Dhara - 11 in Hindi Love Stories by Jyoti Prajapati books and stories PDF | धारा - 11

Featured Books
Categories
Share

धारा - 11

धारा अपनी ही गुत्थमगुत्था में लगी हुई थी कि उसे अपने पैरों पर किसी का स्पर्श महसूस हुआ ! देव बाम लगा रहा था उसके पैर में !!

धारा ने देव से पूछा , " जब तुम्हे सबकुछ पहले ही याद आ चुका था तो तुम आये क्यों नही वापस..?? आज ध्रुव तुमपर ऐसे सवाल खड़े नही करते और न ही आरोप लगाते !!"

देव , " धारा ... कुछ समय तो मुझे नार्मल होने में ही लग गया!! मैं चाहता था वापस आ जाऊँ यहां ! पर मैं ये भी जनता था कि एक बार जान बच चुकी है मेरी , हर बार भाग्य अच्छा नही हो सकता मेरा !! मुझे मारने वालो को ये अहसास भी दिलाना था की वे लोग अब सेफ हो चुके हैं !! उनकी टेंशन अब खत्म हो चुकी है !! ताकि वे लोग बेरोकटोक अपने काम कर सके और उनकी इसी लापरवाही का फायदा उठाकर मैं उनका भंडाफोड़ कर सकूं !! इसीलिए मैंने ये जाहिर नही होने दिया कि मेरी याददाश्त आ चुकी है !! और याददाश्त जाने का नाटक करता रहा !! यहां आकर भी मैं वैसा ही बना रहा ! ताकि सबको विश्वास हो सके कि मुझे सच में कुछ याद नही है !! "

"तो..तुम मुझे तो बता ही सकते थे ना ! या मुझपर भी विश्वास नही था तुम्हे...??" धारा ने अपनी नाराजगी व्यक्त की।

"धारा जब तुम हॉस्पिटल में मेरा हाथ थामकर मुझसे जो भी कहती थी ना... तब मैं सब सुनता था ! तुम्हारी दोस्ती, अपनत्व, केअर सब महसूस करता था। !! इसलिये तुम पर शक तो मैं किसी हाल में नही कर सकता !!
"मैंने कई बार सोचा तुम्हे सब सच बता दूं, पर जब भी मैं तुम्हे बताना चाहता, मेरा दिल मुझे अनुमति ही नही देता इसके लिए !! मुझे लगता था कि तुम दूर हो जाओगी मुझसे !!" देव की बातों ने फिर धारा को कशमकश में डाल दिया !

देव अपनी बात जारी रखते हुए, " मैं जानता था धारा, मुझे मारने वाले इतनी शांति से नही बैठेंगे ! वो लोग अब भी मेरी मौत पर विश्वास नही करेंगे और मुझे एक बार और ढूंढने की कोशिश जरूर करेंगे !! इसलिये मैं इतने दिनों तक तुम्हारे घर मे ही रहा ! बाहर तक नही निकला!! कोई काम भी होता तो तुम ही जाती थी !! मेरा बाहर निकलना सेफ नही होता थ !! या यूं कहूँ की मैं छुपकर रह रहा था तुम्हारे घर मे !!"

धारा, "ये तो मेरे सवाल का जवाब नही है देव....!! बात मुझपर विश्वास करने की है !!"

देव, " सच कहूं तो शुरुआत में विश्वास नही करता था तुम ओर !! फिर तुम्हे खो देने के डर से कुछ नही बताया !!"

धारा, "तो अब क्यों बता रहे हो ??"

देव, "तुम्हे और धोखे में नही रख सकता !!"

धारा, " धोखे में ?? मतलब ??"

देव, " मतलब ये की प्यार तो तुमसे बहुत करता हूँ मै और....

"देव प्लीज .....!!" धारा देव को बीच मे ही टोकते हुए बोली।

देव, " धारा प्लीज बोलने दो मुझे !! अपनी बात पूरी तो करने दो !!"

धारा, " हम्म.... ठीक है बोलो !!"

देव, " जब हम किसी से प्यार करते हैं ना धारा तो उसे खोने से डरते हैं ! अगर मैं तुम्हे शुरू में ही बता देता की मेरी और दिव्या की सगाई होने वाली थी तो शायद तुम दोस्ती में भी इतना आगे नही बढ़ती !! और अब इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि कहीं न कहीं तुम भी मुझे पसन्द....

"देव प्लीज़ स्टॉप इट ! और ये बात अपने दिमाग से तो निकाल ही दो की मैं भी तुम्हे पसन्द करने लगी हूँ !! हां पसन्द करती हूँ मैं तुम्हे बट... एज़ ए फ्रेंड ओनली !!! इससे ज्यादा नही !!!" धारा देव को बीच मे रोककर थोड़ा चिल्लाते हुए बोली। जैसे ही धारा उठकर जाने लगी देव उसपर गुस्सा करते हुए बोला, " एज़ ए फ़्रेंड़ लाइक करना क्या होता है...?? तुम लड़कियों का ये समझ नही बस.... पसन्द करती हो बट एज़ ए फ्रेंड, प्यार करती हो, बट एज़ ए फ्रेंड ...! दिल की बातें शेयर करती हो, सामने वाले कि इतनी केअर करती हो, उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती हो ..... बट... एज़... ए... फ्रेंड !!! इतना सबकुछ कोई सिर्फ एज़ ए फ्रेंड नही करता !! तुम्हे क्यों समझ नही आता धारा....!!"

देव की बातें धारा को चुभ रही थी !! धारा खुद को कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए देव से बोली, "क्योंकि मुझे समझना ही नही है कुछ !! क्या समझूँ मैं..?? मुझे तुमसे प्यार हो गया है ..ये या फिर तुम दोस्त दे बढ़कर हो मेरे लिए इसलिये मैं तुम्हारे साथ इतनी दूर यहां आ गयी हूँ बिना किसी की परवाह किये !! हां बोलो...क्या समझूँ मैं ??"

देव, "धारा पहले तुम शांत हो जाओ !!एकदम शांत दिमाग से सोचो... क्यों आई हो तुम मेरे साथ.... अकेली.... यहां इतनी दूर, एक अनजान शहर में !!! सिर्फ मेरे पैरेंट्स के उपकार को चुकाने के लिए...?? या उससे भी ज्यादा कुछ ??"

धारा देव की बातों से उसकी मनःस्थिति को समझने का प्रयास कर रही थी !! अब उसे लगने लगा था कि देव को अपने और ध्रुव के बारे में बता देना चाहिए ! इसके पहले की देव के सिर जुनून चढ़े..... देव को समझाना होगा !!
लेकिन धारा ये भी समझ रही थी कि अगर देव को ध्रुव के बारे में डायरेक्ट बताएगी तो जाने क्या रिएक्शन होगा उसका ??
आज उसकी पागलपन सी बातें सुनकर धारा अंदर ही अंदर कांप गयी !! एक डर बैठ गया धारा के मन मे की अगर उसने देव को बताने में देरी की तो शायद देव के सिर सच मे ही पागलपन का भूत सवार ना हो जाये !!

धारा ने देव को चुप कर बैठाया और दोनो के लिए कॉफ़ी बनाकर लाई !! उसने देव से आज अपने अतीत के उन पन्नो को बताने का निर्णय लिया था जिसे जानने का अधिकार उसने किसी को नही दिया था !! कितने ही लोगो ने जानना चाहा था धारा से उसके पास्ट के बारे में कई वो कहां से है?? माता पिता कहां है उसके ?? उसने अब तक शादी क्यों नही की ??? मेडिकल कॉलेज से लेकर तो हॉस्पिटल तक का सफर कैसा रहा उसका?? और भी बहुत से सवाल ! जिनका जवाब देने से धारा हमेशा घबराती थी !

पर देव के रूप में धारा को एक अच्छा दोस्त मिला था जिसे वो खोना नही चाहती थी! इसलिए आज उसने सोच लिया था कि अपने बीते हुए उन अच्छे बुरे हर लम्हे से देव को रूबरू कराना है !!

धारा कॉफ़ी बनाकर लायी और देव को कॉफ़ी का मग देते हुए , " मैं जबलपुर में थी !! मेडिकल कॉलेज के !! कॉलेज के ही होस्टल में रहती थी तब ! बोरिंग सी लाइफ थी पर मुझे बहुत पसंद थी !! क्योंकि किसी से बात करना पसन्द नही था मुझे !! सिवाय मिताली के ...!! मिताली, मेरी एकलौती दोस्त , जिसे मैं प्यार से मीतू बुलाती थी !!
हम लोग रोज़ होस्टल से कॉलेज साथ ही आते जाते !!




धारा की तरह ध्रुव भी अपने बीते हुए वक़्त को ही याद कर रहा था ! अजीब सा इत्तेफाक था ये भी !! धारा और दोनो ही अपने अतीत को सोच कर रहे थे, मगर दोनो का ही नज़रिया अलग था एकदूसरे से !! दोनो के साथ ही अतीत में धोखा हुआ था ! अब ये धोखा उन्हें किसने दिया, ये बात तो सिर्फ उनका बीता हुआ वक़्त ही जानता था !!

ध्रुव बालकनी में ही रखे सोफे पर बैठकर उन पुरानी बातों को याद कर रहा था ! जब वो जबलपुर में आईएएस की तैयारी कर रहा था !!

जबलपुर की बारिश में भीगती वे सड़कें और बारिश से बचने के लिए इधर-उधर भागते लोग !! उन्ही लोगो मे ध्रुव और उसका दोस्त अश्विन भी भागकर टीनशेड के नीचे आकर खड़े हो गए !!

" यार, आज तो बड़ी गलती कर दी अपन ने.... बाइक लेकर आना था !! भले ही भीग जाते, पर समय से वापस होस्टल पहुंच जाते !!!" अश्विन मुंह को रुमाल से पोंछते हुए ध्रुव से बोला !! मगर ध्रुव का ध्यान उसकी बातों पर ना होकर सामने की टीनशेड में खुद को बचाती हुई दो लड़कियों पर था !
ध्रुव को, लड़कियों को ऐसे देखते देख अश्विन ने हैरानी से कहा , " भाई...बारिश में पिघल गया क्या..??"

"हें... मतलब ??" अश्विन की बात पर ध्रुव ने आश्चर्य जताया।

"अरे मतलब उधर...!!" अश्विन सामने की ओर इशारा करते हुए बोला ! जिस पर ध्रुव ने उसके गले मे हाथ डालकर दबोचते हुए कहा, " साले कमीने... मैं यहां आईएएस की कोचिंग करने आया हूँ ! ना कि लड़कियों को ताड़ने !! और उन दोनों लड़कियों को भी मैं इसलिये देख रहा हूँ क्योंकि उन दोनों को शायद वो पास खड़े लड़के अश्लील हरकतों से तंग कर रहे हैं !!" ध्रुव ने सामने टीनशेड के बगल में खड़े कुछ लड़कों की ओर इशारा करते हुए कहा! जो वास्तव में ही अश्लील हरकतें कर रहे थे !!
उन दोनों के बगल में ही खड़ी एक महिला ने अपनी साथ महिला से कहा, " कैसी बेशर्म लड़कियां है..? वो लड़के कैसे इशारे कर रहे हैं फिर भी चुपचाप खड़ी होकर देख रही है..?? ये तो नही की चली जाए या फिर जवाब दे दे उन लड़कों को..!! उनकी जगह मैं होती न तो अभी दो रेप्टे में ही औंधे मुंह गिरते ये लड़के ??"

अश्विन ने हैरानी से मुंह खोला लिया !! फिर उस महिला को नीचे से ऊपर तक देखा और धीरे से ध्रुव से बोला ," सुना, क्या बोली ये आंटी ???"

ध्रुव ने इस बार भी अश्विन की बात पर ध्यान नही दिया ! उन लड़को की हरकतें जब ज्यादा बढ़ने लगी तो ध्रुव ने उधर जाने के लिए कदम बढ़ाया !!

अश्विन उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे पीछे खींचते हुए, " ओह... भाई-भाई किधर ?? हाँ किधर चला ??"

ध्रुव, " उन लड़कों को रोकने !! हरकते बढ़ती ही जा रही हैं उनकी !!"

अश्विन, " ओ भाई..!! वो लड़कियां खुद विरोध नही कर रही तो तू क्यों बीच मे कूद रहा है !! जाने दे !! आजा वापस !!"

ध्रुव, " हम लोग आईएएस की तैयारी कर रहै हैं ना....ऐसे बनेंगे आईएएस..?? ये ...अपनी आंखों के सामने गलत होता हुआ देखकर ?? तू अगर रुकना चाहता है तो रुक, मैं जा रहा हूँ उन लड़कों को समझाने !!"

अश्विन, " भाई तू पगला गया क्या..?? खुद को देख उनको देख !! कहां तू डेढ़ पसली और वो हरे भरे कबाब !!"
ध्रुव ने गुस्से में अश्विन को घूरकर देखा !!

ध्रुव कुछ बोलता उसके पहले ही अश्विन मुस्कुरा उठा !! ध्रुव को उसके मुस्कुराने का कारण समझ नही आया !! उसने मुड़कर देखा, दोनो लड़कियां उन्ही की तरफ आ रही थी।
शायद उन लड़कों से तंग आ चुकी थी।

दोनो लड़कियां आकर ध्रुव और अश्विन से थोड़ी ही दूरी पर खड़ी हो गयी।

मिताली परेशान होकर बिल्कुल रोनी सूरत बनाते हुए बोली ," ये सारे ऑटो वालो को आज ही जाना था हड़ताल पर !! क्या मुसीबत है यार..!! आज ही हड़ताल होनी थी और आज ही बारिश भी !!हे प्रभु कृपा करो... होस्टल पहुंचने तक के लिए बारिश बन्द कर दो बस !! दस रुपये के लड्डू चढ़ाऊंगी !!"

पता नही क्यों लेकिन मिताली की बात सुनकर अश्विन को हंसी आ गयी !! धारा ने अश्विन को खा जाने वाली नज़रो से घूरा ! मगर अश्विन को तो जैसे कोई फर्क ही नही पड़ा !!

धारा ने गुस्से में भड़कते हुए अश्विन से कहा, " इसमें हँसने वाली कौन सी बात है..?? जोक सुनाया उसने..??"

अश्विन कुछ उत्तर देता उसके पहले ही ध्रुव बोल उठा, " ओह हेलो...!! इसपर क्यों भड़क रही हो..?? जिसपर गुस्सा आ रहा है उससे तो कुछ कहते नही बनी और यहां आकर बिगड़ रही हो...कहीं का गुस्सा कही पर निकाल रही हो?"

धारा ध्रुव को उंगली बताते हुए, " लुक मिस्टर.... मैं कही का गुस्सा कही भी नही निकाल रही! समझे !! तुम्हारा दोस्त हंस रहा था मेरी फ्रेंड की बात पर !! इसलिए मैं उससे बोल रही हूँ ! तुम बीच मे मत पड़ो, !!"

ध्रुव, " मैं बीच मे नही पड़ रहा ! ये दोस्त है मेरा ! अगर कोई इससे कुछ कहेगा तो ये मेरी रिस्पांसिबिलिटी है कि मैं मेरे दोस्त की हेल्प करूँ !! ना कि तुम्हारी तरह अपने दोस्त को लेकर भाग जाऊँ !!"

धारा को गुस्सा आया ध्रुव पर ! लेकिन ध्रुव का कहना भी सही था !
धारा ने एकबार फिर गुस्से में ध्रुव को देखा और फिर उससे दो कदम दूर जाकर खड़ी हो गयी !! ध्रुव ने धारा को देखा और अपनी जेब से रुमाल निकालकर मुंह पर बांध लिया।
धारा को उसकी ये हरकत समझ नही आई !! और अश्विन को भी.....!!

अश्विन ने हथेली मोड़कर इशारे से पूछा, " क्या...??"

ध्रुव, " परफ्यूम की स्मेल से सिर चढ़ रहा है यार !! इतनी भयानक स्मेल......!!"

बारिश जब कम हुई तो मिताली ने धारा से कहा, " देखना यार, बारिश कम हो गयी ! निकलते हैं अपन लोग..!! कहीं फिर से तेज़ हो गयी तो प्रॉब्लम हो जाएगी !! होस्टल देरी से पहुँचे तो वार्डन चिल्लाएगी सो अलग !!"

अश्विन बड़े ही गौर से मिताली की बातें सुन रहा था ! उसने धीरे से दबी जुबान में ध्रुव से कहा, " ये भी अपनी तरह होस्टल में ही रहती है ??"

ध्रुव ने आंख दिखाई अश्विन को, तो वो चुप हो गया ! कम बारिश देखकर जैसे ही धारा और मिताली जाने के लिए टीनशेड से बाहर आई, वे छिछोरे लड़के उन दोनों के इतने करीब से लेकर गुजरे की सड़क का पानी सीधे धारा के कपड़ो पर गया।

"साले कमीने, धरती के बोझ...!!" धारा ने चीखते हुए गाली दी उन लड़कों को।

उन लड़कों ने आगे जाकर बाइक रोकी और पीछे मुड़कर देखा, धारा गालियां देती हुई उनकी ओर बढ़ रही थी और मिताली उसके पीछे जाते हुए उसे वापस लौट आने को कह रही थी !!
धारा के पीछे ही ध्रुव और अश्विन भी जा रहे थे !! उन बाइक सवार लड़को को लगा कि सब लोग उन्हें पीटने आ रहे हैं, ये सोचकर ही उनकी घिग्गी बन्ध गयी और वे लोग बाइक लेकर भाग गए!!
जबकि धारा अब भी उन्हें गालियां दिए जा रही थी !!! वे लड़के तो गालियां नही सुन पाये पर वहां खड़े बाकी लोगो को धारा की गालियां स्पष्ट सुनाई दे गई।

धारा दनदनाती हुए पीछे मुड़ी और ध्रुव और अश्विन को देखकर उनपर ही भड़क उठी।
"क्या प्रॉब्लम है तुम दोनो की...?? क्या लग रहा था तुम्हे, मैं अकेली उन लड़कों को सबक नही सीखा पाऊंगी तो चलो , चलकर उसकी हेल्प करते हैं! लड़की इम्प्रेस हो जाएगी !!"

"व्हाट..??" ध्रुव ने धारा फिर अश्विन को देखते हुए कहा।

धारा ,"और नही तो क्या..?? तुमने सोचा होगा.... अरे वो।लड़के इस लड़की को पलटकर जवाब जरूर देंगे, फिर मैं हीरो की तरह एंट्री लेकर इसकी हेल्प करूँगा ! राइट !!"

धारा की ऐसी बेतुकी बातें सुनकर ध्रुव को गुस्सा आ रहा था उसपर !! बिना सोचे समझे धारा कुछ भी कहे जा ही थी। कुछ देर तो ध्रुव सुनता रहा फिर धारा को डांटते हुए बोला , " चुप...बिल्कुल चुप !! तब से बिल्कुल जो मन मे आया बोले ही जा रही हो.... !! हम दोनो तुम्हारा पीछा नही कर रहे हैं समझी !! हमारा होस्टल इसी साइड है इसलिए इधर से जा रहे हैं !! तुम्हे इम्प्रेस करूँगा और वो भी मैं.....!! बहुत से काम है मेरे पास...!! ऐसे फालतू किसी सड़क चलती लड़की को इम्प्रेस करूँ इतनी खराब किस्मत नही है मेरी समझी !!! चल अश्विन...!!"

धारा का ध्रुव पर यूँ बेवजह चिल्लाना मिताली को कुछ समझ नही आया !! अकारण ही धारा ध्रुव से झगड़ पड़ी थी !! कोई बात भी नही थी, फिर ध्रुव पर गुस्से का कारण क्या था... मिताली जानना चाहती थी !!
पर धारा को गुस्से में लाल पीला देख उसने फिलहाल चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी और धारा को खींचते हुए अपने होस्टल की तरफ निकल पड़ी।


जारी..........

(JP)