5:30 बजे के आसपास आकाश उनके होटल में आया साथ में कॉफी पीने के बाद विक्रांत ने उसे पूरी बात बताई I सब कुछ सुन कर आकाश बोला - " देखो यह पैरासाइकोलॉजी मेरे दिमाग के समझ के बाहर है मेरा काम है चोर व अपराधियों को पकड़ना I इन मौतों के कारण पहाड़ के लोग बहुत ही गुस्से में है इसीलिए मेरा सजेशन है इसीलिए अकेले कहीं मत जाना बताना मैं कुछ फोर्स लेकर भी जा सकता हूं I "
विक्रांत बोला - " शायद फोर्स लेने की जरूरत है ऐसा तो मुझे नहीं लगता क्योंकि बात क्या है यह तो मैं जानता ही नहीं हूं अगर कल तुम खाली हो तो हम झिक्कर फॉरेस्ट को देख कर आते हैं "
और भी कुछ देर बात करने के बाद विक्रांत, रुचिका और निखिल से विदाई लेकर आकाश चला गया
और जाते समय बोला - " ठीक है तो कल सुबह 9:00 बजे मैं अपने गाड़ी को लेकर आ जाऊंगा I "
इधर गुफा में,
पारस ने आकर दो सूचना दिया व्योम को, एक अच्छी खबर और दूसरी बहुत बुरी ना होने पर भी चिंताजनक, पहला है और एक 9 साल की लड़की का जुगाड़ हो गया है और दूसरा है शहर से आए जिन तीन लोगों पर उसे नजर रखने के लिए कहा गया था वह तीनों आज थाने में गए थे
और उस थाने का ऑफिसर उनका परिचित है और वो ऑफिसर भी शाम को उनके होटल में गया था I
यह सब सुनकर व्योम बड़बड़ा कर बोला - " यह तो भारी समस्या है कहां से यह चले आए I जो भी हो अब तो केवल एक दिन बचा है उसके बाद ही तो मेरी सिद्धि , उसके बाद मुझे कोई छुए किसी में इतना दम नहीं I इसीलिए यह एक दिन ठीक से कट जाए बस I पारस ! सभी को होशियार रहने के लिए कहो अगर कोई आपत्तिजनक बात हुई तुम मुझे सूचना देना और वह तीनों अगर इस गुफा के आसपास दिखे तो क्या करना है यह तो मैंने पहले ही बताया है I "
इन सभी बातों को बोलकर व्योम के मुख से एक क्रूर हंसी खेल गई I,,,,,,,,,,,,,,,,
इस समय कितना बज रहा है समझ नहीं आ रहा I विक्रांत ने अंदाजा लगाया बीते 10 - 12 घंटे से इसी तरह हाथ - पैर बंधे हुए अवस्था में वह तीनों पड़े हुए हैं इस अंधेरी गुफा में , दोनों हाथों को इतना कसकर बांधा गया है पीछे की तरफ कि दर्द से कांप रहे हैं I विक्रांत ने पास ही देखा रुचिका और निखिल अभी तक बेहोश है उसके कंधे में दर्द होने के बावजूद उसे चिंता थी कि रुचिका और निखिल पर जो आघात हुआ वह कहीं तेज तो नहीं I
सुबह के निर्धारित समय पर आकाश नहीं आ पाया तथा एक गाड़ी भेजा था और ड्राइवर के हाथों एक सूचना दिया जिसमें लिखा हुआ था ' जरूरी काम में फंस गया हूं तुम सभी आगे बढ़ो तुम्हें पहुंचाकर गाड़ी वापस लौट आएगी मैं फोर्स लेकर पहुंच जाऊंगा लेकिन याद रखना थोड़ा सावधानी बरतना I "
गाड़ी से लगभग डेढ़ घंटे बाद वह सभी पहुंच गए अपने गंतव्य स्थान पर , सुबह से टिप टिप कर बारिश हो रही थी उनको गंतव्य स्थान पर पहुंचाकर गाड़ी जाने के बाद ही शुरू हुआ मूसलाधार बारिश , इधर उधर नजर दौड़ते वक्त रुचिका ने देखा एक गुफा जैसी जगह वहां पहुंचते ही बारिश इतनी तेज हो गई कि वह गुफा में काफी अंदर तक चले गए I कुछ अंदर जाते ही विक्रांत ने देखा था गुफा के अंदर चारों तरफ फैलाया हुआ फूल , सिंदूर इत्यादि I विक्रांत ने जल्दी से यह सब रुचिका और निखिल को दिखाया वह तीनों इस कारण को और डिटेल में देखने के लिए झुककर इधर-उधर खोज रहे थे कि कुछ और मिलता है या नहीं I एकाएक किसी के पीछे गिरने की आवाज सुन पीछे घूम कर विक्रांत ने देखा निखिल और रुचिका नीचे गिरे हुए हैं और उनके
पीछे खड़ा है एक 28 - 29 साल का नेपाली लड़का , विक्रांत कुछ बोलता उससे पहले ही उस लड़के ने एक रॉड से मारा विक्रांत के बाएं कंधे पर , उसके बाद से इतनी देर वह तीनों इसी तरह बेहोश थे शायद उसी लड़के ने उनके हाथ पैरों को बांधा है I
ठीक उसी समय विक्रांत ने देखा रुचिका और निखिल होश में आ रहे हैं लेकिन तीनों के मुंह बंधे होने के कारण कोई भी कुछ बोल नहीं पा रहा था I विक्रांत मन ही मन सोच रहा है इस परिस्थिति से किस प्रकार छुटकारा मिले तभी कुछ लोग चेहरे पर बैग के जैसा एक कपड़ा डालकर उनके सामने आकर खड़े हुए कपड़े से ढके होने कारण उनके चेहरे नहीं दिखाई दे रहे I उन लोगों ने एक-एक कर विक्रांत , रुचिका और निखिल के चेहरे एक छोटे बैग से ढक दिए उसके बाद पकड़ कर उनको खड़ा किया और पीछे से धक्का देते हुए किसी दूसरी जगह पर ले जाने लगे I चलते हुए विक्रांत को समझ में आ रहा है यह रास्ता गुफा के अंदर का ही कोई सुरंग का रास्ता है क्योंकि यह जगह बहुत ही ठंडी है एक बूंद
हवा भी उनके शरीर पर नहीं लग रहा I उन लोगों ने धक्का देते हुए एक जगह पर लाकर बैठा दिया फिर उनके चेहरे को खोल दिया गया I
सामने के दृश्य को देखकर विक्रांत रुचिका और निखिल एक साथ अद्भुत तरीके से कांप उठे I वह तीनों बैठे हुए हैं और दूसरे गुफा के अंदर पर यहां पर रोशनी है और रोशनी आ रही है सामने की एक बड़े हवनकुंड से, हवनकुंड के चारों तरफ बहुत सारे नरमुंड और उनपर लाल सिंदूर लगा हुआ है I चारों तरफ के दृश्यों को देखकर रुचिका कांप उठी थी, कुछ पूरी तरह नग्न पुरुष सामने बैठे हैं एवं उनके गोद में
बैठे हैं संपूर्ण नग्न महिलाएं , हवनकुंड के ठीक सामने लाल कपड़ा पहना हुआ एक आदमी बैठा हुआ है जिसके पूरे चेहरे पर लाल रंग से विचित्र तरह के चिन्ह बने हुए हैं I
उसने बाएं हाथ में नरमुंड और दाएं हाथ से कुछ पीले रंग के फूलों को डाल रहा है हवन कुंड में और साथ में मंत्र पाठ भी कर रहा है I कुछ देर बाद उस आदमी ने अपने दाहिने तरफ बैठे आदमी से कुछ कहा , वह आदमी उठकर गुफा से बाहर चला गया और लौटा 8 - 9 साल की छोटी लड़की को साथ में लेकर , हुआ छोटी लड़की पूरी तरह नग्न थी केवल उसके गले में एक फूलों की माला I
यह सब देखकर रुचिका चिल्ला उठी लेकिन वह भूल गई थी कि उसका मुख कपड़े से बंधा हुआ है उसके छटपटाहट को सुन हवनकुंड के पास ही बैठे एक आदमी ने बहुत ही क्रूर नजर से देखा उसकी तरह , उसके इसी तरह घूरने को देखकर तीनों के मन में और ज्यादा डर बढ़ गया I
मंत्र पाठ आरंभ हुआ हवन कुंड के सामने बैठा वह आदमी फूलों को हवन कुंड में डाल रहा है और कई रंगों के सिंदूर लगा रहा है उस छोटी लड़की के माथे पर , निखिल जान गया कि यह छोटी लड़की होश में नहीं है शायद नशे के लिए उसे कुछ खिलाया गया है I
एकाएक सभी पुरुष व महिलाएं चिल्ला उठे " व्योम " व्योम मतलब उस हवनकुंड के सामने बैठा आदमी,, उसने छोटी लड़की को आदेश दिया उसके गोद में लेटने के लिए , वह लड़की मानो किसी हिप्नोटाइज शक्ति के कारण उस आदमी के कहे अनुसार उसके गोद में लेट गई I उस आदमी ने अब अपने दाहिने हाथ से फूल डालना बंद कर उठा लिया एक खड्ग फिर बाएं हाथ के नरमुंड से कुछ शराब जैसा पीकर फिर उसे नरमुंड के तरल को डाल दिया छोटी लड़की के मुंह में ,,
यह सब कुछ आंखों के सामने ही हो रहा था पर विक्रांत , रुचिका और निखिल कुछ भी नहीं कर पा रहे थे I विक्रांत के मन में चल रहा था कि अब आगे क्या होने वाला है पर तभी एकाएक बाएं तरफ के दरवाजे से वही नेपाली लड़का दौड़कर आया और व्योम के गर्दन को जोर से पकड़ लिया लेकिन व्योम के शक्ति के आगे तुरंत ही ढेर हो गया I उस लड़के को नीचे गिराकर व्योम गुस्से में बोला - " तू मूर्ख है मेरे काम में बाधा देने की क्षमता तुझमें नहीं है पर तूने ऐसा किया ही है तो अब इसकी सजा तुम्हें भुगतनी होगी I के साथ आज तू भीमरेगा I "
विक्रांत में देखा रुचिका बेहोश हो गई है , समझ गया कि रुचिका इन सब दृश्यों को सहन नहीं कर पाई I व्योम ने मन्त्र को पढ़ते हुए खड्ग को उठा लिया वह छोटी लड़की के गले को खड्ग से छिन्न-भिन्न करने ही वाला था ठीक उसी समय उस गुस्सा में उपस्थित सभी ने देखा गुफा के दाएं तरफ रखें कई सारे ड्रम हिल रहे हैं पहले धीमे-धीमे फिर एकाएक तेजी से हिलना शुरू किया सभी ड्रम , व्योम उसी तरफ आश्चर्य हो कर देख रहा है उसके चेहरे को देखकर समझा जा सकता है
कि वह डर गया है I धीरे-धीरे ड्रम के ढक्कन खुल गए और वहां से निकले सात - आठ छोटी लड़की के कटे हुए सिर , उनके चेहरे का चमड़ा सड़ा हुआ है जिससे पता चलता है यह सिर बहुत दिन पहले के है, पर आश्चर्य की बात है उनकी आंख जीवित है पूरी तरह जीवित , वह सभी गुस्से की नजर से देख रहे हैं व्योम की तरफ , व्योम डर से कांप उठा , खड्ग नीचे गिर गया I यह सब देख कर गुफा में उपस्थित सभी पुरुष और महिलाएं डर से इधर-उधर भागने लगे I गुफा में इस समय उपस्थित हैं व्योम, विक्रांत, रुचिका, निखिल,
वही नेपाली लड़का, बेहोश छोटी लड़की और वही सात -आठ कटे हुए सिर जिनके गले से एक बूंद खून निकलने पर भी वह खा जाना चाहते हैं व्योम को , एकाएक सभी सिर उड़ते हुए आए और काट लिया व्योम के पूरे शरीर पर , दांतों से काटने के कारण उनके पूरे शरीर से खून की धारा बहने लगी I यह एक बहुत ही भयानक विकृत दृश्य था पसीने से धुल गए हैं व्योम के चेहरे पर लगे सभी रंग , वाह जोर-जोर से चिल्ला रहा है I चेहरे के रंग हटने के बाद विक्रांत, निखिल और रुचिका ने आश्चर्य होकर देखा कि व्योम कोई और
नही जयचंद कश्यप , इसी बीच नेपाली लड़की ने उठकर जल्दी से खोल दिया है तीनों के बंधे हुए रस्सी को , जयचंद चिल्ला रहा है , "पारस मुझे बचा " लेकिन कुछ भी न बोलकर पारस मतलब उस नेपाली लड़के ने दौड़कर उठा लाया उस छोटी लड़की को , बाहर सुनाई दे रहा है पुलिस की आवाज और हलचल !
विक्रांत ने धीरे से बोला - " तुम सब उसे छोड़ दो इसे तो कानून सजा देगा I "
मंत्र की तरह काम किया उसके इस बात ने, धीरे धीरे नीचे गिर गए वह सभी कटे हुए सिर, नीचे गिरने के ठीक पहले उन छोटी लड़कियों के आंखों की तरफ नजर गया था विक्रांत का और उन आंखों में था असीम कृतज्ञता मानो वह धन्यवाद कह रहे हो I
दौड़ते हुए आया आकाश और बोला - " एवरीथिंग इज
ऑलराइट, तुम सभी ठीक हो विक्रांत "
विक्रांत ने सिर हिला कर उसे आश्वासन दिया हां सब कुछ ठीक है I
जयचंद कश्यप को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा I थाने में पारस से पूछने पर उसने सब कुछ खुलकर बताया " जयचंद जी लंगड़े होने के कारण बहुत सारे लड़कियों से अपमानित हुए थे पूरे जीवन , इसीलिए एक तरह की पागलपन के कारण ही शुरू किया था यह सब, खुद को परिपूर्ण कर रहे थे महाशक्ति के आधार के लिए , वह विश्वास करते थे किसी एक प्राचीन तंत्र शक्ति के से लगातार सात तारीखों पर मतलब पूर्णिमा ,एकादशी और अमावस्या को सात कुंवारी लड़कियों से शारीरिक संबंध और अष्टमी ऐसे ही सात, 8 -9 साल की लड़कियों को मारने पर खुश होंगे मृत्यु देवता और हो जाएंगे बहुत असीम शक्तिशाली , मैं ही इन लड़कियों को
खोज कर लाता था बदले में मुझे भी बहुत शक्तिशाली बनाने का वादा किया था I "
सभी चुपचाप सुन रहे थे उसकी बातों को, पारस से आकाश ने पूछा - " लेकिन तुम अंतिम समय में क्यों इसके खिलाफ हो गए ? "
पारस बोला - " जयचंद जी ने मुझे कुछ भी न बताकर मेरे बहन को भी उठा ले गए थे I "
अंधकार वाली रात कटकर अब सुबह हो रही है, आकाश
में सूरज की रोशनी से खिलखिला उठा है दूर धर्मशाला के ऊंचे पहाड़ , थाने के बाहर खड़े होकर चाय पीते हुए विक्रांत सोच रहा था मनुष्य का मन भी अगर उस चोटी की तरह ऊँचा होता और इतना सफेद होता तो यह धरती भी शायद कुछ अलग तरह का होता I
।। समाप्त ।।