एक दूसरे को ताना मारते हुए आखिरकार सब ने खाना खत्म किया। सिराज के मुंह से निकली हुई बात शायरा की बहन को एक तीर की तरह चुभीं थी। क्योंकि सिराज के वहां होते हुए वह शायरा को कोई जख्म नहीं दे सकती थी। इसलिए उसने उस घर के बुजुर्ग नौकरानी को अपना निशाना बनाया।
वो शायरा की दाई रह चुकी थी। समायरा के इस जगह पर आने केेेे बाद भी एक वही इंसान थी जिन्होंने उससे अच्छा बर्ताव किया था। उसकी बड़ी मां और बहन जानती थी कि समायरा को यह घाव गहरा लगेगा। उन्होंने बाहर चबूतरे के पास उस बुजुर्ग महिला की पिटाई शुरू की। जानबूझकर जगह ऐसी चुनी गई थी जिससे सब तमाशा आसानी से देख पाए। जैसे ही उसकी बहन ने चाबुक उठाया समायरा वहां आ गई और उसने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया।
" शर्म नहीं आती। अपने से बुजुर्ग औरत पर हाथ उठाते हुए? " समायरा ने चाबुक खींचते हुए अपनी बहन से पूछा।
" बीच में मत आओ । इन्होंने गलती की है, तो इन्हें सजा मिलेगी।" उसकी बहन गुस्से में बोली। " अगर बीच में आने की गुस्ताखी की तो तुम्हें भी सजा मिलेगी।"
" बिल्कुल सही तुम्हें क्या लगता है, क्योंकि मैंने तुम्हारी शादी करवा दी तुम पर मेरा कोई हक नहीं है।" समायरा की बड़ी मां ने आंखें बड़ी करते हुए कहा।
" किसकी बात कर रही है आप, लड़कियों को पीटने का हक ? अगर आप में हिम्मत है तो राजकुमार सिराज के सामने मुझे हाथ लगाकर दिखाइए।" समायरा ने गुस्से में कहा।
" नापाक लड़की । तुम्हारी इतनी हिम्मत।" उसकी बड़ी मां ने आंखों से अपने सैनिकों को इशारा किया उन्होंने समायरा को पकड़कर अपने घुटनों के बल बिठा दिया।
तभी राजकुमार अमन वहां पहुंच गए । उन्होंने उन सैनिकों को मार भगाया और समायरा को खड़े होने में मदद की।
" बड़ी राजकुमारि। यह क्या कर रही है आप ? शायरा आपकी छोटी बहन है। क्या कोई अपने छोटे बहन_भाइयों के साथ इस तरीके का बर्ताव करता है?" राजकुमार अमन ने गुस्सा होते हुए पूछा।
" राजकुमार शायरा बहुत बिगड़ चुकी है । उन्हें थोड़ी तमीज सिखाने की जरूरत है । आप हम दोनों बहनों के बीच में ना ही बोले तो ही अच्छा होगा।" शायरा की बहन ने कहा।
राजकुमार अमन अभी भी समायरा का हाथ पकड़े वही खड़े थे। तभी राजकुमार सिराज वहां पहुंच गए उन्होंने समायरा को अपनी बाहों में खींचा और उसका हाथ राजकुमार अमन से छुड़वाया।
" हमें पता नहीं चल रहा, हर बार यहां आते ही राजकुमारी शायरा पर हमला क्यों किया जाता है?" सिराज ने गरजते हुए पूछा।
"राजकुमार ऐसी कोई बात नहीं है। हम बस शायरा को राज करने के तरीके सिखाना चाहते थे।" वजीर साहब की बीवी ने अपनी नजरें झुकाते हुए कहा।
" अगर आप उसे कुछ भी सिखाना चाहती थी, तो आपको पहले हमारी इजाजत लेनी चाहिए। आपको उन पर हाथ उठाने का कोई हक नहीं है। आज तक हमने कभी उन पर हाथ नही उठाया। आपकी हिम्मत कैसे हुई उन पर चाबुक आजमाने की ? ।" सिराज की आंखों का गुस्सा देख बड़ी राजकुमारी ने अपना चाबुक फेंक दिया।
" गुस्सा मत करिए राजकुमार । आप गलत समझ रहे हैं । एक आसान सी बात ने गलत बनती जा रही है।" बड़ी राजकुमारी ने अपनी नजरे झुकाते हुए कहा।
" आपको भाभी को समझाना चाहिए भाई। यह दूसरी बार हो रहा है । आज के बाद हम याद रखेंगे जब कभी भी आप दोनों यहां हो हम कभी इस जगह पर कदम नहीं रखेंगे। आज के बाद आपका या आपकी बीवी का शायरा से किसी तरीके का कोई संबंध नहीं होगा। आप बस उसे एक राजकुमारी और हमारी बीवी की तरह देखेंगे।" सिराज ने अपना हुक्म सुनाया।
" राजकुमार नहीं आप अपना गुस्सा शांत कीजिए। छोटी सी बात पर इतना बड़ा निर्णय मत लीजिएगा। शायरा मेरी सबसे छोटी और प्यारी बेटी है। वो दोनो बहने है, आप उनसे ऐसा बर्ताव नहीं कर सकते।" वजीर साहब ने झूठ का रोना रोते हुए कहा।
" आपको सच में शायरा से प्यार होता तो आप पहले ही अपनी बीवी को उस पर हाथ उठाने से रोकते। आपको क्या लगता है हमें पता नहीं है कि उनके शरीर पर कितने घाव है। आज तक हमने कभी भी आप लोगों के पारिवारिक मामले में अपनी सलाह नहीं दी। लेकिन अब भी शादी के 3 महीने बाद भी, अगर यही हाल रहा तो अब मुझे अपनी बीवी के लिए आवाज उठानी पड़ेगी। आपको पता होना चाहिए कि एक राजकुमारी के साथ आपको किस तरीके का बर्ताव करना है लेकिन आप उसे राजकुमारी की तरह नहीं, अभी भी अपनी नाजायज बेटी की तरह देखे जा रहे हैं।" सिराज का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा था।
" नहीं राजकुमार मैंने कभी भी शायरा को अपनी नाजायज औलाद की तरह नहीं देखा है।" वजीर साहब की बीवी ने अपने घुटनों के बल जाते हुए कहा। "अपना गुस्सा शांत कीजिए राजकुमार। मुझे नहीं पता शायरा को इतनी गलतफहमी कहां से हो गई। लेकिन मैंने कभी उस पर कोई हाथ नहीं उठाया। अपना गुस्सा शांत कीजिए।"
" आप कहना चाहती है कि हमारी बीवी झूठ बोल रही है। एक राजकुमारी हमें धोखा दे रही है।" सिराज ने गुस्से में पूछा।
" नहीं नहीं मेरी इतनी हिम्मत कि मैं राजकुमारी पर ऐसा इंतजाम लगाओ? कभी नहीं। मुझे माफ कर दीजिए राजकुमार।" वजीर साहब की बीवी ने नजरें झुकाते हुए कहा।
"हमें किसी की कोई बात नहीं सुननी है।" इतना कह सिराज समायरा को वहां से लेकर चला गया। समायरा की आंखें पूरी तरह अपने बूढ़ी दाई पर थी। जाते-जाते भी उसकी आंखों में आंसू थे। उसे दाई मां की हालत पर रोना आ रहा तह। रोता हुआ देख उसकी दाई मां ने उसे शांत होने का इशारा किया। उसने उसे बस इशारे में समझाया कि मैं ठीक हूं मैं अपने आपको संभाल लूंगी तुम अपने आप को संभालना।
सिराज के वहां से जाते ही बड़ी राजकुमारी का गुस्सा सर पर चढ़ा हुआ था। राजकुमार अमन भी शांत होने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्होंने गुस्से से अपनी बीवी को देखा। "आपको कितनी बार बताना पड़ेगा कि अपनी हद मे रहीए।"
" हम भी आपको यही याद कराना चाहेंगे राजकुमार कि, हम आपकी बीवी है कोई और नहीं आपको हमारी तरफ दारी करनी चाहिए किसी और की नहीं। हम चाहेंगे कि आप अपना वादा याद रखें।" समायरा की बड़ी बहन ने गुस्से मे कहा।
"हमारा वादा हमें याद कराने से पहले। आपको हमारे लिए एक चीज ढूंढनी है। भूल तो नहीं गई आप।" राजकुमार अमन ने पूछा।
"हम कुछ भी नहीं भूले हैं। बस आप रास्ते से भटक गए हैं।" इतना कह वो अपने कमरे में चली गई।
दूसरी तरफ जब सिराज और समायरा अकेले रथ में बैठे हुए थे। सिराज ने दोनों के बीच की चुप्पी तोड़ी।
"हमने कितनी बार कहा है आपको। दूसरे मर्दों से दूर रहिए।" सिराज।
"कौन दूसरा मर्द ? मैं कुछ समझी नहीं।" समायरा ने अचंभे से पूछा।
"आपने राजकुमार अमन को अपना हाथ पकड़ने क्यों दिया ?"
"अच्छा वो.. वह जब मैं वहां पर थी ना तब राजकुमार अमन ने आकर मुझे बचाया और मैं दाई मां को देखने में इतनी व्यस्त थी कि मुझे समझ ही नहीं आया कि उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा हुआ है।" समायरा ने कहा।
"कुछ समझ नहीं आया। इसका क्या मतलब है। याद रखिए आपको किसी भी दूसरे मर्द को अपने आप को छूने नहीं देना है। आप सिर्फ हमारी है।" सिराज अभी भी गुस्से में था।
"मैंने कब कहा कि मैं किसी और की हूं। मैं तो बस इतना कह रही हूं कि राजकुमार अमर ने मुझे बचाया। वह दिखने में इतने भी बुरे नहीं लगते है।" समायरा।
"हमारे तीन नियम भूल रही है आप। कहा ना किसी और मर्द के बारे में कुछ नहीं कहना है वह दिखने में बुरे नहीं है। तो क्या हम बदसूरत हैं।" सिराज।
"आप अपनी तुलना राजकुमार अमन से क्यों कर रहे हैं?" समायरा।
"हम नहीं कर रहे हैं। आप कर रही है।" सिराज।
"तुम कर रहे हो।" समायरा।
"आप" सिराज।
"तुम" समायरा।
"आप" सिराज। दोनो मे से कोई भी अपनी बात से पीछे नहीं हट रहा था।
"तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम" उसने सिराज के पास जाते हुए कहा।
सिराज ने एक प्यार भरी नजर से उसे देखा। उसके गले से उसको पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ दिए।