Taapuon par picnic - 32 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | टापुओं पर पिकनिक - 32

Featured Books
Categories
Share

टापुओं पर पिकनिक - 32

एम्बुलेंस देख कर सब बुरी तरह घबरा गए।
शायद ये वाहन आधुनिक समय का सबसे विचित्र ऐसा साधन है जो लोगों को डर से निजात दिलाने के लिए ही बना है और बुरी तरह डरा देता है।
लंबे- लंबे डग भरते हुए सब आगोश के कमरे की ओर दौड़े।
लेकिन कमरे के भीतर का दृश्य देख कर हक्के- बक्के रह गए।
भीतर सिद्धांत और आर्यन आराम से बिस्तर पर बैठे थे और आगोश उन दोनों के बीच में एक सुंदर प्यारे सफ़ेद खरगोश को गोद में लेकर उस पर हाथ फेर रहा था। और एक लड़का, जो संभवतः खरगोश को लाया होगा, सामने खड़ा आगोश को बार - बार धन्यवाद दे रहा था।
असल में हुआ यूं, कि आगोश कॉफी पीने के लिए अपने दोस्तों के पास आने के लिए अपने कमरे का दरवाज़ा बन्द करने ही जा रहा था कि ये एम्बुलेंस एकाएक उसके कमरे के सामने आकर रूकी।
इसमें से उतरे ड्राइवर कम केयरटेकर लड़के ने बताया कि रिसॉर्ट के मालिक के बंगले पर रहने वाले खरगोशों में से ये एक प्यारा खरगोश कुछ बीमार था। ये कल से कुछ ठीक से खाना नहीं खा पा रहा था।
तो इसे पास के शहर में पशु चिकित्सक के पास ले जाने की तैयारी चल रही थी।
संयोग से रिसॉर्ट के शिफ्ट मैनेजर को याद आया कि आगोश के पापा के डॉक्टर होने के कारण आगोश यहां भी एक पशु - चिकित्सक को जानता है। एक बार उसने ऐसा ज़िक्र भी किया था जब उनके एक डॉगी को डॉक्टर के पास ले जाने की बात आई थी।
मैनेजर को याद आ गया कि आगोश तो अभी यहीं ठहरा हुआ है। उसने झट से इस लड़के को उसके पास डॉक्टर का कॉन्टैक्ट या पता लेने के लिए भेज दिया। तो आगोश महाशय सब कुछ भूल कर लड़के को पशु चिकित्सक महोदय का पता- ठिकाना देने में व्यस्त थे।
जब अभिवादन करके अपने खरगोश को बगल में दबाए लड़का वापस एंबुलेंस में जा बैठा तो आगोश की मित्र मंडली के होठों में दबा हंसी का फव्वारा फट पड़ा।
सब हंसी - ठठ्ठा करते हुए फ़िर से कॉफी शॉप की ओर आए।
मनन बोला- खोदा पहाड़ निकली चुहिया!
मनप्रीत ने कहा- चुहिया नहीं, निकला खरगोश।
अब हल्का- हल्का उजाला होने लगा था और सूर्य सामने के पहाड़ के पीछे से झांकने की तैयारी में था।
सिद्धांत ने कॉफी पीने के लिए मना किया तो आगोश ने भी मना कर दिया।
बाक़ी सब कॉफी पीने लगे।
साजिद बोला- चलो, अब तो सब दो- तीन घंटे की नींद निकाल लेते हैं।
आगोश ने कहा- आराम से जाकर सो सकते हैं अब क्योंकि नाश्ता तो ग्यारह बजे मिलेगा।
सिद्धांत तब तक अपना लोअर और टीशर्ट खोल कर कंधे पर डाल चुका था। उसने घोषणा की- भाइयो, मैं तो अब स्विमिंग पूल पर जा रहा हूं कम से कम एक घंटे तैरना है मुझे। जिसको मेरे साथ आना है वो आ जाओ।
- मनप्रीत को ले जा! मनन बोला।
सब हंस पड़े। पर आर्यन धीरे से से बोला- साजिद से परमीशन लेनी पड़ेगी।
मनप्रीत चुपचाप बैठी मंद- मंद मुस्कुराती रही। फ़िर मनन की ओर देख कर बोली- बच्चे, मुझे स्विमिंग आती है। चाहे तो मेरे से कॉम्पिटिशन करके देख ले।
आगोश एकदम जोश में आ गया, बोला- ग्रेट! चलो आ जाओ सब, स्विमिंग का कॉम्पिटिशन ही हो जाए!
- नहीं यार! अब तो सोएंगे थोड़ी देर। आर्यन ने कहा।
- ओके, जिसे सोना हो वो सोने जाओ, और बाक़ी लोग तैरने चलते हैं। आगोश ने कहा।
पर आगोश और सिद्धांत के अलावा कोई स्विमिंग के लिए नहीं आया। सबकी आंखों में नींद ही भरी थी।
सब उठ कर चले गए।
अपने अंडरवीयर को खींचता आगोश पानी में उतरा तो सिद्धांत ने उसके पास आकर उससे पूछा - तूने क्या किया?
उसे चुप देख कर सिद्धांत ने फ़िर पूछा।
- मतलब? आगोश उसकी तरफ़ देखने लगा।
- मतलब, दो बजे से चार बजे के बीच में तू कहां गया था, किसके साथ? सिद्धांत ने तैरते - तैरते अपनी जिज्ञासा बताई।
- ओह! अच्छा... कह कर आगोश कुछ बोलना चाहता था मगर बोलते- बोलते रुक गया।
सिद्धांत मुस्कुराते हुए बोला- बोल बोल, शरमा क्यों गया? किसके साथ था?
- मैं तो अकेला ही था। आगोश ने पानी में एक गोता लगा कर कहा।
- साले झूठ मत बोल, मैंने खुद देखा था मधुरिमा को तेरे कमरे में घुसते हुए। खा मेरी कसम, कि तूने कुछ नहीं किया? सिद्धांत कुछ उत्तेजित होकर बोला।
- तेरी कसम! मां की कसम, मैंने कुछ नहीं किया। आगोश कुछ तेज़ स्वर में बोला।
- यार, मधुरिमा तेरे कमरे में आई तो थी। सिद्धांत ने आश्चर्य से पूछा।
आगोश कुछ मुस्कुराया फ़िर धीरे से बोला- बेटा, तेरी आधी बात सही है पर आधी ग़लत!
- मतलब, तूने ली नहीं, बातें करके ही छोड़ दिया? है न! सिद्धांत बोला।
आगोश ज़ोर से हंसा। फ़िर धीरे से किसी रहस्य की तरह बोला- यार, मधुरिमा का चक्कर आर्यन के साथ है। पर उसकी फट रही थी अकेले अपने कमरे में... तो वो मेरे कमरे में आकर रुक गया था पहले ही। मधुरिमा भी आ गई।
- तो तेरे सामने ही! सिद्धांत की आंखें आश्चर्य से फ़ैल गईं।
आगोश हंसने लगा।
- बोल..? सिद्धांत अब पीछे ही पड़ गया।
- अबे मैं तो दीवार की तरफ़ मुंह करके बैठा था...
उसकी बात अधूरी ही रह गई, सिद्धांत बोल पड़ा- गिनती गिन रहा था क्या?
- बीयर पी रहा था यार। आगोश मासूमियत से बोला।
- झूठ मत बोलना, मैं चैक कर लूंगा अभी।
आगोश ज़ोर से हंस पड़ा- ले कर चैक... कह कर आगोश पानी में पीठ के बल तैरने लगा।
- साजिद ने लिए हैं असली मजे तो! सिद्धांत बोला।
- तुझे कैसे मालूम? आगोश ने पूछा।
- वो तो पूरी तैयारी से था। उस समय काउंटर के पास पैन ढूंढने के लिए उसने जेब से रुमाल निकाला था न, तभी उसकी जेब से पैकेट निकल कर नीचे गिरा था।
- काहे का...
सिद्धांत हंसा, फ़िर किसी विज्ञापन कंपनी के मॉडल की तरह लय में बोला- आदरणीय अब्बू की नज़रों से अपना भविष्य सुरक्षित करने वाले मायावी यंत्र का!
- सच? कंडोम लाया था?
आगोश को थोड़ा अचंभा हुआ। वह फ़िर बोला- मनप्रीत आई या वो गया था?
- एक ही बात है! सिद्धांत ने किसी नाट्यकर्मी की तरह अभिनय करते हुए कहा।
बातें करते - करते दोनों देर तक तैरते रहे।
बाकी सभी अपने- अपने कमरों में जाकर सो गए थे। दिन निकल आया था और स्विमिंग पूल पर इक्का- दुक्का लोग और आने लगे थे।
सहसा कुछ ठहर कर आगोश ने पूछा- मनन कहां था?
- मेरे साथ... सिद्धांत ने कहा।