Risky Love - 49 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | रिस्की लव - 49

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रिस्की लव - 49



(49)

एंथनी अजय मोहते की बात सुनकर मुस्कुरा रहा था। उसे इस तरह मुस्कुराते हुए देखकर अजय मोहते को गुस्सा आ रहा था। वह सोच रहा था कि किस जोकर को अंजन ने अपना जासूस बनाया था। उसने गुस्से में कहा,
"दांत क्या निकाल रहे हो ?"
एंथनी ने उसी तरह मुस्कुराते हुए कहा,
"सोच रहा था कि राज्य सरकार में इतने बड़े मंत्री को आज मुझसे पूँछताछ करने की जरूरत पड़ गई। वैसे किस अंजन की बात कर रहे हैं आप ? मैं जासूस हूँ। कई लोगों के लिए काम करता हूँ। कई लोगों से मुलाकात होती है। सबके नाम याद नहीं रहते हैं।"
अजय मोहते ने उसे घूरकर देखा। फिर गुस्से में कहा,
"मेरे आदमी याद दिला देंगे। अच्छा होगा कि तुम ही याद कर लो।"
"सर क्यों अपने आदमियों को परेशान करेंगे। वैसे मैं सोच रहा था कि अंजन से आप जैसे बड़े आदमी को क्या खतरा हो सकता है। मेरे जैसे अदना जासूस को बुलवा कर आप उसके बारे में जानना चाहते हैं।"
एंथनी की इस बात ने अजय मोहते के गुस्से की आग को और अधिक भड़का दिया। वह उठकर खड़ा हुआ और एंथनी को एक थप्पड़ जड़ कर बोला,
"बकवास मत करो। मुझे बताओ कि अंजन विश्वकर्मा पर जो हमला हुआ था वह किसने करवाया था ?"
एंथनी ने उसी तरह से जवाब दिया,
"थप्पड़ से यह तो समझ आ गया कि आप बहुत परेशान हैं। लेकिन मैं नहीं जानता हूँ कि अंजन विश्वकर्मा पर हमला किसने करवाया।"
"झूठ मत बोलो। अंजन ने यह पता करने का काम तुम्हें सौंपा था।"
"मैं अपने क्लाइंट की जानकारी किसी और को नहीं देता हूँ।"
अजय मोहते को समझ आ गया था जिसे वह जोकर समझ रहा था वह बहुत ही घाघ है। उससे आसानी से कुछ पता नहीं किया जा सकता है। उसने नरमी के साथ कहा,
"देखो यह जानना बहुत ज़रूरी है। मेरे लिए भी और अंजन के लिए भी। तुम्हें पता है कि अंजन मुश्किल में है। मैं उसकी मदद करना चाहता हूँ।"
एंथनी एक बार फिर मुस्कुराने लगा। वह बड़ी अजीब तरह से अजय मोहते को देख रहा था। उसने कहा,
"आप अंजन विश्वकर्मा की मदद करेंगे ?"
"हाँ...."
"कैसे ? आपको पता है कि वह कहाँ है ?"
अजय मोहते इस सवाल पर कुछ सकपका गया। उसने कहा,
"हाँ मेरी बात अंजन से हुई थी।"
एंथनी हंसा। अजय मोहते उसकी इस हंसी का कारण नहीं समझ पाया। उसने कहा,
"हंसने की क्या बात है ?"
"मैं सोच रहा था कि जब आप अंजन के संपर्क में हैं तो फिर मुझे यहाँ बुलाने की तकलीफ क्यों की। मैं जब कोई केस पूरा करता हूँ तो फईनल रिपोर्ट देकर ही अपनी फीस लेता हूँ। अंजन को मैंने फाइनल रिपोर्ट दे दी थी। आप उससे पूँछ सकते हैं कि हमला करवाने वाला कौन था।"
अजय मोहते कुछ देर तक उसके चेहरे को देखता रहा। वह सोच रहा था कि एंथनी बहुत ही चालाक इंसान है। वह आसानी से हाथ आ गया है। पर बात इतनी आसानी से नहीं मानेगा। अजय मोहते को अपनी तरफ घूरते देखकर एंथनी ने कहा,
"मतलब यह है कि ज़रूरत आपकी है। मैं फीस लेकर अपने क्लाइंट्स के लिए काम करता हूँ। आप मेरी फीस देकर मेरे क्लाइंट बन सकते हैं।"
अजय मोहते ने कहा,
"मुझसे सौदेबाज़ी करना चाहते हो।"
"नहीं सीधा सीधा लेनदेन। मेरी जानकारी की कीमत चुका दीजिए। मैं जानकारी आपको दे दूँगा।"
इस बार अजय मोहते हंसते हुए बोला,
"मैं अपने आदमियों पर छोड़ दूँ तो सारी जानकारी बिल्कुल मुफ्त मिल जाएगी।"
"आप तो धमकी देने लगे। पर क्यों कुछ पैसों के लिए अपनी मुसीबत बढ़ाना चाहते हैं। आपके आदमियों के हाथों अगर मैं मारा गया तो मेरी लाश को ठिकाने लगाने का झंझट। फिर जब मेरी तलाश शुरू होगी तो तार आपसे जुड़ेंगे। वैसे भी वन विभाग की जमीन अंजन को दिलवाने के मामले में भी आपका नाम जुड़ रहा है। इतना पैसा कमाया है आपने। थोड़ा मेरी जानकारी के बदले में दे दीजिए।"
उसका इस तरह धमकी देना अजय मोहते को बहुत बुरा लगा। उसने कहा,
"यह फार्म हाउस और इसके आसपास का बड़ा हिस्सा मेरी संपत्ति है। एक गोली तुम्हारे भेजे में जाएगी और उसके बाद तुम मेरी प्रॉपर्टी के किसी हिस्से में ज़मीन के नीचे दबे होंगे। कोई नहीं जान पाएगा।"
"आपको लगता है कि इतने बड़े और चालाक मंत्री को मैं खेल खेल में धमकी दूँगा। आप मुझे मारकर गाड़ सकते हैं लेकिन अपने आप को बचाना मुश्किल हो जाएगा। आपके आदमी मुझे लेकर जब घर से निकले थे तो उनकी तस्वीर सामने की बिल्डिंग में लगे सीसीटीवी कैमरे में आ गई होगी। फिर जब मैं फार्म हाउस के अंदर आ रहा था तो मैंने चुपचाप लास्ट कॉल वाले नंबर पर मिस कॉल दिया था। वह नंबर उस क्लाइंट का है जिसका बहुत ज़रूरी केस मेरे पास है‌। उस मिस्ड कॉल की लोकेशन का पता आपका फार्म हाउस ही होगा।"
अजय मोहते ने कहा,
"देखने में बेवकूफ लगते हो। पर अक्लमंद हो। क्या चाहिए तुम्हें।"
"सर आप जैसे समझदार इंसान से मुझे यही उम्मीद थी। पाँच लाख रुपए। आप पैसे दीजिएगा और मैं जानकारी।"
अजय मोहते ने कुछ सोचा। उसके बाद बोला,
"तुम्हारी जानकारी गलत हुई तो ?"
"अभी आपने ही मुझे समझदार कहा। फिर मैं ऐसी बेवकूफी क्यों करूँगा जो मेरे लिए घातक हो।"
अजय मोहते ने कहा,
"ठीक है..... पैसे मिल जाएंगे। अब बताओ।"
"ऐसे नहीं। लेन देन एक साथ होगा। मैं पैसे लूँगा और उसी समय जानकारी दूँगा।"
"ठीक है....ठहरो मैं कुछ देर में आता हूँ।"

अजय मोहते सीढियां चढ़कर ऊपर चला गया।‌ ऊपर एक कमरे में जाकर उसने दरवाज़ा बंद कर लिया। उसके बाद एक कबर्ड ‌खोलकर उसमें एक बटन दबाया। बटन दबाते ही कबर्ड के बगल की दीवार कुछ खिसक गई। वह एक गुप्त कमरे में चला गया। वहाँ भी एक अलमारी थी। उसे खोलकर दो हज़ार के नोटों की कुछ गड्डियां एक बैग में डालीं। फिर गुप्त कमरे के बाहर निकल कर दरवाज़ा बंद कर दिया।‌ पैसे लेकर एंथनी के पास चला गया।
एंथनी ने पैसे लेकर अजय मोहते को मानवी और निर्भय के बारे में सबकुछ बता दिया।

इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने मानवी और निर्भय पर अंजन विश्वकर्मा के ऊपर जानलेवा हमला करने के आरोप में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। उसके बाद मानवी ने अपने और निर्भय की बेल के लिए अपील की थी। बड़ी मुश्किल से उनकी बेल को मंजूरी मिल पाई थी।
उनका केस मार्वल डिसूज़ा के परिचित बैकुंठ आगरकर ने लड़ा था। बैकुंठ आगरकर के पिता पहले डिसूज़ा परिवार के घर पर काम करते थे। उसकी लॉ की पढ़ाई का खर्च डिसूज़ा परिवार ने ही उठाया था। मानवी और निर्भय के अगवा होने से पहले बैकुंठ मानवी से आकर मिला था। उसने कहा था कि अगर उसे किसी भी तरह की ज़रूरत पड़ेगी तो वह मदद के लिए तैयार है।
मानवी ने अपने और निर्भय की बेल के लिए उसे वकील चुना था।

बेल मिलने के बाद मानवी और निर्भय डिसूज़ा विला वापस आ गए थे। अब दोनों इस बात के लिए परेशान थे कि आगे क्या करें। किस तरह केस लड़ें और साबित करें कि उन पर झूठे इल्ज़ाम लगाए गए हैं। उन दोनों ने अंजन विश्वकर्मा पर हमला नहीं किया था।
निर्भय बहुत परेशान था। उसे लग रहा था कि उसका सबकुछ लुट गया। उन पर यह केस चल रहा है। अंजन इसके बावजूद भी पुलिस की गिरफ्त से बचकर बाहर भाग गया है। वह और मानवी परेशान हैं और अंजन किसी दूसरे देश में मौज कर रहा है यह सोचकर उसे बहुत तकलीफ हो रही थी।
बेल पर बाहर आने के बाद निर्भय ने सबसे पहले मीरा को फोन किया। लेकिन उसका नंबर नहीं लगा। उसे मैसेज मिला कि यह नंबर मौजूद नहीं है। मीरा की आखिरी बार जब बातचीत हुई थी तब वह उससे कह रही थी कि उसका इंतज़ाम कहीं और कर दे। उसे वहाँ डर लग रहा है। निर्भय के मन में आया कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि वह किसी मुसीबत में हो।
उसने मीरा का इंतज़ाम अपने एक छोटे से घर में करवा दिया था। वह उस घर का इस्तेमाल नहीं करता था। अपने मैनेजर को उसने निर्देश दिया था कि मीरा को ज़रूरत पड़ने पर कुछ पैसे दे दे। उसने अपने मैनेजर को फोन किया कि शायद उसे मीरा की कोई खबर हो। मैनेजर से पता चला कि मीरा कुछ दिन पहले उससे कुछ पैसे लेकर लंदन वापस चली गई। जब निर्भय ने पूँछा कि घर की चाभी किसके पास है तो मैनेजर ने बताया कि उसने ही तो मीरा के दोस्त रमन सिंह को घर में रहने की इजाज़त दी थी।
उसके घर में मीरा का कोई दोस्त रह रहा है यह जानकर निर्भय को बहुत गुस्सा आया। पर उसने मैनेजर से कुछ कहा नहीं। बस इतना निर्देश दिया कि ना तो मीरा को और ना ही उसके दोस्त को पैसे दे। साथ में कुछ पैसे गोवा भिजवाने का भी निर्देश दिया।
वह सोच रहा था कि मीरा आखिर किस रमन सिंह को उसके घर पर ठहरा कर गई है। उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे मीरा ने उसे भी धोखा दिया है जैसे उसने अंजन को दिया था। अंजन का नाम याद आते ही एक बात उसके मन में आई। लेकिन वह उस पर यकीन नहीं कर पा रहा था।
मानवी भी परेशान थी। अभी तो उसने अपनी कुछ ज्वैलरी बेचकर बेल के लिए पैसे इकट्ठे किए थे। अब वह सोच रही थी कि आगे के लिए पैसों का इंतज़ाम कैसे किया जाए।
तभी निर्भय ने आकर उसे अपने मन की बात बताई। उसे सुनकर उसे भी यकीन नहीं हो रहा था।