Ghost World 06 in Hindi Horror Stories by Satish Thakur books and stories PDF | प्रेत लोक - 6

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प्रेत लोक - 6

प्रेत लोक - 06

अब तक आपने पढ़ा : चारों दोस्त एक सफ़र पर निकलते हैं और धीरे-धीरे वो सफ़र उनकी जिन्दगी का सबसे मनहूस सफ़र साबित होने लगता है, वो न चाहते हुए भी अनजाने में कुछ पारलौकिक शक्तियों के संपर्क में आ जाते हैं। इनमें से एक शक्ति जो की इनकी मदद कर रही है वो है तांत्रिक योगीनाथ पर वो दूसरी शक्ति कौन है जो इन्हें मार डालना चाहती है?

अब आगे : प्रेत के चले जाने के बाद रुद्र और मनोज तांत्रिक योगीनाथ की ओर देखते हुए बोले, “योगीनाथ जी आपसे निवेदन है की आप आपकी पूरी कहानी हमें बताएं क्योंकि अभी- अभी जो कुछ भी प्रेत ने हमें बताया वो सुनकर हमें आपके बारे में जानने की इच्छा हो रही है”

तांत्रिक योगीनाथ कुछ समय तक यहाँ वहां टहलते रहे और फिर रुद्र से बोले “बच्चा में तुम्हारी सारी इच्छाओं को पूरा करूँगा पर ये समय मेरी कहानी की सुनने का नहीं है बल्कि इस समय हमें किसी भी तरीके से सुनील को बचाना है और न सिर्फ सुनील को बल्कि तुम दोनों को भी” रुद्र और मनोज अपनी गर्दन हिलाकर तांत्रिक योगीनाथ की बात को सहमति देते हैं।

कुछ समय बाद योगीनाथ का भेजा हुआ प्रेत अपना काम करके वापस आ जाता है और तांत्रिक योगीनाथ के सामने जाकर कहना शुरू करता है “तांत्रिक महाराज जैसा की आपने चाहा था में आपके मतलब की सारी जानकारी लेकर आ गया हूँ पर प्रेत स्वभाव की वजह से में बिना कुछ लिए इन लड़कों को कुछ भी नहीं बता सकता” तांत्रिक योगीनाथ रुद्र और मनोज की ओर प्रश्नवाचक नज़रों से देखते हैं।

प्रेत: योगीनाथ जी एक तो आपके कहने से में अपनी ही बिरादरी के खिलाफ गया मैंने वो काम किया जो मुझे नहीं करना चाहिए था, इस काम से मेरी ही बिरादरी के प्रेत मुझे अपने से दूर कर देंगे और हो सकता है की वो मुझे किसी मीनार या गुफा में कैद कर दें, मेरी तो आजादी ही खत्म हो जाएगी। आप मेरा मेहनताना निश्चित कर दो उसके बाद ही में जानकारी दे पाऊंगा।

रुद्र: तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है तुम्हारे लिए जो हमने सोच कर रखा है उसके बाद तुम्हें न तो तुम्हारी बिरादरी और न ही किसी और बात की फिक्र होगी, तुम पूरे रूप से आजाद हो जाओगे, अभी जैसे हो अगर तुम इसे आजादी कहते हो तो सुनो इसे आजादी नहीं कहते और अगर तुम अभी आजाद हो तो तांत्रिक योगीनाथ के बुलाने से कैसे आ गए, कोई न कोई बंधन तो है जो अभी भी तुम्हें बांधे हुए है पर अब नहीं तुम हमारा साथ दो हम तुम्हें आजाद करने के लिए अपनी सारी ताकत लगा देंगे और उस आजादी का मतलब तुम्हारी मुक्ति होगा इस प्रेत योनि से हमेशा-हमेशा के लिए, कहो तुम्हें मंजूर है या नहीं?

प्रेत रुद्र की बातों को सुनकर समझ नहीं पा रहा है की क्या कहे कभी वो रुद्र को तो कभी तांत्रिक योगीनाथ को देख रहा है क्योंकि वो ये बात बहुत अच्छे से जानता है की उसकी मुक्ति केवल एक ही व्यक्ति कर सकता है और वो हैं तांत्रिक योगीनाथ, उनकी मर्जी के बिना इस संसार में कोई और दूसरा नहीं है जो उसे मुक्त कर पाए इसलिए वो यही बात उनके मुख से सुनना चाहता है पर वो उनके डर की वजह से सीधे उनसे कुछ कह नहीं सकता सिर्फ देख रहा है।

तांत्रिक योगीनाथ भी रुद्र का बात का समर्थन करते हुए प्रेत से कहते हैं “तुम्हें किसी से डरने या परेशान होने की जरूरत नहीं है जब तक में यहाँ हूँ और रुद्र ने जो कुछ भी कहा है वो एकदम सच है में खुद तुम्हें मुक्ति दिलाऊंगा और इसके बाद कभी भी तुम्हें किसी के लिए कुछ भी करने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि में खुद तुम्हें प्रेत योनि से मुक्त करवाऊंगा।“

तांत्रिक योगीनाथ और रुद्र की बातों को सुनकर प्रेत खुश हो गया और अब वो निश्चिंत हो कर सुनील के साथ आये प्रेत के बारे में जानकारी देने लगा उसने कहा “ जो प्रेत आपके दोस्त के साथ यहाँ तक आया उसका नाम संघतारा है वो एक किन्नर था उसकी मृत्यु रायसेन के किले की एक भूल-भुलैया में हुई जहाँ इसे धोके से मार दिया गया और इसका शरीर किले के पास के तालाब में फेंक दिया, अपनी अकाल मृत्यु और अधूरी इच्छाओं की वजह से संघतारा एक प्रेत बन गया और किले की भूल-भुलैया के दरवाजे के अंदर इस प्रतीक्षा के साथ रहने लगा की कभी कोई जब इस भूल-भुलैया के अंदर आएगा तब वो उसके शरीर का उपयोग करके अपनी इच्छाओं की पूर्ति करेगा।“

“उस दिन जब तुम लोग रायसेन के किले में घूमने गए थे उस दिन अमावस्या थी और उसी दिन संघतारा की मौत हुई थी, तुम्हारे दोस्त सुनील ने सालों से बंद भूल-भुलैया के रास्ते को जबरन खोल दिया और उसमें घूमने अंदर चला गया वहीं से दो सौ सालों से अपने लिए शरीर की तलाश में बैठा संघतारा इसके साथ आ गया और तुम सब को परेशान करने लगा, अभी भी वो इस घर के ऊपर ही बैठा हुआ है और सही समय की तलाश में है”।

सुनील जो अब तक बेहोश था वो उठ कर बैठ गया और अपने पास ही मौजूद प्रेत की काली परछाई को देख कर डर से कांपने लगा, उसे देख कर मनोज उठ कर सुनील के पास आया और उसे शांत रहने के लिए इशारा करके उसके पास ही बैठ गया।

रुद्र ने प्रेत से कहा “संघतारा जो की एक किन्नर उसकी मौत कैसे हुई किसने उसे मारा और उसकी कौन सी इच्छाएं है जो अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं उसके बारे में कुछ पता किया तुमने?”

प्रेत ने रुद्र से कहा “आज से लगभग दो सौ साल पहले रायसेन किले पर एक हिन्दू राजा का शासन हुआ करता था, वो अपनी रानियों और महल की महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिकतर हिन्दू राजाओं की तरह ही किन्नर को नियुक्त किया करता था, संघतारा उन सभी किन्नरों का सरदार था ये जवान और खूबसूरत होने के साथ-साथ अक्लमंद और ताकतवर भी था।

“राजा संघतारा की वजह से अपनी रानियों की सुरक्षा से पूरी तरह संतुष्ट था, संघतारा को देख कर कोई भी नहीं कह सकता था की वो एक किन्नर है उसकी खूबसूरती और शरीर की बनावट की वजह से वो राजा के सिपाहियों, दरबारियों और कुछ मंत्रियों की भी पहली पसंद था, हर कोई जो उसे देख लेता था उसे पाने की कामना करने लगता था, इनमें से एक था राजा का इकलौता लड़का राजकुमार अचिंतन।

राजकुमार, संघतारा के रूप का दीवाना था और संघतारा भी दिल ही दिल राजकुमार को पसंद करता था दोनों को कई बार राजा के मंत्रियों और सिपाहियों ने प्रेम मिलाप करते हुए देखा था और इनमें से ही कई लोगों ने राजा को इस बारे में बताना भी चाहा पर राजा संघतारा पर अटूट विश्वास किया करता था जिस वजह से उसने कभी भी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वो जानता था की उसके साथ के कई लोग मन ही मन संघतारा से जलते थे।“

“एक दिन राजा महल की सैर कर रहा था तब उसे राजकुमार और संघतारा भूल-भुलैया में जाते दिखाई दिए, वो तुरंत ही आठ दस अपने विश्वसनीय सैनिकों के साथ भूल-भुलैया की तरफ़ गया तब उसने वहां राजकुमार और संघतारा को आपत्तिजनक हालात में पाया उस समय रजा के इशारे पर उसके एक सैनिक ने संघतारा को पीछे से चाकू मार दिया और हत्या कर दी राजकुमार को इस मामले में शांत रहने को कहा गया, उसी समय संघतारा के शरीर को महल के अंदर बने तालाब में फेंक दिया गया।“

“संघतारा ने मरते समय राजा से कहा था की उसकी वासना तृप्त हुए बिना उसकी मौत हो रही है तो वो अतृप्त है, वो जब तक तृप्त नहीं हो जाता तब तक यहीं रहेगा और राजा या राजा की आने वाली संतानों को तृप्त नहीं होने देगा और जिस उम्र में उसकी मृत्यु हुई है उसी उम्र से अधिक उसके वंश का कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं रहेगा”

प्रेत की बात को सुनकर तांत्रिक योगीनाथ, रुद्र, मनोज और सुनील एक दूसरे को देखते रह जाते हैं और रुद्र तांत्रिक योगीनाथ से कहता है की “योगीनाथ जी अब हम किस तरह से इसे यहाँ से दूर करेंगे, ये एक किन्नर है वो भी काम का भूखा उसके लिए सुनील एक सही शिकार है”

अगला भाग क्रमशः – प्रेत लोक 07

सतीश ठाकुर