Dhara -18 in Hindi Love Stories by Jyoti Prajapati books and stories PDF | धारा - 18

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धारा - 18

धारा, डॉ नकुल को घर दिखाते हुए, " ये देव का रूम है !!"

डॉ नकुल, " हम्म, काफी बड़ा है !! काफी सिस्टमेटिक तरीके से बनाया गया है !!"

धारा, " हां... आर्किटेक्चर काफी अच्छा है यहां का !!"

डॉ नकुल, " वैसे इस रूम में इतने लॉकर, अलमारियां क्यों हैं...??"

"एक पुलिस वाले का घर है और वो भी सीबीआई की पुलिस का !! तो इतने लॉकर्स होना तो आम बात है !! शायद आपने आजतक किसी सीबीआई इंस्पेक्टर का घर देखा नही है ...??" देव डॉ नकुल को टोंट मारते हुए बोला।

धारा, डॉ नकुल की साइड लेते हुए, " कभी आवश्यकता ही नही हुई उन्हें ! अपने काम से फुरसत मिले तब तो कहीं और जाएं ! अब डॉ नकुल को पूरा टाइम तो हॉस्पिटल में हो जाता है और रात को ये घर लौट जाते हैं !!"

डॉ नकुल धारा की बात देव को देखते हुए मुस्कुराकर बाहर निकल गए।
धारा डॉ नकुल को मंदिर फिर बगल वाले रूम में उसके बाद बाहर बालकनी में लेकर गयी !

"वाओ....व्यू काफी अच्छा है यहां से शहर का !!" डॉ नकुल बाहर का नजारा देखते हुए बोले।

देव कुढ़ रहा था मन ही मन ! क्योंकि वो धारा के साथ एकपल भी अकेले नही बिता पा रहा था ! जैसे ही देव धारा के पास जाता, डॉ नकुल कहीं न कहीं से आ जाते ! सुबह भी वो जल्दी उठा तो धारा सो रही थी, जब धारा जागी तो डॉ नकुल भी उठ गए।

देव ने कहा, "वैसे डॉक्टर साहब, आप यहां किस काम से आये थे...??"

डॉ नकुल, " मुझे कुछ पर्सनल काम था !!"

देव, " यहां देहरादून में...??"

डॉ नकुल, " हां क्यों..?नही हो सकता ??"

देव , " नही वो बात नही है !!"

धारा दोनो को बीचमे टोकते हुए, " नाश्ता कर लेना चाहिए ना हमे अब..!!"

तीनो डायनिंग टेबल की ओर बढ़ गए !! धारा ने ब्रेड पकोड़े बनाये थे ! डॉ नकुल ने सिर्फ एक ही ब्रेडपकोड़ा रखा अपनी प्लेट में तो धारा जबरन ओर रखने लगी ! मना करने पर भी जब धारा नही मानी तो डॉ नकुल ने धारा का हाथ पकड़ लिया !
देव को तो जैसे जलन न हुई आग ही लग गयी !! पर बेचारा कर भी क्या सकता था..?? अगर डॉ नकुल अकेले होते तो शायद उन्हें तो वो जैसे तैसे हैंडल कर लेता पर धारा उनका पूरा सपोर्ट कर रही थी ! बस यही बात देव बर्दाश्त नही कर पा रहा था।
डॉ नकुल और धारा की ये नज़दीकी हज़म नही हो रही थी देव को !!


"कैसे इस डॉक्टर को भगाऊँ यहां से..?? कुछ सोचो देव बाबू..कुछ सोचो !!" देव खुद से ही बडबडाया।

धारा और डॉ नकुल बालकनी में चाय पीते हुए आपस मे बातें कर रहे थे ! ओर देव अपने रूम में चक्कर लगाते हुए धारा को डॉ नकुल से दूर रखने का और नकुल को भगाने का उपाय सोच रहा था !!

देव सोफे पर बैठकर उंगली होंठ पर रखकर, "इस डॉक्टर का यहां इस तरह अचानक आना, कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है...!! कुछ मिसिंग है, जो नज़र नही आ रहा है!! पर क्या...??"


धारा अंदर आते हुए, " क्या बात है देव..? क्या सोच रहे हो?"

देव, " कुछ नही अपना पास्ट याद करने की कोशिश..!!"

डॉ नकुल हैरानी से , " तो आपको अपना पास्ट याद नही आया अभी तक...*? डॉ धारा तो बोल रही थी आपको सबकुछ याद आ चुका है..!!"

देव ने धारा को देखा ! धारा ने आंखों से उसे सॉरी का इशारा किया ! देव ने आँख बन्द कर गहरी सांस ली और डॉ नकुल से कहा, " हां याद तो काफी कुछ आ चुका है ! पर अब भी कितने ही पहलू हैं जो धुंधले है !! उनका क्लियर होना बाकी है !!"
फिर धारा की ओर देखते हुए, "एंड डोंट वरि डॉ धारा , मैं पूरी कोशिश कर रहा हूँ मुझे सब याद आ जाये, ताकि आप पर से मेरी जिम्मेदारी का जो बोझ है वो जल्द से जल्द हट जाए !!" बोलते हुए देव उठकर अंदर रूम में चला गया।

देव का इस तरह कहना धारा को बिल्कुल अच्छा नही लगा ! उसे लगा जैसे देव ने किसी बात को लेकर ताना दिया हो, उसे टीस किया हो !! धारा देव को जाते हुए देखती रही ! डॉ नकुल की नज़रे धारा पर ही थी।
देव की बातों ने धारा के मन को ठेस पहुंचाई थी जो उसके चेहरे पर स्पष्ट झलक रही थी।

"आप देव से प्रेम करती हैं डॉ धारा !!" डॉ नकुल ने अचानक धारा से प्रश्न कर लिया जिसकी उसे बिल्कुल आशा नही थी।।

वो आंखे बड़ी कर डॉ नकुल को देखने लगी ! उसने कहा, " आपको ऐसा क्यों लगा..??"

डॉ नकुल, "मैंने देखा अभी आपके चेंहरे पर वो दर्द, जो देव की बातों से हुआ आपको !!"

धारा फीकी सी हंसी के साथ, " ऐसा कुछ नही है डॉ नकुल !! देव और मैं सिर्फ अच्छे दोस्त हैं ! इससे ज्यादा कुछ नही !! और देव की बातों का बुरा मुझे इसलिए लगा क्योंकि उसने ये कैसे सोच लिया कि मुझे उसकी जिम्मेदारी बोझ लग रही है..*?"

धारा देव से प्यार नही करति ये बात सुनकर डॉ नकुल खुश हो गया तो देव रुआंसा!! अपने कमरे से ही देव धारा और डॉ नकुल की बातें सुन रहा था !!

धारा ने खड़े होते हुये कहा, " डॉ नकुल आप जब तक नहा धोकर तैयार हो जाइए, तब तक मैं खाना बना लेती हूँ !!"

डॉ नकुल हाँ में सिर हिलाकर देव के रूम में पहुंच गए ! धारा उनके पीछे आई ! उसने देखा, देव अपने सिर को दोनो हाथों से दबाए बैठा था !
धारा को चिंता हुई वो उसपर बिगड़ते हुए बोली, " किसने कहा था इतना सोचने को ..?? हो गया न सिर दर्द !! इतना प्रेशराइज़ मत करो खुद को की तबियत ठीक होम के बजाय और खराब हो जाये !!

धारा ने बाम उठाया और जैसे ही देव के सिर पर लगाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, देव ने उसका हाथ झटक दिया !! धारा हैरान ध गयी उसकी इस हरकत से !!

देव झटके से उठा और बिना कुछ बोले बाहर निकल गए।
धारा फिर से उसे ऐसे जाते देखती रह गयी। जैसे ही धारा देव के पीछे जाने लगी। डॉ नकुल ने उसे रोका," एक मिनट डॉ धारा , आप मत जाइए ! पता नही, पर मुझे ऐसा लग रहा है जैसे देव आपसे नाराज़ है ! अगर आप उनके पास जाऐंगी तो शायद वो और नाराज़ हो जाये...?? मैं जाता हूँ !!"


डॉ नकुल की बातों में वास्तविकता थी! देव था तो धारा से ही नाराज़ ! चाहे वजह डॉ नकुल हों !! देव का नाराज़ होना जायज भी था ! आखिर जबसे डॉ नकुल आये थे, धारा अपना पूरा समय उन्हें ही दे रही थी !! देव से तो क्षणिक ही बात हो पाई थी उसकी।

धारा।ने बाम उठाया और डॉ नकुल को थमा दिया। डॉ नकुल वो बाम लेकर देव के पास बाहर बालकनी में आये और देव से बोले, " देव! बैठो, मैं बाम लगा देता हूँ ! तुम्हे रिलीफ मिलेगा !!"

देव को अब और ज्यादा गुस्सा आ गया धारा पर !! उसे आना चाहिए था ये सोचकर उसकी धारा के प्रति नाराज़गी और अधिक बढ़ गयी।

देव बगैर डॉ नकुल को देखे, " डॉ नकुल, प्लीज़, जस्ट लीव मी अलोन !!"

"पर देव.....!!" डॉ नकुल ने इतना ही कहा और धारा ने उनके कंधे पर हाथ रख बाम उंसके हाथ मे रखने का इशारा किया।
डॉ नकुल ने बाम धारा की हथेली पर रख दीया। धारा ने उन्हें जाकर नहाने का इशारा किया और उंगली में बाम लेकर देव के माथे पर लगाने लगी।
डॉ नकुल ने एक बार दोनो को देखा फिर अंदर चले गए ! देव ने धारा का हाथ पकड़ा और उसे मना करते हूए कहा, "कोई जरूरत नही है इसकी !! तुम जाओ यहां से !!"

धारा, " एक डॉक्टर भी हूँ और तुम्हारी दोस्त भी !! जब तक दोनो के फ़र्ज़ नही निभा लेती, तब तक कहीं नही जाऊंगी !!"

देव, " तुम्हारे डॉ नकुल अकेले होंगे !! जाओ उनके पास ! मुझे नही है तुम्हारी जरूरत उन्हें है !!"

धारा, " ओह.... पॉजेसिव हाँ...?? इतनी जलन मुझे डॉ नकुल के साथ देखकर !!"

देव, " मुझे क्यों जलन होगी...?? तुम्हे गलतफहमी हुई है !!"

धारा, " अच्छा! तो फिर ये बाम क्यों नही लगवा रहे ..??"

देव जे धारा के हाथ से बाम छीनी और खुद ही अपने सिर पर लगाकर हल्के से मसाज कर ली !!

धारा मुंह फुलाकर, "मेरे हाथ से कांटे चुभ रहे थे ..??"

देव, "डॉ नकुल को खाना खिलाओ जाकर, अतिथि हैं वो हमारे यहां के !!"

"देव....." धारा ने कहा।

देव, "धारा प्लीज़....कुछ देर मुझे अकेले रहना है !!सिर्फ थोड़ी देर...मैं खुद ही आ जाऊंगा !! तुम जाकर डॉ नकुल को देखो!!"

धारा अंदर आ गयी। देव थोड़ी देर आंखे बंद किये वहीं बैठा रहा फिर उठकर अंदर आया। डॉ नकुल तैयार होकर बाहर आये। धारा देव से, " अब ठीक लग रहा है...??"

देव ने हां में सिर हिलाया और कहा, " मैं आता हूँ तैयार होकर !!"

धारा देव को लेकर फिर चिंता में डूब गई। " क्या हुआ इसे अचानक..?? इतना अनमना से क्यों हो गया ये..??"

डॉ नकुल ने धारा से कहा, " धारा, मुझे पोलिसस्टेशन से कॉल आया। था !! शायद चोंर पकड़ा गया !! मैं वहाँ से होकर आता हूँ !!"

धारा ने हामी भरी ! नकुल चले गए !! देव जब नहाकर आया तो धारा ने उससे कहा, "आ जाओ , खाना खा लो!!"

देव ने कुछ जवाब नही दिया ! धारा ने फिर दोहराते हुए कहा, " देव, सबकुछ तुम्हारी पसन्द का ही है !! आ जाओ यार ! भूखे पेट ज्यादा सिर दर्द होगा..!!" इस बार धारा की आवाज़ में कुछ ज्यादा ही नरमाई थी ! देव ने अपना चेहरा घुमाकर अपनी स्माइल को कंट्रोल किया और चुपचाप आकर बैठ गया ! धारा ने उसे खाना परोसा और पूछा, " सिर दर्द कैसा है अब..??"

देव, " पहले से कम है !"

धारा, " मतलब है अभी भी हल्का हल्का !!"

देव, " हम्म !!"

धारा, " देव क्या बात है..? तुम कल से मुझसे ऐसे बातें कर रहे हो..???"

देव, " ऐसे मतलब..कैसे ??"

धारा, " मतलब सीधे जवाब नही दे रहे हो..??"

देव, " तुम्हे क्या फर्क पड़ता है..??"

धारा बगल वाली चेयर पर बैठते हुए , " फर्क कैसे नही पड़ता देव? तुम दोस्त हो मेरे !!"

देव निवाला मुंह मे डालकर, " दोस्त नही हूँ ! एक जिम्मेदारी हूँ ! जिससे जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा तुम्हे !! दोस्त तो डॉ नकुल हैं !!,"

धारा, " डॉ नकुल दोस्त से ज्यादा मेरे सीनियर है! एक ही जगह पर काम करना, उनके साथ रहना...व्यवहार बना के रखना पड़ता है देव !! मुझे जब भी जरूरत होती है तब वो ही सबसे पहले आते हैं हेल्प के लिए !!"

अचानक से देव ने कसकर आंखे बंद की और मुठ्ठी बांध ली। धारा समझ गई कि सिर की नस में खिंचाव होने से देव के सिर में दर्द बढ़ गया है! वो उठी और दवाई लेकर देव के सिर पर मालिश करते हुए बोली, " डॉ नकुल मुझसे एक साल सीनियर है !! जब मैं नई नई आयी थी हॉस्पिटल में, तो वे बड़े ही बारीकी से हर काम सिखाते थे मुझे !! किस तरह से किसी भी सिचुएशन को हैंडल करना है, किसी भी समस्या से कैसे निकलना है ये सब बातें उन्ही से सीखी है मैंने !!"

धारा का हाथ सिर पर लगते ही एक सुकून की अनुभूति हुई देव को ! देव ने पानी पिया और सिर कुर्सी से टिकाकर,, "मुझे लगता है कि शायद वे तुम्हे पसन्द करते हैं...!!"

धारा, " हम्म....जानती हूँ ! आज से नही जबसे मैं हॉस्पिटल जॉइन की हूँ तभी से वे मुझे पसंद करते हैं !! लेकिन मैंने उन्हें कितनी ही बार कभी बातों ही बातों से, तो कभी इशारो से समझाने की कोशिश की ! मैं उन्हें सिर्फ एक दोस्त मानती हूँ उससे ज्यादा कुछ नही !! लेकिन उन्हें कोई असर ही नही हुआ !!"


देव, " तो तुम उन्हें डायरेक्ट मना क्यों नही कर देती..??'

धारा, " कैसे मना कर दूं..?? उन्होंने कभी मुझसे डायरेक्ट ऐसा कुछ कहा ही नही !! मैंने भी सोचा हुआ है, जिस दिन उन्होंने खुलकर अपनी बात कही, मैं उन्हें स्पष्ट मना कर दूंगी !! और शायद हो सकता है कि उनके कुछ कहने से पर मना करने पर वे कुछ गलत समझ लें...?? इसलिये तब तक अनजान बने रहो !! वरना उन्हें लगेगा कि मैं उन्हें ऑब्जर्व कर रही हूँ !!"

धारा की बात देव को सही लगी और उससे ज्यादा तसल्ली हुई कि धारा के मन मे डॉ नकुल के प्रति कुछ नही है !!"

धारा ने कहा, " आज दोपहर में डॉ नकुल लौट रहे हैं !! चिंतामुक्त हो जाओ !!"

देव आंखे बंद किये ही मुस्कुरा दिया !! धारा ने उसकी मुस्कान देखी तो कहा, " तुम्हे बड़ी खुशी हो रही है डॉ नकुल के जाने की खबर सुनकर..??"

देव, "हां तो...!!"

धारा, " हां तो..मतलब क्या? वो जा रहे हैं इसका ये मतलब नही की तुम्हारा रास्ता क्लियर हो गया और तुम चांस मार सकते हो !!"

देव, " अब ये तो वक़्त ही बताएगा धारा मैडम !!"

धारा, " हाँ, हां ठीक है !! अब उठो और बताओ मुझे, इतना कटे कटे से क्यों थे कल से !!"

देव , " धारा, पता नही कल रात से कुछ अजीब सा लग रहा है !! मुझे पता नही क्यों पर बहुत अजीब सी फीलिंग्स हो रही है !! मैं आंखे बंद करता हूँ तो कुछ दिखाई देता है !! लेकिन समझ से परे !! कहीं ना कहीं कुछ तो है जो मिस हो रहा है !! कुछ बहुत खास !!"

धारा, " क्या..? क्या लग रहा है तुम्हे?? कुछ तो नज़र आया होगा ना, चाहे धुंधला सा ही सही !!"

देव आंखे बंद कर याद करते हुए, " शायद कोई पार्टी हो रही है !!बहुत से लोग हैं वहां ! चारो ओर लाइट्स ! एक व्यक्ति फ़ोन कान पर लगाये कहीं जा रहा है ! एक लड़की भागते हुए.... वो व्यक्ति फ़ोन पर बात करना छोड़ उस लड़की के पीछे भागता है ! एक जोरदार आवाज़ होती है और मेरी आँखें खुल जाती है !!"

देव चेहरे पर हाथ रखकर बैठ गया ! धारा भी सोच में डूब गई ! उसने कुछ सोचते हुए कहा, "तुम्हे किसी का चेहरा नज़र आया..??"

देव,"नही धारा, किसी का भी चेहरा नज़र नही आया ! बस यही तो चिंता है !! कैसे याद करु मैं सबकुछ !! आजतक जितना भी याद आया है सब आधा-अधूरा सा ही है !!"

धारा ने देव का सांत्वना देते हुए उसे समझाया, " डोंट वरि देव ! जहां इतना कुछ याद आ चुका है तो धीरे-धीरे सब याद आ ही जायेगा !! महादेव पर विश्वास रखो !!"

देव, " उन्ही के विश्वास पर तो मेरी उम्मीद कायम है !!"



जारी........

(JP)