Taapuon par picnic - 39 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | टापुओं पर पिकनिक - 39

Featured Books
Categories
Share

टापुओं पर पिकनिक - 39

वैसे तो कलाकारों और यूनिट के सभी सदस्यों के कॉन्ट्रेक्ट में ये बात लिखी हुई थी कि वो सीरियल की कहानी, शूटिंग, प्रोडक्शन, एडिटिंग आदि सभी बातों में पूरी गोपनीयता रखेंगे और किसी को भी इस बारे में कुछ नहीं बताएंगे लेकिन पहली बार इससे जुड़ने वाले युवा इन नई- नई बातों को दोस्तों के बीच बताने से भी तो अपने को रोक नहीं पाते थे।
आर्यन ने आगोश को बता दिया कि जिस सीरियल में वो काम करने जा रहा है, ये एक मज़ेदार स्क्रिप्ट है। इसमें कुछ लोग एक सुंदर सी घाटी में पैरा- ग्लाइडिंग सीख रहे हैं। वे बारी- बारी से आसमान में रंग- बिरंगी पतंगनुमा छतरियों से जांबाज़ के रूप में करतब दिखाते हुए उड़ते हैं। तभी उनका इंस्ट्रक्टर रास्ता भटक कर गायब हो जाता है।
... बस- बस, और नहीं बताऊंगा। कहता हुआ आर्यन चुप हो गया।
आगोश बोला- तो इसमें तेरा काम क्या है?
- तू मानेगा नहीं, मेरे से सारा राज उगलवा लेगा फ़िर मैडम डांटने के लिए बुलाएगी तो कहेगा कि उससे बच कर रहना। आर्यन ने हंसते हुए कहा।
- साले तेरी मैडम कौन सा मेरे साथ सोने आयेगी, उसे कैसे पता चलेगा? इतनी फट क्यों रही है तेरी! आगोश ने उसे उकसाया।
आर्यन बोला- बस तू तो इतना समझ ले कि मेरा रोल चौदह साल के लड़के से लेकर चौहत्तर साल के बूढ़े तक का है।
आगोश आश्चर्य से हंसा। बात अधूरी ही रह गई क्योंकि तभी मधुरिमा का घर आ गया।
आगोश ने गाड़ी गेट के भीतर लेकर गलियारे में पार्क कर दी। आज उसे रात को यहीं, अपने इस किराए के कमरे में ठहरना था। वो आर्यन को भी साथ ले आया था।
मधुरिमा चहक रही थी। उसने झटपट भीतर से चाबी लाकर आगोश को दी।
ये आइडिया आगोश को कभी सिद्धांत ने ही दिया था कि कमरे की चाबी यहीं रखा कर।
- क्यों? कमरा तो अब मेरा है! आगोश ने अकड़ कर कहा।
- हां हां तेरा ही है, तू ही तो किरायेदार है, पर बेटा, समझा कर। सिद्धांत बोला- तू जब भी यहां आयेगा तो कम से कम चाबी मांगने के बहाने मधुरिमा के घर के दरवाज़े की बेल बजा कर उसे ये जानकारी तो दे सकेगा न, कि आज तू यहां है। वरना तू सीधे ऊपर जाकर कमरे में घुस जायेगा तो उस बेचारी को कैसे पता चलेगा कि...
... पता चलेगा कि?
- कि..??
- कि....???
आगोश हंसने लगा। बोला- साले, अब एक लफ़्ज़ भी और बोला तो आर्यन तेरा कत्ल कर देगा।
सिद्धांत भी थोड़ी ही देर में यहां पहुंचने वाला था। आज उन सबने रात को यहां एक पुरानी मूवी देखने का प्लान बनाया था। आगोश कहीं से तलाश कर के लाया था हॉलीवुड की ये क्लासिक फ़िल्म।
थोड़ी लम्बी थी, पर ज़बरदस्त थी।
साजिद ने तो आज आ पाने के लिए मना ही कर दिया था पर मनन ने ज़रूर कहा था कि वो शायद आ सकता है।
कमरा अब अच्छा - खासा सेट हो गया था। आगोश ने वहां सब चीज़ें लाकर रख ली थीं। बहुत सा फर्नीचर भी आ गया था। काफ़ी बड़ा, लंबा- चौड़ा कमरा भी अब भरा- भरा लगने लगा था।
कमरे में अटैच वाशरूम तो था पर अलग से रसोई नहीं थी। लेकिन इसकी कमी आगोश ने कमरे के दूसरी ओर की बालकनी को कवर करके कर ली थी। कमरे के सामने खुली छत होने से बालकनी की कोई ज़रूरत भी नहीं थी।
इस अस्थाई किचन में भी ज़रूरत का कुछ सामान आ गया था।
लेकिन अब मधुरिमा रात के समय कमरे में ऊपर आने में थोड़ा झिझकने लगी थी। वह नीचे ही बात करती। अगर आगोश को किसी चीज़ की ज़रूरत होती और वो फ़ोन करके बताता तो मधुरिमा या तो नीचे से किसी के साथ भिजवा देती, या फिर नीचे सीढ़ियों के पास आकर आवाज़ लगाती।
मधुरिमा ये भी जानती थी कि आगोश ड्रिंक बहुत करता है। इसलिए भी वह ऊपर आने में डरती थी। ये ख्याल भी उसे रखना पड़ता था कि उसके पापा को इस बारे में कभी कुछ पता न चल सके।
आगोश वहां कभी- कभी ही ठहरता था लेकिन मधुरिमा को तब कुछ सतर्क रहना ही पड़ता था जब वो रात को वहां रुके।
आगोश की भी ये कोशिश रहती ही थी कि वो जब भी यहां आए, उसके दोस्तों में से कोई न कोई ज़रूर साथ में हो।
प्रायः ज़्यादा शराब पीने वाले लोगों में असुरक्षा की एक ऐसी भावना घर कर ही जाती है कि वो जहां तक संभव हो, अकेले न हों।
शायद मन ही मन वो समझने लगते हैं कि सिर्फ़ वो ही मदिरा नहीं पीते, बल्कि ये मदिरा भी अकेले में उन्हें पीने लग जाती है।
कुछ देर बाद सिद्धांत भी आ गया और वो अपने साथ मनन को भी ले ही आया।
खाना सभी लोग खा चुके थे। अब तो कोरम पूरा था, और कोई आने वाला भी नहीं था। फ़िल्म देखने की तैयारी थी। सब अपने- अपने रात्रिकालीन शाही परिधान में आ गए।
मनन बोला- यार याद रखना... आर्यन के बड़ा स्टार बन जाने के बाद इसके साथ ली हुई पिक्स हम सब का कीमती ट्रेज़र बन जाएंगी।
- अच्छा, साले, तुम लोग बाद में मेरी तस्वीरें ऑक्शन करने वाले हो, मुझे ब्लैकमेल करने वाले हो.. तो मैं पैंट पहन लेता हूं, केवल अंडरवीयर में कोई पिक नहीं दूंगा। आर्यन हंसते हुए बोला।
- जा जा.. हम तेरी फ़ोटो नहीं खींचने वाले, तू चाहे नंगा हो जा। आगोश लापरवाही से बोला।
... यार याद आया.. आर्यन एकाएक बोला- मुझे तीसरे एपिसोड में एक न्यूड सीन देना है।
- बॉटम में कौन है?
- चुप साले, हमेशा गंदा ही सोचता है, एक साधु का रोल है... आर्यन ने कहा।
- इतना यंग न्यूड साधु? वाउ, ग्रेट... एक्साइटिंग! सिद्धांत ने चहक कर कहा।
- अबे, यंग नहीं... बूढ़ा। ज़बरदस्त मेकअप के साथ.. आर्यन बोलते - बोलते रुक गया क्योंकि तभी टेबल पर रखा हुआ उसका फ़ोन बज उठा।
आर्यन ने झट से उठ कर फ़ोन उठाया और बात करता- करता बाहर कमरे की छत पर निकल गया।
सब एकाएक चुप हो गए। आगोश बोला- यार, ये तो बेचारा चौबीस घंटे का नौकर हो गया।
- क्यों, किसका फ़ोन है? मनन ने पूछा।
- उसी बिल्ली का होगा... कहते- कहते आगोश अकस्मात रुक गया क्योंकि तभी आर्यन ने वापस कमरे में प्रवेश किया।
आर्यन आते ही बोला- मुझे जाना होगा।
तीनों एक साथ बोल पड़े- क्यों? कहां, क्या हो गया?
आर्यन बिना कुछ बोले चुपचाप जल्दी- जल्दी वापस कपड़े पहनने लगा।
आर्यन सिद्धांत से ये कहने ही जा रहा था कि वो उसे घर छोड़ आए, पर उससे पहले ही आगोश ने गाड़ी की चाबी हथेली पर रख कर उसके आगे कर दी।
आर्यन ने चाबी उठाई और सबको 'बाय' कह कर झटपट निकल गया!