Sate bank of India socialem (the socialization) - 21 in Hindi Fiction Stories by Nirav Vanshavalya books and stories PDF | स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 21

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 21

उस दौर में चंद्रकांत मानिक भरत के प्रधानमंत्री है और वे लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर भारत के सर्वोच्च आसनस्थ हुए थे.

थोड़े औपचारिक वार्तालाप के उपरांत प्रांजल शाह ने अदैन्य को बताया कि मिस्टर रॉय आप चाहे तो 2 दिन विश्राम कर सकते हैं हम कुछ स्पेशल बातें ओबेरॉय मैं ही शुरू करेंगे.

अदैन्य पृच्छा से बोले, ओबेरॉय ?


प्रांजल ने बताया ओबेरॉय यहां की सबसे बेस्ट रेस्टोरेंट है.


पार्टी के कुछ मेंबरान और मैं और माणिक जी हम सब थोड़ा सा होमवर्क समझ लेंगे.


अदैन्य ने कहा जी, बिल्कुल जैसा आप चाहें.


दूसरे दिन दुनिया की बेहतरीन रेस्टोरेंट्स में से एक ओबेरॉय सिरतोन मे 7 लोगों की मीटिंग जमी हुई है.
जिसमें से एक प्रांजल शाह, मानिक जी रॉय और पार्टी के चार मंत्री जिनमें से एक फाइनेंस मिनिस्टर मिस्टर सत्य प्रकाश द्विवेदी भी थे.


प्रांजल शाह ने रिप्रेजेंटेटिव का काम संभालते सब को बताया कि जेंटलमैन एक बात साफ कर देना जरूरी है कि भले ही प्रफुग अभी स्टार्ट रीस्टार्ट या एस्टब्लिश शायद ना हुआ हो, मगर यदि हमें उसे शुरू करना है तो उसकी आचार प्रणाली भी हमें समझ नहीं पड़ेगी.

द्विवेदी जी ने पूछा आचार प्रणाली!

प्रांजल ने बताया कोड ऑफ कंडक्ट. अगर इंडिविजुअल लैंग्वेज में कहे तो, सेल्फ कॉन्स्टिट्यूशन.


दिवेदी जी ने आगे बढ़ने का हाथ से इशारा किया और प्रांजल ने कहा सबसे पहली और अहम बात यह है कि प्रफुग लोग(antifungas peoples) संविधान सिद्ध(proven constitutionals) होते है.
यानी कि कॉन्स्टिट्यूशन के किसी भी मनचाहे पद पर बिना चुनाव या चयन के वे आरूढ़ होकर प्रफूग का अपना काम कर सकते हैं.

मान लीजिए कि हमारी परिस्थितियों के ढांचे के मुताबिक मिस्टर रोहित को फॉरेन सेक्रेट्री के पद बैठना उचित लगता है तो हम उस आसन को खाली करवा कर मिस्टर रोहित को वहां मिटा देना पड़ेगा, वह भी विदाउट एनी सिलेक्शन.

अगर वे पालाॉमेंट में संसद के तौर पर बैठना चाहते हो तो हमें किसी एक सांसद को रिक्त करके मिस्टर रॉय को वहां बिठाना पड़ेगा. या तो फिर एडिशनल एमपी.

अगर वह लोकसभा में बैठना चाहते हे तो वहां भी वे एडिशनल एमएलए के तौर पर बैठ सकते हैं.

मानेकजी ने चाय का कप नीचे रखा और सपैक्ट ठीक करके पूछा, और पीएम एंड प्रेसिडेंट!!

प्रांजल ने अदैन्य के सामने थोड़े संकुचित स्मित से देखा और कहा जी, यस ऑफ कोर्स वह चाहे तो एडिशनल पीएम एंड प्रेसिडेंट भी बन सकते हैं.

और दूसरी बात यह है कि अभी मिस्टर रॉय की ऑफिशल विजिट शुरू नहीं हुई है, जो शायद 10 12 दिन के बाद शुरू होगी, तो इस दौर में हम चाहे तो मि रॉय की अपने घर मेहमान नवाजी करने बुला सकते हैं.

क्या पता फिर वक्त रहे ना रहे.

द्विवेदी जी ने कहा वेल, यह तो बहुत ही उत्तम विचार है.

आखिरकार प्रांजल शाह ने यह बात तो सभी को मनवा ही लि थी की यदि प्रफुग लाना है तो, अदैन्य के कुछ उसूल तो उठाने हीं पड़ेगे.

और यदि अदैन्य जैसे विद्वान ने प्रफुग के कुछ उसूल बनाएं हैं, तो सोच समझकर ही बनाए होंगे. मतलब है निहित स्वार्थ से ऊपर उठकर.

इसमें कोई संदेह नहीं था कि सूर्योदय एशिया में से होने जा रहा है किंतु एक और भी सत्य है कि हमारे प्राकृतिक सूर्योंदय के अतिरिक्त संसार के बाकी सभी सूर्योदय के काल अनिश्चित होते हैं. यह कब कहां और कैसे होगा यह कोई नहीं जानता.