Niyati - 4 in Hindi Fiction Stories by PRATIK PATHAK books and stories PDF | नियति ...can’t change by anybody - 4

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नियति ...can’t change by anybody - 4

मालिनी देखो, समझने की कोशिश करो मैं तुम्हें प्यार करने लगा हूं, तुम्हें देख कर मैं बहक गया था मुझे माफ कर दो और मेरी प्रयोगशाला है मैं टाइम आने पर तुम्हें दिखाऊंगा अमित ने कहा
मुझे अभी देखना है वरना मैं आप पर केस कर दूंगी मालिनी बहुत गुस्से में बोली
अभी देखना है –अमित
हां अभी ही देखना है ॥
तो चलो गाड़ी में बैठो अमित ने कहा दोनों फ्लेट से बाहर निकलकर गाड़ी में बैठे,अमितने गाड़ी स्टार्ट की ओर अहेमदाबाद शहर से दूर जाने लगे, अहेमदाबादमे 10 किलोमीटर दूर सुमशान सड़क पर गाड़ी चल रही थी, आसपास कोई इंसान या कोई मकान नहीं रात के अंधेरे में मालिनी का डर दुगना हो गया था। हाईवे से उतरकर अमित ने एक कच्ची सड़ककी ओर गाड़ी मुड़ी सड़क के आसपास सिर्फ पेड़ अंधरे के अलावा कुछ नहीं। थोड़ी देर बाद अचानक अमित ने गाड़ी रोकी और मालिनी का हाथ पकड़ा और कहा,“देखो मालिनी मैं यहां पर तुम्हारे साथ सब कुछ कर सकता हूं पर मैं तुम्हें प्यार करता हूं,” मालिनीकी साँसे तेज हो गई थी और अमित ने उसे गाड़ी से उतरने को कहा और सामने पैदल चलकर जाना था मालिनीने आसपास नज़र डालकर देखा तो गाड़ी एक बड़ी हवेली थी उसके आगे के भाग में आ गई थी उसको पता ही नहीं चला कि कब दरवाजे के अंदर वह लोग आ गए। हवेली बहुत पुरानी थी अंदर कोई रहता नहीं था। अमितने लाइट चालू की तो मालिनी की आंखें खुली की खुली रह गई।
एक विशाल हॉल पूरा एंटीक चीजों से भरा हुआ था बीच में बहुत कीमती और आलीशान सोफा और मेज पड़े हुए थे चारों और पेंटिंग और तलवार और रायफले दीवालों पे टंगी हुई थी। हॉल के बीचो बीच एक बड़ी सीडी थी। दोनों वह सीडी पर चढ़ते हुए आगे बढ़े दाई और एक कमरा उसके दरवाजे पर लिखा था प्रवेश निषेध है जिस पर ताला लगा हुआ था और वह ताला अमित ने खोला और दोनों वो कमरे में गए। एक बहुत बड़ा कमरा कमरे में बाई तरफ दो कंप्यूटर थे जो कोई मशीन के साथ जुड़े हुए थे। हर जगह कोईना कोई आविष्कार रखा हुआ था पूरे कमरे में एक ऐसी जगह नहीं थी कि वहां कोई चीज ना पड़ी हो। “आप जीनियस हो सर कहके मालिनी ने अमित को गले लगाया और कहा। अमित ने भी मौके का फायदा उठाते हुए उसको जोर से जकड़ लिया और उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगा मालिनीभी अब मदहोश होने लगी थी। पर अचानक अमितके मोबाइल में बजे एक शायरन ने दोनों का ध्यान भंग किया और दोनों अलग हुए अमित ने मोबाइल में कुछ किया।
सर यह जगह कौन सी है और हम कहां पर हैं यहाँ मोबाइल में भी नेटवर्क नहीं आ रहा है? मालिनी ने आश्चर्य से पूछा। यह मेरी हवेली है यहां का रास्ता किसी को नहीं पता अमित ने जवाब दिया मालिनी के चेहरे का भाव थोड़ा बदला हुआ था मानो कुछ छुपाती हो ऐसा लग रहा था। अब यकीन आ गया मुझ पर या अभी भी मुझे गलत समझ रही हो? यह सब मेरी ही खोज है अमितने कहा।
सॉरी सर मैंने आपको गलत समझा पर अब आगे क्या काम करना है? मालिनीने पूछा
आगे तो अब बस पैसों की वजह से काम रुका हुआ है अगर पैसे आ जाए तो सब कुछ हो सकता है,अमित बोला सर मैं ऐसे एक आदमी को जानती हूं जो पैसों की मदद कर सकता है मालिनी ने कहा
कौन है वह अमित ने आश्चर्य से पूछा
माइकल नाम है उसका ,माइकल, मालीनि ने कहा
दूसरा दिन कॉलेज में.......
अमित ने मालिनी को “कहा कब रख सकती हो मेरी ओर माइकल की मीटिंग?”
माइकल ऐसे किसी को नहीं मिलता है उसका संपर्क करना थोड़ा मुश्किल है। कुछ लोगों के सिवा उसको किसी ने देखा ही नहीं कभी अपनी जगह अपने ड्राइवर तो कभी किसी आदमी को भेजता है। पर मैं कोशिश करूंगी उसको मिलने की पर सर कल रात को वह जगह कहां पर थी और हम वापस कब आए मालिनी ने आश्चर्य से पूछा
वह जगह मेरी प्राइवेट प्रॉपर्टी है वहां जाने का रास्ता किसी को नहीं मालूम हो और कल रात तुम अचानक से गिरकर बेहोश हो गई थी और मैं तुम्हें तुम्हारे घर पर उसी हालत में लाया था। अमितने बताया
हां पता नहीं क्यों अभी भी सर भारी लग रहा है। सर मैं दो दिन के बाद कॉलेज आऊँगी तब तक माइकल का संपर्क कर लूंगी कहके मालिनी अमितकी केबिन से बाहर निकल गई। और पीछे अमितने एक अजीब सी मुस्कुराहट दी।
बाहर निकलते ही मालिनी ने किसी को कॉल लगाया और बोली तुम्हारी बारी आ गई है वह तुम्हें मिलना चाहता है, “अभी मैं दुबईमें हूं चार दिनोके बाद आऊंगा तब मिलेंगे” सामने से आवाज आई
ओके अपना ख्याल रखना माइकल लव यू !! मालिनी बोली
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क्या अमित नायक हो रहे है कोई साज़ीस के शिकार ? कौन है माइकल और क्या है उसका संबंध मालिनी के साथ ,जान ने के लिए जुड़े रहिये "नियति " के साथ।