सागर की भी हालत दिव्या के जैसी ही थी | जो हाल दिव्या का था, वही हाल सागर का भी था | वो जब भी गली से गुजरता, उसकी आँखें दिव्या को ही ढूँढा करती | काश!!! के उसकी एक झलक मिल जाए | अक्सर यहीं मन में सोचता हुआ उसके घर की तरफ देखा करता और दिव्या के ना दिखने पर बेचैन हो उठता |
अब इसे उन दोनों की बदनसीबी ही कहेंगे की जब दिव्या चाहती सागर उसे देखे, वो उसे ना देखता और जब सागर दिव्या को ढूंढ़ना चाहता वो उसे ना मिलती | दोनों की हालत तड़पते हुए प्रेमियों की भाँति हो चली थी |
सागर अक्सर चाँद को देखकर कहता, तुझमें दाग है पर फिर भी तू इठलाता है, इतराता है, क्योंकि तेरी चाँदनी तेरे पास जो है | लेकिन मेरा चाँद तो बेदाग है, जिसे मेरी हालत की कुछ खबर नहीं है की उसे मैं कितना चाहता हूँ और फिर वो चाँद के समक्ष अपने दिल के सारे हाल कह डालता |
उसका क्लास में बिलकुल भी जी नहीं करता | हमेशा यही सोचता कब स्कूल की छुट्टी हो और कब वो दिव्या को देखे!!!
अब सागर से और सहा नहीं जा रहा था, इसलिए अपने दिल की बात मानकर उसने फैसला कर लिया जो भी हो वो दिव्या से अपने दिल का हाल कहकर ही रहेगा | फिर चाहे अंजाम जो भी हो | इसलिए उसने दिव्या को एक खत लिखा जिसमें उसने अपने दिल का सारा हाल लिख डाला | अब किस के हाथ ये खत भेजा जाए, इसी सोच में था वो की उसे चिन्टू दिख गया |
चिंटू 5 साल का बच्चा था जो दिव्या के पड़ोस में ही रहता था | उसे उम्मीद की एक किरण दिखाई दी |
उसने चिंटू को अपने पास बुलाया |
चिंटू.........एक काम करेगा,
चॉकलेट दोगे!!!!
हाँ |
कौनसी?
"डेयरीमिल्क" और उसने अपनी जेब से निकाल कर दिखाई
चॉकलेट और वो भी डेयरीमिल्क देखकर चिंटू के मुँह में पानी आ गया | जैसे ही उसने चॉकलेट लेने के लिए हाथ बढ़ाया |
ना, ना, ऐसे नहीं, पहले प्रॉमिस करो की तुम मेरा काम करोगे |
प्रॉमिस!!
ठीक है ये लो चॉकलेट और ये चिट्ठी जाकर दिव्या दीदी को दे आना |
"चिंटू बड़ी वाली डेयरी मिल्क चॉकलेट पाकर बहुत खुश हुआ"|
जैसा सागर ने चिंटू को करने को कहा था उसने वैसा ही किया | वो सीधा दिव्या के घर पहुंचा | उसके हाथ में इंग्लिश पोयम्स की किताब थी पर वो पढ़ने के मकसद से नहीं आया था | दरअसल सागर की लिखी हुई चिट्ठी जो उसने दिव्या के लिए भेजी थी, किताब में रखकर लाया था |
आंटी!! दिव्या दीदी कहाँ है?
अपने कमरे में | बस इससे ज्यादा कुछ ना चिंटू ने कहा और ना ही दिव्या की मम्मी ने पूछा |
और वो सीधा सीढ़ियां चढ़ता हुआ दिव्या के कमरे तक पहुंचा |
उस वक़्त मैं सो रही थी |
दीदी, दीदी, उठो ना |
क्या चिंटू!!! परेशान मत कर सोने दे, मैंने नींद में ही कहा |
दीदी उठो ना!! ये ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार की कहानी पढ़ा दो ना!!
एक तो मैं पहले से ही परेशान थी सागर को लेकर, ऊपर से ये चिंटू मुझे सोने भी नहीं दे रहा, मैं झल्लाते हुए उठी |
कल तो पढ़ाया ही था तुझे मैंने | इतनी जल्दी भूल भी गया | अभी मुझे परेशान मत कर, जा यहाँ से, मारूँगी नहीं तो | जैसे ही मैं उठी उसने एक पल भी गँवाये बिना सागर की दी हुई चिट्ठी हाथ में पकड़ाई और तुरंत भाग गया |
ये क्या है!! मैं हैरान थी और फिर मैंने उसे खोलकर पढ़ा | उसमें जो कुछ लिखा था वो यूँ था...............
"डियर दिव्या!!
तुम्हारे लिए काफी दिनों से मैं कुछ अलग-सा महसूस कर रहा हूँ | पहले पता नहीं था मुझे, लेकिन अब पता चल गया है की इस मीठे से एहसास को ही प्यार कहते हैं | हाँ!! ये प्यार ही है जो मैं तुमसे बेपनाह करता हू" |
"एहसान तेरा होगा मुझपर
दिल चाहता है वो कहने दो
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गई है
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो"
सागर |
पढ़कर मुझे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ की ये खत सागर ने लिखा है | इसलिए मैंने उसे फिर पढ़ा, आँखें मसलकर फिर पढ़ा | फिर भी यकीन नहीं हुआ तो बाथरूम में गई, अपनी आँखों को तीन-चार बार धोया और फिर खत को पढ़ा | पता नहीं उस पल में ना जाने कितनी ही बार खत को पढ़ा होगा मैंने | ख़ुशी से नाच ही उठी थी मैं |
तो क्या सागर भी मुझसे............आगे के शब्द मेरे गले में ही अटक गए | इसका मतलब सागर भी मेरे लिए वही महसूस कर रहा है जो मैं इतने दिनों से उसके लिए महसूस कर रही हूँ |
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था क्या कहूँ, क्या करूँ | दिल गाने-गुनगुनाने लगा | एक बड़ी सी मुस्कान होंठों पर आ गई | खत को अपने सीने से लगा लिया और बेतहाशा खत को चूमने लगी | आखिर मेरे महबूब का पहला खत जो आया था |
ऐसा लग रहा था जैसे मेरी दुआ क़ुबूल हो गई हो, जैसे मुझे सब कुछ मिल गया हो |