Resume Vaali Shaadi - 7 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | रेज़्यूमे वाली शादी - भाग 7

The Author
Featured Books
  • నిరుపమ - 10

    నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది...

  • మనసిచ్చి చూడు - 9

                         మనసిచ్చి చూడు - 09 సమీరా ఉలిక్కిపడి చూస...

  • అరె ఏమైందీ? - 23

    అరె ఏమైందీ? హాట్ హాట్ రొమాంటిక్ థ్రిల్లర్ కొట్ర శివ రామ కృష్...

  • నిరుపమ - 9

    నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది...

  • మనసిచ్చి చూడు - 8

                     మనసిచ్చి చూడు - 08మీరు టెన్షన్ పడాల్సిన అవస...

Categories
Share

रेज़्यूमे वाली शादी - भाग 7

"अब मैं चलती हूँ, आज के लिए काफी हो गया", यह कहकर अवनी वहाँ से उठकर चली गई और निलय उस टेबल पर बैठकर बिना कुछ कहे, बस उसके कॉफी के खाली गिलास की और देख रहा था।

"निलय डूड, पुराना हिंदी गाना नहीं चल रहा कि तू उसके खाली कप को सजा कर रखेगा", अभय उससे टोकते हुए बोला।

"अबे यार तूने मुझे कुछ कहने का मौका तो दिया होता", निलय एकदम से ज़ोर से बोला।

"तुझे नहीं लगता तूने बताने के लिए पहले ही काफी टाइम ले लिया, उसके पीछे पिछले 4 महीने से हैं तू, कई कॉमन फ्रेंड्स की मदद से नौकरी बदलने को भी पूछ चुका है, ये विकास से तो तूने लिंक्डइन पर मैसेज भी करवाया था, वो तो शुक्र है उसे याद नहीं रहा और उस दिन जब तू उससे फाइनली मिला, तो तू टाइम वेस्ट करने लग गया, तेरे पास उसके साथ मूवी जाने का भी टाइम था पर ये बताने का नहीं, कल तो एक अच्छा बहाना भी दिया मैंने तुझे और फिर भी तू खाली हाथ लौट आया, समझ क्यों नहीं रहा है काम बहुत बचा है अभी, हमें कम से कम एक और जाना चाहिए और तेरे जिद्द थी कि तुझे करना भी काम अवनी के साथ ही है बस,"

"अभय.. अभय.. मैं सब समझ रहा हुँ, पर इस तरह बात करके भी कोई फायदा नहीं हुआ ना, अब तो वो वैसे भी मेरी कोई बात नहीं मानेगी।"

फिर कुछ सोच कर, एक मिनट बाद निलय बोला, "छोड़ो सब मैं घर जा रहा हूँ, कुछ काम निपटाने की कोशिश करता हूं, वैसे भी काम बहुत बचा है, बाद में बात करते हैं, मैं अवनी से भी बात करने की कोशिश करूंगा और जो भी होगा तुम्हें बताता हूँ, तो ठीक है चलो बॉय"।

विकास और अभय को यह बोलकर निलय वहाँ से निकल गया हैं,और अवनी को कॉल करने लग गया, "प्लीज पिक अप दी फ़ोन अवनी, अटलीस्ट सॉरी तो कहने देती",

कई बार फोन मिलाने पर भी उसने फ़ोन नहीं उठाया तो निलय खुद से कुछ ऐसे बोला की उसकी ये बात पूरी मेट्रो को सुन गयी ।

मंडे की सुबह वैसे तो अच्छे अच्छो के लिए अनमनी होती है, पर निलय के लिए तो ये मंडे जैसे सालो तपस्या करके मिला कोई फल जैसे था, जो अवनी उसका कल से फ़ोन नहीं उठा रही थी, आज उसे उससे मिलने का एक मौका मिल सकता हैं।

"हेलो रमेश, आज मैं वर्क फ्रॉम कैफ़े करलूँ क्या?", निलय अपने मैनेजर को फोन करके पूछता है।

"हह.. क्या करना है?"

"कुछ नहीं, थोड़ी देर में आता हूं मैं ऑफिस", ये कहते हुए निलय ने फ़ोन रख दिया और जाकर बैठ गया उस कैफ़े में जिसके बारे में अवनी ने बताया था की उसके एक टीममेट को ये कैफ़े इतना पसंद है की वो दिन में एक बार तो इधर आ ही जाते है कभी लंच के लिए तो कभी स्नैक्स के लिए, इसलिए निलय को पूरा यकीन था कि अवनी उसे वहाँ ज़रूर मिलेगी पर निलय की सोच से बिल्कुल अलग, उसका मंडे और ट्यूसडे वही इंतज़ार करते हुए ही बीत गया।

बुधवार की शाम को वहाँ इंतज़ार करता हुआ निलय जब क्लाइंट कॉल में फस गया, और उठ के निकलने की तैयारी ही कर रहा था की अचानक से आवाज़ आई।

"निलय, वुड यू माइंड, इफ आई टेक दिस?"

"अवनी!!", निलय तुरंत से उस ओर देख कर खड़ा होता हुआ बोला, जिसके साथ ही उसके लैपटॉप से अचानक आवाज़ आई,

"निलय, आर यू देर, अवनी व्हाट?"

निलय एक टक अवनी को देखे ही जा रहा था, शायद भांपने की कोशिश कर रहा था कि अवनी कितने गुस्से में है।

"निलय..", बहुत धीमी सी आवाज़ में, अवनी लैपटॉप की तरफ इशारा कर उसे कॉल की याद दिलाती है।

"हेलो सर, आई एम सॉरी, आई एम फीलिंग बिट डिजी, विल जॉइन अगेन इन 10 मिनट्स", निलय ने जल्दी से मामला संभालते हुए कहा, और फ़ोन कट कर दिया है।

"अच्छा हुआ तुम आ गयी, मैं बहुत देर से तुम्हारा इंतजार कर रहा था", निलय अवनी की तरफ़ मुड़ते हुए बोला।

"अच्छा कब से?", अवनी ने पूछा।

"मंडे से.. तुमने कहा था ना कि तुम यहाँ दिन में एक बार आ ही जाती हो।"

"हाँ, वो हुआ कुछ ऐसे.. लेकिन तुम ये छोड़ो, तुम्हें पता है ना कि तुम्हारे और मेरे पास फ़ोन है, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता था।"

"हाँ, पर तुम मेरे फ़ोन उठा कहाँ रही थी।"

"तो मैसेज कर देते, इतनी भी बुरी नहीं हूँ मैं।"

"अवनी तुम एक बार मेरे साथ काम करने के बारे में सोच कर देखो ना",निलय बिना ज्यादा इंतज़ार करें मुद्दे पे आया।

"ओह अच्छा तुम इसलिए इंतजार कर रहे थे", अवनी थोड़े तीखे से स्वर में बोली।

"नहीं, वो बात नहीं है, बात ये है कि अम सॉरी की चीजे है इस तरह तुम्हारे सामने आई पर यकीन मानो मैं दोनों बातों को अलग अलग ही लेकर चल रहा था।"

"अवनी ये वाली सीट है ना?", अवनी की टीममेट ने पूछा।

"हाँ", इतना बोलकर अवनी निलय को बाहर ले गयी।

"एक बात, तुम्हारे इस बड़े से मौके में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है और दूसरी बात मैं चाहती हूँ, कि हम एक दूसरे को जानना बंद करदे, तुमने कहा था ना, कि जिस दिन ना कहूँगी, उस दिन मान जाओगे तो आज मेरी ना है।"

"ठीक है", निलय अवनी की बात का बस इतना सा ही जवाब दे पाता है।

"पर अवनी मुझे काम में तुम्हारी बहुत जरूरत है इस टाइम क्या तुम बस कुछ दिनों के लिए मेरे साथ काम कर सकती हो, मैं ढूंढ रहा हूँ की कोई ढ़ंग का इंसान मिल जाए, बस तब तक के लिए मेरी मदद कर दो तुमसे और कुछ नहीं माँगूँगा, निलय की यह बातें सुनकर और शायद उसका थका हुआ चेहरा देखकर अवनी फिर से सोच कर कुछ कहती है।

"ठीक हैं, पर मेरी भी एक शर्त होगी।"

"क्या?", निलय ने पूछा।

"इस सैटरडे को मिलते है और फिर बात करते है।" अवनी ने बात को अभी के लिए टालते हुए बोला।

"ठीक है फिर मिलते हैं", निलय ये बोलकर वहाँ से अपने ऑफिस की और जाता है।

और अवनी, उसका निलय के लिए गुस्सा अब शांत हो गया था, पर आज निलय से बात के बाद वो थोड़ी उदास हो गयी थी, शायद उसे इस सॉरी से ज्यादा कुछ की उम्मीद थी निलय से।