Taapuon par picnic - 26 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | टापुओं पर पिकनिक - 26

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टापुओं पर पिकनिक - 26

आर्यन और आगोश में बहस छिड़ गई।
दोनों ही शराब पी रहे थे।
आगोश बुरी तरह पीने लगा था। वह अब ब्रांड, स्वाद, तासीर, असर कुछ नहीं देखता था। अब वो दुनिया बनाने के लिए नहीं बल्कि बिगाड़ने के लिए पीने वालों जैसा बर्ताव करने लगा था।
शुरू में आर्यन ने उस पर तरह- तरह से नियंत्रण करने की कोशिश की। लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
आर्यन ने भी उसे इस रास्ते पर अकेला न छोड़ने की गरज से उसके साथ बैठ कर पीना शुरू कर दिया।
हां, इतना जरूर था कि आर्यन ने न तो अपने दोस्त को अकेला छोड़ा और न सलीका ही छोड़ा।
वह उसी शुभचिंतक दोस्त की तरह था जिसने अपने दोस्त को डूबने न देने के लिए कस कर उसका हाथ मजबूती से पकड़ लिया हो लेकिन इस कोशिश में ख़ुद उसका भी एक पांव दलदल में आ गया हो।
अब बहस बढ़ने लगी। आगोश को कुछ चढ़ने भी लगी थी।
आगोश बोला- यार, उससे ज़्यादा पूछताछ की तो उसे शक हो जाएगा और वो अपने पिताजी से कमरा देने के लिए मना ही कर देगी।
- हम मनप्रीत को सारी बात बता देंगे न! आर्यन ने उसे समझाया।
- क्या समझा देंगे? क्या समझा देंगे? हैं... क्या बता देंगे! उसे बताएंगे कि एक रात को हमें नंगी लड़की मिली थी। बिल्कुल नंगी। वो हमें देख कर भाग गई! उसकी एक चप्पल हमारे घर पर रह गई, दूसरी तेरी सहेली मधुलिका... मधु... क्या .. हां, मधुरिमा के घर के कमरे में पड़ी है... बात करता है! आगोश ने चिल्ला कर कहा।
आर्यन ने चुप रह कर उसका गाल थपथपाया। फ़िर प्यार से बोला- मुन्ना, एक बार में एक ही काम! या तो तू दारू पी ले, या फिर पगली लड़की का पता ही लगा ले। कल बात करेंगे। पी ले.. पी!
आर्यन ने कुछ इतनी सख़्ती से कहा कि आगोश सहम कर चुप हो गया।
कुछ पल रुक कर आगोश ने बोतल से फ़िर अपने गिलास में थोड़ी शराब डाली और उसमें पानी मिलाए बिना ही पीने लगा।
आर्यन को गुस्सा आ गया। उसने झट उसके हाथ से गिलास लेकर वापस रख दिया। और झटके से बोतल उठा कर ज़बरदस्ती उसके मुंह से लगाता हुआ बोला- ये ले, इससे पी!
उसकी इस हरक़त में थोड़ी सी छलक कर आर्यन की पैंट पर सामने की ओर गिर भी गई।
आर्यन ने छलकी हुई बूंदों को हाथ से झाड़ते हुए कहा- साले, सुबह पापा ये दाग देखेंगे तो साजिद के अब्बू की तरह मुझे भी मारेंगे।
आगोश ने सिर झुका कर बोतल वापस रख दी।
फ़िर कुछ संयत होकर बोला- बेटे, गुस्सा नहीं होते। मैं केवल ये कह रहा हूं कि हमारी खोजबीन और तहकीकात में अगर उन लड़कियों को भी शामिल करना है तो उन्हें सब कुछ बता कर कॉन्फिडेंस में लेना होगा। नहीं तो वो हमारे हर काम को शक की नज़रों से देखेंगी।
- करेक्ट! अब की न तूने काम की बात! आर्यन ने गिलास ख़ाली करके रखते हुए कहा।
- चल खाना खाते हैं। आगोश बोला।
आगोश के घर की एक अपरिचित सी नौकरानी मेज पर लाकर खाना रखने लगी।
- ये नई रखी है क्या, इसे पहले कभी नहीं देखा? आर्यन बोला।
आगोश ने जवाब दिया- डॉन के हरम में कई हीरे- मोती हैं बच्चे...
- चुप! आर्यन बोला। उसे आगोश की बात पर हंसी आ रही थी फ़िर भी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोला- तुझे शर्म नहीं आती बे, अपने डैडी के बारे में न जाने क्या- क्या बोलता रहता है।
आगोश उसी तरह शांति से बोला- पैसे कमाने में शरम - वरम को बीच में नहीं लाते बच्चा! इस रास्ते में पूरा नंगा होकर चलना पड़ता है। पूरा...
आर्यन ने सलाद की प्लेट से एक मोटी सी प्याज़ उठा कर आगोश को देते हुए कहा- ले, मुंह बंद कर ले।
दोनों दोस्त आराम से बैठ कर खाना खाने लगे। आगोश की मम्मी ने ढेर सारी चीज़ें बनवाई थीं।
जब नौकरानी ने ट्रे में से शराब की ख़ाली बोतल और गिलास भीतर ले जाकर किचन के सामने डायनिंग टेबल पर रखे तो आगोश की मम्मी ने इशारे से उन्हें पीछे वाले वाशबेसिन पर ले जाकर साफ़ करने का इशारा किया और ख़ुद साड़ी के पल्लू से अपनी आंखें पोंछने लगीं।
खाना खाकर आगोश और आर्यन ऊपर आगोश के कमरे में चले गए। आर्यन आज यहीं रुकने वाला था।
कभी- कभी आर्यन को ऐसा लगता था कि शायद आगोश के डैडी के कारण ही उनकी मित्रमंडली आपस में इतना खुल गई।
सिद्धांत, मनन, और ख़ुद वो दोनों भी दुनियादारी, कमाई, सेक्स आदि की बातें ही नहीं करने लगे थे बल्कि उन्होंने मनप्रीत को भी अपने साथ मिला लिया था। और आर्यन को तो लग रहा था कि जल्दी ही मधुरिमा भी उनके ग्रुप में शामिल होगी।
स्कूल में जो बातें उन्हें ज़िन्दगी के धोखों और अपराधों से बचने के लिए सिखाई गई थीं उन्हीं के सहारे ये सब युवा बड़ों की दुनियां के ये सब प्रपंच समझने - जानने भी लगे और उनमें उलझने भी।
कितनी आसानी से मनप्रीत खेल- खेल में उन लोगों के साथ खुल गई? गुड टच- बैड टच करते- करते सबने आपस में अपनी झिझक इतनी सहजता से खोल ली और इसमें कोई आश्चर्य नहीं था कि शायद कुछ दिन में मधुरिमा की पहुंच भी उनकी अंतरंग दुनिया में हो जाए।
साजिद और मनप्रीत के रिश्ते के बारे में भी वो सब दोस्त जान ही गए थे।
साजिद जब एक शाम मिला था तो सिद्धांत ने मज़ाक- मज़ाक में उसे सुना भी दिया था कि मनप्रीत को तेरे लिए तैयार कर रहे हैं। उस बेचारी को तो अपना भविष्य ख़ुद ही बनाना है, तेरी तो तेरे अब्बू के सामने फटती है।
फ़िर भी उसने डरते- डरते पूछ ही लिया- कैसे तैयार कर रहे हो?
- ट्रेनिंग दे रहे हैं... मनन ने बताया।
जाते- जाते साजिद हंसते हुए बोला- साले, हाथ लगाया न तो तेरी क्लास मैं ले लूंगा।
ये सब सोचता हुआ आर्यन आगोश को झटपट नींद के हवाले होते देखता रहा।
आगोश के सो जाने के बाद भी आर्यन को काफी देर तक नींद नहीं आई। वह शेल्फ से लेकर एक मोटा सा नॉवेल पढ़ता रहा।
उसे उपन्यास की नायिका की शक्ल मधुरिमा से मिलती हुई नज़र आती और वो लाइट बुझाते- बुझाते भी कुछ पेज और पढ़ने लग जाता।
लाइट ऑफ़ करते समय उसने मन में ही बुदबुदाते हुए आगोश से कहा- गुडनाइट!
जवाब आगोश के खर्राटों ने दिया!