ब्लैकआउट के बाद विक्रांत जब बेहोश होकर गिर
रहा था तब उसके हाथ से पानी की बोतल के गिरने
की आवाज को सुनकर नींद खुल गई थी रुचिका की,
उस रात किसी तरह संभाल कर अगले दिन डॉक्टर
के पास गए वह सब I सभी बातों को डॉक्टर के
सामने खुलकर बताने पर डॉक्टर ने विक्रांत को परामर्श दिया कि किसी बढ़िया साइकेट्रिस्ट से बात करें ,
इसीलिए आज वह सभी आए हैं प्रसिद्ध साइकेट्रिस्ट
व विक्रांत के सहकर्मी डॉ. श्वेतांक बंसल के पास I
डॉ. श्वेतांक ने उस दिन के अपने पेशेंट को देखने
के बाद विक्रांत और रुचिका को बुलाया अपने केबिन
में , सभी बातों को ठीक से सुनने के बाद वह बोले
- " बात बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है यह केवल एक
पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर है I मुझे लगता है
खाई में गिरने के उस भयानक सोच से विक्रांत के
मन में कई तरह के अद्भुत बातों की उत्पत्ति हुई है I
और इसी कारण वह कुछ अद्भुत वह भयानक दृश्यों
की कल्पना कर रहा है I "
डॉ. श्वेतांक ने कुछ स्ट्रेस रिलीवर दवाइयों को लिख
कर दिया और रुचिका से बोले - " मैडम उसे अभी
पूरी तरह बेड रेस्ट की जरूरत है I क्योंकि फिर से
ब्लैकआउट होने पर गिरने की वजह से सर पर चोट
लग सकती है I और अगर एक ही घटना बार-बार
होता रहे तो मुझे तुरंत कॉल करके बताइयेगा I
फिर कुछ सोच समझकर व्यवस्था किया जाएगा I "
रुचिका के पास ही बैठा विक्रांत मन ही मन सोच
रहा था कि यह केवल पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
नहीं है यह कुछ और ही है क्योंकि वह खुद भी एक
डॉक्टर है एवं इतना ज्ञान तो उसे है I
इस रविवार विक्रांत के एक दोस्त ने अपने घर पर
होमकमिंग पार्टी रखी थी विक्रांत के लिए ,
विक्रांत इतने बड़े दुर्घटना से स्वस्थ हुआ और घर
लौटा है इसी कारण यह पार्टी , सीनियर, जूनियर
व दिल्ली के कुछ जाने-माने फिजीशियन भी उपस्थित
थे उस पार्टी में I सभी से बात करके अभी खाने की
टेबल की तरफ बढ़े ही थे विक्रांत और रुचिका तभी
विक्रांत ने देखा खाने की टेबल पर सजाया हुआ है कई
तरह के बच्चों के कटे हुए सिर , पूरे टेबल पर दिख
रहा है गाढ़ा लाल खून , तभी एक सिर ने उसकी
तरफ देखा बहुत ही निर्मम था उसका दृश्य , फिर से
ब्लैकआउट I
अगले दिन सुबह नींद से जागने पर उसने देखा ,
वह लेटा हुआ है खुद के बिस्तर पर , रुचिका एक
कप कॉफी लेकर आई उसके लिए , रुचिका से ही
उसने जाना कल ब्लैकआउट होने के बाद उसके ही
एक सीनियर ने चेकअप किया और एक सिडेटिव
देकर रुचिका से कहा कि उसे घर ले जाए I
विक्रांत ने सोचा बहुत देर हो जाए इससे पहले
अपने सभी ईगो को साइड में रख जल्दी ही उसे
मिलना होगा निखिल से I
निखिल , विक्रम के बचपन का दोस्त है I बाद में
किसी विशेष कारण से दोनों के बीच मिलना -जुलना
बंद हो गया I
निखिल आज एक प्रसिद्ध पैरासाइकोलॉजिस्ट है I
और यही पैरासाइकोलॉजी ही था दोनों दोस्तों के
बीच विवाद का मूल कारण , करियर के शुरू में
विक्रांत इस विषय को बहुत ही बेकार मानता था I
उसका कहना था पैरासाइकोलॉजी के कुछ भाग
को छोड़कर बाकी सब फेक है I
बात बात में एक दिन विवाद इतना बढ़ गया कि
निखिल ने बोल दिया, एक दिन तुम मेरे पास
आओगे इस पैरासाइकोलॉजी के लिए ही आओगे
तब तक गुडबाय I
बाद में हालांकि विक्रम ने इस विषय के बारे में
पढ़कर एवं लोगों से चर्चा करके जाना और समझा
कि यह विषय फेक नहीं है I निखिल के साथ दूरी
का कारण उसका ही ईगो है इसीलिए कभी फोन
करके भी नहीं जाना कि वह कैसा है और क्या कर
रहा है I पेपर में भी निखिल के बारे में पढ़ा है I
लेकिन आज कोई भी उपाय ना होने के कारण
विक्रांत चला गया निखिल के पास I
निखिल, विक्रांत के बात को गंभीरता से लेते हुए
चुपचाप सुन रहा है पिछले आधे घंटे से ,
विक्रांत और रुचिका इस समय बैठे हुए हैं
निखिल के आनंद विहार वाले घर पर ,
सब कुछ सुन कर निखिल बोला - " देखो विक्रांत
समझ रहा हूं विजुअल कितनी भयानक है I
पर किसी तरह साहस करके इसे पूरा देखने की
कोशिश करो क्योंकि कभी-कभी स्ट्रेस और ट्रोमैटिक
कारणों से बहुत सारे अद्भुत कल्पनाए होती है जिसका
कोई कारण नहीं होता I लेकिन अगर विजुअल का
कोई मतलब होगा वह तभी समझ में आएगा जब
पूरे विजुअल वीडियो को तुम किसी तरह साहस
करके शुरू से अंत तक देखोगे I फिर हम इस विषय
में अच्छे से बात कर सकते हैं I "
इसके बाद कट गया और 15 दिन , सब कुछ अद्भुत
तरीके से ठीक हो गया है I विक्रांत और वह सब
विजुअल नहीं देखता I रुचिका भी काम फिर से
जॉइन करेगी यही सोचा है पर वह अभी विक्रांत
को काम शुरू करने नहीं देगी I
आज वह दोनों एक साथ सुपरमार्केट आए हैं ,
खरीददारी होने के बाद रुचिका बिल पेमेंट कर रही थी
उसी समय ध्यान से देखा कि विक्रांत एक बिस्कुट के
स्टॉल के सामने अद्भुत तरीके से खड़े होकर पास ही
रखें ड्रमों को एकटक देख रहा है I
विक्रांत देख रहा था ड्रम के अंदर काले रंग के खून
उसी में रखे हुए हैं बहुत सारे बच्चों के सिर , वह.
लड़के हैं या लड़कियां यह समझ में नहीं आ रहा
क्योंकि सभी के बाल बहुत छोटे छोटे हैं I गले के
पास विकृत तरीके से काटा गया है यह विभत्स्ता
और एक बार विक्रम को अपने आगोश में ले लेता
इससे पहले ही उसे याद आ गया निखिल की बात
पर फिर भी विक्रांत ज्यादा देर तक उस तरफ देख
नहीं पा रहा था लेकिन जबरदस्ती आंखों को खोलें
रखा I विक्रांत ने देखा देहहीन उन सिरों में आंख
नहीं है वह उखाड़ लिए गए हैं I सभी सिरों के बाएं
कान को मानो किसी जानवर ने चबाएं हो I
विक्रांत इस दृश्य को और ज्यादा देर सहन न कर
जैसे ही अपने सिर को दूसरी तरफ घुमाया उसने
देखा सुपरमार्केट का यह परिवेश बदल गया है
और वहां पर शहर के व्यस्त रास्ते बदल कर एकाएक
हो गए हैं कोहरे से घिरे पहाड़ों की ढलान और उसी
ढलान में खड़ी है 8 - 9 साल की एक छोटी सी लड़की
इशारों से वह विक्रांत को पास बुला रही है I धीरे-धीरे
फिर सब कुछ अंधेरे में बदल गया I रुचिका ने देखा
धीरे-धीरे लड़खड़ा रहा है विक्रांत I...........
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बीते कल पहाड़ों पर फिर एक बच्चे का सिर
कटा शरीर मिला है I इसी को लेकर पार्टी के द्वारा
एक मोर्चा निकाला गया है और इस मोर्चा के रैली में
साथ थे पहाड़ों के पार्टी के प्रधान चेहरा जयचंद
कश्यप , वह थोड़ा लंगड़ा कर चलते हैं एकदम सफेद
शरीर का रंग , ठीक-ठाक लम्बे , बहुत ही छोटे उम्र से
पार्टी के साथ हैं अब उनका उम्र है यही कुछ 52 साल I
जयचंद कश्यप के नाम से सभी यहां डरते हैं और अच्छे से रहते हैं I
इस घटना से पहाड़ के गांव के साथ-साथ टाउन के
लोगों के बीच भी डर फैल गया है I जयचंद कश्यप ने
इस बात को लेकर शिमला में पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं से भी बात की है I बात किया है SP के साथ भी ,
बीते 3 महीनों में इसे लेकर 7 लड़कियों के शरीर
मिले हैं और एक में भी सिर नहीं है I अभी तक पुलिस
कुछ भी नहीं कर पा रहा और पार्टी के लोग भी कुछ
नहीं कर पा रहे हैं I लोगों को जवाब देते देते जयचंद
जी थक गए हैं I सामने ही चुनाव है इसीलिए जो भी
हो कुछ तो जल्द ही करना होगा I
लोकल लोग कर रहे हैं यह किसी तंत्र मंत्र की बात है
SP का भी यही मत है लेकिन जयचंद जी कह रहे हैं
यह किसी दूसरी अपराधिक काम है और पहाड़ी
लोगों को भयभीत करने का भी एजेंडा हो सकता है I
उन्होंने अवश्य ही पार्टी के सुप्रीमो के पास इस बात को
जल्दी ही इन्वेस्टिगेशन के लिए बात भी किया है इससे
ज्यादा वह कर भी क्या सकते हैं I पार्टी के काम के
अलावा जयचंद कश्यप का एक ट्रैवलिंग एजेंसी भी है
तथा पहाड़ के बाकी सभी ट्रैवलिंग एजेंसी में उनका
ही सबसे अच्छा और प्रसिद्ध है इसका कारण उनका
पार्टी इनफ्लुएंस तथा अपनी पकड़ भी है I
इस मोर्चा के अंत होने के समय उनके पास एक फोन
आया फोन उठाकर बोले - " कितनी बार कहा कि मुझे
फालतू में फोन मत करना , ठीक है मैं कर लूंगा I "
फिर फोन के उधर से कुछ सुनकर जयचंद जी के
माथे पर बूंद बूंद पसीना निकल आए I फोन रखने के
बाद पार्टी के लोगों को अपने काम को करते रहने के
बारे में बोलकर जल्दी से गाड़ी लेकर निकल गए I
निकलने से पहले कुछ लोगों से बोले - " एक समस्या
आ गई है इसलिए जल्दी जाना पड़ रहा है तुम सभी
अपना काम करते रहो I "
निखिल के घर,
" पैरासाइकोलॉजी के भाषा में इस बात को कहते हैं
क्लैरवोयंस , पैरासाइकोलॉजी में मनुष्य के कुछ ऐसे
बात को लेकर आलोचना है जिसे सायकोलॉजी या
साइकियाट्रिक भी नहीं समझ पाते I पैरासाइकोलॉजी
की भाषा में तीन बहुत ही महत्वपूर्ण चीजें हैं I
टेलीपैथी मतलब कोई दूसरा कुछ सोच रहा है और
तुम भी एक ही साथ एक ही बारे में सोच रहे हो एक ही
समय , स्थान एक हो सकता है एवं पृथ्वी के किसी
भी दो जगह पर भी हो सकता है I
दूसरा है प्रिकॉग्निशन मतलब कोई एक घटना जो
भविष्य में होने वाला है या होगा लेकिन तुम उसे
पहले से ही अनुभव कर लो I और तीसरा क्लैरवोयंस
जो दोनों के बीच में मतलब यह कोई घटना या भावना
नहीं है लेकिन दूर किसी दूसरे के मन की बात तुमने
जान लिया या देख लिया यह जागते हुए या सपने में भी हो सकता है I "
विक्रम हंसते-हंसते निखिल से पूछा - " मतलब क्या
बोलना चाहते हो मैंने दिव्यदृष्टि पाई है I "
निखिल बोला - " हां कुछ वैसा ही , पहले के
ऋषि-मुनियों में जो दिव्यदृष्टि थी उसे पैरासाइकोलॉजी
की भाषा में प्रिकॉग्निशन या क्लैरवोयंस कहते हैं I "
" लेकिन मेरे साथ ही एकाएक ऐसा क्यों हुआ ? "
" क्यों हुआ इसका कोई उत्तर नहीं होता कभी-कभी
स्ट्रेस व ट्रामा से व मेडिटेशन से तथा किसी कारण से
मन का ऐसा भाग खुल गया जो बहुत दिन से बंद था
और वही से तुमने कुछ ऐसा विजुअल पाया है जो
साधारण कोई देख नहीं पाता I "
" तुम इसी बात पर क्यों जोड़ दे रहे हो कि यह
विषय क्लैरवोयंस ही है ?"
" मेरे बात का मतलब है वह छोटी लड़की तुम्हें कुछ
कहना चाहती है वह कहीं जाने के बारे में निर्देश दे रही
है I "
" तो तुम्हारे हिसाब से मुझे इस समय क्या करना
चाहिए ? "
" तुम विजुअल को फॉलो करो और जानो कि वह
तुम्हें कहां जाने का निर्देश दे रही है I ".......
।। क्रमशः ।।