एक पाठकीय प्रतिक्रिया
प्रेग्नेंट किंग और प्रेग्नेंट हस्बैंड
यशवंत कोठारी
देवदत्त पटनायक की पुस्तक -प्रेग्नेंट किंग नज़र से गुजरी कल ही विभारानी के नाटक-प्रेग्नेंट हस्बैंड के बारे में भी पढ़ा ,इस नाटक को फार्स नाटक बताया गया ,फार्स याने स्वांग ,तमाशा मनोरंजन .दोनों ही रचनाओं का मुख्य पात्र महाभारत के कथानक से लिया गया है.
पौराणिक साहित्य का वापस प्रस्तुतीकरण आजकल काफी चर्चा में है.पौराणिक रचनाओं का पुनर्लेखन हो रहा है.फ़िल्में धारावाहिक व वेब सीरीज बन रहीं है. पुराणों,उपनिषदों राम कथा,कृष्ण कथा, गीता भा गवत का पुनह प्रस्तुतीकरण हो रहा है व नई पीढ़ी इसे पसंद भी कर रही है.यह साहित्य विश्लेषण ,के लिए भी उपलब्ध है लेकिन इस साहित्य को तोड़ मरोड़ कर लिखा जाना या दिखाया जाना विचारणीय है .कन्हेया लाल मानिक लाल मुंशी ,नरेंद्र कोहली,आमीश त्रिपाठी अशोक बेंकर आदि लोग लिख रहे हैं राजेन्द्र मोहन शर्मा ने भी गणेश जी व विदुर को लेकर उपन्यास लिखे हैं. जो प्रभाव शाली है .रामानंद सागर ,बी आर चोपड़ा का भी जिक्र जरूरी है जिन्होंने रामायण व महाभारत को टी वी के माध्यम से करोड़ों लोगों तक पहुचाया .
देवदत्त पटनायक भी इस क्षेत्र में काफी बड़े हस्ताक्षर है उनका नाम किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है ,वे अख़बारों में छाये रहते हैं आकाशवाणी दूरदर्शन पर भी रहते है.उनकी तीस से ज्यादा पुस्तकें हिंदी व इंग्लिश में छप चुकी है.कथ्य ,शिल्प,भाषा तीनों पर लेखक का अद्भुत अधिकार झलकता है. इस रचना में प्रणय,वात्सल्य,सत्ता राजसुख,कामभावना,सभी का अद्भुत प्रयोग किया गया है.शाश्वत सत्य का भी संदर्भ है.महिला सशक्तिकरण का सशक्त उदाहरण है यह रचना .रानी शिलावती ससुर के मना करने तथा पति के निधन के बाद लम्बे समय तक राज संभालती है ,राज्य की रक्षा करती है और अपने पुत्र के बड़े होने तक उसे भी संभालती है पुत्र के पोत्र होने तक इंतजार करती है,लेकिन तीन शादियों के बाद भी युवनाश्व के पुत्र नहीं होता .फिर एक पुत्र स्वयं राजा की कोख से होता है,यही कथा है जो महाभारत से ली गयी है ,इसे कल्पना से सहारे उकेरा गया है.एक जगह लेखक शिलावती के मुख से कहलवाता है-केवल राक्षस पत्नियों का हरण करते हैं,केवल असुर उन्हें क्रय करते हैं मैं चाहती हूँ कि तुम गन्धर्व बनो ताकि तुम्हारी पत्नी स्वयं तुम्हारा चयन करे जैसे लक्ष्मी विष्णु को वरती है.
उनका पौराणिक साहित्य पर आधारित पहला उपन्यास प्रेग्नेंट किंग के नाम से २००८ में छपा जिसका हिंदी अनुवाद २०२० में रचना भोला यामिनी ने किया है ,उपन्यास का थीम महाभारत काल के एक राजा युवनाश्व को बनाया है.इसी थीम को लेकर विभा रानी ने नाटक रचा है नाम है प्रेग्नेंट हस्बैंड.इसे फार्स नाटक कहा गया है.
लेखक के अनुसार महाभारत में एक संतानहीन राजा की कथा है जो गलती से रानी को प्रेग्नेंट करने के लिए तेयार पेय को पी लेता है और एक पुत्र को जन्म देता है.इलेश्वर देव व् इलेश्वरी देवी की कथा भी आती है.महाभारत के युद्ध व् कृष्ण का भी वर्णन है बीच में कुछ दूसरी काल्पनिक कथाएं भी आती हैं.
देवदत्त ने शिखंडी,अर्जुन के नपुंसक बनाने की कथा को भी पिरोया है वे एक सिद्धहस्त कथकार है खूब अच्छी भाषा ,सरस प्रवाह और मनोरंजन के साथ साथ ज्ञान वर्धन भी .
गर्भवान राजा का प्रसंग कई जगहोंपर मिलता है आधुनिक विज्ञान भी मानता है की यदि गर्भाशय हो तो गर्भ धारण संभव है .कई ऐसे प्रयोग हुए है जिसमे सेक्स बदल दिए गए है व गर्भ या फीटस बने है.नियोग से तो महाभारत भरा पड़ा है.किन्नर,LGBTपर हिंदी में भी कई किताबें आई है.
लेखक ने कथानक की शुरुआत महाभारत के युद्ध से काफी पहले से की है ,कथा को जानबूझ कर तोडा मरोड़ा है ताकि इतिहास या भूगोल न बने एक सरस कथा बने ,पटनायक कथा कहने में सिद्ध हस्त है.कथा नायक को अर्जुन से संवाद भी कराया है.अंत में जाकर कथा नायक युवनाश्व साधू बन जाता है .
यह कथा सभ्यता के संकट की कथा है यह प्रेम न्याय,शक्ति विवेक का किस्स्सा है पढ़े आनंद ले.बस.
ब्रह्मा का पांचवां सर खो गया है उसी में है जीवन के सब अर्थ लेकिन अनर्थ हो गया सर ही खो गया.
अंत में पटनायक लिखते हैं-
अनंत पुराणों में छिपा है सत्य
इसे पूर्णत:किसने देखा है
वरुण के हैं नयन हज़ार
इंद्र के सौ
आप के मेरे केवल दो
हमें इन्ही दो आखों से सत्य का संधान करना है.
अनुवादक ने भाषा के प्रवाह को बनाये रखा है ,लेकिन कही कही गूगल अनुवादक हावी हो जाता है,
लेखक व अनुवादक बधाई के पात्र है .
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