आनंदी के आई एस अफसर बनने से लेकर अब तक का सफर बहुत ही खूबसूरत रहा ।
अब आनंदी को आगे पढ़ना है तो अवकाश लेने का समय आ गया था आज एक बार फिर आनंदी लंदन जा रही थी अपने सपनों को और लम्बी उड़ान भरने के लिए।
आनंदी अब पीएचडी करने वाली थी इसलिए आज आनंदी मां को लेकर लंदन जा रही है फर्क सिर्फ इतना है कि अब आनंदी एक सफल इमानदार आई एस अफसर बन चुकी है। उसने कई सारे उलझे हुए कामों को सुलझा कर जा रही है और चार साल बाद फिर उसे अपने देश में लौट कर आना है कुछ और नये सपनों के साथ।
आनंदी ने कहा मां सब पैकिंग हो गई ना? कृष्णा ने कहा हां आनंदी सब कुछ हो गया।
फिर आनंदी और उसकी मां बाहर आ गए और वहां आनंदी के स्वागत के लिए सभी आफिस के लोग आये थे। सभी ने कहा आनंदी आप जल्दी से वापस आ जाना।
आनंदी ने मुस्कुराते हुए विदा लिया और एयरपोर्ट के लिए निकल गई।
फिर सारी फोरमालिटस के बाद हवाई जहाज पर सवार होकर उड़ान भरने को तैयार हो गई।
आनंदी अपने जीवन का वो समय याद कर रही थी जब उसके पास कुछ भी नहीं था सिर्फ था सपने और काविलियत ।
फिर कुछ देर बाद हवाई जहाज उड़ गया।
एयर होस्टेस ने आकर सारा इन्फोर्मेशन दे दिया और सभी यात्रियों को नाश्ता भी दे दिया।
आनंदी कोअपने ऊपर विश्वास था की ए एस अफसर बनने का सफर कुछ कठिन नहीं था क्योंकि उसके साथ रीतू दीदी थी जो हर बार उसकी मदद किया करती थी।
इसी तरह एक लम्बी यात्रा के बाद आनंदी अपने मां के साथ लंदन पहुंच गई।
आनंदी को बहुत खुशी हो रही थी एक बार फिर वो लंदन आ गई अपने सपनों को पूरा करने के लिए।।
फिर एयरपोर्ट से निकल कर आनंदी ने उबर कैब बुक किया और सीधे रीतू दीदी के अपार्टमेंट का पता बताया।
कुछ ही घंटों में आनंदी अपनी मां को लेकर लिफ्ट में चढ़ गई और फिर रीतू के दरवाजे पर डोर बेल बजा कर रुक गई।
राजू ने दरवाजा खोला और कहा आनंदी आई एस अफसर आ गई।
आनंदी ने कहा वाह दादा आप भी।
रीतू ने कहा अब कृष्णा वाई आ गई है तो शना को तेल मालिश भी करेंगी।
कृष्णा ने कहा हां क्यों नहीं।
आनंदी फे्श होने चली गई।
उसके बाद आनंदी शना के पास जाकर बैठ गई और मां से कहा कि शना का गिफ्ट देना।
कृष्णा वाई ने शना का मुंह देख कर एक गले का हार दिया।
रीतू ने कहा अरे वाह!
आनंदी ने कहा रीतू दीदी अब मुझे यहां से पीएचडी करनी है।
रीतू बोली हां शैलेश को बोल रखा है।
फिर सब मिलकर कृष्णा के साथ का नाश्ता किया और फिर कृष्णा ने शना को बड़े प्यार से तेल मालिश कर दिया।
आनंदी ने लैपटॉप पर अपना काम भी करने लगी।
आनंदी अब चार साल तक अवकाश पर थी तो अब लैपटॉप पर ही काम देखना था।
दूसरे दिन सुबह शैलेश आ गया और आनंदी को देखते ही बोला कि कल हम चलेंगे।
आनंदी ने कहा ओके।
फिर एक नई सुबह के साथ आनंदी तैयार हो गई क्योंकि अब उसे पी:एच:डी की डिग्री प्राप्त करनी थी। नाम के आगे डा आनंदी होने वाला था। आनंदी ने पुरी जानकारी ले लिया लैपटॉप पर ही।
दूसरे दिन ही सारे मार्क सीट और सर्टिफिकेट के साथ आनंदी तैयार हो गई।
शैलेश सर के साथ आनंदी निकल गई।
आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी।
शैलेश ने कहा आनंदी जहां से तुम पी:एच:डी करोगी वहां से बाबा भीमराव आंबेडकर ने भी पी:एच:डी किया था।
आनंदी ने कहा सर मेरा एडमिशन हो जाएगा ना?
शैलेश ने कहा हां ज़रूर मिलेगा।
फिर युनिवर्सिटी पहुंच गए। आनंदी ने पुरा घुम कर देखा।
फिर आफिस में जाकर शैलेश बात किए।
फिर दोनों को हेड सर से मिलने दिया गया।
आनंदी का सारा प्रोफ़ाइल देखें और बहुत ही इम्प्रेश हो गए। और फिर बोले कि काउंटर पर जाकर सब डिटेल जान ले।
फिर आनंदी काउंटर पर जाकर सिस्टर जूली से कनवरशेसन करने लगी।
जूली ने बताया कि-
१) यूजीसी की परीक्षा किल्यर करें।
२) पीएचडी के लिए एडमिशन ले।
३) साक्षात्कार किल्यर करें।
४) पीएचडी की पढ़ाई पुरी करें।
पीएचडी करने के लिए आपको विषय के प्रति समर्पित होना पड़ता है। पुरा जी-जान लगाकर उस विषय को अपने जीवन का भाग बनाना होता है।
जूली ने कहा कि आप पीएचडी किसी विषय पर करना चाहती है।
आनंदी ने कहा मैं सोशल वर्क पर करना चाहती हुं।
और फिर आनंदी और शैलेश वापस आ गए।
दूसरे दिन आनंदी ने आनलाइन आवेदन पत्र जमा कर दिया।9सितमबर से 9अकटूबरजमा करने की तारीख।
आनंदी युजीसी की तैयारी करने लगी। फिर आनलाइन मेसेज आया कि यु जी सी परीक्षा 6दिसंबर में होगा और एडमिट कार्ड भी मिलेगा। एडमिट कार्ड एग्जाम सेंटर पर ले जाना अनिवार्य है। आनंदी ने सारी जानकारी ले लिया था।
इसी तरह आनंदी और भी अधिक समय पढ़ाई में लगातीं थी बहुत सारे बुक भी रखें थे।
पढ़ाई के साथ ही उसने अपने काम को भी पुरी सिद्त के साथ किया।
एक, एक महीने गुजर गए और फिर आनंदी का यु जी सी परीक्षा का दिन भी आ गया।
रीतू का आशीर्वाद लिया तो रीतू बोली किसी ने नहीं सोचा था कि आनंदी आगे इतना पढ़ पायेगी।
आज तो आनंदी सिर्फ अपने पैसों से पढ़ रहीं हैं देखा मम्मी मैंने कहा था ना।
अनु बोली हां क्यों मुझे शर्मिन्दा कर रही हों।
आनंदी फिर चली गई।
एग्जाम सेंटर पहुंच कर आनंदी बैठ गई।तीन घंटे का पेपर हुआ।
और फिर आनंदी घर वापस आ गई और फिर रीतू ने पूछा कि कैसे क्या हुआ?
आनंदी ने बताया कि तीन घंटे का पेपर था।
१) टीचिंग, रीसर्च व एप्टिट्यूड।
२) सब्जेक्ट पेपर।
और फिर रेजल्ट ३१दिसम्बर को निकलेंगा।
रीतू ने कहा हां तेरा सिलेक्शन हो जायेगा।
आनंदी ने कहा पता नहीं दीदी एक इतने हाई फाई युनिवर्सिटी में दाखिला मिलना मुश्किल होगा।
रीतू ने कहा मुझे पुरा यकीन है कि तुमको एडमिशन मिल जाएगा।
आनंदी ने कहा आई होप।
रीतू फिर बेबी को सुलाने लगी।
फिर सब मिलकर डिनर किया और सब सो गए।
आनंदी को बहुत ही बेसब्री से इंतजार था कि कब रेजल्ट आ जाए और फिर वो पीएचडी कर पाए।
फिर इसी तरह दिन बितने लगा और फिर ३१दिसम्बर भी आ गया।
आनंदी सुबह से लैपटॉप पर अपना एडमिट कार्ड ले कर बैठी थी और इन्तजार कर रही थी।
रीतू ने आश्चर्य से पूछा अब कैसा नर्वस?
मैंने तुमको हाईस्कूल के रेजल्ट के समय इतना नर्वस नहीं हुईं थीं और आज।
आनंदी ने कहा हां दीदी पता नहीं क्यों।
फिर आनंदी ने आनलाइन एडमिट कार्ड से रोल नंबर देखा और फिर ढुढने लगी।
फिर आनंदी ने अपने रोल नंबर के आगे फर्स्ट क्लास लिखा देखा और खुशी से झूम उठी।
कृष्णा भी आनंदी के गले लग गई।
रीतू ने कहा आनंदी एक पार्टी तो बनता है।
आनंदी ने कहा हां दीदी जरूर।
दूसरे दिन सुबह आनंदी जल्दी तैयार हो कर आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी निकल गई।
वहां पहुंच कर देखा कि बहुत ही भीड़ लगी थी।
एक, एक करके सब जा रहे थे।
आनंदी ने अपना एडमिट कार्ड जूली को दिया और फिर जूली ने मार्क सिट आनंदी को देते हुए कहा।यू आर सच अ फैनटास्टिक ।
आनंदी ने मार्क सीट हाथ में लेकर देखने लगी।१६००/१५९९ अंक मिले थे। जूली ने कहा नेट एग्जाम किल्यर करने के बाद युनिवर्सिटी ही आप को पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट कंडक्ट करती है। एडमिशन के लिए आपको एग्जाम किल्यर करना होगा। उसके बाद एक इंटरव्यू होगा फिर आपको दाखिला मिल जाएगा।
आनंदी ने कहा ओके मैम। थैंक यू।
आनंदी घर लौट आईं।
रीतू ने आनंदी को कहा जल्दी दिखाओ मार्क सीट? आनंदी ने बैग से निकल कर दिया।
रीतू देख कर दंग रह गई इतना अच्छा नम्बर लाई हो।
राजू बोला हां दीदी दिखाना मुझे भी।
वाह बहन बहुत अच्छा।
आनंदी एक दम शर्मा गई एक बार फिर आनंदी ने दिखा दिया अपनी काबिलियत।
फिर आनंदी ने एक कोचिंग क्लास शुरू कर दिया जहां पर मैम ने सब कुछ समझा दिया।
पीएचडी प्रवेश के लिए दो पेपर होते हैं।
इसमें पेपर १ सभी के लिए अनिवार्य होता है।
पेपर २ सभी परीक्षार्थियों के लिए अलग-अलग
होता है जिससे आप पीएचडी करना चाहते हैं प्रत्येक पेपर में ५०प्रशन आते हैं जो१ अंक का होता है। सभी प्रश्न वस्तुनिष्ठ होते हैं।
आनंदी ने कहा बहुत लम्बा सफर है।
नैनी मैम ने कहा मैरिट से एडमिशन हो जाएगा।
आनंदी तुमको डरने की जरूरत नहीं है।यु आर जिनियस।
आनंदी ने कहा पर मैम।
ये कुछ पुराने पेपर है इसको सोल्व करना।
फिर आनंदी घर आकर तैयारी करने लगी।
पेपर से ही तैयारी करने लगी।
इसी तरह दिन निकलने लगा।
आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से आनंदी के एंट्रेंस टेस्ट कंडक्ट किया गया।
दो दिन बाद ही आनंदी का टेस्ट था।
आनंदी थोड़ी नर्वस हो गई थी।
रीतू ने कहा अरे आनंदी यहां तक पहुंच कर डर रही हैं।
आनंदी ने कहा हां दीदी थोड़ा सा नर्वस हुं।
रीतू ने कहा अब रिलेक्स कर लें।
आनंदी तैयार हो कर निकल गई आज उसका पीएचडी का पेपर है।
युनिवर्सिटी पहुंच गई और २.३० से ५बजे तक पेपर था।
फिर आनंदी एक बड़े से हाल में जाकर बैठ गई और भी सब आ रहे थे।
फिर पेपर मिल गया और आनंदी ने लिखना शुरू कर दिया।
दोनों पेपर पांच बजे तक चला।
फिर आनंदी उबर कैब से निकल गई।
आनंदी घर आकर फिर सारा विवरण दिया।
रीतू ने कहा अब तेरा साक्षात्कार होगा।
आनंदी ने कहा हां दीदी।
रीतू ने कहा आनंदी तुझे स्कालरशिप भी प्राप्त हो सकता है।
आनंदी ने कहा हां दीदी।
फिर कुछ दिन बाद ही आनंदी का इंटरव्यू के लिए काल आ गया वो भी आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से।
सभी बहुत खुश थे कि आनंदी का आईएएस अफसर बनने के बाद फिर से पीएचडी में इतने टाप युनिवर्सिटी में दाखिला मिल जाएगा।
आनंदी दूसरे दिन ही तैयार हो कर निकल गई।
उसका कालेज रीतू दी के घर से पश्चिमोत्तर पश्चिम दिशा में था।रेल मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ था।
आनंदी युनिवर्सिटी में पहुंच गई और फिर उसको इन्टरव्यू के लिए बुलाया गया।
करीब दस लोग इन्टरव्यू लेने के लिए बैठे थे।
आनंदी जरा सा घबराई नही।
पहले अपना इन्ट्रो दिया और फिर अपना फाईल दिखाया। फिर आनंदी को एक अपना रिसर्च परसोनल जमा करना होगा।
फिर एक एक प्रश्नों का जवाब उसने दिया और अन्त में उसका सिलेक्शन हो गया।
आनंदी को पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट में पुरे शत् प्रतिशत नम्बर आए थे।
फिर आनंदी वहां से काउंटर पर जाकर फार्म भर कर सबमिट किया और और रेगुलर कोर्स में दाखिला मिल गया।
आनंदी ने रेगुलर कोर्स करना ही उचित समझा।
फिर आनंदी घर आते समय केक बर्गर लेकर आ गई।
रीतू देख कर समझ गई और फिर आनंदी का स्वागत किया और सबने मिलकर आनंदी को बहुत बधाई दी और फिर आनंदी ने केक काट कर सबको केक और बर्गर खिलाया।
फिर शैलेश आकर बोले आनंदी एक दमदार पार्टी चाहिए।
वन आफ द बेस्ट युनिवर्सिटी में दाखिला मिल गया है।
राजू बोला आनंदी तूने कर दिखाया अफसर के साथ अब डाक्टर भी कहलायेगी।
आनंदी ने कहा ये सब हो पाया है सिर्फ रीतू दीदी की वजह से।
उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया और होंसला अफजाई किया वरना एक नौकरानी की बेटी कहा से कहा पहुंच पाती क्या।
सब रीतू दीदी जैसे अच्छे नहीं होते पर रीतू दीदी ने सिखाया है कि हमेशा उनलोगो की मदद करो जो पढ़ना चाहते हैं। और मैंने ऐसा ही किया है।
फिर आनंदी ने कहा कि अगले हफ्ते से मेरा नया सफर शुरू हो जाएगा।
रीतू ने कहा आनंदी अब एक पार्टी होगा।
आनंदी ने कहा हां दीदी जरूर।
फिर आनंदी और शैलेश सर ने मिल कर एक बेहतरीन होटल बुक करवा दिया।
द लोटल लंदन रेस्तरां,182 पूरे स्टीट लंदन।बुक करवाया दोपहर के लंच के लिए।
आनंदी ने कहा कल मेरी तरफ से पार्टी।
राजू बोला अरे वाह आनंदी एक दमदार पार्टी होगी है ना।
आनंदी ने कहा हां सर ने एक अच्छे जगह बुकिंग करवाई है।
अनु बोली मैंने कभी नहीं सोचा था कि आनंदी एक दिन इतनी बड़ी जगह पार्टी देंगी।
आनंदी ने कहा पता है हर बार रीतू दी ही मुझे पार्टी देती थी खुश हो कर।
फिर दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गई और फिर बाकी सब लोग भी तैयार हो गए।
फिर शैलेश ने अपनी बड़ी वाली कार मंगवा लिया।
सभी लोग मिलकर निकल गए। रास्ता लम्बा था इसलिए रीतू ने अपनी बेबी के लिए सब कुछ बैंग में रख दिया था।
आनंदी ने कहा बहुत दिनों बाद सब एक साथ मिलकर जा रहे हैं।
शैलेश ने कहा हां बस तुम्हारी वजह से।
फिर सब लोग पहुंचे और शैलेश ने पहले जाकर देखा लिया कि सब बुक करवाया था।
फिर सब अन्दर पहुंच गए।
बहुत ही शानदार होटल है। फिर बड़ी टेबल पर
हम सब बैठ गए।
फिर चार पांच वेटर आ गए।
शैलेश ने ही पहले जूस आडर किया।
फिर बडे और लम्बे ग्लास में जूस आ गया।
आनंदी ने पाइनेप्पल जूस लिया। कई तरह के जूस सर्व हुए थे।
शैलेश ने मेनू कार्ड से लंच आॅडर किया।
सभी बातें भी कर रहे थे रीतू ने बेबी को सुलाने लगी और फिर एक चेयर पर अपनी बेबी चेयर रख दिया।
फिर लंच सर्व हो गया। मेनू कार्ड--
मिर्च मसाला साऊथ आल।
तन्दुरी चांप हाऊस।
सलाम नमस्ते।
करी हाऊस कोको।
मसाला फ्राइड पापड़।
सलाद विद कोर्न ।
दिल्ली लाइव ईस्ट।
पुलाव विद मसाला।
फिर सबको प्लेट में परोस दिया गया और सब मिलकर खाने लगे।
आनंदी ने कहा शैलेश सर ने बहुत अच्छा डिशेस मंगवाया।
अनु,अमर, राजू सबने आनंदी को बहुत बहुत बधाई दिया।
सभी ने बहुत ही अच्छे से खाना खा लिया और
फिर आनंदी ने कार्ड से बिल पेमेंट कर दिया।
रीतू ने कहा आज आनंदी ने हम सभी को बहुत खुशी दी है।
फिर सभी वापस आ गए।
सब फेश हो कर सोने चले गए।
आनंदी और कृष्णा भी सोने चले गए।
कृष्णा ने कहा आनंदी आज मैं बहुत खुश हूं बेटी। हमेशा युही रहना हां।
आनंदी ने कहा हां मां बिल्कुल।कल से मुझे थोड़ी बहुत पढ़ाई करनी होगी।
मुझे अपना एक रिसर्च परसोनल जमा करना होगा। जिसमें आपको बताना पड़ेगा कि आप सोशल वर्क में शोध करना चाहती है।
अगले दिन सुबह आनंदी ने अपनी पीएचडी की तैयारी शुरू कर दिया। उसने रिसर्च परसोनल रिपोर्ट तैयार करने लगी।वो समाज सेवा करना चाहती थी वो उसी पर परसोनल रिपोर्ट तैयार कर लिया।
और लैपटॉप पर ईमेल कर दिया।
आनंदी कुछ देर के लिए आराम कर के फिर अपने आई ए एस के काम पर लग गई।
आनंदी जैसी नेक, इमानदार अफसर जो कि छुट्टी पर होते हुए भी अपनी सारी जिम्मेदारी निभा रही हैं।
इसी तरह आनंदी का रिसर्च पीएचडी की पहला दिन भी आ गया और वो आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जाने के लिए तैयार हो गई थी।
सभी ने आनंदी को बहुत सारी आशीर्वाद दिया और फिर आनंदी निकल गई एक नई उम्मीद नई मंजिल और एक नई दिशा की ओर चल पड़ी।
युनिवर्सिटी में पहुंच कर आनंदी ने काउंटर पर जाकर अपना एडमिट कार्ड दिखाया और फिर वहां से कोनफ्रेन्स हाॅल में चली गई।
वहां पर देखा कि पहले से तीन लड़किया मौजूद थीं।
आनंदी भी जाकर बातचीत करने लगी और फिर
एक मैडम आईं और उन्होंने अपना नाम जेनिफर लोपेज बताया।
फिर हम लोग बैठ गए।
मैम ने हम सबको अपना इन्ट्रो दिया और फिर हम लोग को भी उत्साहित किया कि हम भी अपने बारे में जानकारी दें।
फिर सबसे पहले आनंदी ने ही अपने जीवन के बारे में बताया।सब कुछ सुनकर मैम आश्चर्य चकित हो गई और फिर बोली आनंदी यू आर सो टेलेंटेड माई चाइल्ड।
आनंदी ने कहा थैंक यू।
फिर और सब ने भी अपनी सारी जानकारी दी।
फिर जेनिफर ने आगे कहा कि हम पांच स्टुडेंट्स को ही एक सीटिंग में लेंगे।
और फिर आप लोगो को अपना टाॅपिक से ही पुरा पढ़ाई करना है। बहुत सारे सेमिनार आयोजित किया जाता है।
आप लोगों को गाइड करने के लिए भी कुछ टीचर्स दिये जायेंगे।
कल मिलते हैं फिर।
आनंदी और तीन और लड़किया बाहर आ गई।
आनंदी वहां से लाइब्रेरी जाकर लाइब्रेरी कार्ड बना लिया और कुछ बुक्स भी ले लिया।
फिर आनंदी घर आकर रीतू को अपने दिनचर्या बताया और फिर बोली कि दी युनिवर्सिटी इज वैरी गुड।
रीतू ने कहा हां।
आनंदी अपने युनिवर्सिटी में पीएचडी करने से लेकर अपने आई ए एस अफसर की भी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही थी।
जहां तक हो सके वो उन जरूरत मन्दो को पुरी तरह से सहयोग कर रही थी। पढ़ाई लिखाई करवाने से लेकर सारा खाना पीना और जो जो जरूरी समान हो सब तरह से आनंदी सहायता करने लगी थी।
इसी तरह से पांच महीने गुजर गए थे।
आनंदी के युनिवर्सिटी में रोज नये प्रोजेक्ट पर काम करने और सेमिनार आयोजित होने लगें ।
आनंदी का शोध पर काम भी चल रहा था।रात के समय ही वो पेपर वर्क करती थी।
इसी तरह आनंदी के एक साल बीत गए और उसकी जिम्मेदारी भी बहुत बड़ गई।
आनंदी और उसकी मां अब लंदन में ही एक आलीशान बंगले में रहने लगे।
क्रमशः