पर खड़े होकर आने वाले मेहमानों का स्वागत कर रहे थे।चारो तरफ हंसी खुशी का माहौल था।दो दो,चार चार के गुट में खड़े होकर लोग आपस मे बातें, हंसी मजाक कर रहे थे।रमेश भी कम में लगा था।देवेन भी रमेश का हाथ बंटा रहा था।
"बारात आ गई"किसी ने आकर सूचना दी थी।बेंड की धुन धीरे धीरे पास आ रही थी।और बारात दरवाजे पर आ गई थी।बाराती बेंड की धुनों प्रण नाच रहे थे।बारात में पुरुष औरते,नोजवान बच्चे और बुजुर्ग भी थे।बारात आने पर देवेन भी रमेश के साथ उनके स्वागत सत्कार में जुट गया।बाराती अंदर आ गए थे।दूल्हे राजा को घोड़ी से उतारकर स्टेज पर ले जाया गया।दूल्हे के लिए रखी कुर्सी पर दूल्हे को बैठा दिया गया।संगीत की स्वर लहरियों के साथ दुल्हन गीता को निशा और उसकी अन्य सहेलियां स्टेज पर लेकर आई थी।
"वरमाला के लिए खड़े हो जाये"
दूल्हे के पास उसके दोस्त आ खड़े हुए थे।गीता के पास उसकी सहेलियां थी।दोनो तरफ के फोटो ग्राफर स्टेज पर मौजूद थे।हंसी ठिठोली होने लगी।और हंसी मजाक के बीच वरमाला का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था।
वरमाला के बाद दूल्हा दुल्हन बैठ गए।वर और वधु पक्ष के लोग एक एक करके स्टेज पर आकर आशीर्वाद देने लगे।देवेन और निशा ने भी स्टेज पर आशीर्वाद देने के साथ फ़ोटो खिंचवाया था।
एक तरफ स्टेज प्रोग्राम चल रहा था।दूसरी तरफ बाराती और घराती खाना भी खा रहे थे।देवेन ने भी खाना खाया था।खाना खाने के बाद देवेन पत्नी के पास जाकर बोला,"तुम्हारा क्या प्रोग्राम है?"
"मैने जाने की बात गीता से की तो वह नाराज हो गई थी,"निशा बोली," तुम पूरी रात यहां क्या करोगे।तुम चले जाओ।मैं सुबह आ जाऊंगी।"
देवेन और निशा बाते कर रहे थे,तभी रमेश वहां आ गया,""अकेले अकेले क्या प्लान बन रहा है?"
"तुम्हारे जीजाजी घर जा रहे है।"
"अब इतनी रात में।मैं यही बिस्तर लगवा देता हूं।"
"नो।थैंक्स रमेश।मैं घर ही चला जाता हूँ।"देवेन ने रमेश की पीठ पर हाथ फेरा था।
"आप कुछ देर रुके।मैं स्कूटर पर आपको छोड़ आऊंगा।"रमेष बोला।
"नहीं।तुम काम देखो।मैने टैक्सी बुक कर ली है।"
(अगले भाग में आगे)