The Dark Tantra - 17 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | द डार्क तंत्र - 17

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द डार्क तंत्र - 17


महा अघोरी तांत्रिक - 4


शरीर

अघोरी बाबा ने सीधा खड़ा हो ऊपर की तरफ देख आंख
बंद कर कुछ मंत्र पढ़े और फिर इशारा किया और एक
बार मृत शरीर को उठाने की आश्चर्य से इस बार मृत देह सहज ही उठ आया । उसको गड्ढे के ऊपर रख हम भीऊपर उठे । फिर पकड़कर मृत शरीर गेट की तरफ ।….....

अब आगे

मैं और अघोरी दोनों उस मृत शरीर को लेकर , उस कब्रिस्तान के गेट की तरफ चले । मुकेश के मृत शरीर का सिर मैंने व पैर अघोरी ने पकड़ा था । अभी गेट के पास पहुचनें ही वाले थे कि उस मृत देह में हलचल होने लगा , वह मृत शरीर कांप उठा और तुरंत ही अघोरी से पैर छुड़ाकर मेरे ऊपर चिल्लाते हुए लपक पड़ा । मैं वहीं जमीन पर धड़ाम से गिर पड़ा और वह मृत शरीर मेरे सीने पर चढ़कर मेरे गले को जोर से पकड़ लिया । मैं जोर से चिल्ला पड़ा वह मृत शरीर अभी भी गुर्राते हुए अपनी पकड़ मजबूत करते जा रहा था ऐसा लगा कि अभी डर से जान निकल जायेगा ।
तभी अघोरी के चिल्लाने की आवाज आई – " जय महाकाल "
देखा तो ऊपर की तरफ सिर और आंख बंद कर अघोरी कोई मंत्र पढ़ रहे है । फिर मंत्र पढ़कर अघोरी ने आंख खोला और हाथ उस मृत शरीर के सिर पर रख दिया ।
तुरंत ही वह मृत शरीर शांत हो गया और मेरे पास ही गिर पड़ा ।

मैं डर से एकपल तो कांप उठा था , जल्दी से उठ खड़ा हुआ और अघोरी से बोला – " बाबा यह क्या था ? , मुकेश का शरीर जाग कैसे उठा । "
अघोरी बोला – " उस शैतान की काली शक्ति का अंश अभी भी इस शरीर के अंदर है । और वह हमें रोकना चाहता है ।अब जल्दी करो हमें जल्दी से अपने काम को अंजाम देना होगा । "
तुरंत ही इस बारिश में एक और बिजली कड़कड़ाती हुई गिरी , मैं फिर से कांप सा गया पर अब कुछ भी डरना नही है । उस मृत शरीर मैंने और अघोरी ने फिर उठाया और बाहर खड़े गाड़ी की तरफ चल पड़े ।
कब्रिस्तान से बाहर आकर देखा तो गेटमैन अभी भी खटिए
पर बेसुध पड़ा हुआ है । मैंने गाड़ी के डिक्की में उस मृत शरीर को रखा और गाड़ी स्टार्ट किया , अघोरी बाबा मेरे पास की सीट पर बैठे ।
मैंने पूछा – बाबा अब कहाँ चलु ? "
अघोरी बोला – " उत्तर के पहाड़ वाले जंगल की तरफ
चल , वहीं वह गुफा है । "
मैंने गाड़ी उत्तर की तरफ बढ़ा दिया । रात अपने पूरे चरम पर था चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा , हरवक्त किसी अशुभ व भयानक कुछ होने की आशा में चल रहा है , मुझे ऐसा लग रहा है कि अभी शैतानी शक्ति हम पर हमला करने वाला है । और तो और वह शैतान अभी खुला ही घूम रहा है न जाने कहाँ और कब वह हमारे सामने आ धमके ।
आखिर उसे तो इसकी खबर हो ही गई होगी कि हमने उसके आधार शरीर को अपने साथ रखा है ।
मेरे मन में कई सवाल घूम रहे थे और मेरे चेहरे पर भय की
रेखा कोई भी साफ देख सकता था पर मैंने देखा पास ही
बैठे अघोरी बाबा एकदम शांत व निडर होकर बैठे हुए हैं मानो उन्हें पता है कि हमे कुछ नही होने वाला , कोई दिव्य
व्यक्ति ही इस वक्त इतने शांत मग्न में रह सकता है ।
अघोरी ने मेरे अंदर के डर वाले हलचल को देखकर बोले – " तुम्हें डरने की कोई जरूरत नही , स्वयं महाकाल और मैं तुम्हारे साथ हूँ , जो महाकाल के काम में सहायता करता है उसे कुछ नही होता । तुम बस डरो मत क्योंकि डर ही उस शैतान की शक्ति है । जय महाकाल "
मैं अब कुछ शांत हुआ और अघोरी से पूछा – " अच्छा बाबा
ये शैतान है क्या ? इसे क्या कहते हैं ? "
अघोरी बोला – " यह काली परछाई का एक महा भयानक
रूप है जो बहुत ही शक्तिशाली है । "
मैं बोला – " तो वह कोई प्रेत या पिशाच है ? "
अघोरी बोला – " नही यह कोई प्रेत व पिशाच नही है यह
उनसे भी शक्तिशाली है जो छाया के रूप में रहकर मानव
विनाश को अंजाम देते हैं इसका कोई नाम नही है । हम इसे
अंधकार व शैतान से संबोधित करते हैं । "

हम दोनों के बीच बात हो ही रहा था कि गाड़ी के डिक्की
से एक बार फिर एक भयानक आवाज के साथ खटखटाने
की आवाज आने लगी । मुकेश का मृत शरीर एक बार फिर
जाग उठा था और वह बाहर निकलना चाहता था । अघोरी ने एक बार फिर जोर से मंत्र पढ़ा तथागत कुछ देर में वह मृत शरीर की छटपटाहट बंद हो गई । और मैं गाड़ी तेज करके बढ़ चला ।
अघोरी बोला – " वह शैतान हमें रोकने की कोशिश जरूर
करेगा पर मेरे कहे अनुसार तुम बढ़ते रहना । वह हमारा कुछ नही कर सकता । जय महाकाल "
गाड़ी कुछ दूर और आगे बढ़ी ही थी कि आगे रास्ते पर देखा कई सारे कुत्ते रास्ते को घेर कर खड़े हैं और इधर देखकर ही भौक रहें हैं , इस अंधेरे साफ दिख रहा है मानो उनके आंख लाल - लाल बिंदु की तरह हो गए हैं । मेरी गाड़ी तेजी से उसी की तरफ बढ़ रहा ।

अघोरी चिल्ला कर बोला – " गाड़ी मत रोकना , मत रोकना "
मैं बोला – " पर कुत्ते गाड़ी के नीचे आ जाएंगे , मैं ऐसा कैसे करूँ । "
अघोरी गुस्से से बोल पड़ा – " अरे मूर्ख तुझे दिख नही रहा यह एक शैतानी जाल है अगर तुमने गाड़ी रोका तो हम अपने मकसद को पूरा नही कर पाएंगे । "
मैं गाड़ी उसी तेजी से बढ़ाता गया आगे से कई बड़े कुत्ते उनके मुंह से खून के जैसा लाल तरल गिर रहा है । मैंने आंख बंद कर हिम्मत से उन सबके ऊपर गाड़ी चढ़ा दिया लेकिन यह क्या वह सब कहाँ गए मानो हवा होकर गायब हो । एक छाया के भीतर से मानो गाड़ी आगे बढ़ गई । तभी चारों तरफ से एक हुंकार और भेड़ियों के ' हू हू हू ' की भयानक आवाज सुनाई देने लगी ।
वह आवाज बहुत ही भयानक और डरावना था । मैंने जल्दी से गाड़ी के दोनों तरफ के शीशे बंद किये और तभी मैंने देखा मेरे गाड़ी के चारों तरफ भेड़ियाँ और न जाने कैसे भयानक जानवर भयानक आवाज निकलते हुए गाड़ी के साथ ही दौड़ रहे हैं ।फिर वह सब गाड़ी के साथ ही हवा में उड़ने लगे उनके आंखों से आग ले वाला गिर रहे थे और मुँह से खून के छींटे , उन शैतानी शक्तियों ने पूरे गाड़ी को घेर रखा था और अब फिर से पीछे के डिक्की की मृत देह ने आवाज करने लगा ।
यह सब इतना भयानक था कि डर से कोई भी वहीं बेहोश
हो जाए । पहाड़ी रास्ता एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ बड़ा सा पहाड़ी ढलान , अगर गाड़ी जरा सा भी इधर - उधर गया तो हम न जाने कितने नीचे गिरेंगे ।
मैं डर तो रहा हूँ पर हिम्मत करके गाड़ी को आगे बढ़ाता जा रहा था और वो सभी भयानक भेड़ियों ने अभी भी पूरे गाड़ी को घेर रखा था अब वो धीरे धीरे एक भयानक आग के गोले में परिवर्तित हो रहे थे बहुत ही विभत्स आकृति में तथा साथ ही पीछे से मुकेश के मृत शरीर के छटपटाहट भी बढ़ गई थी । अघोरी बाबा कुछ मंत्र पढ़ रहे थे पर अभी भी वह सब भयानक आकृति गाड़ी के चारों तरफ वैसे ही साथ चल रहे थे ।
फिर मैंने देखा अघोरी गाड़ी का शीशा खोल रहे हैं ।
मैं चिल्ला कर बोला – " बाबा आप यह क्या कर रहें हैं ? "
पर अघोरी ने मेरे बात को नही सुना और गाड़ी का शीशा खोल अपने शरीर को बाहर निकाला और आसमान की
तरफ हाथ उठाकर जोर से बोल पड़े – " हे महाकाल हमारी मदद कीजिए , हे महाकाल मदद । "
यह कहते हुए अघोरी जोर - जोर से मंत्र पढ़ने लगा ।
कुछ ही देर में गाड़ी के चारों तरफ उड़ते भयानक जलते
आकृति शून्य में गायब होने लगे एक - एक कर , और पीछे मुकेश का मृत शरीर भी शांत होने लगा ।
देखते - देखते ही चारों तरफ फिर शांत , सब कुछ सामान्य
हो गया । अब केवल बारिश के आवाज के अलावा और
कुछ नही बचा ।
जब चारों तरफ के सभी पैशाचिक शक्तियां समाप्त हुई तब अघोरी फिर अपने सीट पर बैठ गए । यह देख मेरे जान में जान आई अब तो मुझे भी ऐसा लग रहा था कि अंदर से डर धीरे - धीरे समाप्त हो रहा है , अंदर का हलचल अब शांत हो गया ।
अघोरी बोले – " देखा अगर गाड़ी को रोकते तो हमारा क्या हश्र होता । वह शैतान हमें रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है । "

मैं अघोरी के कहे अनुसार गाड़ी उस पहाड़ी जंगल की तरफ बढ़ा चला । मुझे लग रहा था कि फिर शायद आगे कोई न कोई शैतानी हमें रोकने की कोशिश जरूर करेगी पर ऐसा नही हुआ । हम दोनों उस जंगल में पहुँचे ।
गाड़ी से नीचे उतरकर मैंने देखा अभी भी वह निशान है जिस रास्ते को बनाकर मुकेश उस शैतान के पास पहुँचता था और दिन पर दिन वह शैतान उससे शक्ति चूसता था । कुछ झाड़ियों के पीछे ही वह गुफा छुपा था , देखने से बहुत ही पुराना लग रहा था और इस अंधेरे में और भी भयानक लग रहा था ।उसके चारों तरफ शैतान के उपस्थिति के चिन्ह साफ थे यहाँ आना किसी के लिए भी सही नही है , आज मेरा मृत्यु भी हो सकता है पर अब मुझे कोई डर नही जो होगा देखा जाएगा । जब एक अघोरी लोगों के जान बचाने के लिए इतना मेहनत कर रहा है और किसी - किसी ने इसके लिए अपना शरीर भस्म तक दिया है तो मैं यह क्यों नही कर सकता । यही दृढ़ निश्चय किया कि इसका अंत तो मैं देखकर ही रहूंगा ।
पीछे देखा तो अघोरी डिक्की से मुकेश के शरीर को निकाल रहे थे , फिर अघोरी ने उसके शरीर को अपने कंधे पर ऐसे रखा जैसे बिक्रम के कंधे पर बेताल ।

मुकेश के शरीर को कंधे पर उठाकर अघोरी मेरे पास आए और मुझसे बोले – " बेटा जो कुछ मैं अंदर करने जा रहा हूँ
वह तुम्हें भयावह लगेगा पर तुम डरना नही । महाकाल
हमारे साथ हैं । "
अघोरी उस मृत शरीर को कंधे पर रख गुफा के अंदर बढ़े
उन्हें अनुशरण करते हुए मैं भी अंदर गया ।…..

।। क्रमशः ।।