Sate bank of India socialem(the socialization) - 24 in Hindi Fiction Stories by Nirav Vanshavalya books and stories PDF | स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 24

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 24

या तो फिर कोई ऐसा परिवल ढूंढ के लाए जिससे हमारी करेंसी सिर्फ हमारे ही घर में रहे.

मुद्राओं के काल में जीन चीज वस्तु के मोल काने, पैसे से आगे बढ़ नहीं पा रहे थे, उन्हीं चीज वस्तुओं के भाव पेपर करेंसी के दौर में आकाश गत (हजारों में) हो गए. यानी कि आजादी के पहले यदि सोना महेस 60 70 रु का 10 ग्राम हुआ करता था, वही सोना आज 40 50 हजार के आसपास बुलाता है.

बात केवल एक सोने की ही नहीं, यह केवल एक उदाहरण है. बस, सर्वसामान्य है.


इसके मतलब यही होते हैं की आजादी के पहले मद्रा या रुपया उतना ब्लैक मनी में कन्वर्ट नहीं होता था, जितनी नोटे आज ब्लैक मनी बन रही है.

और सर्व सामान्य बात यही है कि आप जितना पैसा दबाओगे इन्फ्लेशन( फूगावा)उतना ही बढ़ेगा.

इसमें डी मोनीटीलाइजेशन ( demonetisation) कुछ भी नहीं कर सकता.

सारे शिष्टाचार की संपन्नता पर सत्य प्रकाश जी ने रोए से कहा मिस्टर रोए वीराजिए.

रोए ने प्लेट को रुमाल से थोड़ा साफ किया और कहां सर आप चाहे तो आपके इनिशियल क्वेश्चन मुझे यहीं पर पूछ सकते हैं.


सत्य प्रकाश जी ने कहा मिस्ट रॉय मैं एक अर्थशास्त्री हूं, मगर कुछ सवाल में एक ऑर्डिनरी पर्सन के तौर पर पूछना चाहूंगा.

रॉय ने कहा जी, बेशक.

द्विवेदी जी ने पूछा मिस्टर रॉय, रजवाड़ों के समय में सोने की खपत वर्तमान से कहीं गुना ज्यादा रहती थी थी you know heavy ornaments and Dowrys . तो एस पर कंजक्शन रुल सोने का भाव उस वक्त आसमान में होना चाहिए था, तो यह स्थिति अभी क्यों है!!

अदैन्य सर्वज्ञ भाव से मुस्कुराए और कहां मिस्टर प्रकाश, जब कोई राजा या सरकार सोने के सिक्के या नोट छपते हैं तब, उन सभी के कुछ हिस्से पड जाते हैं.

प्रकाश जी ने कहा फर्स करु तो ?

यानी कि, अदैन्य बोले, इस संसार में जितनी भी खरीदने या बेचने योग्य वस्तुएं हैं उन सभी ने वह करेंसी बट जाती हैं.

सत्य प्रकाश जी ने पृच्छा से कहा माने!!

माने यह मिस्टर प्रकाश अदैन्य बोले, कि यदि किसी राजा ने 1000 स्वर्ण मुद्राएं बनाई तो उदाहरण स्वरूप वोह एक हजार मुद्राओं में से 10 मुद्रा सोने की खरीदी का हिस्सा बनी. यानी कि उस राजा के खजाने में 10 मुद्राओं जीतना सोना आया.

अब उस दस मुद्रा ओ में से जब दो मुद्रा ब्लैक मनी बनती है तब सोने का भाव इतना बढ़ जाता है. यही नियम सभी वस्तुओं पर लागू पड़ता है.

मुद्राओं के दौर में तो शायद काला धन उतना नहीं बनता होगा, मगर पेपर करेंसी के ट्रैवलिंग और ट्रांसपोर्टेशन बहुत आसान थे. इसीलिए पेपर करेंसी जल्द और ज्यादा से ज्यादा ब्लैक मनी में कन्वर्ट होने लगी और सोना इत्यादि सभी वस्तुओं के भाव बढ़ने लगे.

चीज वस्तुओं के भाव आजादी के पहले और मध्य युग के बीच में जीतने बढे होगे उनसे शायद हजार गुने भाव पेपर करेंसी के महेस 50 सालों में बढ़ गए.

इसके पीछे अछत का कोई सिद्धांत लागू नहीं था, बस सिर्फ एक मात्रा काला धन ही था.

सत्य प्रकाश जी कुछ बोलने जाते हैं और रोहिणी बीच में कहा अब बारी आती है क्लेरिफिकेशन की.

सत्य प्रकाश जी मुस्कुराए और रॉय ने कहा, मिस्टर प्रकाश वह सिर्फ प्रिवेंशन ही है जो आपकी nots को डाउन पास होने से रोकती है, बाकी डी मोनेटाइजेशन आपकी नोट्स कभी भी वापस नहीं दिला सकती. वह सिर्फ कुछ समय के लिए अर्थ तंत्र की अफरा-तफरी को शांत कर सकती है, मगर आपके प्राइस राइज कॉझ लॉस्ट करेंसी को वापिस नहीं दिला सकती.

लॉस्ट करेंसी को वापस लाने के लिए भी आपके पास सिर्फ एक ही उपाय है, एंटीफंगस.