Sahab and Nishu - 4 in Hindi Anything by PARIKH MAULIK books and stories PDF | साहब और नीशू - 4

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साहब और नीशू - 4







पूरी रात अपने कमरे में पडी रही, अगले दिन सुबह जब निशा उठी तो उसने कमरे में खुद को अकेला पाया, तभी वहा उसके बड़े पापा आ पहुचें उन्होंने निशा को डराते हुए कहा कि अगर तुमने हमारे बारेमे किसीको भी बताया तो अच्छा नहीं होगा, डरी हुई निशा तकिये में मुह छुपाए रोने लगी, तभी उसकी पाठशाला की सहेली उसके कमरे में आई, उसे पाठशाला लेजा ने के लिए, पर वहा उसे रोता हुआ देखकर पूछा क्या हुआ निशा? रो क्यों रही है? पहले पहल उसने कुछ नहीं कहा पर सहेली के जोर देने पर उसने कहा कि मेरे बड़े पापा मुजे धमकी दे कर गए हैं। कि किसी को कुछ कहा तो मे तुम्हें मार दूँगा। तभी वहा सुभाष आ पहुंचा उसने सब सुन लिया था, इस ओर निशा उसे देखकर चिंतन करने लगी, दिमाग में धुंधली दिख रही यादे फिर से याद आने लगी, केसे उसके बड़े पापा अपने बेटे सुभाष के साथ बुरा बर्ताव कर रहे थे। केसे सुभाष को मार कर निशा को डरा रहे थे। उसके साथ दुष्कर्म किया गया, वहा सुनने वाला कोई नहीं था। हर एक पल उसे नजर आने लगा, वह चिल्ला कर बोली चले जाओ यहा से, तभी सरोजिनी कमरे में आ गई और बोली निशा मुजे पता नहीं है कि तुम एसे बर्ताव क्यू कर रही हो पर एक बात समज ले, वह तेरे बड़े पापा का बेटा और तेरा भाई है। और वह चली गई, कमरे में मानो एक दम शांति छा गई हो, या फिर कहें कि बस निशा की सिसकियों की ही आवाज सुनाई देती है, और उसकी सहेली पाठशाला चली गई।

निशा उठ कर कमरे से बाहर निकल कर किचन की ओर बढ़ रही थी, तभी उसे उसके मम्मी सरोजिनी और पापा जमीनदार के साथ की तस्वीर दिखाई देती है। उसे देखते ही उसे याद आता है, कि केसे उसकी मर्जी के खिलाफ उससे अधिक बड़े इंसान, मास्टरजी के साथ शादी तय कर दी गई थी। एक छोटी सी ग़लत फेमि की वज़ह से उसे मास्टरजी के साथ शादी के बंधन में बांध दिया गया था। तभी उसे अपनी मम्मी सरोजिनी और पापा जमीनदार से भी नफरत होने लगती है। उसी ख़यालों मे नजाने कब शाम हो गई पता नहीं चल पाया। शाम के खाने के बाद वह अपने कमरे में जा कर खुद को बंद कर दिया, पूरी रात वहीं सब याद करते हुए सो गई।

दूसरे दिन उसकी सहेली वापस उसे पाठशाला ले जाने के लिए आ गई, रास्ते में उसकी सहेली पूछती हैं, कि तुम्हें उस दिन चक्कर आने की वज़ह से गिर गई थी, तो तुम्हें चिकित्सालय ले जाने के बाद मास्टरजी पाठशाला चले गए थे। तुम वहा साहब साहब पुकार रही थी, वह किसे पुकार रही थी? तभी अचानक निशा सोच मे डूब जाती है।

पाठशाला जाने के बाद मास्टरजी को देखा तो उसे सब याद आ जाता है, उसने तभी तो कुछ कहा नहीं पर उसे उस दिन की याद आने पर खुद को शर्म महसूस करने लगी। कि केसे उसने उनको चिकित्सालय के कमरे से बहार निकाला था,और खुद को कोस रही थी। उसी पल उसे वो सब याद आता है।