रात के साढ़े बारह बज रहे थे। सभी अपने-अपने कमरों में सो गए थे। हवेली में सन्नाटा छाया हुआ था। स्नेहा, भक्ति, अवनि और रिया अपने कमरे में सो रही थे। अचानक भक्ति अपने बिस्तर से उठी और चलने लगी। वो जैसे चल रही थी, उससे ऐसा लग रहा था की जैसे वो किसी के वश में हो। वो चलते चलते रोहन के कमरे के पास पहुंची।
रोहन और मोंटू अपने कमरे में सो रहे थे। वैसे तो एक कमरे में चार लोगों को रहना था, लेकिन रोहन के स्वभाव के कारण उसके दोस्त मोंटू के अलावा उसके कमरे में कोई नहीं रहता था। भक्ति ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। रोहन और मोंटू गहरी नींद में सो रहे थे। थोड़ीदेर बाद दरवाज़े के आवाज़ ने मोंटू की नींद उड़ा दी। देर रात को दरवाजे की आवाज आई तो मोंटू डर गया था। उसने रोहन को जगाया। रोहन उठ बैठा और बोला, "क्या है? तुम इतनी रात को क्यों जगा रहे हो? अगर तुम्हें वोशरूम जाना है, तो तुम्हें सोने से पहले जाकर आना चाहिए था।" मोंटू ने कहा, "अरे रोहन! देखो कोई दरवाज़ा खटखटा रहा है!" रोहन ने कहा, "तो जाकर दरवाजा खोलो ना।" मोंटू ने कहा, "मैं नहीं जाऊंगा। मुझे डर लग रहा है।" रोहन ने कहा, "तुम बहोत ही डरपोक हो। मुझे ही दरवाजा खोलना होगा।"
रोहन बिस्तर से उठा और दरवाजा खोलने चला गया। रोहन ने जैसे ही दरवाजा खोला की, वो सामने का दृश्य देखकर डर गया। उसके सामने बिखरे बाल, लाल आंखें और लंबे नाखूनों के साथ भक्ति खड़ी थी। कुछ समय के लिए उसका चेहरा एक पुरुष का हो जाता था तो कुछ समय के लिए उसका चेहरा एक स्त्री का हो जाता था। रोहन बहुत डरा हुआ था। थोड़ी देर बाद उसने स्वस्थ होकर कहा, "क्या है? इतनी रात को तुम्हे क्या चाहिए?" भक्ति ने आदमी की भयानक आवाज में कहा, "तुम्हारी जान! मुझे तुम्हारी जान चाहिए।" रोहन ने कहा, "क्या? तुम पागल हो गई हो, फिलहाल यहाँ से चली जाओ। हम सुबह बात करेंगे।" इतना कहकर रोहन दरवाजा बंद करने लगा। भक्ति ने अपने दोनों हाथ दरवाजे पर रख दिए, इसलिए रोहन दरवाजा बंद नही कर पाया। रोहन ने कहा, "लेकिन तुम मेरी जान क्यों लेना चाहती हो?" भक्ति औरत की आवाज में बोली, "तुम दो प्रेमियों को अलग करना चाहते हो, इसलिए मैं तुम्हारी जान लेने आयी हूँ।" इतना कहकर भक्ति ने रोहन को कमरे से बाहर खींच लिया। उसने आंख से इशारा किया और कमरे का दरवाजा बंद हो गया। यह सब देखकर मोंटू इतना डर गया कि वो बेहोश हो गया।
भक्ति रोहन को खींचकर ले जा रही थी। रोहन ने जेसे तेसे करके अपने आप को भक्ति से छुड़ा लिया, फिर वो वहां से भागने लगा। वो तेजी से सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था, उतने में उसका पैर फिसल गया और वो जमीन पर गिर गया। उसके पैर में मोच आ गई थी इसलिए वो खड़ा नहीं हो सका। सीढ़ियों से भक्ति धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रही थी। भक्ति के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी। रोहन उसे देखकर घबरा गया था, लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था। वो चिल्ला रहा था, लेकिन कोई उसकी आवाज सुन नहीं रहा था। भक्ति ने फिर से रोहन को पकड़ लिया। वो रोहन को घसीटकर हवेली के पीछे वाले कुएँ की ओर ले गई। उसने रोहन को कुएँ के पास खड़ा रखा। भक्ति बोली, ''अलविदा रोहन'' इतना कहकर कि उसने रोहन को कुएं में धकेल दिया। फिर वो जोर-जोर से हंसने लगी।
सुबह कुएं के पास भीड़ जमा हो गई थी। पुलिस ने कुएं के आसपास के इलाके को सील कर दिया था। रोहन की लाश को कुएं से निकाल लिया गया था। प्रोफेसर शिव ने रोहन के मौत की खबर उसके घर पर दे दी थी, इसलिए रोहन का परिवार वहां पहुंच गया था। उसके माता-पिता बहुत रो रहे थे। वहा मातम का माहौल हो गया था। इस घटना की ख़बर पूरे गांव में फैल गई थी।
पुलिस ने रोहन के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया था। पुलिस अब सबकी गवाही ले रही थी। जब उन्हें पता चला कि मोंटू रोहन का खास दोस्त है, तो वो मोंटू के कमरे में उसकी गवाही लेने गए। वहां जाकर उन्होंने देखा तो मोंटू अपने कमरे में बिस्तर पर बेहोश पड़ा हुआ था। उन्होंने मोंटू को होश में लाने के लिए उसके मुंह पर पानी छिड़का। मोंटू अभी भी डरा हुआ था। मोंटू ने कहने लगा, "नहीं, नहीं। मुझे मत मारो। मैंने कुछ नहीं किया।" पुलिस ने मोंटू को स्वस्थ किया। उन्होंने मोंटू से रोहन के बारे में पूछा। मोंटू ने पिछली रात को हुआ वो और जो रोहन ने भक्ति के साथ क्या किया वो, सब पुलिस को बता दिया।
सब कुछ पता चलने के बाद पुलिस इंस्पेक्टर भक्ति की गवाही लेने उसके कमरे में गए। भक्ति भी अपने कमरे में बेहोश थी। उसकी आंखों के नीचे काले घेरे थे। उसके कपड़े भी मैले हो गए थे। पुलिस ने उसे होश में लाया। पुलिस इंस्पेक्टर ने पूछा, "मिस भक्ति! तुम कल रात कहाँ गई थी?" भक्ति अपने दिमाग पर जोर दे रही थी। उसने कहा, "इंस्पेक्टर! कल रात मैंने अपने दोस्तों के साथ खाना खाया, फिर स्नेहा ने मुझे दवा दी और फिर मैं सो गई थी।" इंस्पेक्टर ने कहा, "तुम झूठ बोल रही हो। मोंटू ने हमें सब कुछ बता दिया है जो कल रात हुआ था। हमें पता चला गया है कि तुमने ही रोहन को मार डाला था। अब झूठ बोलकर अपने अपराध को छिपाने की कोशिश मत करो।" भक्ति बोली, "नहीं, मैंने कुछ नहीं किया। मैं रोहन को क्यों मारूंगी?"
रवि, स्नेहा, भाविन, रिया, विशाल, अवनि और ध्रुव कमरे में आ गए। इंस्पेक्टर ने कडी आवाज़ में कहा, "तुम सच बताओ, नहीं तो हमें अपने तरीके से सच निकलवाना होगा।" भक्ति रोने लगी, "स्नेहा! देखो ना, ये इंस्पेक्टर कह रहे हैं की मैंने रोहन को मार डाला।" स्नेहा भक्ति के पास गई और उसे गले से लगा लिया। उसने कहा, "इंस्पेक्टर! आप जानते भी हैं कि आप क्या बोल रहे हैं? भक्ति कल रात मेरे साथ ही थी, तो वो रोहन का खून कैसे कर सकती है?" इंस्पेक्टर ने कहा, "क्या आप जानती हैं कि रात को आपके सोने के बाद क्या हुआ था?" स्नेहा ने हिचकिचाते हुए कहा, "नहीं"।
विशाल ने कहा, "लेकिन भक्ति रोहन का खून क्यों करेंगी? भक्ति के पास उसे मारने की कोई वजह भी तो होनी चाहिए ना!" इंस्पेक्टर ने कहा, "हां! उसके पास वजह भी थी। मोंटू ने हमें बताया कि रोहन की वजह से भक्ति को सांप ने काट लिया था, इसका बदला लेने के लिए भक्ति ने रोहन को मार डाला।" इंस्पेक्टर की यह बात सुनकर सभी हैरान रह गए। इंस्पेक्टर ने कहा, "कांस्टेबल! मिस भक्ति को गिरफ्तार कर लो।" एक महिला कांस्टेबल भक्ति के पास गई और उसे हथकड़ी लगाकर ले जाने लगी। सभी भक्ति को लेकर न जाने की विनती कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उनकी एक भी नहीं सुन रही थी। उन्होंने भक्ति को गिरफ्तार कर लिया और उसे थाने ले गए।
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