( कॉलेज के छात्रों की शैतानियाँ )
भूमिका
प्रस्तुत कहानी एक सत्यकथा पर आधारित है कि किस प्रकार
एक बहादुर मिलिट्री रिटायर्ड प्रिंसिपल गुंडागर्दी से त्रस्त बदनाम कॉलेज को अपनी बहादुरी के बल पर एक शानदार प्रख्यात संस्था में बदल देते हैं I उस कथानक में कॉलेज में की जा रही छात्रों द्वारा की गई शरारतों का बड़ा मनोरंजक विवरण प्रस्तुत किया गया है I
किस प्रकार एक अत्यंत निर्धन छात्र अपनी प्रतिभा व परिश्रम के दम पर पूरे कॉलेज में प्रथम स्थान से उत्तीर्ण होता है और एक दिन वह अपने अध्ययन के बल पर उन सभी छात्रो से आगे निकल जाता है जो उसकी गरीबी पर उसका मजाक उड़ाते थे I आगे स्वयं पढ़िए ....
“एक अन्य दिन जब शिक्षक क्लास में पहुँचे तो सभी स्टूडेंट गायब मिले I
क्लास में एक गधा बंधा हुआ मिला I
शिक्षक को देखते ही गधा जोर जोर से रेंकने लगा I
सभी छात्र पास की क्लास में छिपकर यह तमाशा देखकर हंस हंस कर दोहरे हुए जा रहे थे I”
“उस दिन जैसे ही मीना बाहर निकली तो सोहन ने उसे जोरों से अपनी बाँहों में जकड लिया I
मीना उससे छूटने के लिए छटपटा रही थी I
सोहन ने तडातड उसके गाल पर दस चुंबन अंकित कर दिऐ I
मीना रोती हुई अपने घर चली गई I उसने कॉलेज आना बंद कर दिया I”…..
लेखक
ब्रजमोहन शर्मा, 791, सुदामानगर, इंदौर (म॰प्र॰) 452009
मो 9424051923, फो 07312485512 सभी सोशल मीडिया पर उपस्थित
प्रश्नोत्तर
मोहन बहुत कठोर परिश्रम से अध्ययन करता था I
वह साइंस ग्रेजुएशन के प्रथम वर्ष में था I वह प्रायः क्लास अटेंड नहीं करता व खुद ही कॉलेज के बगीचे में पढता रहता था I
वह कभी कभार ही क्लास में जाता और जिस दिन वह क्लास में जाता तो वह ऐसे ऐसे प्रश्न पूछता की प्रोफेसर उस पर झल्ला उठते I वह क्लास में पढाए जाने वाले अध्याय की पहले से ही तैयारी कर लेता I
एक दिन प्रोफेसर वर्मा फिजिक्स पढ़ा रहे थे I उनका विषय सेल्फ व म्यूच्यूअल इंडक्शन था I
एकाएक मोहन खड़ा हुआ व पूछने लगा, “सर यदि गति करने वाली कोइल का पदार्थ बदल दिया जाए तो क्या होगा ?”
वर्मा सर बोले, “ इन्द्युसड करंट की शक्ति बढ़ जाएगी “ I
यदि हवा की जगह पानी का माध्यम हो तो क्या होगा ?, मोहन ने फिर प्रश्न किया I
“ मि. शर्मा, तुम नाहक ही मेरा समय ख़राब कर रहे हो, मुझे बाद में मिलो “, सर ने झुंझलाते हुए कहा I
एक अन्य दिन फिर से मोहन गणित की क्लास में उपस्थित था I
सभी छात्र आतुरता से मोहन को देख रहे थे कि आज वह क्या धमाका करेगा I
मि.पाठक मैथ्स पढ़ा रहे थे I
“ एक रेखा अपने दोनों और अनंत तक विस्तार लिए होती है “, उन्होंने लाइन की प्रॉपर्टी बताते हुए कहा I
मोहन तपाक से खड़ा हुआ और कहने लगा, “ सर,इन्फिनिट का क्या अर्थ है ?”
इनफिनिट अर्थात दोनों तरफ अनंत विस्तार “, वे बोले I
“सर, आज जो अनंत है वह कल हमारे ज्ञान वर्धन के साथ हो सकता है अनंत न रहे I
जैसे पहले विश्व को अनंत माना जाता था किन्तु अब वैज्ञानिकों ने उसकी सीमाओं का पता लगाने का दावा किया है “I
मोहन तुम फालतू के प्रश्न पूछकर मेरा व सभी छात्रों का समय बर्बाद कर रहे हो I तुम मुझे क्लास के बाद में मिलो I
तुम क्लास में न आओगे तो भी हम तुम्हारी हाजिरी लगा देंगे,सर ने कहा I
मोहन वास्तव में सर से यही कहलवाना चाहता था I
एक दिन मोहन कॉलेज के गेट से अन्दर जा रहा था I
उसने देखा कि एक छात्र अय्यर उस पर हंस रहा था I
अय्यर ने कहा, “ क्यों बे मोहन! क्लास में जबरन बेतुके प्रश्न क्यों पूछता है ? तू जबरन अपनी वाली चलाकर
सब पर इम्प्रैशन मारना चाहता है ?”
अय्यर बड़ा प्रतिभाशाली छात्र था I उसकी इंग्लिश सुपर थी I
वह पिछले वर्ष का टापर था I वह कॉलेज की छात्र यूनियन का प्रेसिडेंट था I
इस पर मोहन ने तुनकते हुए कहा “ अय्यर तू अपना काम से काम रख I तू मुझसे जबरन क्यों उलझ रहा है ?”
इस पर अय्यर ने मोहन का गला पकड़ लिया व उसे पीछे धकेलने लगा I
मोहन ने अय्यर को अखाड़े का ऐक दाव लगाकर अचानक नीचे पटक दिया I
अय्यर का पूरा बदन बुरी तरह से धूल से भर गया I
अय्यर बुरी तरह क्रोधित होकर फिर से मोहन को गालियाँ बकते हुए उस पर झपटा I
इस बार मोहन ने फिर से अय्यर पर एक अन्य दाव लगाकर मुहं के बल पटक मारा I
मोहन नियमित रूप से अखाड़े जाता था व अनेक दावों का जानकार था जिससे अपने से भारी दुश्मन को कुछ ही सेकंड में नीचे गिराया जा सकता है I
इस बार अय्यर उठा और उसने मोहन से हाथ मिलाते हुए कहा, “ सॉरी मोहन ! मै तुम्हारे अखाड़े की दाव कला का कायल हूँ I मान गए उस्ताद ! आज से हम दोस्त है” I
इस घटना के बाद मोहन और अय्यर अभिन्न मित्र बन गए I
गुंडा
सोहन कॉलेज का दादा था I वह एक छटा हुआ गुंडा था I
वह अनेक वर्षों से फेल होकर एक ही कक्षा में रहकर दादागिरी गुंडागर्दी कर रहा था I
मीना प्रथम वर्ष की छात्रा थी I वह बड़ी सुन्दर लड़की थी I
सोहन अनेक बार मीना से दोस्ती करने का प्रयास किया किन्तु वह उससे बात तक करने को तैयार नहीं थी I
एक दिन कॉलेज की छुट्टी होने पर सोहन कॉलेज के गेट पर मीना की प्रतीक्षा करता हुआ खड़ा था I
जैसे ही मीना बाहर निकली, सोहन ने उससे बात करना चाहा I
उसने कहा, “ मीना कैसी हो ? मै तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ I”
इस पर मीना उसे देखे बिना ही आगे जाने लगी I
इस पर सोहन ने उसका हाथ अपनी और खीच लिया I
मीना ने झल्लाते हुए उसे एक तमाचा रसीद कर दिया I
सोहन की सब छात्रों के सामने भारी इन्सल्ट हुई I अपने पूरे छात्र जीवन में उसका किसी ने ऐसा अपमान करने की हिम्मत नहीं की थी I
वह गुस्से से तिलमिला उठा I
उसने कहा, “ एक दिन मै सभी छात्रों के सामने तुम्हारे गाल पर दस बार चुम्मे लूँगा, याद रखना I मै अपना बदला जरुर लूँगा I “
सोहन एक सप्ताह तक शर्म के मारे कॉलेज नहीं गया I सबके सामने उसका भारी अपमान हुआ था I
वह बदले की आग में जल रहा था I
एक सप्ताह बाद सोहन अपने कुछ साथियों के साथ फिर से कॉलेज के गेट पर खड़ा था I
वह एक धनवान नेता की बिगड़ी औलाद था I उसके बाप के पास बड़ी दौलत थी, ताकत थी I
यदि कोई व्यक्ति सोहन की पुलिस में रिपोर्ट करता तो कोई कार्यवाही नहीं होती थी I
उस दिन जैसे ही मीना बाहर निकली तो सोहन ने उसे जोरों से अपनी बाँहों में जकड लिया I
मीना उससे छूटने के लिए छटपटा रही थी I
सोहन ने तडातड उसके गाल पर दस चुंबन अंकित कर दिऐ I
मीना रोती हुई अपने घर चली गई I उसने कॉलेज आना बंद कर दिया I
बहादुर प्राचार्य!
जब प्राचार्य को इस घटना के विषय में ज्ञात हुआ तो वे बहुत क्रोधित हुए I
उन्होंने मीना के घर सन्देश भेजा कि वे भविष्य मे खुद उसकी सुरक्षा पर ध्यान देंगे किन्तु वह फिर भी नहीं आई I
प्राचार्य ने उसे दो तीन बार कॉलेज लौटने का पत्र भेजा I मीना सरेआम बदनामी व अपमान के भय से कॉलेज नहीं आई I
तब एक दिन प्राचार्य स्वयं उसके घर पहुंचे I
मीना के पापा ने उनका अभिवादन किया I
वे बोले, “सर ! आपके कॉलेज में गुंडों का सरेआम गुंडाराज चल रहा है I
आपने उनके विरुद्ध कोई एक्शन नहीं ली है I
प्राचार्य ने कहा, “ श्रीमान ! मुझे घटना की खबर देर से दी गई I मैंने उसकी पुलिस में रिपोर्ट कर दी है I सोहन ऐक अमीर नेता की बिगड़ी औलाद है I किन्तु आप बेफिक्र रहें, मैने उसका पक्का इलाज करने की योजना बना ली है I
उन्होंने मीना के कान में अपनी गुप्त योजना समझा दी I
प्राचार्य के समझाने पर दूसरे दिन मीना क्लास में उपस्थित हो गई I
प्राचार्य स्वयं उस पर पैनी नजर रख रहे थे I
उस दिन सोहन कॉलेज में नहीं देखा गया I
मीना नियमित रूप से कॉलेज जा रही थी I सब को लगा सोहन ने कॉलेज आना छोड़ दिया है I
पांचवें दिन मीना क्लासेस ख़त्म होने के बाद जैसे ही अपने स्कूटर से बाहर निकली,
सोहन उसका इंतजार करता दिखाई दिया I
उसने मीना को देखकर कहा,” हेलो डार्लिंग !”
वह जैसे ही मीना की और बढा वैसे ही पास की झाड़ी में छुपे प्राचार्य ने उस पर चीते की फुर्ती से छलांग लगा दी I
उन्होंने सोहन का गला बड़े जोर से पकड़ लिया और उस पर जोर जोर से उस पर लात घूंसों की बरसात कर दी I
सोहन उनसे बचने के लिए भागता रहा किन्तु उन्होंने उसे दौड़ा दौड़ा कर बार बार पकड़ा I
वे उसे गले से पकड़कर उठा उठाकर पटकते रहे I एक बार सोहन ने उन पर चाकू से हमला किया किन्तु साहसी प्राचार्य की लात के प्रहार से उसका चाकू दूर फिंका गया I
सोहन प्राचार्य की मार से बुरी तरह घायल होकर किसी तरह छूटकर बड़ी मुश्किल से अपने घर पहुँच पाया I
इस घटना के बाद वह फिर कभी कॉलेज में नहीं देखा गया I
वे प्राचार्य मिलिट्री रिटायर्ड अफसर थे I वे पूरे पहलवान थे I उनके आने के पूर्व वह कॉलेज गुंडों का अड्डा बन चूका था I
उन्होंने उस कॉलेज को ऐसा सुधारा कि उसका नाम देश के अग्रणी कॉलेज में शुमार हो गया I
शरारतें
उस कॉलेज में छात्र बहुत शरारते करते थे I
श्री माथुर मैथ्स के नए अपाइंटेड प्रोफेसर थे I
उस दिन उनका क्लास में पढ़ाने का पहला दिन था I
वे तल्लीनता से गणित पढ़ा रहे थे I
अचानक क्लास में भगदड़ मच गई I
सभी छात्र छात्राएं “भागो भागो, सांप ! “ कहते हुए क्लास से भाग खड़े हुए I
शिक्षक भी बाहर आ गए I
एक चपरासी को सांप को निकालने के लिए बुलाया गया I
उसने चलते सांप को चिमटे से पकड़ लिया I
वह बोला, “ यह तो चाबी से चलने वाला खिलौना है “
सब लोग जोरों से हंस रहे थे I
किसी छात्र ने वह शरारत की थी I
इसी प्रकार एक अन्य दिन जब शिक्षक क्लास में पहुँचे तो सभी स्टूडेंट गायब मिले I
क्लास में एक गधा बंधा हुआ मिला I
शिक्षक को देखते ही गधा जोर जोर से रेंकने लगा I
सभी छात्र पास की क्लास में छिपकर यह तमाशा देखकर हंस हंस कर दोहरे हुए जा रहे थे I
इसी प्रकार एक दिन क्लास में एक पिल्ला बांध दिया गया जो लगातार भोंकता रहा I
एक माह से कुछ कुछ दिनों के अंतराल पर छात्रों द्वारा नई नई शरारतें की जा रही थी I
माथुर साहब बहुत परेशान थे I प्राचार्य से शिकायत करने पर उन पर ही वे शिक्षक को ही अक्षम होने का दोष लगाते, इस बात की पूरी संभावना थी I
तब एक दिन तंग आकर उन्होंने प्राचार्य से शिकायत कर दी I
प्राचार्य महोदय ने पहले तो माथुरजी से छात्रों के साथ सख्ती से पेश आने को कहा फिर वे स्वयं
क्लास पर पैनी नजर रखने लगे I
एक दिन किसी छात्र ने क्लास में चूहा छोड़ दिया I
सभी छात्र क्लास के बाहर आकर जोर जोर से हंस रहे थे I
इस पर छिपे हुए प्राचार्य ने दो तीन छात्रों को जोरों से तमाचा मारते हुए पूछा,
“ उस छात्र का नाम बताओ जिसने यह शरारत की है “
पूरी क्लास अपने रूम में लौट चुकी थी I सभी छात्र चुपचाप अपनी जगह बैठे हुए थे I
प्राचार्य ने डांटते हुए पूछा, “ यह किसकी शरारत है ? वह सीधी तरह से अपनी जगह पर खड़ा हो जाए
वर्ना सभी छात्रों को कॉलेज से निकाल दिया जाएगा I”
किसी छात्र ने कोई उत्तर नहीं दिया I
इस पर प्राचार्य ने पूरी क्लास को अनिश्चित क्काल के लिए सस्पेंड कर दिया I
तीन दिन बाद सभी छात्र परेशान होकर प्राचार्य से हाथ पैर जोड़कर क्षमा करने की गुहार लगाने लगे I
सभी के होंश फाख्ता हो चुके थे I
वे सब मिलकर प्राचार्य से दया की भीख मांग रहे थे किन्तु प्राचार्य शरारती लड़कों के नाम पूछ रहे थे I
नाम न बतलाने पर प्राचार्य ने सभी छात्रों को अपने पालक के साथ आकर कॉलेज से नाम बर्खास्त करने का सर्टिफिकेट ले जाने का नोटिस दे दिया I
तब तो शरारती लडको ने प्राचार्य के सामने रो रोकर माफ़ी मांगी किन्तु प्राचार्य नहीं पसीजे I
तब हर छात्र को अपने पालक के साथ प्राचार्य के सामने उपस्थित होना पड़ा व लिखित माफ़ी मांगनी पड़ी I
तब जाकर कहीं फिर से क्लासेस शुरू हुई I
इसके बाद किसी छात्र की क्लास में शरारत करने की हिम्मत नहीं हुई I
प्रैक्टिकल परीक्षा
प्रैक्टिकल एक्जाम्स पास आ रही थीं I
मोहन क्लास में जाता ही नहीं था I वह खुद अकेला बगीचे में पढाई करता था I
उसे अधिकांश प्रयोग आते ही नहीं थे I
उसने वायवा व प्रैक्टिकल की रीडिंग की अच्छी तैयारी कर रखी थी I
प्रैक्टिकल परीक्षा का दिन आ गया I
सभी छात्र बड़े भयभीत हो रहे थे I देश का एक बड़ा वैज्ञानिक उनकी परीक्षा लेने वाला था I
कुछ देर बाद छात्रों ने देखा कोई ग्रामीण उनकी प्रयोगशाला की ओर चला आ रहा था I
कुछ छात्र उसे अजनबी समझकर उसकी हंसी करने लगे I
एक छात्र ने उन्हें देखकर हँसते हुए कहा “ ये गावंडेली भी परीक्षा देना चाहता है I “
अनेक छात्र हंस पड़े I
किन्तु यह क्या वे ही परीक्षक महोदय थे,देश के जाने माने वैज्ञानिक I
वे भारत की ग्रामीण वेशभूषा धारण करते थे I वे निहायत ही सादगी पसंद व्यक्ति थे I
वे हर प्रकार के दिखावे से दूर रहते थे I
कॉलेज का स्टाफ भी उन्हें नहीं पहचान पाया I
उन्होंने अपना परिचय प्राचार्य को दिया I प्राचार्य उन्हें बड़े सम्मान से प्रयोगशाला में लाये व उनका सभी छात्रों व स्टाफ से परिचय कराया I
परीक्षा प्रारंभ होने के पूर्व उन्होंने सभी स्टूडेंट्स को हिदायतें दी :
कोई छात्र नक़ल नहीं करेगा I
कोई भी रटी हुई रीडिंग नहीं लिखेगा I
कोई छात्र किसी दुसरे की सहायता नहीं लेगा I
किसी को कोई दिक्कत आ रही हो तो उनसे ही सहायता मांगेगा I वे खुद सहायता करेंगे I
एक टेबल पर प्रेक्टिकल्स के नाम लिखकर कापियां उलटी करके रख दी गई व लाटरी सिस्टम से एक एक करके छात्रों को कापियां उठाने को कहा गया I
मोहन बहुत घबरा रहा था I उसे कुछ ही प्रेक्टिकल्स अच्छी तरह आते थे I
मोहन ने अपनी कॉपी जो उलटी करके राखी हुई थी, उठाई I उसने कॉपी को पलट कर देखा I
उसकी आँखे ख़ुशी से चमक गई I
उसे न्यृटंस लॉ ऑफ़ कुलिंग प्रैक्टिकल मिला I यह प्रैक्टिकल उसका फेवरेट था I उसे उस प्रयोग की अच्छी प्रैक्टिस थी I
तक़दीर ने उसका साथ दिया था I
कुछ देर बाद परीक्षक महोदय स्टूडेंट्स से प्रश्नोत्तर करते हुए उसके समीप आ रहे थे I
उन्होंने कुछ देर तक मोहन को एकटक देखा I
फिर वे हँसते हुए बोले, “ मोहन ! तुमने थर्मामीटर उल्टा पकड़ रखा है I”
मोहन ने झट थर्मामीटर को सीधा किया व कहने लगा,
सॉरी सर, मै प्रैक्टिकल में बहुत कच्चा हूँ I मै प्रयोगशाला में बहुत कम आता हूँ I
मै खुद से बगीचे में अकेला पढाई करता रहता हूँ I”
वे बोले, “ बहुत अच्छा “
फिर वे मोहन से अनेक प्रश्न पूछने लगे I
मोहन ने सभी प्रश्नों का बिजली की फुर्ती से जबाब दिया I
अपने प्रश्न ख़तम करके जब वे अपनी टेबल पर गए तो इंटरनल महोदय अपने चहेतों की तारीफ करके उन्हें सबसे ज्यादा मार्क दिलाने का प्रयास करते दिखे किन्तु वे कह रहे थे, “ आपके कॉलेज में मोहन सबसे श्रेष्ठ स्टूडेंट है I
जब रिजल्ट खुला तो मोहन ने पूरे कॉलेज में टॉप किया था I
वार्षिक समारोह
सेशन के अंत मे वार्षिक समारोह का आयोजन हुआ । विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं, भाषण प्रतियोगिता, वादविवाद, नाट्य व गायन आदि अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की गई ।
अंतिम दिन समारोह का समापन हुआ। ऐक विख्यात केन्द्रीय मंत्री को मुख्य अतिथि के रूप मे आमंत्रित किया गया था । वे इस विद्यालय के विद्यार्थी रह चुके थे।
प्राचार्य ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। उनका परिचय दिया। फिर पुरस्कार वितरण किया गया । इसके बाद मंत्री महोदय व्यस्त होने के कारण चल दिए।
बाद मे मंच पर कुछ नाटक खेले गए । गायन वादन पेश किए गए।
तब मंच पर एक लड़की कोबरा डांस प्रस्तुत करने लगी।
उसके डांस पर कुछ लड़के फब्तियां कसने लगे।
एक लड़के ने कहा- ‘हाय मेरी मधुबाला ! ’
इस पर थोड़ी देर बाद दूसरे ने भी कहा- ‘हाय मेरी नागिन ! ’
सभी लड़के खूब हंसी ठटृटा कर शोर करने लगे।
कुछ प्रोफेसरो ने चुप रहने का निवेदन किया किन्तु फब्तियां कसने वाले और अधिक रिमार्क कसने लगे ।
शोर और उच्छंखलता होते देख एक बार प्राचार्य ने छात्रो को शान्त रहने को कहा किन्तु जब छात्र न माने तो प्राचार्य रिमार्क पास करने वाले छात्रो के ऊपर मंच से ही कूद पड़े और इन्होने उद्यंड छात्रो पर लात घूंसो की बरसात कर दी । सभी शैतान छात्र भाग खड़े हुए । प्राचार्य ने उनका पीछा किया व दो छात्रो को पकड़कर सड़क पर ही उन्हे गले से पकड़कर उठा उठा कर जमीन पर बार बार पटका । एक छात्र ने छुरा निकाल लिया । इस पर बहादुर प्राचार्य ने उसका हाथ छुरे सहित पकड़कर इतनी जोर से मरोड़ा कि वह दर्द्र के मारे बड़ी जोर से चीख पड़ा।
सभी शैतान छात्रो का दूसरे दिन कालेज लिविग र्सिर्टफिकेट एडवर्स रिमार्क के साथ पकड़ा दिए गए ।
इस घटना के बाद इस कालेज मे ऐसा अनु्शासन हो गया जिसकी मिसाल कही देखने को नही मिलती।
रोमांस
उस दिन कालेज का इंटरवल था। बगीचे मे एक छात्र व छात्रा जो आपस मे मित्र थे, बैठकर बातें कर रहे थे । कुछ समय बाद पिरियड शुरू होने की घंटी बज गई । सभी छात्रगण दौड़कर अपनी कक्षाओं मे चले गएं किन्तु बगीचे मे वह जोड़ा वैसे ही गप्पे मारते हुए बेठा रहां । उधर प्राचार्य का दौरा हुआ। उन्होने छात्र छात्रा को बातचीत मे मशगूल देखा । वे थोड़ा रूककर उनके उठने का इंतजार करते रहे किन्तु कोई परिणाम न निकलता देख आगे बढ़ गए ।
बहुत देर बाद सभी क्लासों का निरीक्षण कर वे जब बगीचे के पास से गुजरे तो उन्होने उस जोड़े को गप्पे लड़ाते देखा । इस पर प्राचार्य जोर से चिल्लाये-
‘ आपकी बाते खतम हो जाएं तो हमे भी बता देना कि आप कौन से नए ताजमहल बनवाने की योजना बना रहे हो ? ’
वे दोनों बुरी तरह सकपकाकर अपनी क्लास मे दौड़ पउ़े ।
मृत्युभोज (जाति बहिष्कार)
मोहन के पिता गंभीर रूप से बीमार थे I
यह खबर जब मोहन को मिली तो वह उनसे मिलने उनके गावं गया जो इंदौर से छे सौ किलोमीटर दूर था I
जब वह उनके पास पहुंचा उनका देहांत हो चूका था I
पिता का मृत्युभोज करना था किन्तु इसमे बड़ी समस्या थी। उनका परिवार जाति से बाहर था। अतः इस बात की पूरी संभावना थी कि जाति वाले उनके द्वारा दिये जाने वाले मृत्यु भोज का बहिष्कार करते। किन्तु फिर भी अनेक लोगो को निमंत्रण दिए गएं।
भोज मे सिर्फ कुछ ही निकट के रिश्तेदार शामिल हुए ।
काफी खाना बच रहा । मोहन व कुमार ने बचा हुआ खाना अनाथालय मे गरीब अनाथ बच्चो मे बांट दिया जो लजीज खाना खाकर बड़े खु्श हुए।
लेखक के अन्य ग्रन्थ
अमेज़न .कॉम पर प्रकाशित निम्न प्रथम तीन ग्रन्थ अंग्रेजी व हिंदी में प्रकाशित हो चुके है जिन्हें लेखक ने स्वयं हटा लिया है :
1 The HIghest BlIss (EnglIsh)
2 परम आनंद (हिंदी)
3 Freedom Struggle In VIllage इंडिया (An अनटोल्ड स्टोरी, EnglIsh)
निम्न तीन ग्रन्थ कथानक नोवेल्स गुजरात की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था मात्रभारती.कॉम पर प्रकाशित होकर पाठक संख्या के नित्य नए रिकॉर्ड बना रहे हैं :
१ ग्रामीण भारत में स्वतंत्रता आंदोलन (एक अनकही दास्तान)
२ विद्रोहिणी ( एक अबला निर्धन अकेली महिला की सफेदपोश रुढ़िवादी समाज से संघर्ष की रोमांचक दास्तान)
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शीघ्र प्रकाशन के लिए तैयार उपन्यास,
(सुनहरा धोखा, जुआरी फिल्म producer, सर्वदा जंवा बूटी की खोज (हिमालय के जंगलों में) पागल
आदि अनेक दिल दिमाग को स्तंभित कर देने वाली रचनाए शीघ्र ही हिंदी में पाठको के हाथ में होंगी )
इनमे से अनेक रचनाएँ विश्व प्रसिद्ध ebook संस्था बुक्स2रीड पर विश्व प्रसिद्ध स्टोर पर उपलब्ध है I
लेखक परिचय
ब्रजमोहन शर्मा को रिटायर्ड व्याख्याता है I उन्हें गणित विज्ञानं पढ़ाने का सैंतीस वर्षो का दीर्घ अनुभव है I
वे ज्योतिष, योग, एरोबिक्स, आयुर्वेद, कविता एवं नाटक लेखन आदि का भी दीर्घ अनुभव रखते है I
उनकी कविताऑ “फारेस्ट” व “ देट श्रील्लिंग साउंड” इंटरनेशनल काव्य प्रतियोगिता पोएट्री.काम में सेलेक्ट होकर भारी प्रशंसित हुई व उन्हें विश्व प्रसिद्ध कनिता संकलन साउंड ऑफ़ पोएट्री के लिए चयनित किया गया I
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