The Dark Tantra - 21 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | द डार्क तंत्र - 21

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द डार्क तंत्र - 21


आत्मा की पुकार - 3


अब आगे.......

आज निखिल के घर पर विक्रांत अकेले ही गया
था क्योंकि रुचिका ने काम को फिर से ज्वाइन किया है I रुचिका दिल्ली के एक प्राइवेट कॉलेज में गेस्ट लेक्चरर है बहुत दिन एब्सेंट हो रहा है इसीलिए कॉलेज से फोन आया था इसीलिए उसे काम पर जाना पड़ा I
लौटते वक्त और एक घटना हुआ विक्रांत के साथ , कैब टैक्सी एक मोड़ पर खड़ा था उसी समय विक्रांत की
नजर पड़ी सड़क के दूसरी तरफ खड़ी एक छोटी सी
लड़की के ऊपर उस लड़की ने स्कूल ड्रेस पहना था
और एक बूढ़े के हाथ को पकड़ कर आ रही थी I
शायद स्कूल से लौट रही थी विक्रांत उस छोटी सी
लड़की को देख रहा था ठीक उसी समय देखा उस
लड़की का चेहरा पूरी तरह बदल रहा है और बदलकर
उस दिन दिखी उसी लड़की के चेहरे की तरह हो गई I
वह लड़की इशारों में पास ही समाचार पेपर के स्टॉल
की तरफ दिखा रही है I विक्रांत देर न करते हुए कैब
से उतर जल्दी से सड़क के दूसरी तरफ पेपर स्टॉल
पर पहुंच गया I पागलों की तरह दौड़ते हुए डिवाइडर
से फंसकर उसका जींस भी थोड़ा सा फट गया I
यह देख एक ऑटो वाला गुस्से में गाली दिया पर
विक्रांत ने उधर देखा भी नहीं क्योंकि उसका सारा
ध्यान चला गया है दैनिक पेपर के फ्रंट पेज पर जिसके
हेड लाइन पर लिखा है 'पहाड़ पर बच्चों के सिरहीन
शरीर ' I विक्रांत को लगा कि वहां जिस बॉडी को
छापा गया है इसे उसने कहीं देखा है I उस बॉडी के
बाएं हाथ में कोहनी के ठीक नीचे एक बड़ा काला सा
जन्म चिन्ह (बर्थ मार्क ) , पीछे मुड़कर देखा कैब वाला
अभी भी खड़ा था वह जाकर फिर बैठ गया I
मयूर विहार अपने घर के सामने उतरते वक्त पूरी बात उसे समझ में आ गया और कारण वह समझ गया है कि क्यों इस बॉडी को वह इतनी अच्छी तरह पहचान रहा है I
पास ही भास्कर काका के छत पर विक्रांत ने फिर
देखा उस लड़की को और देखा उसके बाएं हाथ के
कोहनी के नीचे वही जन्म चिन्ह I
शाम को रुचिका ने घर लौट कर देखा विक्रांत छत
पर लगी फूलों को एकटक देख रहा है I रुचिका घर के
डुप्लीकेट चाबी से घर में आई थी इसीलिए विक्रांत नहीं जाना I रुचिका आकर पीछे से उसके सिर को सहलाकर बोली - " गुड इवनिंग विक्रांत आज शरीर ठीक है ना ?
तुम गए थे आज निखिल भैया के पास ?"
विक्रांत ने पूरी बात सुबह से जो कुछ भी हुआ है
सब कुछ रुचिका को खुलकर बताया I उस टाइम
रुचिका ने कुछ नहीं कहा फिर रात के खाने के बाद
बिस्तर पर लेटे हुए पहली बात बोली रुचिका - "
अच्छा तुम क्या सोच रहे हो क्या बात हो सकती है ? "
विक्रांत बोला - " अगर निखिल के बात को मान लूँ
तो वह छोटी लड़की मुझसे कुछ मदद चाहती है I "
" उस पेपर के सिरहीन शरीर वाली क्या बात है
वही नहीं समझ पा रही हूँ इतने सारे सिरहीन शरीर
मिला है जिससे पूरा नार्थ परेशान है I इस घटना में
कोई लिंक है पर पूरी बात क्या हो सकती है यही
नहीं समझ आ रहा I "
" अच्छा रुचिका तुम्हें क्या लगता है यह कोई
धार्मिक प्रक्रिया का काम है ? या कोई आपराधिक
काम भी हो सकता है I तुमने तो एंथ्रोपोलॉजी
विषय के बारे में पड़ा है उसमें इसके बारे में कुछ
उल्लेख किया गया है I "
" हां उल्लेख है सिर काट लेना व हेड हंटिंग दुनिया में बहुत प्राचीन काल से है I अमेरिका के चिंचिपे, मोरोना, पस्ताजा जाति , पापुआ के कई जनजाति और भारत के मिजोरम और नागालैंड में भी यह प्रचलन था I कहीं-कहीं यह अपने शक्ति का प्रदर्शन तो कहीं भगवान से संपर्क का पथ और कहीं कहीं यह हेड हंटिंग विशेष दैवीय शक्ति के साधना के लिए होता I पर वर्तमान में यह सब पूरी दुनिया में नहीं है I "
" विषय को पूरी तरह से जानने के लिए मुझे एक
बार फिर पहाड़ पर जाना पड़ेगा पर ठीक कहां जाऊं
यही नहीं समझ आ रहा I "
" पर इस अवस्था में अकेले तुम पहाड़ पर कैसे
जाओगे ? "
" जाना तो मुझे होगा क्योंकि अगर ऐसा ही रहा
तो मैं पागल हो जाऊंगा I सोचा है धर्मशाला में जिन
जगहों पर मृत शरीर मिले हैं वहां पर जाऊंगा I
तुम देखो किसी तरह अगर छुट्टी ले पाओ जानती हो
जिनके साथ पहाड़ पर जाता था वह तो अब नहीं रहे
तुम अगर साथ रहती तो अच्छा होता I
पहाड़ों पर क्या रहस्य है जो मुझे प्रति सेकंड बुला
रही है यह जानना ही होगा I "

अंत में सीधे धर्मशाला , सही कहे तो विक्रांत भी ऐसा
ही कुछ चाहता था I वह सभी इस समय धर्मशाला के
होटल में बैठे हुए हैं वह तीनों मतलब विक्रांत, रुचिका
और निखिल I
पहले रुचिका को छुट्टी लेने में कुछ दिक्कत हुई पर
बाद में किसी तरह बाद में मैनेज किया गया और
निखिल ने उनके पूरे प्लान को सुनकर कहा था वह
भी जाएगा I
आने से पहले रुचिका ने बात कर लिया है जयचंद
कश्यप के साथ , जयचंद जी रुचिका की कॉलेज
सहेली रूपा दीदी के रिश्तेदार हैं I रुचिका पहाड़ पर
जा रही है यह सुनकर रूपा दी ने ही कहां है उनके
साथ मिलने के लिए I पहाड़ के जाने - माने आदमी हैं
वो किसी भी काम में सहायता कर सकते हैं I
लेकिन उन्होंने जयचंद जी को असली बात खुलकर
नहीं बताई है केवल यही बताया है कि वह सभी
पहाड़ों पर घूमने जा रहे हैं I इस होटल में ठहरने के
लिए उन्होंने ही कहा है I जयचंद जी शायद कुछ ही
देर में चले आएंगे उनके साथ मिलने, व्यस्त आदमी
हैं इसीलिए शायद समय लग रहा है I
कुछ देर पहले ही होटल के स्टाफ ने आकर तीन कप
कॉफी और बिस्कुट देकर गया है I कॉफी खत्म कर
निखिल बोला - " मैं बाहर घूम कर आता हूं तुम थोड़ा
तब तक रोमांस करो I "
यही बोल कर वह अपने रूम में चला गया I करीब एक
घंटा बाद जय चंद्र जी आए I
विक्रांत, निखिल को बुलाने के लिए जैसे ही रूम
से निकला फिर से वही छोटी लड़की खड़ी है कॉरीडोर
के एकदम बाहर की तरफ .........

दोदिन पहले गुफा में,
व्योम गुस्से में हैं क्योंकि उसने जो कहा था वह पारस में अभी तक नहीं किया I
व्योम गुस्से में बोला - " पारस को कितनी बार कहा पर फिर भी अभी तक कोई खोज नहीं, तीन दिन बाद ही अमावस्या है I उस दिन अगर कुछ ना किया गया तो इतना मेहनत व्यर्थ चला जायेगा I यह कुछ भी काम नहीं कर सकते क्या जानते हैं यह हमारे प्राचीन विद्या के बारे में , अगर वह काम नहीं कर पाया तो दूसरे किसी लड़के को लगाना होगा I "
बैठे-बैठे यही सब बड़बड़ा रहा था व्योम लेकिन
वह एक बात नहीं समझ पा रहा था कि इतने बड़े लाभ
को पारस गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा I ...,,,,,,,,

कल कॉरीडोर में उस छोटी लड़की को देखने के बाद विक्रांत का मन बहुत चिंतित है I कॉरीडोर के एक तरफ निखिल का रूम है और दोनों तरफ दीवार केवल निखिल के रूम के सामने एक खिड़की है जिससे दूर के पहाड़ और जंगल दिखते हैं I वह छोटी लड़की निखिल के दरवाजे के बाहर खड़ी होकर खिड़की की तरफ इशारा करके उसे कुछ दिखा रही थी I विक्रांत पहली बार साहस करके उधर दो कदम बढ़ाया तुरंत ही वह छोटी लड़की गायब हो गई I विक्रांत ने जल्दी से जाकर उस खिड़की से बाहर देखा पहाड़ और जंगल के सिवा और कुछ भी नहीं दिख रहा I क्या दिखा रही थी वह छोटी लड़की ? निखिल के दरवाजे को खटखटाते ही वह भी बाहर निकला पर विक्रांत ने उस समय उसे कुछ नहीं बताया I दोनों ने विक्रांत के रूम में आकर देखा जयचंद जी और रुचिका कहां कैसे घूमा जाए इसी
बारे में बातचीत कर रहे हैं I कुछ देर बातों के बाद
विक्रांत ने जयचंद जी से पूछा कॉरिडोर के खिड़की से
जो पहाड़ दिख रहा है उसके बारे में I इस बात को
सुनकर जय चंद्र जी अद्भुत सा चेहरा बनाकर बोले
- " नहीं वहां पर तो घूमने लायक कुछ भी नहीं है केवल
लोकल एक पहाड़ी गांव है I आप सभी आकर
इधर-उधर घूमना चाहे तो तुम्हें बता सकता हूं लेकिन
पहाड़ों पर ट्रैकिंग के बारे में मुझसे कोई हेल्प नहीं पा
सकते I "
विक्रांत समझ नहीं पा रहा था कि एकाएक जयचंद्र जी
ने ऐसा रिएक्ट क्यों किया I वह बोला - " नहीं वहां
जाना नहीं मैं केवल उस जगह के नाम को जानना
चाहता था I "
जयचंद जी बोले - " उस जगह का नाम झिक्कर
फॉरेस्ट है I"
और कुछ देर इधर उधर की बात करके जयचंद जी
चले गए I उनके जाने के बाद विक्रांत ने रुचिका और
निखिल को कुछ देर पहले के बात को बताया I और
कहा उस झिक्कर फॉरेस्ट में जाना जरूरी है I
इस समय दोपहर के 12:00 बज रहे हैं उन्होंने तय
किया कि लंच को खत्म कर करीब 1 बजे के बाद
वह तीनों निकलेंगे I
जैसा सोचा था उसी टाइम पर निकले और आज
मौसम भी अच्छा है इस समय बादल छटकर
अच्छी धूप निकली है पहाड़ों पर I
वह तीनों बात करते-करते गाड़ी स्टैंड की तरह जा
रहे थे ठीक उसी समय एक पहाड़ी लड़के ने रुचिका के
हैंडबैग को लेकर दूर भागा I विक्रांत और निखिल
कुछ समझ पाते उससे पहले ही वह वहां से गायब I
उनके बातों को सुनकर कुछ ही देर में आसपास के
लोग इकट्ठा हो गए तथा उन्होंने निश्चय किया कि
लोकल थाने में रिपोर्ट लिख कर रखेंगे क्योंकि उसमें
ज्यादा पैसा ना रहने पर भी रुचिका की कुछ डाक्यूमेंट्स है जैसे आधार कार्ड , वोटर आईडी इत्यादि I
थाने में जाकर पता चला ऑफिसर इंचार्ज नहीं है वह शायद राउंड पर गए हुए थे I वह सभी कॉन्स्टेबल के पास रिपोर्ट को लिखकर बाहर आ रहे थे तभी देखा ऑफिसर की गाड़ी आकर रुकी I उस गाड़ी से जो आदमी नीचे उतरा उसे देख कर निखिल और विक्रांत आश्चर्य हो गए I अरे ! यह तो आकाश यादव है I इन दोनों के कॉमन फ्रेंड एक साथ स्कूल में पढ़े हैं वह सभी I
आकाश ने अपने रूम में लाकर बैठाया और फिर उनके यहां घूमने और हैंडबैग चोरी के बारे में सुना और फिर बोला - " ठीक है चिंता मत करो यह दिल्ली तो है नहीं छोटी सी जगह है उसके ऊपर तुम सब मेरे स्पेशल गेस्ट मैं आदमी लगाता हूं दो एक दिन में शायद डाक्यूमेंट्स मिल जाए I "
विक्रांत बोला - " तुम्हें और एक बात बतानी है हम यहां पहाड़ पर क्यों घूमने के लिए आए हैं शायद तुम्हारा हेल्प भी लगेगा I तुम्हें सब कुछ बताऊंगा पर यहां नहीं तुम आओ हमारे होटल I "
" क्या बात हो सकता है कुछ हिंट दो I "
" नही यहां पर नही तुम आओ तुम्हें सब कुछ बताऊंगा I "
यही बोलकर विक्रांत और सभी जाने के लिए खड़े हो गए I आकाश ने पीछे से कहा - " इस समय तुम सब होटल जाओ शाम हो ही गया है I करीब एक-दो घंटे बाद मैं तुम्हारे होटल आता हूँ I "……………

।। क्रमशः ।।