अब आगे..
बाहर छाया है गहरा अन्धेरा , साथ ही बारिश भी हो रहा
है । चारों तरफ से पैशाचिक संकेत साफ हैं ।
मैं एक ऐसे कर्म में लिप्त हो चुका हूं जिससे कई और लोगों के जान बच सकतें हैं पर अभी और इस रात मेरा प्राण बचेगा या नही यह तो भगवान ही जानतें हैं ।
एक दिव्य अघोरी मेरे आगे चल रहा है , उनके शक्तियों का अनुभव व दृश्य मैंने साफ देखा है इसीलिए अब मन
में डर कुछ कम हुआ है ।
अघोरी मुकेश के मृत शरीर को कंधे पर उठाकर उस गुफा के अंदर बढ़े , मैंने उनका पथ अनुशरण किया , हाथ में छोटे से टोर्च को लेकर । जब गुफा के अंदर पहुँचा तो देखा अघोरी ने न जाने कहाँ - कहाँ से कई प्रकार के सामान को पहले ही इक्कठा करके रखा था । वहां तंत्र के कुछ सामान नर खोपड़ी ,और भी न जाने कैसे - कैसे लाल - पीले सिंदूर , तेल ।
अघोरी ने मुकेश के मृत देह को नीचे रखा और अपने त्रिशूल
को वहीं सीधा गाड़ दिया । एक छोटीसी धूनी जलाई फिर
आंख बंद कर कुछ मंत्र पढ़ने लगे ।
अघोरी ने मंत्र खत्म किया फिर वहीं रखे लाल रंग के सिंदूर
और तेल को आग में डाला और फिर मुझसे कहा –
" इस सिंदूर से उस लड़के के चारों तरफ एक घेरा बनाओ । "
मैंने उनके बताए अनुसार ऐसा किया फिर अघोरी ने अपने
पोटली से उस राक्षस के शरीर के एक टुकड़े को निकाला
और फिर उसे वहीं सामने रख दिया ।
अब मुझे कुछ - कुछ समझ आ रहा है मतलब यह है कि
मुकेश का मृत शरीर उसे बुलाने का एक जरिया है और वह मांस का टुकड़ा जिससे उसके शरीर में दिव्यता को तंत्र द्वारा प्रवेश कराना है और मेरे गले में बंधे इस ताबीज के भस्म से उस राक्षस को कैद करना है ।
मुझे तो सोचते हुए ही भय का अनुभव हो रहा है कि आखिर आगे क्या होगा ? पर फिर भी अघोरी पर मुझे पूरा भरोसा था कि वह मुझे कुछ नही होने देंगे ।
अब देखा तो अघोरी उस मांस के टुकड़े को निर्धारित कर कुछ मंत्र की जाप और उस पर सिंदूर डाल रहे हैं । जब वह मंत्र जाप समाप्त हुआ तो उन्होंने मुझसे वह ताबीज मांगा फिर उस ताबीज को खोला तो मैंने देखा हाँ उनके कहे अनुसार ठीक ही उसमें भस्म था ।
अब उन्होंने अपने पोटली से एक शराब की बोतल निकाली
और एक खोखली खोपड़ी फिर उसमें शराब डाली फिर एक चुटकी वह भस्म और कुछ मंत्र पढ़ उसे पी गए ।
आश्चर्य जैसे ही अघोरी ने उसे पिया तुरंत ही उनके दोनों आंख लाल आग की तरफ जल उठे और शरीर भी अजीब तरीके कांप सा उठा और आवाज में भी एक अजीब सा परिवर्तन हुआ जो कुछ भयानक था वह और भयानक हो गया ।
" जय महाकाल , जय रुद्र " यह कहते हुए वह एक बार फिर पागलों की तरह मंत्र पढ़ने लगे फिर उठकर मेरे पास आए और मेरे आंखों में झांका , मैं साफ देख रहा था कि उनके दोनों आंख पूरी तरह लाल थे ।
मेरे चेहरे को देखते हुए वह बोले – " तू डर रहा है , कैसा
डर मैं तेरे साथ हूँ ' अहम् ब्रह्मास्मि ' । "
यह कहते हुए उन्होंने मेरे चारों तरफ एक वृत्ताकार गोला
बनाया जैसे मैंने मुकेश के शरीर के चारों तरफ बनाया था ।
अघोरी बाबा बोले – " यहां कुछ भी हो जाए चाहे मुझे कुछ
हो जाए तुम इस वृत्त के बाहर मत आना , अगर तुमने ऐसा
किया तो मृत्यु निश्चित है । और एक बात अपने डर को मत
दिखाना साहस ही हमारा अस्त्र है । "
इतना कह अघोरी फिर अपने जगह जाकर बैठ गया और
मुकेश को संबोधित कर मंत्र पढ़ने लगा । ठीक इसी समय
मुझे महसूस हुआ हाँ कुछ है जो बहुत भयानक है और वो
इधर ही आ रहा है , वह राक्षस आ रहा है ।
चारों तरफ के वातावरण में एक अजीब सी घुटन फैलने लगी , अघोरी बाबा पागलों की तरह मंत्र पढ़ रहे थे और मेरा दिमाग उस शैतान को नजदीक और नजदीक आते हुए महसूस कर रहा है । पर यह क्या इस वक्त मेरे मन में एक सवाल उठा कि आखिर उस शैतान को बंदी कहाँ बनाया जाएगा आखिर बंदी बनाने का आधार क्या होगा । यह सोच ही रहा था कि एक भयानक गर्जन से पूरा गुफा कांप उठा , हाँ वो शैतान अपने रास्ते में बाधा को पाकर हमें खत्म करने आ धमका है । फिर एक भयानक गर्जन और दौड़ते हुए सामने आया एक आधा शैतान और आधा महिला का शरीर और फिर वह एक महिला में बदल गया फिर वह भयानक आवाज में हँसने लगा । उधर अघोरी बाबा तेजी से मंत्र पढ़ते जा रहे थे ।
" हे महाकाल कृपाल…. "
और इसके कुछ देर बाद ही उस शैतान ने अपना असली रूप दिखाया । वह महिला धीरे - धीरे बदलने लगी पहले उसके चेहरे से निकला एक भयानक सा विकृत और विभत्स चेहरा , बड़े - बड़े दांत फिर उस उस महिला का पूरा शरीर बदल गया एक भयानक शैतान के रूप में , कितना भयानक व विभत्स शरीर यह देख मैं तो मानो डर से बेहोश हो जाऊं ।
अघोरी जोर से मंत्र पढ़े जा रहे थे वह शैतान मेरे तरफ बढ़ा
एक झप्पटा मारा मेरे तरफ पर जैसे ही उस वृत्ताकार चिन्ह
से टकराया वहीं छिटक कर जा गिरा । अब जब वह शैतान
उठा तो फिर से भयानक तरीके से गरज पड़ा ।
मैंने अघोरी की तरफ देखा तो वह फिर से शराब पीते हुए उठ खड़े हुए और ' जय महाकाल ' कहते हुए सामने रखा वह मांस का टुकड़ा आग में डाल दिया । जैसे ही अघोरी ने ऐसा किया वह शैतान एक बार फिर चीख सा उठा और अब दौड़ा मुकेश के मृत शरीर की तरफ पर वहां भी उस वृत्त से बाधा पाकर अघोरी की तरफ बढ़ गया ।
अघोरी ने न जाने कौन से मंत्र को पढ़कर उस शैतान के
तरफ त्रिशूल को फेंका पर वह शैतान उस त्रिशूल से बचकर
सीधे अघोरी की तरफ लपका और जाकर अघोरी के गले
को पकड़ लिया ।
यह देखकर की अघोरी बाबा को अब वह शैतान मार सकता है मैं आगे बढ़ना चाहा पर अघोरी ने हाथ को दिखाते हुए कहा – " नही , वहां से बाहर मत निकलना , जबतक मैं न कहूँ । "
इतना कहकर वह अघोरी जोर से हँस पड़ा और फिर अपने समक्ष आये उस शैतान पर वह भस्म छिड़क दिया तुरंत ही वह शैतान एक काले धुएं में बदलने लगा । नीचे बेहोश होकर गिर पड़ी महिला यानी मुकेश की मां ,वह छाया रूपी धुआं सीधे समा गया अघोरी के अंदर ।
मैं कांप सा उठा मुझे पता चल गया हां मैं जान गया कि उस शैतान को बंदी बनाने का आधार कुछ और नही अघोरी का शरीर स्वयं है ।
मैं चिल्ला उठा – " बाबा आपने यह क्या किया ? "
अघोरी हँस उठा और तुरंत ही वह शैतान अपना असर अघोरी के ऊपर करने लगा , अब उनकी आँखें भयानक
तरीके से सफेद होने लगा पर अपने दैवीय शक्ति के कारण
उन्हें अब भी अपने ऊपर संतुलन था । वह अब भी अपने
मंत्र के उच्चारण को कर रहे थे पर धीरे - धीरे फिर उन्होंने
पास ही रखे ताबीज के भस्म को अपने माथे पर लगा लिया । अंदर के शैतानी चीख अब उनके मुख से निकला ।
मैंने साफ देखा अब उन पर शैतान का असर धीरे - धीरे बढ़ता जा रहा था और मैं कुछ समझ ही नही पा रहा था कि अघोरी ने ऐसा क्यों किया ।
अब अघोरी बाबा छटपटाने लगे मैं उन्हें संभालने के लिए उनके तरफ दौड़ा पर अब भी उन्होंने हाथ से अपने पास आने को मना कर दिया और कहा – " उस त्रिशूल को उठाओ और मेरे सीने को भेद कर इस शैतानी शक्ति को खत्म करो , जल्दी । "
मैं जोर से बोल उठा – " पर मैं ऐसा नही कर सकता , नही
कर सकता । कैसे मैं आपके सीने में त्रिशूल से वार कर
सकता हूँ । "
अघोरी बाबा पीड़ा और गुस्से में चिल्ला कर बोले – " मैं जैसा कहता हूं वैसा ही करो । "
मैं अब भी यह करने को किसी भी तरीके से तैयार नही था मेरे हाथ और पैर कांप रहे थे ।
" जल्दी कर मूर्ख , त्रिशूल उठा "
देखा तो अघोरी का शरीर काला पड़ने लगा और सभी नसें साफ दिखने लगी , अघोरी अभी भी दर्द से कराह रहे थे ।
" त्रिशूल उठा "
इस बार के अघोरी के गर्जना से मैने खुद को संभाला और
जल्दी से जाकर त्रिशूल को उठाया ।
अघोरी चिल्लाया – " उसे मेरे सीने में गाड़ दे , जय महाकाल "
मैं न चाहते हुए भी त्रिशूल से एक जोरदार वार अघोरी के सीने में किया । त्रिशूल पूरा छाती फाड़ती हुई अंदर घुस गई । मेरे आंखों से आंसू के धार बह निकले और उसी समय अघोरी का शरीर जलने लगा और अंदर से उस शैतान के कराहने की भयानक आवज भी पूरे गुफा में गूंज उठा । कुछ ही देर में अघोरी का पूरा शरीर जलकर राख हो गया और एक काला धुंआ गुफा के बाहर निकल गया ।
मैं खुद को संभाल नही पा रहा था , अभी कुछ देर पहले मैंने क्या किया यह मुझे समझ नही आ रहा , और हो भी क्यों न अभी कुछ देर पहले सामने बैठा एक आदमी जलकर क्षण भर में राख हो गया । कुछ देर वहीं पर बैठा रहा आंख भी सब दृश्य बार - बार दोहरा कर आंसू निकाल रहा था । आंखे केवल उस अघोरी बाबा को खोज रहे थे पर जनमानस के कारण उन्होंने स्वयं को बलि कर दिया ।
करीब आधे घंटे वैसे ही बेसुध अवस्था में बैठे रहने के बाद मैंने खुद को संभाला चलकर गुफा से बाहर आया ।
बाहर बारिश रुक गया है पूरब से कुछ सफेद रोशनी चारों तरफ छा रही है , ब्रह्ममुहूर्त का अंतिम समय है कुछ ही देर में सुबह हो जाएगा ।
मैंने संध्या को फोन लगाया और उन्हें वहां आने के लिए बताया । सुबह होते न होते सब आ गए संध्या की माँ ठीक थी पर अभी भी बेहोश थी ।
संध्या बोली – " वह अघोरी भी आपके साथ थे न सर , कहाँ गए ? और क्या हुआ यहां ?"
मैं बोला – " उन्होंने ही तुम्हारे मां को बचाया है और हम
सबको भी फिर तुम सब के आने से पहले ही वह अपने धाम को चले गए । "
संध्या के पिता ने मुकेश के शरीर को कब्रिस्तान से लेकर आने के कारण कुछ गुस्सा किया पर जब उन्हें बताया कि यह जरूरी था तब वह शांत हुए ।
उधर कब्रिस्तान के गेटमैन ने भी पुलिस को लाश चोरी के बारे में खबर दे दिया था पर माधव जी कहने पर कोई करवाई नही हुई और फिर मुकेश के देह को कब्र दिया गया । संध्या की मां को हॉस्पिटल में एक दिन बाद होश आया , अब वह ठीक है ।
आज भी रास्ते पर सफर करते हुए किसी अघोरी व बाबा को देखता हूँ तो वह महा अघोरी और उस रात के भयानक बातें आंखों के सामने छप जातें हैं ।
मैंने अपने जीवन के कार्य को कर लिया ठीक इसी तरह कई और शैतान इस दुनिया में आएंगे तो कोई महा अघोरी तांत्रिक और मेरे जैसा आम आदमी इसे फिर दोहराएंगे , यह चलता रहेगा क्योंकि प्रकृति अपना संतुलन हमेशा बनाए रखेगा और ऐसे पैशाचिक शक्ति के लिए यहां कोई जगह नही ।
।। समाप्त ।।
@rahul