Anchaha Rishta in Hindi Love Stories by Veena books and stories PDF | अनचाहा रिश्ता - ( आमंत्रण _२) 26

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अनचाहा रिश्ता - ( आमंत्रण _२) 26

ये धप मीरा ने समीर को कंधे से उठा कर सीधा स्वप्निल के टेबल पर सुला दीया। तीनो के लिए वक्त वही रुक गया। पूरा केबिन मानो समीर की चीख से हिल गया।

"आ..............." समीर की चीख सुन मीरा ने तुरन्त अपने हाथ उसके कंधे से हटाएं।

५ मिनिट बाद केबिन का माहौल कुछ इस कदर था के समीर स्वप्निल की खुर्सी पर बैठ आइस पैक से अपने कन्धे सेक रहा था। तो दुसरी और स्वप्निल मीरा को समझा रहा था।

" तुझे नही लगता की थोड़ी बोहोत सिम्पैथी मुझे भी मिलनी चाहिए।" समीर ने स्वप्निल को ओर देखते हुए कहा।

" ऐसी हालत मे भी तुझे मज़ाक सूझ रहा है। मुझे लगता है, तुम बिल्कुल ठीक हो अब। चलो मेरे केबिन से बाहर निकलो।" स्वप्निल ने अपनी जगह से उठते हुए कहा।

" सच कहते है, शादी के बाद लोग बदल जाते है।" उसकी बात सुन स्वप्निल फिर से मीरा के पास सोफे पर बैठ गया। वो फिलहाल किसी भी इमोशनल अत्याचार के मूड मे नही था।

लेकिन तभी उसके पास बैठी मीरा ने फिर से रोना शुरू किया,

" अरे चोट उसे लगी, मारने वाली तुम फिर भी तुम ही रो रही हो। मुझे तुम्हारी परेशानी कुछ समझ नही आ रही। प्लीज चुप हो जाओ और मुझे साफ साफ बताओ की तुम क्यों रो रही हो।" स्वप्निल बस उसका हाथ पकड़ने ही वाला था, के तभी केबिन का दरवाजा जोर से खुला।

दरवाजे से अंदर आते अजय को देख मीरा और जोर से रोने लगी।

" मीरा। क्या हुवा बच्चा ? तुम रो क्यों रही हो ?" मीरा ने उठकर अजय के गले लग रोना जारी रखा। अजय ने एक नजर मीरा को देखा फिर पास बैठे स्वप्निल को गुस्से मे घूरते हुए एक ऊंगली दिखाई, " आप । हा आपही से कह रहा हूं में। पहले आप उसे काम को लेकर तंग करते थे, अब पर्सनली भी रूलाने लगे है। किस तरह के इंसान है आप......"

वो आगे कुछ बोले उस से पहले समीर बोल पड़ा, " सही कहा, वक्त और हालत के साथ इंसान बदल जाते है। सामने बैठा इंसान कहने को तो मेरा बचपन का दोस्त है। पर ......"

" पर क्या सर....." अजय ने समीर से पूछा।

" पर एक लड़की के लिए उसने अपने घायल दोस्त को छोड़ दिया।" समीर ने अपने कंधे को सहलाते हुए कहा।

" देखा मीरा। सुना और तुम इस इंसान के साथ रहना चाहती हो।" अजय ने फिर से स्वप्निल की तरफ उंगली दिखाते हुए कहा।

स्वप्निल जानता था, क्यों की इस अनजान हादसे का शिकार समीर हुवा है। वो इसे अच्छा खासा किसी बेदर्द मूवी सीन की तरह लंबा खींचेगा। स्वप्निल ने एक मुस्कान के साथ अजय से कहा, " कम से कम पूछ तो लो की समीर को घायल किसने किया ? और किस लड़की के लिए मैंने अपने घायल दोस्त को छोड़ा ?।"

" किसने किया का क्या मतलब है ? आपने..." अजय आगे कुछ बोले उस से पहले उसे याद आया की स्वप्निल कभी समीर को घायल नही करेगा। समीर एक डिपार्टमेंट हेड है। मतलब यकीनन किसी और जूनियर मे इतनी हिम्मत नही है। तो मतलब कही। उसने अपने सीने पर रोती हुई उस लड़की को देखा।

" हा। बिल्कुल सही।" स्वप्निल ने कहा और अपनी जगह से उठ मीरा को अजय से अलग किया। " यहां बैठो। और बताओ मुझे। क्यो किया तुमने ऐसा।"

मीरा ने एक नजर उसे देखा, कितनी अच्छी तरीके से वो बात करता है उस से । वैसे तो हर कोई मीरा से प्यार से बात करता है लेकिन स्वप्निल की बात ही अलग है। "समीर सर ने जैसे ही मेरे कंधे पर हाथ रखा। मैं डर गई और उसी में मुझसे गलती हो गई। मुझे माफ कर दीजिए प्लीज।" मीरा ने स्वप्निल का हाथ पकड़ते हुए कहा।

"तुम्हें माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। वैसे भी गलती समीर की है वह तुम्हें ऐसे डरा कैसे सकता है।" स्वप्निल ने अपना दूसरा हाथ उसके हाथ पर रखा। " मेरे होते हुए तुम्हें किसी से डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैं संभाल लूंगा समझी। रोना बंद करो। अपनी शक्ल देखो कैसी बना ली है? कब से रोए जा रही हो। और भला इसमें रोने की क्या बात है, जब मैं हूं यहां तुम्हारे लिए।" स्वप्निल ने मीरा के सर को छूते हुए कहा।

" शुक्रिया। मुझे माफ कर दीजिए समीर सर।" मीरा ने समीर को देखते हुए कहा।

" अब मैं क्या कहूं ? जब पहले ही स्वप्निल ने सब कह दिया है। वैसे मैं तुम्हें डराना नहीं चाहता था। लेकिन मैं 10 मिनट से तुम दोनों को आवाज दे रहा था। एक था जो काम में पड़ा हुआ था और तुम पता नहीं क्या देख रही थी।" समीर ने बड़ बडाते हुए कहा।

" तुम यहीं खड़ी थी ?" स्वप्निल ने आश्चर्य से पूछा।

" देखा आपको तो पता ही नहीं था कि मैं यहां खड़ी थी। अपनी पत्नी के साथ भला कोई ऐसे पेश आता है ? आप ही के बारे में सोच रही थी मैं। तभी समीर सर ने पीछे से हाथ रखा और मैं तुरंत डर गई। " मीरा ने स्वप्निल से तकरार करते हुए पूछा। अजय को यह सुनकर धक्का तो लगा। लेकिन कुछ गलत सुन लिया हो। इस तरह से उसने उस बात को छोड़ दिया।

"अब मैं समझा। मतलब फिर से सारी गलती तेरी है।" समीर ने मीरा का साथ दिया।

" मीरा कल मेरी बहुत जरूरी मीटिंग है तुम जानती हो ना। अब हमारे पास एक ही हफ्ता है। एक हफ्ते बाद हमें शादी के लिए निकलना है।"

अजय को बस हार्ड अटैक आना ही बाकी था। एक दूसरे पर ध्यान देने के चक्कर में। वह तीनों भूल गए थे कि वहां एक अनजान शख्स पहले से ही उनकी बातें सुनते खड़ा हुआ था। "कौन शादी ? किसकी शादी ? क्या मीरा के पापा जानते हैं कि तुम दोनों शादी करने वाले हो?"

अजय की आवाज सुन तीनों ने आंखें बड़ी करते हुए उसे देखा। " उसने तो सब सुन लिया ? अब क्या करें ?" मीरा ने अनजाने मे स्वप्निल से पूछा।

स्वप्निल ने उसे देखा और कहा " अब हम कुछ नहीं कर सकते जो भी करेगा वह करेगा।"