Wo Ankahi Baate - 17 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - 17

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वो अनकही बातें - 17

हम दोनों वापस जाएंगे। और अब आगे।।




फिर आ गया वो दिन जिसका इंतजार समीर को था।
उसने नर्स को बोल दिया था कि फुलों की लड़ियों से सजा दे शालू का रूम।

और शालू को भी दुल्हन की तरह सजाया गया। समीर ने भी सभी मरीजों के लिए नये कपड़े लेकर आया और मिठाई के साथ सभी के लिए एक खाने का डिब्बा।। नर्स ने ही सबको मिठाई और एक एक डिब्बा बांट दिया।

फिर समीर भी एक शेरवानी पहन कर आएं और साथ में फुलों का माला।
मुस्कुराते हुए अन्दर पहुंच गए और फिर बोले शालू लो मैं आ गया।।
शालू भी दुल्हन के जोड़े में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। नर्स ने कहा एक अनोखी शादी हमेशा याद रहेगा।
फिर समीर ने शालू को माला पहनाया।।फिर शालू ने भी माला पहनाई।
और फिर समीर ने उसी सिन्दूर की डिब्बी में से सिन्दूर निकल कर शालू की मांग भर दिया।

शालू को शायद इस पल का वर्षों से इन्तजार था वो अनकही बातें जो शालू के दिल में ही दबी हुई थी वो शायद आज बोलने के लिए बेसब्र सी हो रही थी पर ये क्या अचानक शालू बेहोश हो गई।

फिर जल्दी से उसे ओ पी डी में लेकर गया और डॉ डिसुजा ने कहा कि अब ओपरेशन होने वाला है बहुत ही क्रिटिकल ओपरेशन है आप लोग दुआ किजिए।


समीर ने अपना आंख बंद कर दिया और फिर शालू को मन में बोला कि शालू अब तुम्हारी मांग में मेरे नाम का सिन्दूर है उसी सिन्दूर की ताकत तुम्हारी हिफाज़त करेंगी और तुझे वापस आना होगा मेरे लिए, मेरे प्यार के लिए। मुझे तुम्हारे मुंह से वो अनकही बातें सुनना है शालू प्लीज कम बैक।।

फिर ओपरेशन करीब चार घंटे तक चला।

फिलहाल शालू आई सी यू में थी।


समीर दरवाजे के शीशे से शालू को देख रहा था।
फिर चार दिन तक समीर वैसे ही खड़ा रहता था और फिर एक दिन शालू को होश आया और काफी बेहतर थी।


डॉ डिसुजा ने समीर को अपने केविन में बुलाया और कहा कि ओपरेशन ईज सक्सेजफुल ।हाऊ सी इस लकी।

समीर ने कहा थैंक यू डा।


फिर सारा मेडिसिन समझाया और समीर तुरंत मेडिसिन लेने चला गया।


अब शालू को रूम में स्फिट किया गया था।
शालू ने कहा सोमू मैं कब जाऊंगी तुम्हारे घर?
समीर ने कहा बस जल्दी से डिस्चार्ज मिल जाएगा।

शालू ने कहा सोमू मैं अब ठीक हो गई ना?

समीर ने कहा हां बाबा बिलकुल।।


नर्स ने कहा कि शालू मैम जब तुम आई सी यू में थी तो समीर ने चार दिन तक तुम्हारे दरवाजे के बाहर ही खड़े खड़े दिन बिताए थे।


शालू ने कहा हां शायद मैंने कहीं कुछ अच्छा किया होगा जो मुझे सोमू मिला।


फिर धीरे धीरे शालू खुद से ही चलने फिरने लगी और आखिर डॉ डिसुजा ने शालू को डिस्चार्ज लेटर दे दिया।


फिर शालू को लेकर समीर पहले एक होटल में रूम बुक किया और फिर वहां से ही फ्लाईट की टिकट बुक करवाया।


समीर ने कहा शालू बुकिंग हो गई कल हमें निकलना है तो चलो कुछ शापिंग कर लेते हैं।


शालू ने कहा पर क्या? समीर ने कहा अरे बाबा कुछ कपड़े लेते हैं क्या पहन कर जाएंगे।

शालू ने कहा हां चलो।

फिर दोनों शापिंग मॉल में पहुंच कर शापिंग करते हैं और फिर डिनर करके सोने चले जाते हैं।
समीर ने कहा शालू तुम बेड पर सो जाओ मैं सोफे पर सो जाता हूं।


शालू ने कहा हां ठीक है मेरा सोमू।।


फिर दोनों सो गए और अगले दिन सुबह तैयार होकर नाश्ता करके दोनों लंदन एयरपोर्ट पहुंच गए और एक घंटे बाद उसकी इंडिया की फ्लाइट थी।

शालू ने कहा जब मैं यहां आई थी तो सोचा नहीं था कि वापस मुंबई लौट पाऊंगी पर तुम्हारी यादें ही थी मेरे पास और अब जब वापस जा रही हुं तो तुमने मुझे वो सब कुछ दे दिया जिसके बिना मैं अधुरी थी।

समीर ने कहा हां काश मैंने वो फेश बुक मेसेज देखा था और पता नहीं कैसे मेरे दिल को तेरे दिल की खबर हो गई थी।

और एक घंटा कैसे बिता गया पता नहीं चल पाया।

दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर हवाई जहाज में बैठ गए और फिर अपने एक नये सफर की ओर निकल गए।


कई घंटों के बाद मुम्बई के अंधेरी एयरपोर्ट पर उतरे और फिर कैब बुक करवाया और शालू के लिए जूस पीने के लिए ले कर आया।
शालू को बहुत थकान महसूस हो रही थी और फिर उसने जूस पी लिया।


और दोनों समीर के घर की तरफ निकल गए। गाड़ी में शालू ने अपनी आंखें बंद कर ली थी। समीर ने धीरे से शालू को अपने हाथों के सहारे अपने करीब करके शालू के सर को अपने कंधे पर तीका दिया ‌शालू भी धीरे धीरे सो गई उसको सोमू का स्पर्श अच्छा लग रहा था।


समीर ने घर फोन करके विनय काका को सब कुछ समझा दिया और आरती की थाली सजा कर रखने और घर में आगमन का रिवाज सब कुछ समझा दिया क्योंकि विनय काका के अलावा कोई और नहीं था समीर का।

फिर दोनों घर पहुंच गए और विनय काका खुशी के मारे रो पड़े और फिर शालू और समीर को आरती किये और घर में प्रवेश करवाया।


शालू भी रो रही थी कि आखिर वो ही समीर के घर आ गई।

समीर ने फिर विनय काका को कहा खाना लगा दे।

फिर समीर ने शालू को अपनी गोदी में उठा कर सीढ़ी से ऊपर अपने कमरे में ले गया।
शालू ने कहा अरे ये क्या किया उफ! अब उतारो भी।
समीर ने हंस कर कहा अरे शालू मेरी जान, ये तो एक रस्म है जो पूरी तो मुझे करना था।


शालू ने हंस कर कहा अच्छा ये रस्म हो गया ये नहीं बोल सकते कि मैं बड़ा रोमांटिक हुं।

समीर ने कहा हां मैम वो तो हुं।
पर इतना दिन तो दूर रखा मुझे।।


शालू ने कहा देखो ज्यादा बोलो मत।


समीर ने कहा अच्छा ठीक है चलो फैश हो जाते हैं।


शालू ने कहा हां ठीक है पर पहले मैं तुम्हारे रूम को निहार लूं। समीर ने कहा हां बाबा।


क्रमशः।