(लड़कियों से) (मीटू पुरुष)
ब्रजमोहन शर्मा
(1)
( एक खूबसूरत शर्मीले अध्यापक को उसके स्टाफ व छात्राओं द्वारा परेशान किए जाने की मनोरंजक दास्तान )
१ उसके अनुसार सारे दुखों की जड़ विवाह ही है ।
वह सोचता था - पहले गा बजाकर शादि करो फिर कोल्हू के बैल के समान बीबी बच्चों को पालने के लिए जिंदगी भर तिल तिल मरते रहो । अंत में बुढ़ापे मे तुम जिंदगी भर जिनके लिऐ पिसते रहो, वे ही बीबी बच्चे तुम्हारा रोज रोज अपमान करें । उधर बुढ़ापे में गंभीर बीमारियां इन्सान का हर पल महात्रासदायक बना देती हैं ।ं
२ “थोड़ी देर में बारात के मार्ग में एक बड़ा गढ्ढा आया ।
घोड़ी उसे पार करने में हिचकती दिखाई दी । कुमार ने उसकी पीठ पर जोर से मारा । इस पर उसने छलांग लगा दी । किन्तु तभी घोड़ी व दूल्हा दोनों औंधे मुंह जमीन पर गिर पड़े । वह जोर जोर से रेंकने लगी । सब यह देखकर सन्न रह गए कि जिसे सब घोड़ी समझ रहे थे वह घोड़ी नहीं वरन एक गधी थी ।
आसपास के युवक व बच्चे जोर जोर से हंसने लगे । “
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भूमिका :
यह कहानी ऐक खुबसूरत किन्तु भयभीत शर्मीले अध्यापक को उसकी छात्राओं द्वारा तंग किए जाने की मनोरंजक
दास्तान है I बेचारा अध्यापक अपनी बदनामी के डर से हर स्त्री को मुसीबत समझ कर उससे बचने का प्रयास करता है I
वह विवाह को सारे दुखों की जड़ मानता है किन्तु धोखे से उसका जबरन विवाह कर दिया जाता है I
भारत के ठेट गावों में ग्रामीण प्रष्ठभूमि में एक बेहद मनोरंजक बारात का जीवंत द्रश्य व अन्य अनेक मनोरंजक वृत्तान्त
आगे क्या होता है स्वयं पढ़िए .....
लेखक : ब्रजमोहन शर्मा, ७९१, सुदामानगर, इंदौर (म.प्र.) ४५२००९
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कठोर अध्ययन
कुमार बहुत कठोर स्टडी करने वाला लडका था ।
वह स्वयं को एक कमरे में बंद कर लेता व किसी से बाहर से सांकल लगवा लेता, ताकि वह बाहर नहीं जा सके I
उस कमरे मे उसे रात भर मघ्छर काटते ताकि वह रात भर सो नहीं सकता था ।
वह अत्यंत गठीला सुंदर युवक था । उसके सामने एक बड़ी सुंदर लड़की कमला रहती थी ।
वह कुमार पर हमेंशा डोरे डालती रहती ।
वह चाहे जब नाश्ता लेकर कुमार के कमरे में प्रवेश कर जाती व मटकती हुई उससे बातें करती रहती ।
ऐक दिन कमला कुमार के दरवाजे के खुलने का इंतजार कर रही थी I कुमार अपने स्टडी रूम का दरवाजा प्रायः ब्ंद रखता था ।
उस सुबह जैसे ही दरवाजा खुला, कमला नाश्ते की प्लेट के साथ कमरे के अंदर प्रवेश कर गई ।
उसनं कहा, ‘‘ कुमार ! जल्दी से नाश्ता करलो । देखो मैं तुम्हारे लिऐ गरम गरम बढिया नाश्ता बना कर लाई हूं “।
कुमार ने उसकी ओर कुछ अनमने मन से देखा । उसकी प्रतिक्रिया कुछ ठंडी थी ।
कमला को वह अपनी पढाई में बाधक मानता था I
वह उससे बचकर रहता था
कुमार की इसी बेरूखी ने कमला को उसका दीवाना बना रखा था ।
कमला बड़े प्यार से बोली, ‘‘ कुमार दिन रात पढ़ाई करने से तुम्हारा दिमाग घूम जाऐगा । तुम पागल भी हो सकते हो । ’’
कुमार ने जल्दी जल्दी नाश्ता किया ।
उसने कमला को धन्यवाद दिया । कमला के लिऐ इतना ही काफी था ।
कमला से व अन्य किसी के भी कमरे में आने से बचने के लिए कुमार प्रायः अपने दरवाजे अन्दर से बंद रखता था I कुमार उसके जाने का इंतजार करता रहता वह जैसे ही बाहर निकलती कुमार अंदर से सांकल लगा लेता । वह साल उसके साइंस ग्रेजुएशन का फाइनल साल था । उसमे पास होना उसके जीवन मरण का प्रश्न था । यदि वह पास हो गया तो उसके परिवार को गरीबी से निजात मिल जाएगी अन्यथा उसके परिवार के सामने रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा । वह साइंस ग्रेजुएशन के फाइनल में था । कुछ माह बाद रिजल्ट खुला । कुमार फर्स्ट क्लास पास हुआ ।
समस्या
कुमार ने सरकारी टीचर की नौकरी के लिए एप्लाय किया ।
उन दिनों साइंस टीचर की बहुत डिमांड थी । उसे एक प्रतिष्ठित सरकारी गर्ल स्कूल में टीचर की नौकरी मिल गई । कुमार बउ़ा सुंदर नौजवान था । वह तन्मयता से पढ़ाने लगा ।
तभी ऐक भारी समस्या पैदा हो गई । स्कूल की लड़कियां व कुछ जवान मेडमें कुमार पर फिदा होकर उसे तरह तरह से अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करने लगी ।
कभी कभी कुछ लड़कियां उसके टेबल व स्कूटर पर गुप्त रूप से लव लेटर रखने लगी ।
एक दिन जब कुमार ने एक क्लास में प्रवेश किया तो उसके टेबल पर एक लव लेटर पड़ा था । कुमार उसे पढ़कर डर गया । वह गर्ल स्कूल था । वहां ऐक युवा टीचर कों बदनामी का बहुत डर था । पुरुष टीचर का कोई दोष न होने पर भी उसे शंका की नजर से देखा जाता था ।
ऐक दिन अपना पढ़ाने के लिए जब उसने ऐक क्लास मे प्रवेश किया तो उसने देखा कि उसकी टेबल पर ऐक लेटर पडा हुआ था । उसने जब उसे पढ़ा तो उसके होंश उड़ गऐ। उसमें लिखा था
“ सर! आप बहुत सुंदर हो । मै आप से बेइंतहा प्यार करती हूं । “
उसने क्रोध मे भरकर पूछा “ किस छात्रा ने यह लेटर लिखा है ?”
कुछ लड़कियां मुंह छिपाकर शरारत भरी हंसी हंस रही थी ।
बहुत देर तक पूछने पर भी किसी ने जबाब नहीं दिया ।
उसने चेतावनी देते हुए कहा
“ आगे से ऐसी हरकत करने पर मैं प्राचार्या से शिकायत करूंगा । “
कुछ दिनों तक शांति बनी रही ।
किन्तु कुछ लड़कियां स्कूल छूटने के बाद साइकिल पर हंसती हुई उसका पीछा करने लगी । कुमार एक बहुत शर्मिला युवक था । वह परेशान रहने लगा । उसकी सर्विस पर संकट के बादल मंडरा रहे थे ।
फिर एक दिन उसके स्कूटर पर एक लेटर पड़ा मिला । उसमे लिखा था
मेरे सपनों के राजकुमार,
मेरी रातें तुम्हारे सपने देखने में बीतती हैं । तुम्हारे बिना न मुझे दिन मे चैन है न रात में करार । मेरे दिल में हर क्षण तुम्हारी ही चाहत रहती है । कृपा करके ये बता दो आप कब मुझे अपने सीने से लगा रहे हो ?
आपकी याद में
एक्स वाय झेड
पूर्व में भी कुमार को ऐसे अनेकों लेटर मिल चुके थे । यद्यपि एक जवान युवक के बहकने व खुश होने के लिए यह शानदार अवसर होता किन्तु कुमार उच्च आदर्शयुक्त अध्यापक था । ऐसे कार्य में बहककर छात्राओं के प्रेम मे पड़ने से बड़ी बदनामी का डर रहता है । नौकरी जाने का भय रहता है I फिर वह लड़कियों का स्कूल, कोई उसका पक्ष न सुनकर सब उस पर ही संदेह करेंगे, बिना बात के बदनामी का डर I
अतः परेशान होकर कुमार ने ऐक दिन प्राचार्या को शिकायत करदी ।
प्राचार्य बड़ी चिंतित होगई । पहले तो उसने कुमार को लड़कियों से दूर रहने की हिदायत दी I बदमाश लड़कियों को पकड़ने के लिए उसने एक लेडी चपरासी रीता को जासूस के रूप में नियुक्त कर दिया । रीता चुपके चुपके कुमार से शरारतें करने वाली लड़कियों पर पैनी नजर रखने लगी ।
ऐक दिन रेसेस में दो लड़कियां कुमार के स्कूटर के पास खड़ी थी । इधर उधर देखते हुए उनमें से ऐक ने कुमार के स्कूटर की सीट में एक लेटर फँसा दिया ।
इतने मे रीता ने बिजली की फुर्ति से झपटकर उन दोनों को पकड़ लिया ।
वे हक्की बक्की रह गई । रीता उन्हें खींच कर ले जाने लगी व जलील करके डांटने लगी । लड़कियों ने रोते हुऐ चपरासी से उन्हे छोड़ने की प्रार्थना की । किन्तु वह उन्हें बुरी तरह डांटने फटकारने लगी । वह बार बार दोहरा रही थी,”चलो प्राचार्या के पास, तुम्हे तो स्कूल से निकाल दिया जाएगा” ।
तब उनमे से एक लड़की ने रीता को सौ का नोट दिखाया ।
रीता ने झपटकर वह नोट अपने पर्स में रखते हुए उन्हें फुर्ति से छोड़ दिया ।
एक दूसरी चपरासी ने रीता की इस हरकत को देख लिया ।
उसने प्राचार्या से रीता की शिकायत कर दी ।
तब एक दूसरी जासूस नियुक्त की गई ।
पंद्रह दिन के इंतजार व लगातार पैनी जासूसी के बाद दो अन्य बदमाश लउ़कियां पकड़ी गई । कुमार के पीछे पागल लड़कियों की संख्या बहुत अधिक थी ।
प्रिंसिपाल ने उन्हें बुरी तरह धमकाया व स्कूल से निकालने की धौंस दी ।
उन लड़कियों ने अनेकों अन्य लड़कियों के नाम उगले जो उनकी कारन्दानी में शामिल थी ।
उन सभी के पालकों को बुलाया गया । उन बदमाश लड़कियों की सिरमौर खुद प्रिंसिपल की लड़की थी ।
दूसरे दिन स्कूल में पालकों का अपनी बेटियों के साथ बउ़ा जमावउ़ा लग गया I सबने अपने क्षमापत्र अपने व अपनी लउ़कियों के हस्ताक्षर के साथ प्रस्तुत किये । तब जाकर सारा मामला शांत हुआ ।
प्रिसिपल ने अपनी लउ़की को खूब फटकारा तो वह अपनी मां से मुहजोरी करके कहने लगी, “ मैं कुमार से मुहब्बत करती हूं व करती रहूंगी “ ।
उसकी मां कसमसाकर रह गई । मां के अधिक डांटने पर लड़की ने आत्महत्या करने की धमकी तक दे डाली I तब मां को खुद होकर सारा मामला दबा देना पड़ा ।
पूरे विद्यालय मे यह बात फैल गई । अनेक पालकों ने मेल टीचर को स्कूल से हटाने पर जोर दिया ।
प्राचार्या ने कहा पूरे शिक्षा विभाग मे साइंस अध्यापकों की भारी कमी है । मेल या फिमेल का प्रश्न ही नहीं उठता । कुमार बड़े उच्च चरित्र के व्यक्ति हैं I उनका इस बखेड़े में रत्ती भर दोष नहीं है । यह सारा दोष हमारी बेटियों का ही है ।’
पलायन
यद्यपि कुमार का कोई दोष नहीं था किन्तु उसका हृदय इस घटना से इतना व्यथित हो गया कि उसने स्कूल ही जाना छोड़ दिया I वह अपने बिस्तर में उदास पड़ा रहता I
इस तरह तीन महीने हो गए । घर में फिर गरीबी लौट आई ।
मां ने कुमार से पुनः सर्विस पर लौटने की बार बार मिन्नत की किन्तु कुमार ने उसकी एक ना सुनी ।
उसके पडौसियों व मित्रों ने उसे समझाकर वापस सर्विस पर लौटने की सलाह दी किन्तु उसने किसी की बात न मानकर नौकरी छोड़ने का मन बना रखा था I
तब श्यामा ने पुनः रसोइये की नौकरी कर ली । उसका मेहनताना शर्मनाक रूप से बहुत कम था ।
माँ को अत्यंत हलकी नौकरी करते देख कुमार मजबूर होकर एक दिन शिक्षा विभाग के उचच अधिकारी के पास पहुंचा I
उसने अपने ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया ।
यह पहला मौका था जब किसी अध्यापक ने ऐसे प्रतिष्ठित विद्यालय से खुद को हटाये जाने के लिए आवेदन दिया हो ।
आफिसर ने कहा, “ आप को अत्यंत प्रतिभाशाली अध्यापक देखकर हमने बढ़िया स्कूल में नियुक्त किया था और अब आप ही वहां से हटने के लिए आवेदन दे रहे हो I ऐसा क्यों ? वहां आपको क्या परेशानी है ?”
कुमार कुछ देर तक जबाब न देकर बुत बना बैठा रहा । उसे परेशान देखकर आफिसर उसके बिना बताए सारी स्थिति को भांप गए ।
उसने कहा, “ मैं समझ गया मिस्टर तुम्हारी खूबसूरती ही तुम्हारी समस्या है “
कुमार गर्दन नीचे किए बिना कोई उत्तर दिए बैठा रहा ।
आफीसर ने उसका ट्रांसफर पास के गांव के स्कूल में कर दिया ।
जब कुमार उस गर्ल स्कूल से विदा हुआ तो प्राचार्या,टीचर व छात्राएं सब बेहद दुखी हुई्र । एक अत्यंत सज्जन अध्यापक के स्कूल से जाने से उनकी आंखें छलक पउ़ी । अनेक छात्राएं जोरों से रो रही थीं । उनकी नादानी का ऐसा दुष्परिणाम होगा उन्होने सोचा न था । वे सभी खुद को दोष देकर बेहद पछता रही थी ।