Risky Love - 51 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | रिस्की लव - 51

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रिस्की लव - 51



(51)

अंजन ने एक बार फिर मीरा को वीडियो कॉल की। उसने सोचा था कि जब तक मीरा कॉल उठाएगी नहीं वह फोन करता रहेगा। इससे पहले दो बार वह कॉल कर चुका था। पर मीरा ने फोन नहीं उठाया था। इस बार भी घंटी जाते देर हो गई थी। अंजन मन ही मन मना रहा था कि मीरा कॉल उठा ले। समय के साथ अंजन निराश हो रहा था। लेकिन इस बार मीरा ने कॉल उठा ली।
मीरा का चेहरा स्क्रीन पर दिखाई पड़ा। चेहरा देखकर स्पष्ट था कि मीरा की हालत बहुत गंभीर थी। कुछ देर अंजन मीरा के मुर्झाए हुए चेहरे को देखता रहा। उसकी यह हालत देखकर उसका कलेजा धक से रह गया था। बड़ी मुश्किल से खुद को संभाल कर उसने कहा,
"क्या हो गया है तुम्हें मीरा ? मुझसे कह रही थी कि मामूली बुखार है। पर तुम्हारी हालत देखकर लगता है कि बहुत सीरियस बात है। मुझे सही सही बताओ क्या हुआ है ?"
मीरा भावुक हो गई। उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। उसे रोता हुआ देखकर अंजन को बुरा लगा। उसने कहा,
"रो मत.... मुझे बताओ क्या बात है ? मैं तुम्हारी मदद करने की कोशिश करूँगा।"
मीरा ने रोते हुए कहा,
"कोई मेरी मदद नहीं कर सकता है। बस कुछ ही दिन बचे हैं मेरे पास।"
अंजन जानने को अधीर हो उठा कि बात क्या है। उसने कहा,
"प्लीज़ मीरा बताओ कि क्या हुआ है तुम्हें ? तुम क्यों कह रही हो कि कुछ ही दिन बचे हैं।"
"मुझे पैंक्रियाज़ कैंसर है। लास्ट स्टेज है। अब मैं नहीं बचूँगी।"
यह कहते हुए वह फिर रोने लगी।‌ उसकी बात सुनकर अंजन को भी धक्का लगा। कुछ देर तक वह कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था। मीरा ने रोते हुए कहा,
"अंजन मैंने तुम्हें धोखा दिया था। इसी बात की सज़ा भगवान ने मुझे दी है।"
उसकी बात सुनकर अंजन ने कहा,
"ऐसा मत कहो मीरा। मैं कुछ करता हूँ। तुम परेशान मत हो।"
यह कहकर अंजन ने खुद ही कॉल काट दी। उससे मीरा की तकलीफ देखी नहीं जा रही थी। इस समय वह बहुत बेबस महसूस कर रहा था। ना तो वह खुद अपनी मदद करने की स्थिति में था और ना ही मीरा का साथ दे सकता था। फिर भी फोन पर उसे झूठी तसल्ली दे रहा था कि वह उसके लिए कुछ करने का प्रयास करेगा।
आजकल ‌हताशा में उसका एक ही सहारा था शराब। वह बार काउंटर पर गया। लेकिन यहाँ भी निराशा ही हाथ लगी। उसने वहाँ मौजूद सारी बोतलें खाली कर दी थीं। लेकिन इस समय उसे शराब पीने की तीव्र इच्छा हो रही थी। वह शराब के नशे में अपनी नाकामी को डुबो देना चाहता था। लेकिन घर में शराब की एक बूंद भी नहीं बची थी।
अंजन को घर से कुछ दूर पर ‌एक बार के बारे में पता था। उस समय उसके दिमाग में बहुत सारी बातें चल रही थीं। जो उसे परेशान कर रही थीं। शराब के ज़रिए ही वह परेशानी को दूर भगा सकता था। उसने कार की चाभी उठाई। वॉलेट और फोन उठाया और घर से बाहर निकल गया।

लोकेश कुमार ने अजय मोहते को वह सबकुछ बता दिया था जो उसने निर्भय से सुना था।‌ सब सुनकर अजय मोहते के चेहरे ‌पर मुस्कान आ गई थी। अंजन कहाँ रह रहा है जानने के बाद उसे रास्ते ‌से हटाना आसान हो गया था। लेकिन इस बार वह किसी और पर भरोसा नहीं कर सकता था। उसने मामला अपने हाथ में ले लिया था। इस बार उसने अपने काम के लिए एक ऐसे आदमी को चुना था जिससे गलती होने की संभावना नहीं थी।

एसीपी सत्यपाल वागले और सिंगापुर पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज गंभीरतापूर्वक इस बात पर विचार कर रहे थे कि अभी तक अंजन के बारे ‌में कुछ भी पता नहीं चला है। उन्हें डर था कि अगर कहीं अंजन सिंगापुर से बाहर निकल गया तो उसे पकड़ना कठिन हो जाएगा। ऐसे में दोनों देशों की पुलिस की बदनामी होगी। सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने कहा,
"एसीपी सत्यपाल वागले अब हम दोनों की ही इज्ज़त का सवाल है। अंजन विश्वकर्मा सिंगापुर सिटी में ही कहीं है। हम उसे पकड़ नहीं पा रहे हैं।"
एसीपी सत्यपाल वागले ने कहा,
"सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज हमसे अधिक यह आपकी नाकामी है। हम तो बस एक छोटी सी टीम हैं। आपके इस शहर के बारे में अधिक नहीं जानते हैं। लेकिन आपके लोग यहाँ की हर गली से वाकिफ हैं। फिर भी अंजन विश्वकर्मा का पता नहीं लगा पाए।"
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज को यह बात अच्छी नहीं लगी। उसने कहा,
"बेहतर होगा कि हम एक दूसरे की नाकामी गिनाने की जगह सहयोग की बात करें। अगर आप भी अंजन ‌विश्वकर्मा को गिरफ्तार नहीं कर पाए तो आपके देश में भी सवाल पूँछे जाएंगे।"
एसीपी सत्यपाल वागले चुप हो गया। वह जानता था कि जो कुछ सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने कहा है वह सच है। उसने कहा,
"आपकी बात ठीक है। बताइए हम किस तरह आपका सहयोग कर सकते हैं ?"
"सबसे अच्छा तरीका है कि हम पर यकीन रखिए। हमें हमारा काम करने दीजिए।"
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने तंज़ करते हुए कहा। एसीपी सत्यपाल वागले कुछ कहना चाह रहा था कि तभी उसका फोन बज गया। वह एक तरफ जाकर बात करने लगा।

शराब की तलब में अंजन बार में जाकर बैठ गया था। इस समय उसका दिमाग बिल्कुल काम नहीं कर रहा था। बार बार एक ही बात हथौड़े की तरह उसके दिमाग में वार कर रही थी कि वह अब किसी काम का नहीं रहा। वह अपने ही काम नहीं आ पा रहा है। भारत में उसका इतना कुछ है। दौलत की कमी नहीं है उसके पास। पर वह उसमें से एक पैसा नहीं खर्च कर सकता है। उसे पता था कि पुलिस की निगाह उसके हर बैंक अकाउंट, हर प्रॉपर्टी पर होगी।
एक बार फिर मीरा का चेहरा उसकी आँखों में घूम गया। उसका दिल दर्द से भर उठा। उसने बोतल से और शराब अपने गिलास में डाली। एक ही बार में गिलास को खाली कर दिया। वह आधे से अधिक बोतल खत्म कर चुका था। लेकिन अपनी तकलीफ को नशे में नहीं डुबो पापा था। अपनी बेबसी पर उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
उससे कुछ दूर एक टेबल पर कोई बैठा था। वह उसे बहुत ध्यान से देख रहा था। अपने मन को पक्का कर लेने के बाद वह उठा और बार के एक कोने में जाकर किसी को फोन किया।

खबर सुनकर एसीपी सत्यपाल वागले के चेहरे पर मुस्कान आ गई। फोन करने वाला उसकी टीम का एक इन्फार्मर था। उसने बार में अंजन को पहचान लिया था। एसीपी सत्यपाल वागले फौरन सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज के पास आकर बोला,
"सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज आपने कहा था कि हम चुपचाप बैठें। पर हमारी पुलिस जो काम हाथ में लेती है उसे पूरा किए बिना शांत नहीं होती है। अंजन विश्वकर्मा इस समय एक बार में बैठा शराब पी रहा है। अब आप इतना सहयोग तो कर सकते हैं कि अपनी टीम के साथ चलकर उसे गिरफ्तार कर लें।"
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज जानता था कि यहाँ उसे मात खानी पड़ी है। पर अंजन विश्वकर्मा की गिरफ्तारी ज़रूरी थी। वह फौरन अपनी टीम और सत्यपाल वागले के साथ उस बार की तरफ चल दिया।

अंजन ने खुद को संभाला। उसने इधर उधर निगाह दौड़ाई। उसने देखा कि उसके पास की टेबल पर बैठा आदमी उसकी तरफ देखते हुए अपनी घड़ी देख रहा है। वह नर्वस लग रहा है। अचानक उसका दिमाग खुल गया। उसे याद आया कि वह बड़ी देर से उसकी तरफ घूर रहा था। उसे किसी गड़बड़ी की आशंका हुई। आदत के अनुसार उसने जैकेट की इनर पॉकेट को हाथ से टटोला। वह बिना गन के आया था।
अब उसे एहसास हो रहा था कि उसने कितनी बड़ी गलती कर दी है। वह बार में बैठा है। अपने दुश्मन और पुलिस का आसान शिकार है। उसका नशा उतर गया। वह अपना दुख भूल गया। इस समय बस एक ही बात उसके दिमाग में थी। किसी तरह यहाँ से भाग जाए। तभी वह आदमी दोबारा उठकर एक तरफ गया। किसी को फोन करके वापस अपनी टेबल पर आकर बैठ गया। अंजन सचेत हो गया। उसने वेटर को इशारा किया। बिल चुकाया और तेज़ी से दरवाज़े की तरफ बढ़ गया।
उसे बाहर निकलते देख वह आदमी भी हरकत में आया। वह उसके पीछे लपका। पर वेटर ने उसे बिल के लिए टोंका। उसने जल्दी से अपना वॉलेट निकाला और पैसे चुका कर बाहर की तरफ भागा।
अंजन अपनी कार की तरफ बढ़ रहा था। तभी उसे पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनाई पड़ा। उसने फौरन अपनी दिशा बदल ली। वह तेज़ कदमों से आगे बढ़ते हुए एक गली में मुड़ गया। वह रास्ते से अंजान था। लेकिन पुलिस से खुद को बचाने के लिए भाग रहा था।

वह आदमी बार के बाहर आया। उसने इधर उधर देखा। अंजन कहीं नहीं दिखाई पड़ा। तभी पुलिस की गाड़ी बार के सामने आकर रुकी। उसमें से सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज और एसीपी सत्यपाल वागले उतरे। वह आदमी भाग कर एसीपी सत्यपाल वागले के पास गया। उन्हें सारी बात बताई।
सब जानकर सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने फौरन फोन पर पूरे एरिया को घेर लेने का आदेश दिया।
अंजन गली में भाग रहा था। तभी अचानक एक आदमी उसके सामने आ गया। उसे देखकर अंजन को तसल्ली हुई।