Chapter-4.1: दोस्ती
माधव को फ़िल्म में गाने का मौका मिला ये सुनकर अरुण और माधव की माँ निर्मला जी दोनों ही बहुत खुश हुए। अरुण माधव की माँ को लेकर बॉम्बे पहुंच गया। निर्मला जी के आँखों में ख़ुशी के आंसू थे और अरुण के चेहरे पे ख़ुशी की रौनक। किसी भी बेटे के लिए ये गर्व की बात होती है, जब उसकी माँ उसके जीते जी अपने संतान की सफलता देख सके, और अभी तो माधव के लिए ये सफलता के सफ़र की सिर्फ शुरुआत थी अभी उसे और लंबी संघर्ष करनी थी।
“माँ मुझे एक बार अच्छा गायक बन जाने दे, फिर तुझे भी फरीदाबाद से यहां पर बुला लूंगा। आखिर मुझे भी तो तेरी सेवा करनी है, पता नहीं वहां अकेले कैसे मैनेज करती होगी।” माधव ने अपनी माँ से कहा।
निर्मला जी ने कहा, “तू मेरी चिंता मत कर बेटा, तू बस अपने गाने पे ध्यान दे। धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा।”
“सब कुछ ठीक ही तो करना है माँ, सब के कर्ज़ जो चुकाने है।”
“सब ठीक हो जाएगा तू ज़्यादा चिंता मत कर बस अपने काम पर ध्यान देना, और मेरी फिक्र तो बिलकुल ही मत करना, और अरुण है ना मेरा दूसरा बेटा उसके रहते तू क्यों चिंता करेगा?”
“सही है। देख रहा है ना अरुण? माँ अब तुझे अपनी ज़िम्मेदारी दे रही है, निभा पायेगा ये ज़िम्मेदारी?”
“ये भी कोई कहने की बात है, तेरी माँ क्या मेरी माँ नहीं है क्या?” अरुण ने कहा और तीनों हँसने लगे।
कुदरत को शायद ये ख़ुशी बर्दाश्त नहीं हुई, 15 दिन बाद ही अरुण का फोन आया कि अब निर्मला जी इस दुनिया में नहीं रही, उनको बहुत ही भयानक दिल का दौरा आया और अरुण एम्बुलेंस को बुला सके उससे पहले ही 10 मिनिट में ही उनका निधन हो गया।
माधव एकदम से टूट गया, उसके पिता जी तो कम उम्र में ही दुनिया छोड़ कर चले गए थे, अब माधव के सर से माँ का साया भी हट गया। अरुण के अलावा अब उसका और कोई नहीं बचा था। अरुण ने उसे समझाया कि वो डरे नहीं वो उसका साथ हंमेशा निभाएगा। फ़िलहाल माधव को जरूरत थी अपने गाने पर ध्यान लगाने की, पर इस घटना के बाद वो ये नहीं कर पा रहा था। अरुण भी इस स्थिति में माधव की मदद कैसे कर सकेगा यहीं सोच रहा था।
माधव को इन दिनों में 2 फिल्मों में गाने का मौका मिला था, और ऐसा सुनहरा अवसर उसके हाथ से निकल जाए ऐसा अरुण नहीं चाहता था और ना ही माधव ऐसा चाहता था।
एक दिन अचानक से माधव को कीर्ति की याद आई और उसके बोले हुए शब्द भी याद आए। माधव ने सोचा, मैं किसी भी हालत में उस लड़की को जीतने नहीं दे सकता। अगर मैं अपने आप से हार गया तो उस लड़की से नहीं जीत पाऊंगा और ऐसा मैं हरगिज नहीं होने दे सकता। मुझे गाने पे पूरा फोकस करना होगा।
बस फिर क्या था माधव लग गया अपनी मेहनत में और उसने अपने गाने को बखूबी गाया। सभी लोग उसके गाने से बहुत प्रभावित हुए। एक सदस्य ने तो उसको भविष्य का रॉकस्टार बता दिया। अरुण भी अचरज में पड़ गया था कि अचानक से ऐसा चमत्कार कैसे हो गया। माधव ने जब उसे कीर्ति के बारे में बताया तब अरुण को बात समझ में आई।
Chapter 4.2 will be continued soon…
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✍️ Anil Patel (Bunny)