Ek Ladki - 13 in Hindi Love Stories by Radha books and stories PDF | एक लड़की - 13

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एक लड़की - 13

थोड़ी देर बाद सब अपना अपना टेंट तैयार कर लेते है टीचर सभी बच्चो को इकट्ठा होने के लिए बोलते हैं और सभी एक साथ इकट्ठे होते हैं वहाँ टीचर कहते हैं कि ये जंगल बहुत बड़ा और खतरनाक भी है और अभी हम जहाँ है वो जंगल से बाहर की तरफ है तो ज्यादा खतरा नहीं है। इसलिए कोई भी जंगल के अंदर ही तरफ नही जाएगा। सब साथ रहेंगे। सभी स्टूडेंट्स एक साथ ठीक है बोल कर खाना खाने चले जाते हैं खाना खाने के बाद अपने अपने टेंट में चले जाते है। स्माईली औऱ पँछी एक ही टेंट में सो रहे थे स्माईली तो सो जाती है लेकिन पँछी को नींद की आ रही थी। तो वो टेंट से बाहर आ जाती है बाहर कुछ लड़कियों को जला रखी थी और उसके पास ही ऋषि बैठा हुआ था। पँछी उसके पास जाकर कहती हैं। क्या कर रहे हो नींद नहीं आ रही है क्या ??
ऋषि - नहीं , थोड़ी देर बाद सोऊंगा। तुम्हें भी नींद नहीं आयी ?
पंछी - नही, मुझे भी नींद नहीं आ रही है। मैं यहां बैठ सकती हूं ऋषि - हां, क्यों नही। पंछी ऋषि के सामने आकर बैठ जाती है। और थोडी देर बाद कहती हैं - एक बात बताऊ ?
ऋषि - हां बताओ।
पँछी - पहली बार जब मैं तुमसे मिली थी तब तुम अलग थे और अब अलग लगते हो मतलब जैसे दिखते हो वैसे नहीं हो। मैं तुम्हें जानती नही हु या फिर मुझे ही ऐसा लगता हैं।
ऋषि पंछी की बात पर मुस्कुरा देता है और बड़े ही प्यार से कहता है - पँछी, तुम्हें सही लगता है मैं पहले से बदल गया हूँ।
पंछी इंटरेस्ट लेते हुए कहती है- अच्छा, इसका कोई तो रीज़न होगा? क्या बात है अगर बताना चाहो तो बता सकते हो।
पंछी बोल ही इतने प्यार से रही थी कि ऋषि उसे बताना चाहता था कि - " पँछी, मैं तुमसे प्यार करता हूँ और मेरे बदलाव का कारण भी तुम ही हो और मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ लेकिन तुम्हे खोते हुए नही देख सकता मैं तुम्हें हमेशा ऐसे ही हँसते मुस्कुराते हुए अपने सामने देखना चाहता हूं " ऐसा सोचते हुए वो कहि खो से गया था और उसकी आंखें भर आयी थी। पंछी उसे देख कहती हैं - ऋषि, कहा खो गए ? सॉरी , अगर मेरी बात का बुरा लगा हो तो मेरा इरादा तुम्हें हर्ट करने का नहीं था।
ऋषी - नहीं पंछी, ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो कुछ सोचने लग गया था इसलिए आंखे भर आयी थी तुम रिलेक्स रहो।
पंछी - ठीक है। पंछी ने उस समय ऋषि के आंखों में किसी के लिए बहुत गहरा प्यार महसूस किया था जो साफ ही नज़र आ रहा था वो इतना तो समझ गयी थी की ऋषि किसी से प्यार करता है और वो उसके लिए बहुत ज्यादा माहीने रखती हैं। तभी वहां से एक खरगोश निकलता है जिसके पीछे सांप लगा हुआ था सांप को देख पँछी डर जाती है और जल्दी से खड़ी होकर थोड़ा पीछे खिसक जाती हैं। फिर वो देखती है कि वो सांप उस खरगोश के पीछे जा रहा है तो उस खरगोश को बचाने के लिए वो उसके पीछे जाती है खरगोश जंगल के अंदर चला जाता हैं और सांप उसके पीछे अंदर चला जाता है पंछी डर जाती हैं कि कहि वो सांप उस खरगोश को पकड़ न ले । उसे डर भी लग रहा था लेकिन खरगोश को बचाने के लिए वो भी जंगल के अंदर चली जाती हैं। ऋषि पीछे से आवाज़ लगता है पँछी रुको, पंछी जंगल में मत जाओ। लेकिन पंछी का ध्यान तो उस खरगोश पर था तो उसने ऋषि की बात ही नही सुनी थी और अंदर चली जाती हैं ऋषि उसे जंगल में जाता देख घबरा जाता है और खुद भी चला जाता है। पंछी बहुत दूर निकल गयी थी लेकिन वो खरगोश तक पहुँच गयी थी उसने एक लंबी लकड़ी ली और सांफ को लकड़ी से दूर फेक दिया और खरगोश को उठा लिया सांप फिर से उसके पास आया लेकीन पँछी ने दूर से ही लकड़ी से सांप को फिर फेक दिया और वहाँ से भाग गयी थोड़ा दूर जाने पर उसे अहसास हुआ कि जंगल में खो गयी है उसे वापिस जाने का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था वो वहाँ बहुत डर जाती है उसे समझ नही आता है कि क्या करे। चारों तरफ लंबे लंबे पेड़ देख देख कर घबरा जाती हैं और जोर जोर से ऋषि ऋषि बोलकर चिल्लाने लगती है। इसी बीच उसके हाथ से खरगोश छूट जाता है। और नीचे गिर जाता है और वो वहाँ से जाने लगता है उसी समय पँछी की नज़र खरगोश पर जाती है। पंछी देखती है कि जमीन में हल्के हल्के उसके पैरो के निशान बने हुए हैं उन चिन्हों को देख उसका डर थोड़ा कम होता है और वो उन निशानों के साथ साथ चलने लगती है लेकिन रास्ते में वो निशान भी अब दिखना बंद हो गए थे तो उसे समझ नही आ रहा था कि अब कहा जाए इसलिए वो वही रुक जाती है उधर ऋषि भी बहुत डर गया था क्योंकि पँछी कही नज़र नही आ रही थी ।और वो पँछी पँछी चिल्लाता हुआ चला जा रहा था। थोड़ी देर बाद पँछी को ऋषि की आवाज़ आती है पंछी ऋषि की आवाज़ सुन रिलैक्स फील करती है और वो भी ऋषि ऋषी बोलते हुए उस आवाज़ की दिशा में जाती है ऋषि पँछी की आवाज़ सुन लेता है इसलिए वो भी उसी दिशा में जाता है थोड़ी देर में दोनों आमने सामने थे। पंछी को देख ऋषि की आंखों में आंसू आ जाते है। और उससे कुछ बोल ही नही जा रहा था। एक पल के लिए वो पंछी को खोने से डर गया था और पंछी को देख उसके जान में जान आयी थी इतने में पँछी उसके पास आती है उसके पास आते ही ऋषी उसे गले लगा लेता है और रोते हुए बोलता है- तुम पागल हो क्या, ऐसे कोई करता है क्या ? तुम्हें अपनी फिक्र नही है तो दुसरो के बारे में तो सोच लिया करो कि उसे कैसे लगेगा। फिर उससे दूर होकर कहता है - तुम्हें क्यों फिक्र होगी तुम्हें तो अपनी मनमानी करनी है ना, तुम्हारे लिए तो सब भाड़ में जाये, तुम्हें क्यों फिक्र होगी, तुम्हे पता है जब तुम जंगल के अंदर आ गयी थी तब मुझे कैसा लगा था मैं बहुत डर गया था मैं डर गया था कि कही मैं तुम्हें खो ना दु। और जब तुम नही मिली थी तब मेरी क्या हालत हो गयी थी तुझे पता है....... तुम्हें कैसे पता होगा अगर पता होता तो ऐसी हरकत करती ही नही। इतना बोल कर उसने फिर से पँछी को गले लगा कर रोते हुए बोला - प्लीज् पंछी, दुबारा ऐसी हरकत मत करना, मैं तुम्हारे बिना नही रह पाऊंगा मैं तुम्हें खोने के बारे में सोच भी नही सकता , प्लीज् पंछी प्लीज् दुबारा कही मत जाना....। पंछी चुप चाप ऋषि को सुन रही थी उसे पता चल गया था कि ऋषि उसी से प्यार करता है उसने कभी सपने में भी नही सोचा था कि ऋषि उससे इतना प्यार करता है कि थोड़ा सा दूर होने पर इतना घबरा जाएगा। उस समय ऋषि का उसके लिए प्यार को देखकर पंछी भी उससे प्यार करने लग गयी थी। थोड़ी देर बाद ऋषि पंछी से दूर होता है और अपने आंसू को पोछते हुए बोलता है- पंछी.... जंगल में खतरा है बाहर चलते हैं।
पंछी अभी भी उसे बस देखे जा रही थी और हां मैं गर्दन हिला देती है और उसके पीछे पीछे जाने लगती हैं तभी ऋषि थोडा सा पीछे आकर उसका हाथ पकड़ लेता है और उसके साथ साथ चलने लगता है और पंछी उसे देखे जा रही थी। थोड़ी देर बाद दोनों जंगल से बाहर निकलते हैं। और अपने कैम्प पर पहुँच जाते हैं सामने ही हर्ष आग के पास बैठा हुआ था और कुछ सोच रहा था तभी सामने से ऋषि और पंछी को जंगल से आता देख घबराते हुए अपनी जगह से खड़ा हो जाता है और वो देखता है कि ऋषि और पंछी ने हाथ थाम रखे हैं और पँछी ऋषि को देख रही थी तब हर्ष को पंछी चेहरे में ऋषि के लिए फीलिंग्स दिखाई देती है उसे अहसास होता है कि पंछी भी उससे प्यार करने लगी है। पंछी को देख उसकी आंखे भर आती है उस समय हर्ष को अंदर ही अंदर बहुत तकलीफ भी हो रही थी जो उसकी आंखों में दिख रही थी लेकिन अपने आप पर कंट्रोल करते हुए अपना चेहरा घुमा कर अपने आँसू पोंछ लेता है और ऋषि और पंछी के पास आकर कहता है - ऋषि, क्या हुआ था तुम दोनों जंगल से कैसे आ रहे हो? क्या हुआ है ??
हर्ष की बात पर ऋषि कहता है - हर्ष, मैं बाद में बताता हूँ अभी चलते हैं ऋषि पंछी को उसके टेंट में पहुचा कर बाहर ही बैठ जाता है और हर्ष भी उसके साथ होता है हर्ष पूछता है - सब ठीक है ना, क्या हुआ था ??
ऋषि कहता है - तुझे पता है आज मैं बहुत ज्यादा डर गया था पंछी एक खरगोश को बचाने के लिए जंगल में चली गयी थी। मुझे उस समय ऐसा लगा था कि मैने पंछी को खो दिया है उसे खोने का डर बहुत ज्यादा था मैं उससे अपने से दूर होने की कल्पना भी नहीं कर सकता।
हर्ष उसकी बातों को सुन कर समझाते हुए कहता है - ऋषि , अब शांत हो जाओ , पँछी ठीक है और अभी तुमने ही तो उसे टेंट में पहुचाया है तो अब ज्यादा मत सोचो और सो जाओ। सब ठीक है।
हर्ष की बात सुन ऋषि अच्छा फील करता है लेकिन वो कहता है कि नही, मैं आज बाहर ही रहूंगा । हर्ष भी कुछ नहीं बोलता है तभी ऋषि दुबारा कहता है कि तुम जाकर सो जाओ मैं ठीक हु। ऋषि थोड़ी देर अकेला रहना चाहता था तो हर्ष भी कुछ नही बोलता है और जाकर सो जाता है।

उधर पँछी को नींद नही आ रही थी वो जंगल की घटना के बारे में सोच सोच कर ऋषि की बाते याद आ रही थी और ऋषी में ही खोयी हुए थी

वहीं हर्ष पंछी के बारे में सोच रहा था औऱ हमेशा की तरह खुद को मनाने की कोशिश करते हुए सोच रहा था कि- " हर्ष , तुझे पहले दिन से पता है कि पंछी ऋषि का प्यार है फिर भी तू पंछी के बारे में ही सोच रहा है उसे ऋषि के साथ देख दुखी हो रहा है उसे खोने से डर रहा है तुझे पता था कि पंछी बाद में ऋषि की ही होने वाली है तो तुझे उन दोनो को जंगल से आते देख इतनी तकलीफ क्यों हुई है तुझे तो तकलीफ होनी ही नही चाहिये थी जान बूझ कर कोई ऐसी हरकत मत करना जिससे बाद में खुद को ही तकलीफ हो और इस तकलीफ का कारण भी तू खुद होगा हर्ष । "ऐसा सोचते हुए वो रोने लगता है और फिर दुबारा उसके अंदर से आवाज़ आती है कि "हर्ष, तू कुछ भी कर ले पर पँछी को नही भूल पायेगा तू उससे प्यार करने लगा है और इस प्यार को कभी खत्म नहीं कर पायेगा । दुबारा ऐसा सोचने से उसकी आँखों से फिर से आँसू आने लगते हैं जो उसे अंदर से बिल्कुल तोड़ चुके थे।और उसके आंसू रुक ही नही रहे थे। इसी बीच वो सोने की नाक़ाम कोशिश कर रहा था।

और उधर ऋषि चुप चाप बाहर बैठा हुआ था उसकी आँखों से भी नींद कोशों दूर थी ऋषि थोड़ी थोड़ी देर में पंछी के टेंट की तरफ देख रहा था जैसे चेक कर रहा हो कि पंछी ठीक है या नही।