Breaking News - Ramlal will leave the country (Satire) in Hindi Comedy stories by Alok Mishra books and stories PDF | ब्रेकिंग न्यूज - रामलाल देश छोड़ेगा (व्यंग्य)

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ब्रेकिंग न्यूज - रामलाल देश छोड़ेगा (व्यंग्य)

ब्रेकिंग न्यूज - रामलाल देश छोड़ेगा

अभी-अभी मिले समाचार के अनुसार रामलाल जी देश छोड़ने पर विचार कर रहे है । हमारे रामलाल जी आजकल बहुत परेशान है । आप रामलाल को तो जानते ही होगे , अरे.. वही शिक्षक जो कभी - कभी उलजलूल लेख भी लिखता है ; अरे .. वही जो ब्राम्हण होकर भी जातिवाद को नहीं मानता ; अरे भाई ... वही जो अक्सर ही सामाजिक कार्यक्रमों में घुटे सर के साथ दिखाई दे जाता है। वे अब परेशान है कारण, वे सोचते है कि उन्हें हर कोई तीन वजहों से गालीयाॅं देता है ; पहला उनका शिक्षक होना ,दूसरा उनका लेखक होना और तीसरा उनका ब्राम्हण होना । देखा जाए तो वे इस (अ)सांप्रदायिक देश में तीनों बेचारी और निरीह प्रजातियों का प्रतिनिधित्व करते है । देश में शिक्षकों का सम्मान केवल एक दिन पोले ( महाराष्ट्र और दक्षिण म.प्र. में बैलों की पूजा का पर्व ) और नागपंचमी (उत्तर भारत में सांपों की पूजा का पर्व ) की तरह होता है; बाकी समय इन पावन पर्वों से जुडे जन्तुओं की ही तरह व्यवहार ही अधिक होता है । पैदा होने पर उनका कोई बस न था , सो वे ब्राम्हण के रुप में पैदा हो गए । वे सोचते है कि उनके पास पैदा होने का विकल्प होता तो वे आज शिक्षक न हो कर किसी बड़े पद पर बैठे मलाई छान रहे होते । खैर .. वे अब जो है इसमें उनका क्या दोष ? वे दुखी है क्योकि कुछ लोग ब्राम्हणों को पानी पी पी के कोसते है ; ऐसे लोगों के साहित्य से यदि केवल ब्राम्हण शब्द ही निकाल लिया जाए तो पढ़ने को कुछ भी न बचे । वे तो बस गालीयाॅं खाते हुए अपनी सांप्रदायिक सद्भावना का परिचय देते रहते है ।

रही लेखक होने की बात तो इससे रामलाल सबसे अधिक भयभीत रहते है । जो वे सोचते है ,वही लिखें तो उन्हें बचाने वाला भी कोई न होगा और न लिखें ; ऐसा कैसे हो सकता है ? वे बेचारे लेखक बन कर भी फंस गए । अब उन्हें लोग गली चैराहों पर विषय बताते है और लिखने को कहते है । ऐसा नहीं वे लिखते भी है मगर दो खुश होते है तो चार नाराज हो जाते है । अब उनसे मिल कर नेता और उनके चमचे कहते है कि सम्हल कर लिखना नहीं तो .... ।

बेचारे रामलाल इन कारणों से परेशान तो थे ही पहले शाहरुख भाई और बाद में कमल हासन ने देश छोड़ कर जाने की बात कर दी । रामलाल तो पहले से ही देश की दशा ,दिशा और दुर्दशा से दुखी थे उन्हें भी लगने लगा कि ‘‘ जिस देश में महिलाऐं सुरक्षित न हों । जहाॅं सरकारें जातिवाद को बढावा देती हो । जहाॅं जनता केवल एक मशीन का बटन दबाने वाली दूसरी मशीन हों । जहाॅं सांप्रदायिकता के मायने हर सांप्रदाय के लिए अलग-अलग हो । वहाॅं निवास करना खतरे से खाली नहीं होता । ’’

रामलाल नेताओं के भाषणों में बीज तत्व खोजने का प्रयास करते है जो पिछले साठ सालों से भूख , गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार समाप्त करने का वादा करते आ रहे है । वे केवल वादे करते है , राज करते है और समस्याऐं वैसी की वैसी रह जाती है । इन समस्याओं से तो रामलाल को ही जूझना पड़ता है । अब रामलाल को लगने लगा है इस देश में नहीं तो कहीं और इन समस्याओं का हल अवश्य होगा । अब रामलाल देश को नेताओं के हवाले कर के छोड़ना चाहता है । रामलाल को लगता है कि देश में बोलने की आजादी है ... केवल नेताओं और बाबाओं को ।आम जनता के लिए बोलना तो दूर कराहना भी दूभर है ।

साहित्य और कला की समझ न रखने वाले लोगों को कौन बताए जिस देश में नेताओं के टिकट , नौकरीयाॅं और दंगे जाति आधारित होते हों । वहाॅं नायक और खलनायक की भी जातियाॅं होना ही है । ऐसे में कहानी को कहानी की तरह से न देख कर कुछ रुढीवादी कठमुल्ले सभी को जातियों में बाॅंट कर देखते है । यहीे से तुष्टिकरण की राजनीति के चलते नेताओं की सियारी हुआ... हुआ प्रारम्भ होता है । रामलाल को लगता है कि मकबूल फिदा हुसैन , सलमान रशदी , जूलियन आसांज और तसलीमा नसरीन की तरह ही उसका चरित्र भी विवादित हो उससे पहले उसे देश छोड़ देना चाहिए ।

रामलाल ने सोचा कि वो भी इस बात की घोषणा करेगा कि वो देश छोड़ रहा है । उसे यह लगता था कि इस घोषणा के बाद वे ब्रेकिंग न्यूज बन जाएगा । उसने अपने छोटे से शहर में पत्रकार वार्ता बुलाई । कुछ पत्रकार आए भी चाय नाश्ते के साथ विज्ञप्ती ली और चले गए ।अधिकांश अखबारों ने छापा ही नहीं कुछ ने बहुत सारे विज्ञापनों के बीच छोटी सी जगह पर छापा । इस समाचार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई , कोई ब्रेकिंग न्यूज नहीं और कोई वाद-विवाद नहीं । फिर रामलाल का जोश भी धीरे-धीरे कम होने लगा । वो इन बड़े नामी लोगों की तरह अमीर भी तो नहीं है । जब उसे एक शहर से दूसरे शहर जाना होता है तो वो चार बार जेब टटोल कर सोचता है । जब उसे कोई नेता दूसरे शहर में तबादले की धमकी देता है तो वो चरणवंदन करने लगता है । सबसे बड़ी बात छोटी-मोटी ही सही यहाॅ नौकरी तो है । फिर सभी रामलाल देश छोड़ देंगे तो भाषण ,चुनाव और वादों का क्या होगा ? रामलाल को भरोसा है कभी तो भाषण में उसका जिक्र होगा ; कभी तो सच्चे वादे होंगे । अब रामलाल देश नहीं छोड़ेगा क्योंकि

जीना यहाॅं मरना यहाॅं

इसके सिवा जान कहाॅं ।

आलोक मिश्रा"मनमौजी"