Sahab and Nishu - 2 in Hindi Anything by PARIKH MAULIK books and stories PDF | साहब और नीशू - 2

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साहब और नीशू - 2






वहा सारे गाव मे ये अफवाह फैल चुकी थी कि जमीनदार की बेटी को मास्टरजी घर ले गए थे। तभी जमीनदार मास्टरजी के घर जाते हैं, वहा मास्टरजी के घर का डोर बेल बजता है। कि तुरंत मास्टरजी घरसे बाहर आते हैं। तो वो जमीनदार को खड़ा पाते हैं। एकदम डरी हुई आवाज मे कहते हैं! कि अब क्या हुआ, तब जमीनदार उसे बताते हैं। तुमने मेरी बेटी को अपने घर में बुलाकर मेरी आबरू को उछाला है। तो मेरी बेटी की शादी मे तुमसे करूंगा। और यह सुन कर मास्टरजी अचंभित हो गए। और कहा कि ये केसे हो सकता है? वह छोटी हे बहोत, तभी जमीनदार कहते हैं कि आज नहीं तो कल निशा की शादी तुम से ही होगी बस। ये बात सुन कर मास्टरजी के पैरों तले जमीन ही ना हों! जेसे एकदम से सुन्न हो गए थे।

तीन साल बाद


बहोत ही मिन्नतें करने के बाद भी बल पूर्वक मास्टरजी की शादी निशा से हो जाती है। जबकि मास्टरजी बहोत नेक इंसान थे, तो वह निशा को अपनी बेटी की तरह उसे पालने लगे। उसे सुबह खाना बनाकर खिलाने से लेकर, शाम को लोरी गा कर सुलाने तक, सब कुछ करने लगे। तभी कुछ महीनों के बाद निशा का बर्ताव मास्टरजी के प्रति बदल रहा था। आखिर वह थी तो मास्टरजी की पत्नी, और बीस साल की नौजवान थी। तो वह मास्टरजी को प्रभावित करती थी। पर मास्टरजी को पता था, कि उसकी दिमागी हालत पाँच साल के बच्चे की तरह है। जब कि शुरू शुरू में निशा के पीरियड के बारेमे पता ना होने पर कपड़े खराब किया करती थी। और धीरे धीरे मास्टरजी को ये सब आदत होती चली गई। उसका पूरा खयाल रखते रखते कब चार साल गुजर गए! पता ही नहीं चल पाया, एक दिन कुछ एसा हुआ जिसकी कोई उम्मीद ही नहीं थी। मानो जेसे खुद ईश्वर ने मदद के लिए फ़रिश्ता भेज दिया हो। अचानक ही निशा की तबीयत खराब हो गई। उसे तुरंत चिकित्सालय मे ले जाया गया, वहा चिकित्सकने सभी जाच पड़ताल के बाद कहा कि इनकी दिमागी हालत ठीक हो रही है

तभी मास्टरजी के तो मानों खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। उसे होश आते ही मास्टरजी कमरे में गए, वहा जो हुआ वह देख कर मास्टरजी की आंखे फटी की फटी ही रह गई। अंदर जाते ही निशा ने पूछा कि कोन हो आप? और मेरे कमरे में क्या कर रहे हों? तब मानो मास्टरजी एक दम से सदमे में चले गए हो। और वहा से बाहर निकल आए, इस ओर निशा की उम्र के हिसाब से उसकी दिमागी हालत ठीक हो गई थी, पर उसके साथ उसकी याद दास भी चली गई थी। जो मास्टरजी को पहचान ने से इंकार कर रही थी, निशा चिकित्सक से कहती है कि मेरे मम्मी और पापा को बुलाए तब चिकित्सक साहब निशा की ये बात सुन कर मास्टरजी के पास आते हैं, और बताता है कि निशा अब ठीक है। और वो अपने मम्मी पापा से मिलना चाहती है। मास्टरजी तुरंत जमीनदार को खबर पहुँचाते है