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निर्भय के मन में जो बात आई थी उसके बारे में सुनकर मानवी सोच में पड़ गई थी। कुछ देर तक वह भी उस पर विचार करती रही। उसके बाद बोली,
"तुमको लगता है कि यह रमन सिंह अंजन है। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है। मीरा ने उसके ऊपर हुए हमले में हमारी मदद की थी। अब वह उसकी मदद क्यों करेगी।"
"यह बात मेरे मन में भी आई थी। मैंने इस पर बहुत सोचा। मुझे ऐसा लगता है कि अंजन ने बड़ी चालाकी से उसे इस बात का यकीन दिलाया होगा कि वह उसे अभी भी प्यार करता है। मीरा पिघल गई होगी। उसकी मदद करने को तैयार हो गई होगी।"
मानवी कुछ सोचकर बोली,
"मीरा को अपने प्यार का यकीन दिलाने के लिए अंजन उससे मिला होगा। पर उसे कैसे पता चला कि मीरा सिंगापुर में है। दूसरी बात कि वह खुद लंदन क्यों चली गई।"
"अंजन को कैसे पता चला कि मीरा सिंगापुर में है कहना कठिन है। जहाँ तक मीरा के लंदन जाने की बात है तो हो सकता है कि वह अंजन के कहने पर किसी खास काम से वहाँ गई हो।"
मानवी को निर्भय की बातों पर यकीन नहीं हो पा रहा था। निर्भय उसका संशय समझ रहा था। उसने कहा,
"मानवी मैं अभी कुछ भी यकीन से नहीं कह पा रहा हूँ। पर एक बात पर मेरे मन को पूरा यकीन है। रमन सिंह कोई और नहीं अंजन है।"
मानवी एक बार फिर सोचने लगी। कुछ क्षणों के बाद वह बोली,
"चलो मैं भी तुम्हारे इस यकीन पर भरोसा कर लेती हूँ। अब यह बताओ कि तुम क्या करना चाहते हो।"
"यह सोचकर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है कि हमारा दुश्मन मेरे घर में मज़े से छिप कर बैठा है।"
"निर्भय गुस्से से काम नहीं चलेगा। एक बार वह हमारे हाथों बचकर निकल चुका है। उसका खामियाज़ा हमको भुगतना पड़ रहा है। इस बार एकदम सटीक वार करना है।"
"मैं ऐसा करता हूँ कि पहले यह पक्का कर लेता हूँ कि रमन सिंह ही अंजन है। मैंने सोचा है कि सिक्योरिटी गार्ड से कहूँ कि वह चुपके से रमन सिंह की तस्वीर खींच कर भेज दे। पक्का होने के बाद हम सिंगापुर पुलिस को सूचना दे देंगे।"
"जो भी करना है जल्दी करो। ऐसा ना हो कि अंजन वहाँ से निकल जाए।"
निर्भय को मानवी की बात सही लगी। तभी नौकर ने आकर सूचना दी कि कोई लोकेश कुमार उन लोगों से मिलने के लिए आया है। निर्भय और मानवी किसी लोकेश कुमार को नहीं जानते थे। उन्हें आश्चर्य हुआ कि यह कौन शख्स है जो उनसे मिलने आया है।
लोकेश कुमार अजय मोहते का विश्वासपात्र आदमी था। एंथनी से निर्भय और मानवी के बारे में पता चलते ही अजय मोहते ने गोवा में रहने वाले लोकेश कुमार से संपर्क किया। लोकेश ने मानवी और निर्भय के बारे में पता किया। उसे खबर मिली की दोनों ही बेल पर छूटकर आए हैं। वह फौरन डिसूज़ा विला आ गया।
निर्भय और मानवी जब हॉल में पहुँचे तो लोकेश ने खड़े होकर उन्हें नमस्ते किया। फिर अपना परिचय दिया,
"मैं लोकेश कुमार हूँ। मैं काजू की खेती करता हूँ। उन्हें रोस्ट करके अलग स्वाद में देश और विदेश में भेजने का करोबार भी करता हूँ। इसके अलावा इंडिया पब्लिक राजनैतिक दल का सेवक भी हूँ।"
निर्भय ने उससे हाथ मिलाया और उसे बैठने को कहा। वह लोकेश कुमार के आने का कारण समझ नहीं पाया था। लोकेश कुमार बैठने के बाद बोला,
"आप हैरान हैं कि जो कुछ मैंने बताया उससे आपका क्या लेना देना। मैं आपके पास क्यों आया हूँ।"
निर्भय ने मानवी की तरफ देखकर कहा,
"सही कहा आपने....अब आप यह बताइए कि आप यहाँ क्यों आए हैं ?"
"मुझे महाराष्ट्र सरकार के वन मंत्री अजय मोहते जी ने भेजा है।"
यह बात मानवी और निर्भय के लिए और अधिक चौंकाने वाली थी। लोकेश कुमार ने कहा,
"आप दोनों का और मंत्री जी का एक ही दुश्मन है।"
मानवी ने कहा,
"हमारा कोई दुश्मन नहीं है।"
"मानवी उर्फ जेनिफर जी अंजन विश्वकर्मा की बात कर रहा हूँ मैं। वही अंजन विश्वकर्मा जिस पर जानलेवा हमला कराने का इल्ज़ाम आप लोगों पर लगा है।"
निर्भय ने बात आगे बढ़ाई,
"पहली बात तो वह केस झूठ है। फिर यदि अंजन मंत्री जी का दुश्मन है तो हम क्या कर सकते हैं।"
"बात आपके भले की है। आप अगर मंत्री जी की मदद करेंगे तो वह भी आपकी मदद करेंगे।"
निर्भय ने कहा,
"हम उनकी क्या मदद कर सकते हैं।"
लोकेश कुमार ने मुस्कुरा कर कहा,
"अब बातचीत सही राह पर आई है। अंजन विश्वकर्मा पुलिस से भागा हुआ है। उसके पास मंत्री जी की कुछ गोपनीय बातें हैं। वह नहीं चाहते हैं कि अंजन विश्वकर्मा पुलिस के हाथ लगे और उनके राज़ पुलिस को बताए। अंजन विश्वकर्मा सिंगापुर में है। आप अगर उसकी किसी कमज़ोरी या किसी खास व्यक्ति के बारे में बता दें तो हम उसके ज़रिए अंजन विश्वकर्मा तक पहुँच कर उसे शांत कर सकते हैं। बदले में आपका केस हम संभल लेंगे।"
अंजन सिंगापुर में है यह सुनकर मानवी और निर्भय का शक यकीन में बदल गया था कि रमन सिंह ही अंजन है। कौशल कुमार की बात मान लेने पर उनके दो लाभ थे। एक तरफ उनके दुश्मन से बदला लेने का अच्छा मौका मिलता। दूसरा केस से बाहर निकलने का अवसर मिलता। निर्भय ने मानवी की तरफ देखा। उसने इशारे से सहमति दे दी। लेकिन निर्भय एकदम से बात आगे नहीं बढ़ाना चाहता था। उसने कहा,
"हमें यह यकीन कैसे हो कि आप अपना मतलब निकलने के बाद हमारी मदद करेंगे।"
लोकेश कुमार कुछ देर चुप रहा। उसके बाद बोला,
"विश्वास तो एक दूसरे पर करना ही पड़ेगा। आप हमारी मदद करके अपने दुश्मन से बदला ले सकेंगे। एक फायदा तो यही हो गया। मंत्री जी अपना वादा अवश्य निभाएंगे।"
निर्भय ने लोकेश कुमार को रमन सिंह और मीरा वाली बात बता दी। उसके बाद बोला,
"अब तो पूरा यकीन है कि रमन सिंह ही अंजन है। मीरा उसकी गर्लफ्रेंड है। उसने ही उसे सिंगापुर बुलाया होगा।"
लोकेश कुमार कुछ सोचकर बोला,
"आप अपनी तरफ से अंजन को इस बात की भनक ना लगने दीजिएगा कि उसके ठिकाने की भनक हमें है। हम उसे सबक सिखाएंगे। आपकी तसल्ली के लिए मैं आपकी बात मंत्री जी से करवा देता हूँ।"
लोकेश कुमार ने निर्भय की बात अजय मोहते से करा दी। अजय मोहते ने भी उससे कहा कि अंजन को किसी भी तरह से भनक ना लगने दे। साथ ही आश्वासन दिया कि वह उसकी पूरी मदद करेगा।
अंजन यह सोचकर निर्भय के घर पर रुक गया था क्योंकी उसे जानकारी थी कि उन दोनों को उस पर जानलेवा हमला करने के इल्ज़ाम में हिरासत में लिया गया है। उसे लगा था कि कुछ दिनों तक तो निर्भय केस में ही फंसा रहेगा। उसे कुछ पता नहीं चलेगा। तब तक वह यहाँ से निकल कर थाईलैंड चला जाएगा।
लेकिन अब वह परेशान हो रहा था। उसके अपने प्रयास बेकार गए थे। अजय मोहते पर उसने दबाव ज़रूर बनाया था पर वह उसकी मदद करेगा या नहीं इस बात की उम्मीद अब धूमिल पड़ रही थी। वह अब चाहता था कि किसी भी तरह से सिंगापुर से निकल कर आगे की ज़िंदगी के बारे में सोचे। वह छटपटा रहा था पर उसके पास कोई चारा नहीं था। उसे निर्भय के मकान में छिप कर रहना पड़ रहा था।
इसके अलावा एक और चीज़ उसे परेशान किए हुए थी। मीरा से कल फिर बात हुई थी। उसकी आवाज़ से ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बहुत बीमार हो। उसके बार बार पूँछने पर भी वह यही कह रही थी कि कुछ खास नहीं है। थोड़ा बुखार रहता है। जल्दी ठीक हो जाएगी। अंजन ने जब वीडियो कॉल की तो उसने कॉल नहीं उठाई। स्पष्ट था कि बात गंभीर थी।
इस बात ने इंजन की परेशानी को और बढ़ा दिया था। वह बहुत बेचैन हो गया था। उसका आत्मविश्वास डोलने लगा था। कुछ ना कर पाने की विवशता के चलते उसके मन में अपने लिए गुस्सा भर रहा था।
यह एक सुनसान सा इलाका था। एंथनी यहाँ अपने केस के सिलसिले में किसी से मिलने आया था। जिससे उसे मिलना था वह अभी तक नहीं आया था।
अजय मोहते से पैसे मिलने के बाद वह बहुत खुश था। जब वह अपने घर गया था तो अपनी छोटी बहन की हालत देखकर बहुत दुखी हुआ था। अपने पति की मौत के बाद वह अपने दो बच्चों की परवरिश के विषय चिंतित थी। उसे पैसों की ज़रूरत थी। जिससे वह कोई कारोबार कर सके। जो पैसे उसे मिले थे उसमें से आधे उसने अपनी बहन को देने का मन बनाया था।
उसे इंतज़ार करते हुए देर हो गई थी। पर अभी तक वह आदमी नहीं आया था। उसने घड़ी देखी। दिए गए समय से बीस मिनट अधिक हो गए थे। उसे लोगों की यह बात पसंद नहीं थी। लोग समय का खयाल नहीं रखते थे। वह मन ही मन भुनभुनाया। उसने पाँच मिनट और इंतज़ार करने का फैसला किया।
एक मोटरसाइकिल एंथनी के पास आकर रुकी। जब तक वह कुछ समझता पीछे की सीट पर बैठे आदमी ने दो गोलियां चलाईंं। गोली चलाने वाले व्यक्ति ने किसी को फोन कर काम हो जाने की सूचना दी। मोटरसाइकिल तेज़ी से चली गई। एंथनी ज़मीन पर गिरा हुआ था। उसके प्राण निकल चुके थे।
अजय मोहते की आँखों में अजीब सी चमक थी। पैसे जाने का उसे उतना अफसोस नहीं था। लेकिन एंथनी ने उससे सौदेबाज़ी की थी यह बात वह सब नहीं पा रहा था।