unknown connection - 45 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 45

Featured Books
Categories
Share

अनजान रीश्ता - 45

सेम चैर पर बैठा हुआ था । उसके मन में हजारों सवाल उठ रहे थे । पर सेम के पास एक भी सवाल का जवाब नहीं था । पहले तो उससे लगा कि वह मजाक कर रही है पर फिर जब सच मै पारुल के चेहरे पर कोई भाव नहीं था । तो मानो जैसे सेम के दिल थम गया हो। वह एक पल के लिए सांस लेना ही भूल गया हो। सेम के दिमाग में यह सारी बाते घूम ही रही थी कि अविनाश बगल मे बैठते हुए कहता है ।


अविनाश: सेम जानता हूं जो भी मैंने थोड़ी देर पहले कहा वह सारी बाते पाग्लो जैसी लग रही होगी पर यही सच्चाई है पारुल सच मे सबकुछ भूल चुकी है।


सेम:(सदमे में ) मजाक करना बंद करे भाई ये ... बहुत ही घटिया मजाक है ।


अविनाश: सेम .. मै ऐसा मजाक भला क्यों करुगा। और भला पारुल ऐसा मजाक करेगी तुम्हारे साथ तुम ही बताओ..!।


सेम: नहीं मेरी पारो मुझे कभी भूल ही नहीं सकती कभी भी नहीं ..! उसने मुझे वादा किया था । यह सब एक मजाक है बस और जब मुझे यह कहेगी की यह एक मजाक था मुझे परेशान करने के लिए देखना में सच्ची में उससे बात नहीं करूगा .. कहिएगा आप उससे की मै उससे बहुत ज्यादा नाराज़ नहीं बहुत ज्यादा गुस्सा हूं... ।


अविनाश: ( सेम के कंधे पर हाथ रखते हुए ) संभालो खुद को पारुल तुम्हे हमेशा हमेशा के लिए थोड़े ही भूली है । वह बस सदमे है और थोड़े ही दिन में ठीक हो जाएगी । फिर जितना नाराज़ होना है पारुल से उतना हो जाना । अभी तुम भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हो । तो पहले अपना ख्याल रखो और ज्यादा दिमाग पर जोर मत डालो ।


सेम: ( अविनाश की ओर देखते हुए ) पारो... सच मे ठीक हो जाएगी ना .. भाई क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ और वह मुझे भूल गई तो पता नहीं मै कैसे जिंदा रहूंगा । मै नहीं रह सकता पारो के बिना भाई .. भले ही मेरे साथ ना रहे पर कम से कम अजनबी तो ना बनाए।


अविनाश: सेम मै तुमसे वादा करता हूं कि पारुल को जल्द से जल्द ठीक हो जाएगी और पहले की तरह ही सब कुछ याद आ जाएगा!!।


सेम: वादा करे भाई की आप मेरी पारो पहले जैसे लौटाएंगे!!।


अविनाश: ( बात को टालते हुए ) भाई कहा तो सही की मै पारुल की यादस्त वापस ला कर ही रहूंगा । चाहे जो भी हो । अब बहुत हुआ ये सब तुम घर जाओ और जल्दी से पहले थे वैसे बन जाओ .. ये कमजोर सेम बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है । अगर किसी लड़की ने ऐसा देख लिया तो दिल टूट जाएगा उसका.. हाहाहाहाहा...


सेम: हाहाहाहाहा... क्या भाई आप भी अब मुझे सिर्फ और सिर्फ पारो क्या सोचती है उससे फर्क पड़ता है । अब मै सच मै सुधर गया हूं !! ।


अविनाश: हा..हाहा.. पता है मुझे .. ( सेम की नकल करते हुए ) ओह रीटा अगर तुम मुझे छोड़ कर चली गई तो मै जिंदा लाश बनके रहूंगा .... जानवी पता है तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत लड़की हो इस दुनिया मे .. नैना आज की पार्टी की थीम फैरीटेल है क्या क्योंकि तुम बिल्कुल आसमान से उतरी परी लग रही हो ... । हाहाहाहाहा....


सेम: ( मुंह बिगड़ते हुए ) हा तो जैसे आप तो दूध के धुले हुए है । मै सिर्फ उन लड़कियों का दिल रखने के लिए तारीफ करता था । पर आप मैंने आज तक नहीं देखा किसी भी लड़की की तारीफ करते हुए। जितनी भी लड़कियां थी सब के साथ पत्थर दिल ही रहे ।


अविनाश: कमोन.. जब प्यार है ही नहीं तो दिखावा कैसा...।


सेम: उससे दिखावा नहीं जेंटलमैन कहते है ।


अविनाश: ठीक है मिस्टर जेंटलमैन .. अब घर जाओ और खयाल रखो अपना।


सेम: भाई...


अविनाश: ( सेम की ओर देखते हुए ) सेम.. मै इस बात मै ना नहीं सुनूंगा तुम घर जा रहे हो मतलब जा रहे हो ।


सेम: फाईन .. बस पारो का ख्याल रखना .. (इतना कहते हुए वह बच्चों के जैसे नाराज़ होते हुए अस्पताल से चला जाता है ) ।


अविनाश सेम को ऐसे व्यवहार देख कर मुस्कुरा रहा था और सोच रहा था कि अभी भी बिल्कुल छोटे बच्चे जैसे ही व्यवहार कर रहा है। कि तभी पारुल के दरवाजे के टकराने कि आवाज आती है तो वह अपने ख़यालो मै से बाहर आते हुए पारुल के कमरे मै जाता है। तो देखता है पारुल बेड पर बैठी हुई थी । अविनाश पारुल के पास जाता है तभी पारुल कहती है ।


पारुल: वाह .. क्या बात है भाई अब तो हमारे गोलू जी बड़े हो गए है तो गर्लफ्रेंड भी रखने लगे है..!


अविनाश: ( मुस्कुराते हुए पारुल की ओर देखते हुए ) क्या..!?


पारुल: ( गुस्से में ) सुना ना तुमने अभी मैंने ...


अविनाश: ( पारुल की बात काटते हुए ) हां मैंने सुना .. पर तुम ...।


पारुल: कैसे जानती हूं सच मे !! ये बात ध्यान मै लेने लायक है या फिर को मैंने कहा वो ।


अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) तुम हमारी बाते सुन रही थी !!?


पारुल: नहीं मै तो वो..!


अविनाश: ( पारुल के करीब जाते हुए ) तुम तो क्या.. !?


पारुल: मै सेम को सॉरी कहने आयी थी पर फिर तुम दोनो बात कर रहे थे तो ..!


अविनाश: ( पारुल को परेशान करते हुए ) तो तुमने सोचा चलो किसी की बाते सुनते है ।


पारुल: अरे यार सच मै कसम से मेरा वो इरादा नहीं था ।


अविनाश: ( पारुल को अपनी ओर खींचते हुए ) तो क्या इरादा था!! ।


पारुल: ( अविनाश को इतना करीब पाकर धड़कने तेज हो गई थी ) अविनाश..


अविनाश: ( इतने सालो बाद पारुल के मुंह से अपना नाम सुनते ही मानो जैसे वह अतीत में चला गया हो । जब भी पारुल नर्वस होती थीं तो अविनाश को गोलू के बजाय नाम से ही पुकारती थी । ) हम्मम....


पारुल: वो.. वो..


अविनाश: ( पारुल को और करीब करते हुए जिससे पारुल अविनाश की और आश्चर्य में देखती है ।) क्या.. बात करो अपनी पूरी..


पारुल: ( अविनाश से दूरी बनाने कि कोशिश कर रही थी वह उससे दूर करने की नाकाम कोशिश कर रही थी। जिससे एक हाथ पर उसे अविनाश के धड़कन महसूस हो रही थी । मानो जैसे पारुल के लिए ही अविनाश का दिल धड़क रहा हो । ) वो.. कोई आ जाएगा...।


अविनाश: ( मुस्कुराते हुए पारुल की ओर ही देख रहा था । ) मैंने दरवाजा लोक कर दिया है ।


पारुल: ( आश्चर्य मै अविनाश की ऑर देखते हुए ) क्या... क्यो ...? मतलब ...


अविनाश: ( पारुल से दूर होते हुए जोर जोर से हसंते हुए ) हाहाहाहाहा... ओह गॉड हाहाहाहाहा..... देखो तो सही तुम्हारे चहेरे पे बारा बजे हुए है । तुम्हे सच मे लगता है मै ऑर तुम ... गॉड .....


पारुल: ( गुस्से में तिरछी नजरो से अविनाश की ओर देखते हुए ) ...... घटिया आदमी ...।


अविनाश: ओह कमोन परी तुम जानती हो कितना अच्छा इंसान हूं मै। लड़कियां जान छिड़कती है मुझ पर । और रही बात तुम्हारी जेल्स होने की तो उसका मै कुछ नहीं कर सकता अब इतना हैंडसम जो हूं मै।


पारुल: ( आश्चर्य मै ) मै और वो भी जेल्स ...?


अविनाश: जी तुम जेल्स ..


पारुल: हाहाहा... सपने देखना बंद कर दो ।


अविनाश: अच्छा तो तुम नहीं थी जेल्स..!?


पारुल: नहीं....


अविनाश: तो फिर यहां गुस्से में क्यो बैठी थी ।


पारुल: वो .. वो।


अविनाश: ओह माय स्वीटहार्ट... उससे जेल्सी ही कहते है तुम मानो या ना मानो ।
पारुल: ( गुस्से में अविनाश की ऑर देखती है ।) ...
अविनाश: चलो यार फाईन मेरी गलती थी बस लेकिन एक बात तो मै बताना ही भूल गया ..!।
पारुल: क्या!!?
अविनाश: ( अचानक पारुल के करीब जाते हुए ) यही की वह लड़कियां तुम्हारी जगह नहीं ले सकती। तो यह जो ख्याल तुम्हारे मन में उठ रहे है उससे दफना दो । ( पारुल की ऑर पलके जपकाए बिना देखे ही जा रहा था ) क्योंकि ना तो मै कभी किसी का बनूंगा ऑर ना तुम..!?
पारुल: ह....?
अविनाश: खैर छोड़ो ये बताओ दवाई खाई तुमने अपनी ..!?
पारुल: ( सिर हिलाते हुए हां कहते हुए ) ।
अविनाश: ( फोन उठाते हुए ) हा सोनिया अरे नहीं यार तुम जानती तो हो तुम्हारे अलावा भला मै किसी से प्यार कर सकता हु!!.. अरे यार ऐसा कुछ नहीं है । कहा तुम ऑर कहा पारुल .. !।
पारुल:( अविनाश को एक मुक्का मारते हुए ) रुको तुम अभी बताती हूं ।
अविनाश:( बेड के दूसरी ओर भागते हुए ) हेय हेय मजाक कर रहा था कोई भी नहीं था फोन पर में सिर्फ तुम्हे परेशान कर रहा था !! ।

यह कहते हुए वह पारुल से दूर भाग रहा होता है । पारुल तकिया अविनाश की ऑर फेकती है लेकिन वह पकड़ के पारुल की ओर फेकता है जिससे पारुल के सिर पर तकिया लगता है । पारुल ऑर भी गुस्से में अविनाश की ओर भाग रही थी । अविनाश हंसते हुए इधर उधर भाग रहा था ।