Ek Ladki - 10 in Hindi Love Stories by Radha books and stories PDF | एक लड़की - 10

The Author
Featured Books
Categories
Share

एक लड़की - 10

पंछी को हर्ष के घर छोड़ने के बाद पंछी अपने कमरे में जाती हैं , वहाँ झील फोन पर बात कर रही होती है। पंछी अपने कमरे में आकर बैठ जाती हैं पंछी को देख झील फ़ोन कॉल कट करके पंछी से पूछती है - तू इतनी देर कहा थी आज लेट कैसे हो गयी। पंछी - दीदी मैं ऋषि के घर गयी थी उसे मनाने। झील जानने को उत्सुक थी की उसने क्या कहा होगा फिर पूछा - तो फिर क्या हुआ वो माना क्या ? पंछी - हां, मान गया, दीदी मैं थक गयी हु मैं सो रही हूं । झील - बाद में सो जाना वैसे भी पूरी रात सोती तो रहती है पूरी बात बता ना। इतने मे पंछी सो जाती हैं उसे सोता देख झील फिर कहती है - वा सो जा । मत बता पूरी बात, मुझे भी कुछ बताना था पर अब नही बताऊगी। ये सुन पंछी जल्दी से उठ केर बैठ जाती है और उत्साहित होकर पूछती है - जतन जी के बारे में बताना है क्या ? वे बहुत मज़ेदार है अब क्या किया उन्होंने ? झील- कुछ नहीं किया बस उसने अपनी आवाज़ की वजह से ऑफिस से 5 दिन की छुट्टी ले ली। पंछी- ओह ये बात है क्या । झील - अब तू बता आज क्या हुआ था ? पंछी पूरी बात बताती हैं। उसकी बात सुन झील कहती है - पंछी, तुम्हारी बातें सुन तो ऐसा लग रहा है कि हर्ष इतना भी बुरा लड़का नहीं है अच्छा लड़का है । फिर पंछी को छेड़ते हुए बोलती है - पंछी , कही ऐसा न हो कि वो तुम्हारे प्यार में पड़ जाए जैसे तुमसे इतने प्यार से बात करता है उससे तो ऐसा ही लगता है। पंछी झील को चुप करवाते हुए बोलती है- क्या है दी, ऐसा कुछ नहीं होगा वो तो बस मेरा एक अच्छा दोस्त बन गया है इसलिए। वरना इतने दिनों में जहाँ तक मेने उसे कॉलेज में जाना है और देखा है उससे तो यही लगता है कि उसे स्मार्ट लड़कियां पसन्द है। तो ऐसा तो कोई सवाल ही नहीं है कि उसे मुझसे प्यार होगा। पर......झील - पर क्या? पंछी - पर मुझे ऐसा लगता है कि मैं ऋषि को जानती हूं पहले भी मिली हुई हु उससे। पर कहा मिली हुई हु कुछ याद नहीं आ रहा है। झील - तूने बताया था न कि बचपन में तेरी एक लड़के से दोस्ती हुई थी उसका नाम भी तो ऋषि ही था ना ? पंछी - हां दी, पर ये ऋषि वो ऋषि नही लगता हैं वो तो बहुत मासूम था और वैसे भी ये प्रिंसीपल का बेटा है ये ऋषि वो कैसे हो सकता है ? झील - वो बचपन में मासूम था तो क्या अभी भी मासूम ही रहेगा क्या, बदलाव तो होगा ना। पंछी झील की बातों तो नज़रअंदाज़ करते हुए बोलती है - दीदी, आप दोनों को एक करने में क्यों लगी हुई हो वो दोनों अलग है बस, अब मुझे थकान की वजह से नींद आ रही है मैं सो रही हूं। झील - ठीक है सो जा । अगले दिन पंछी तैयार होकर कॉलेज जाती है। सामने ही स्माईली दिखाई देती हैं हर्ष उससे कुछ बात कर रहा होता है पंछी उनके पास जाकर पूछती है - तुम दोनों क्या बाते कर रहे हो। स्माईली कहती हैं - कुछ खास नहीं, बस नोट्स की बारे मे पूछ रही थीं। ( जबकि सच तो ये था कि हर्ष स्माइली से पंछी की पसंद और नापसंद के बारे मे पूछ रहा था। ) फिर पंछी हर्ष से कहती है - हेल्लो हर्ष ! हर्ष - हेल्लो ! क्लास जा रही हो क्या ? पंछी - हां ! हर्ष - ठीक है मैं भी चलता हूं। पंछी - ठीक है चलो। तीनों क्लास की ओर बातें करते करते जा ही रहे थे सामने से एक लड़की आती हैं जो बहुत खूबसूरत थीं वो हर्ष से टकरा जाती हैं हर्ष कुछ बोल पाता जितने में वो सॉरी बोलते हुए निकल जाती हैं शायद बहुत जल्दी में थी हर्ष उसे देख रहा था जितने में पंछी हर्ष को छेड़ते हुए कहती है - कैसी लगी। खूबसूरत थीं ना ? हर्ष आश्चर्य से उसकी ओर देखता है उसे विश्वास नही हुआ कि पंछी ऐसे पूछ सकती है फिर हँसते हुए कहता हैं - क्या पंछी , तुम भी मुझे छेड़ने लगी हो फिर उसकी बात को मानते हुए कहता है - हा यार, सच मे वो खूबसूरत तो थी। उसकी बात सुन तीनों हँसते हुए वहाँ से क्लास की ओर निकल पड़ते हैं उनके पास ही गेरू और परी खड़ी हुई थी और उनकी बातें सुन रही थी हर्ष उन्हें बिना देखे ही पंछी के साथ निकल गया इस बात पर गेरू को बहुत गुस्सा आता है और वो गुस्से में वहाँ से चली जाती हैं। क्लास ख़त्म होने के बाद हर्ष ऋषि के पास कैन्टीन में जाता हैं और स्माईली से पंछी की पसन्द और नापसंद के बारे मे जो भी पता चला वो सब हर्ष ऋषि को बताते हुए कहता है - पंछी को गार्डन में घूमना बहुत पसंद है उसे फ़्रेंड्स के साथ सिनेमाघर में फ़िल्म देखना पसंद है और उसे समोसे बहुत ज्यादा अच्छे लगते हैं उसका बस चले तो रोज समोसे ही खा ले । उसे कुत्ते पसन्द हैं जानवरों से बहुत लगाव है ओर उसे लड़ाई झगड़ा तो बिल्कुल पसंद नहीं है और एक और बात उसे पटाना बहुत मुश्किल है उसे प्यार व्यार में बिल्कुल दिलचस्पी नही है। हर्ष की बाते सुन ऋषि कहता है - अरे हर्ष , तुझे तो पंछी के बारे में लगभग सब कुछ पता चल गया। हर्ष कहता है - हां, स्माईली उसकी बेस्ट फ्रेंड है उसे पंछी के बारे मे सब पता है स्माइली को थोड़ा सा डरा दिया और उसने सब कुछ बता दिया उसकी बात सुन दोनो हँसने लगते हैं और कॉफी ऑर्डर करते हैं। कॉलेज खत्म होने के बाद ऋषि कॉलेज के बाहर पंछी ओर स्माईली का इन्तज़ार कर रहा था उधर दोनो पुस्तकालय में कुछ किताबे लेने चली जाती हैं किताबे लेकर वो बाहर आती है सामने ही गेरू ओर परी खड़ी होती है। उन दोनों को देख पंछी डर जाती है वो दोनों बहुत गुस्से में थी गेरू कहती है - वा रे पंछी, आये हुए तो 2 दिन नही हुए और मेरे ही दोस्तों से दोस्ती कर ली। तुझे वो दिन याद नहीं है क्या ? जब तू पहली बार आयी थी या फिर भूल गयीं , वापिस याद दिलाऊ क्या ? गेरू की बात सुन वो बहुत घबरा जाती है लेकिन हिम्मत करके कहती है - मैने क्या किया है ? गेरू गुस्से में कहती हैं - तेरी हिम्मत कैसे हुई हर्ष और ऋषि को हमसे दूर करने की ।ओर थप्पड़ मारने ही वाली होती है कि ऋषि उसके हाथ को पकड़ लेता है और ऋषि गेरू से कहता है - बस करो तुम, जैसा तुम सोच रही हो वैसा कुछ नही है हम अभी भी दोस्त हैं लेकिन कभी दुबारा पंछी को परेशान किया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा। गेरू - तुम इसकी वजह से मुझसे लड़ रहे हो ? आये तो कुछ दिन हुए हैं और हमारी दोस्ती के बीच आ गयी हैं ये। आज तक तो कभी मुझे कुछ भी करने से रोका नहीं ओर आज इसके लिए लड़ रहे हो ये इतनी जरुरी है क्या तुम्हारे लिए ? गेरू गुस्से में कुछ भी बोले जा रही थी ऋषि उसे चुप करवाते हुए कहता है - हा है ये मेरे लिए बहुत जरूरी। फिर दुबारा ऐसी हरकत करने की कोशिश की तो अच्छा नही होगा फिर उसका ध्यान जाता है कि उसने क्या बोल दिया ओर बात को घुमाते हुए कहता है - ये मेरी अच्छी दोस्त हैं तो तमीज़ से बात किया करो। पंछी उन दोनों को झगडा करते हुए देख रही थी उसे बुरा लगा था क्योंकि उसकी वजह से उनकी लड़ाई हो गयी थी गेरू और परी गुस्से में वहाँ से चली जाती हैं ऋषि कहता है कि चलो चलते हैं तीनों दरवाजे तक आते हैं ऋषि कहता है - मैं इसी रास्ते पर जा रहा हूँ मैं तुम दोनों को घर छोड़ दूंगा । पंछी - नहीं हम चले जायेंगे ऋषि - मैं छोड़ दूंगा तुम उन दोनों की बातों को सीरियस मत लो वो दोनों हमेशा ग़ुस्से मे ही रहती हैं मैं उन्हें मना लूंगा । ऋषि की बात सुन पंछी को थोड़ा अच्छा महसूस होता है और वो साथ जाने के लिए मान जाती हैं। दोनों कार की पिछली सीट पर बैठी होती है पंछी खिड़की से बाहर की ओर देख रही होती है और स्माईली उसके पास बैठी बैठी सामने काँच में देख रही होती है ऋषि थोडी थोड़ी देर में पंछी को कांच में देख रहा था और मुस्कुरा रहा था उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी नज़र आ रही थी। ओर उधर स्माईली ऋषि की हरकतों को देख देख मन ही मन बहुत खुश हो रही थी उसे ऋषि की आंखों में पंछी के लिए प्यार साफ दिखाई दे रहा था। उधर पंछी इन सब से अनजान बाहर की ओर देख रही थी उसे बाहर एक आदमी जोकर की ड्रेस पहने हुए दिखा जो लोगों को हंसाने की कोशिश कर रहा था उसे देख पंछी हँसने लगती है ओर ऋषि पंछी को हँसता देख हँसने लगता है। स्माईली बस जो हो रहा है उसे देख कर हँस रही थी थोड़ी देर बाद स्माईली का घर आता है वो वही उतर जाती है थोड़ी दूर पंछी का घर आता है ऋषि उसे वहीं उतार कर जाने लगता है की पंछी उसे थैंक यू बोलती है ऋषि मुस्कुराते हुए इट्स ओके बोल कर वहां से चला जाता है। अगले दिन पंछी रिक्से से कॉलेज जा रही होती है रास्ते में उसे हर्ष दिखाई देता है जो कार से निकल रहा था अचानक से हर्ष की नज़र पंछी पर पड़ती हैं और उसे रोकते हुए कहता है - रुको पंछी । पंछी रिक्सा को रुकवाती है और बाहर निकलती हैं जितने में हर्ष रिक्से वाले को पैसे देकर जाने की बोलता है। पंछी रोकते हुए कहती है - नहीं , मैं इसी से कॉलेज जा रही हूं तुम वही मिलना । हर्ष - नहीं, अभी कॉलेज में टाइम है मुझे चाय पीनी है यहाँ तुम भी मेरे साथ चलो और मुझे तुम्हे कुछ बताना भी है इतना कहकर वो फिर से रिक्से वाले को जाने के लिए बोल देता है दोनों कैफ मे जाते हैं वहाँ हर्ष पंछी से कहता है - तुम्हे एक बात बताऊ कल जो वो लड़की मिली थी ना कॉलेज में। वो कॉलेज के बाद घर जाते हुए रास्ते में भी मिली थी । पंछी हर्ष की बात में बहुत दिलचस्पी ले रही थी वो कहती है - फिर क्या हुआ , तुम दोनों की बात हुई क्या। हर्ष कहता है - उसकी कार ख़राब हो गयी थी तो उसने मुझसे लिफ्ट मांगी थी पूरे रास्ते हमारी बात हुई उसकी बातों से पता चल रहा था कि उसे मैं पसन्द आ गया हूं। पसन्द आता भी क्यों नहीं , मैं हु ही इतना स्मार्ट , हर लडक़ी मुझे देखते ही मुझ पर मर जाती है उसकि बात सुन पंछी कहती हैं - बस बस इतना भी हवा में मत उड़ो इतने भी स्मार्ट नही लगते। हर्ष - हा हा पता है तुम्हे नही लगता हु लेकिन उसे तो लगता हूँ ना , हम आज यहाँ मिलने वाले हैं आती ही होगी। पंछी - तो मुझे क्यों बुलाया , मैं तो कवाब में हड्डी बन जाऊंगी ना । हर्ष - नहीं , ऐसा कुछ नहीं है। इतने में हर्ष की नज़र पंछी के पीछे जाती है वो आ रही होती है वो पास आती हैं और पंछी के लिए पुछती है - ये कौन है ? हर्ष कहता है - ये पंछी है मेरी दोस्त और पंछी ये मिली है जिससे मै मिलने आया हूँ। मिली हेल्लो बोलती है पंछी भी हेल्लो बोलती है। हर्ष चाय मंगवाता है मिली हर्ष के पास बैठ जाती हैं। और हर्ष से बाते करने लगती है बातों बातों में वो चाय के कप में अंगुली डाल देती हैं इससे चिल्ला उठती है हर्ष उसे शांत कराते हुए कहता है - इतना नही जला है ठीक हो जाएगा । वो भी मान जाती हैं थोड़ी देर रुकने के बाद तीनों बाहर निकलते हैं। कैफ़े के बाहर पंछी चेयर से टकरा जाती है जिससे उसके अंगूठे के चोट लग जाती हैं और पंछी धीरे से आह करती हैं हर्ष उसकी आवाज़ सुन उसे पास ही चेयर पर बिठा देता है और पेर को हाथ में लेकर कहता है - तुम्हें ध्यान रखना चाहिए ना ,देखो चोट लग गयी ना खून आ जाते तो, देख कर चलना चाहिए था ना , ध्यान कहा रहता है तुम्हारा ? उसकी बातों से साफ पता चल रहा था कि उसे पंछी की चिंता हो रही है वो एक पल के लिए घबरा गया था पंछी कहती हैं - ज्यादा चोट नही लगी है बस थोड़ा सा दर्द है हर्ष कहता है - ठीक है । फिर तीनो कार से कॉलेज जा रहे होते है रास्ते में मिली कि बातों पर हर्ष का बिल्कुल ध्यान नहीं था वो सोच रहा था कि मैं पंछी की चोट देख घबरा क्यों गया था ऐसा क्यों लगा जैसे मुझे दर्द हुआ हो मुझे मिली कि चिंता करनी चाहिए पंछी की नही, मुझे हो क्या गया है?