Dusari Aurat - 2 - 8 in Hindi Love Stories by निशा शर्मा books and stories PDF | दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 8

Featured Books
Categories
Share

दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 8

खुदा भी जब तुम्हें, मेरे पास देखता होगा
इतनी अनमोल चीज़, दे दी कैसे सोचता होगा

सुमित की कार में बजता हुआ ये गीत जैसे स्वेतलाना के कानों में मिश्री घोलने का काम कर रहा था और तभी उनकी कार दिल्ली के एक आलीशान रेस्टोरेंट के बाहर जाकर रुकी !

सुमित नें बड़े ही आदर और प्यार का भाव लिए स्वेतलाना मैडम के लिए अपनी कार का डोर खोला फिर बड़ी ही नज़ाकत के साथ स्वेतलाना मैडम बाहर आयीं और अब वो दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल नज़दीकी बनाकर रेस्टोरेंट के अंदर जाने के लिए आगे बढ़ गए ! एक-दूसरे के शरीर के स्पर्श को पाकर वो दोनों जैसे मदहोश से हो चले थे और इसी मदहोशी के आलम में समय पंख लगाकर कब उड़ा पता ही न चला कि कब वो रेस्टोरेंट से लंच करके निकले और कब सुमित नें स्वेतलाना पर अपने क्रेडिट-कार्ड की मैक्सिमम लिमिट मैडम के बर्थडे के नाम पर कुर्बान कर दी !

लेकिन स्वेतलाना मैडम भी अपना फ़र्ज़ निभाना बिल्कुल भी न भूलीं और जाते-जाते सुमित के गालों और गर्दन से लेकर उसके होठों पर भी अपने नर्म और गुलाबी होठों से हस्ताक्षर कर गईं !

घर लौटने के बाद भी सुमित की खुमारी थी कि उतरने का नाम नहीं ले रही थी और एक थी उसकी पत्नी पल्लवी जो अपनी शंका के सच न होने की दुआएँ हर पल माँगे जा रही थी ।

सुमित नें डिनर भी बस नाममात्र का ही किया जबकि पल्लवी नें आज सारी चीज़ें सुमित की पसंद की ही बनाई थीं ।

खाना अच्छा नहीं लगा क्या ?

नहीं, ऐसा तो कुछ नहीं है बस मुझे इतनी ही भूंख थी...कहता हुआ सुमित डाइनिंग-टेबल से उठकर बेडरूम में चला गया । आज पल्लवी का बेचैन मन भी किचेन में नहीं लग रहा था और वो किचेन को बिना समेटे ही बेडरूम में आ गई और जब उसनें सुमित को बेड पर लेटा हुआ देखा न कि किताब पढ़ता हुआ तो वो इस सोच के साथ कि कहीं सुमित पिछले कुछ रोज़ की तरह आज भी जल्दी न सो जाये, वो फटाफट वॉशरूम में अपने कपड़ें चेंज करने चली गई ।

आज पल्लवी नें जानबूझकर अपनी एकलौती पारदर्शी तथा शौर्ट नाइटी पहनी थी और उसनें अपने लम्बे-काले बाल खोल दिए थे और हल्की गुलाबी रंग की लिपस्टिक भी लगायी हुई थी लेकिन वो जैसे ही रेडी होकर बेडरूम में आयी , ये देखकर उसके अरमानों के ठंडे पड़ने के साथ ही साथ उसकी शंका की लपटें और भी तीव्र हो गईं कि सुमित रोज़ की तरह आज भी उसके रूम में आने से पहले ही सो चुका था ।

पल्लवी सारी रात बिस्तर पर करवटें लेती हुई मचलती रही लेकिन सुमित अपनी जगह से टस से मस भी नहीं हुआ ।

अगले दिन जब सुमित सोकर उठा तो उसनें देखा कि पल्लवी अभी भी सोयी हुई थी । सुमित नें उसे जगाया भी नहीं और चुपचाप उठकर ऑफिस के लिए तैयार होने लगा । सुमित बस ऑफिस के लिए निकलने ही वाला था कि तभी पल्लवी जाग गई,उसकी आँखें बहुत लाल और सूजी हुई थीं जो उसकी बीती हुई रात की कहानी साफ तौर पर सुना रही थीं लेकिन आशिकी के बुखार में तपते हुए सुमित को अपनी पत्नी पल्लवी के तेज़ बुखार का अनुमान तनिक भी न लगा और वो पल्लवी को मुस्कुराकर 'बाय', कहता हुआ अपने घर से बाहर निकल गया ।

पल्लवी को बुखार हुए आज तीन दिन बीत चुके थे लेकिन इस मामले में सुमित नें बस उसे कुछ औपचारिक हिदायतों के साथ कुछ बेसिक मेडिकेशन के अलावा उसके पास दो पल बैठकर तसल्ली से कभी स्नेह के दो बोल बोलना भी ज़रूरी न समझा !

जहाँ एक तरफ़ सुमित की पत्नी सुमित की व उसके और अपने बीच के एक नाज़ुक वैवाहिक संबंध के बिखर जाने की चिंता में खुद आधी हुई जा रही थी तो वहीं दूसरी ओर सुमित की प्रेयसी स्वेतलाना सुमित का बैंक-अकाउंट खाली करने में लगी हुई थी ।

आखिर आज पल्लवी की रिपोर्ट्स आ ही गईं जिसमें उसे टाइफाइड निकला था और डॉक्टर नें उसे फुल बेडरेस्ट करने की सलाह दी थी । सुमित अब सुबह-शाम घर के काम करने लगा था । अब वो सुबह ऑफिस भी कुछ देर से जाता था और आता भी कुछ जल्दी ही था और इस बीच उसनें अपने ऑफिस से दस दिनों की छुट्टी भी ली !पल्लवी सुमित के इस आत्मीयता भरे व्यवहार से काफी संतुष्ट थी आजकल और धीरे-धीरे उसकी सेहत में भी सुधार होने लग गया था । ऐसा लग रहा था कि मानो पल्लवी का ये रोग शारीरिक न होकर मानसिक ज्यादा था !

"ये पेपर्स, ये तो वो हमारे नोएडा वाले फ्लैट के पेपर्स हैं न ?", पल्लवी नें अलमारी से निकाले हुए फ्लैट के पेपर्स के फोल्डर को बेड पर रखा हुआ देखकर सुमित से पूछा ।

"हाँ, वही हैं", कहते हुए सुमित नें वो फोल्डर बेड पर से उठाकर बड़ी ही फुर्ती से अपने ऑफिस के लैपटॉप-बैग में रख लिया ।

आज पल्लवी की तबियत में काफी सुधार देखकर सुमित थोड़ा जल्दी ही ऑफिस के लिए निकल गया क्योंकि आज ब्रेकफास्ट भी पल्लवी नें खुद ही सुबह उठकर बना लिया था ।

इतने दिनों बाद आज सुमित कुछ चैन की साँस ले रहा था और आज वो पहले की तरह ही ऑफिस भी जल्दी ही आ गया था लेकिन आज स्वेतलाना उसे अपनी सीट पर नज़र नहीं आयी जिसके कारण सुमित मायूस हो गया ।

काफी देर बाद स्वेतलाना आखिर आ ही गयी जिसे देखकर सुमित का चेहरा खिल उठा और वो खुद को स्वेतलाना के पास जाने से रोक न पाया ।

"आज इतनी लेट ! तुमनें आज मुझे सच में डरा दिया,यार ! मुझे तो लगा कि तुम आज आओगी ही नहीं" ! सुमित एक साँस में सबकुछ कह गया और वो भी किसी की परवाह किये बिना जबकि वहाँ सुमित के ठीक पीछे ही उसका जूनियर परेश खड़ा हुआ उसकी सारी बातें सुन रहा था ।

स्वेतलाना उसका हाथ पकड़कर उसे कैंटीन की तरफ़ ले गई । "यार, सुमित सब सुन रहे थे वहाँ, तुम पागल हो गए हो क्या ?", स्वेतलाना नें झल्लाते हुए सुमित से कहा ।

हाँ स्वीटू मैं पागल हो गया हूँ, मैं बिल्कुल पागल हो गया हूँ, तुम्हारे प्यार में पागल...इतना कहकर वो स्वेतलाना से कसकर लिपट गया ।

स्वेतलाना खुद को सुमित की बाहों से अलग करने के लिए कसमसाने लगी लेकिन सुमित को आज जैसे कि जन्मों के प्यासे प्रेमी की तरह ही उसे खुद से अलग करना बिल्कुल भी मंजूर नहीं था ।

तुम बहुत थके हुए लग रहे हो ?

हाँ बहुत ज्यादा !

"चलो फिर आज मैं तुम्हारी थकान उतार दूँ", स्वेतलाना नें सुमित की बाहों में खुद को और भी निढाल करते हुए कहा जिसपर सुमित नें आव देखा न ताव और वो स्वेतलाना का हाथ पकड़कर उसके साथ दौड़ता हुआ सा अपनी कार में बैठ गया !

कार स्टार्ट होने के साथ ही हवा से बातें करती हुई सीधे एक फाइवस्टार होटल के सामने जाकर रुकी !

ये वासना है या प्यार
या फिर अपने अतीत की
परछाइयों से भागते हुए
सुमित का खुद पर ही
अंजानी ख्वाहिशों की खातिर
किया गया एक खतरनाक वार

जानने के लिए पढ़ें अगला और अंतिम भाग... क्रमशः

लेखिका...
💐निशा शर्मा💐