A new journey towards the desert in Hindi Motivational Stories by Priyanka Patel books and stories PDF | एक नया सफ़र रेगिस्तान की ओर

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एक नया सफ़र रेगिस्तान की ओर


नई जगह नए लोग,खामोश हूं में बोल रही खामोशियाँ।
चार दीवालों से निकलकर चली जैसलमेर के रेगिस्तान में,
चार दिन के इस सफर में जाने पूरा जहा जी आई में।।
रेगिस्तान की इस जमी पर रेत के सिवा ना दिखा।
इस रेत में भी मिला खूबसूरत सा सुकून ।।
4 अपनो के साथ गई थी,40 को अपने बनाकर लौटी हूं।
एक नए सफर में कुच नए दोस्त बनाकर लौटी हूं।।
सबकी अपनी सोच थी, सबका अपनी पहचान थी।
फिर भी हम सबने मिलकर बनाई एक नई पहचान थी।।
किसी ने चुप रहे कर अपना अंदाज बताया,
किसी ने बोल बोल कर हम सबको पकाया।
किसी ने अंताक्षरी में अपना रंग दिखाया,
किसी ने नाच कर अपना जलवा दिखाया।।
कुच मासूम से लोग भी थे इसमें, जिन्होंने सबका दिल जीत लिया।
भले ही लेट लतीफ़ थे वो,पर उन्होंने सबको पेट भर नास्ता खिलाया।।
"बोल माड़ी अम्बे" से सुरु कर "भारत माता की जय" ओर "हर हर महादेव" तक का जिन्होंने नारा लगाया।
उस "डेल्टा" ग्रुप ने कुच अपने अंदाज में अपना धमाका मचाया।।
किसी ने सबकी फ़ोटो खीच कर अपना सोख पूरा किया, तो किसी ने अपनी फ़ोटो सबसे खिंचवाकर अपना सोख पूरा किया।
बस इसी तरह से हम सबने अपने अपने अंदाज में इस ट्रिप का आनंद उठाया।।
अपनी नन्ही परिओ को छोड़कर दो माँ भी हमारे साथ आई थी।
उन्होंने सारी लड़कियों को एक प्रेरणा सी बात सिखाई थी।।
रात को भूत की कहानिया सुनकर मुझे डर थोड़ा सा लगा था।
लेकिन madam ने जैसलमेर की राजा-रानी की कहानी सुना कर जट से डर को भगाया था।।
Madam का "I wanna boom chick boom" ओर sir का "रम सम सम गीली गीली" वाला फॉर्मूला गजब का था।
वो हमारी सुबह की नींद ओर ठंडी भगाने का अब तक का सबसे मजेदार फॉर्मूला था।।
Volunteer थे हमारे इतने खड़ूस की हमे हँसकर डांट लगाई है।
परिवार के साथ ना होने पर भी अपनो के जैसा एहसास दिलाया है।।
इस सारे सफर को मजेदार बनाकर safely घर पहुँचाया है।
ऐसे भुराभाई आपको सबसे बड़ा सुक्रिया है।।
आंखों में कैद कर, दिल में समा लिया इन यादों को मैने।
Invincible का भाग बनकर खुद को किया अजेय मैंने।।

इन थोड़े लफ्जों में मेने अपने पहेले Trekking Camp का वर्णन किया है।मैं इससे पहले दो दिनों से अधिक समय तक परिवार के साथ या बिना परिवार के बाहर गुमने कभी नही गई थी।
यहाँ तक कि जब मेरी दोस्त की भाभी ने यह कहने के लिए फोन किया कि हम ट्रेकिंग टूर पर जैसलमेर जा रहे हैं, तो मुझे ये तक पता नही था कि में बेग कैसे पेक करू,क्या लेकर जाऊ, वहां पर कोनसी चीज मिलती होगी,इसमे से कुछ भी नई पता था मुझे। मैंने ट्रेकिंग कैंप के बारे में सुना था कि वहां पर सुबह समय पर उठना पड़ता है,एक्सरसाइज करनी पड़ती है,बहुत चलना होता है,वहां जो एक्टिविटी करवाते है वो करनी ही पड़ती है। यह सब मैं आसानी से कर सकती थी,लेकिन वहां ठंड में रहना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी,क्योंकि हम वहां जनवरी की 6 तारीख को गए थे और मैंने सुना था कि winter में वहां पर मनाली से भी ज्यादा ठंडी होती है।मेरा बस यही डर था कि इतनी ठंड मे में वहां पर रहूंगी कैसे ओर वो भी टेंट में क्योंकि हमारे यहां ठंडी के मौसम मे 25℃ टेम्परेचर होता है तब भी में अपने घर मे दो स्वेटर ओर साथ मे कम्बल ओढ़ कर बेठी रहती हूं।हम जब वापस लौट रहे थे तब हम सबको पूछा गया कि आपका अनुभव कैसा रहा तब ये बात जब मैंने अपने वोलेंटियर सर के साथ शेर की, तो उन्होंने मुझसे कहा कि आप यहां 1-3℃ पर रहे हो तो क्या अगली बार मनाली जाने के लिए रेडी है आप?मैंने कहा क्यू नही सर।मेरा सबसे बड़ा डर दूर हो गया।मेरा ये सफर यादगार बनाने के लिए मेरे साथ आनेवाले सभी दोस्तों को धन्यवाद, चार्ली ग्रुप के 4 दोस्तों को धन्यवाद,हमारे 3 वोलेंटियर्स (कृष्णा मैम, अक्षय सर, चिंतन सर) को बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने अपने छोटे भाई-बहनों की तरह हम सभी का खयाल रखा, जिन्होंने हमें पूरा सफर बिना रुकावट के अच्छे से गुमाया ओर सेफली घर तक पहुचाया ऐसे हमारे ड्राइवर भुराभाई आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏻, "Invincible एनजीओ" को धन्यवाद 🙏🏻,.... और मेरे परिवार को सबसे बड़ा धन्यवाद जिसके बिना मैं कुछ भी नहीं 🙏🏻... आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद🌟