अवनी ने तो सोचा था कि उसे सलवार सूट में देखकर निलय थोड़ा गुस्सा हो जाएगा, क्योंकि वो उसे कहीं क्लब वगरह नहीं ले जा पाएगा और उसका वो गुस्सा देखकर अवनी को अलग ही शांति मिलेगी, ऐसा नहीं है कि अवनी को निलय से कोई दिक्कत है पर बचपन से उनका रिश्ता कुछ ऐसा ही रहा है, वैसे तो वो मुश्किल से पांच-छ: साल ही साथ पढ़े हैं पर उन सालों में भी काफी कुछ हो गया।
"चले..??",
निलय अवनी को असल दुनिया में वापस लाते हुए बोला,"वैसे तुम तारीफ़ करने में कच्ची हो, कम से कम आज तो इस हैंडसम लड़के की तारीफ कर सकती हो"।
निलय की वही बोरिंग व्हाईट शर्ट पैंट को देख कर अवनी कुछ कहने ही वाली थी कि इतने में आवाज़ आई,
"ओह निलय, यू आर स्टिल हेर, तुमने तो कहा था कि तुम लेट हो गए हो 10 मिनट और तुम्हारी फ्रेंड तुम्हें मार डालेगी"।
अवनी और निलय से उम्र में थोड़ा बड़ा लगता वो व्यक्ति निलय से पूछता है।
"रमेश ये मेरी फ्रेंड है अवनी", निलय थोड़ा घबराता उसे जवाब देता है।
"हाय अवनी, चलो मुझे काम है मैं ज़रा ऑफिस चलता हूँ", यह कहते हुए रमेश वहाँ से भागा, शायद अवनी के गुस्से का कुछ ज्यादा ही बता दिया था निलय ने।
"मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा था, तुम्हें सजा देनी थी,निलय के बच्चे सुबह से तुम्हे मैं ही मिली?!"
"नहीं मिली तो और भी थी पर उन्होंने ना तुम्हारे जितने अच्छे कपड़े पहने हुए थे और ना ही वह मेरे लिए भाग कर आई थी", निलय अवनी को चिढ़ाते हुए बोला।
निलय की इन बातों पर अवनी को गुस्सा भी आ रहा था और हँसी भी,
"इन दोनों में से कुछ भी तुम्हारे लिए नहीं था, ये समझ जाओ"।
"अच्छा चलो कोई ना जिसके लिए भी था अच्छा था, अब चले मैडम?!"
"हाँ चलते है, पर कहाँ?"
"मेट्रो तक तो चलो फिर आगे जाकर जहाँ मैं कहुँ वहाँ उतर जाना.. अच्छा बाबा लोकेशन शेयर करता हूँ चाहिए तो घर वालों को भी भेज देना", अवनी के अजीब से मुंह को देखते हुए निलय बोला।
वो दोनों ऑफिस से मेट्रो और मेट्रो से घर के रास्ते में पड़ने वाले एक स्टेशन पर उतरे और फिर निलय अवनी को रास्ता दिखाते हुए बाहर एक रेस्टोरेंट की और ले गया, जिसके अंदर जाने पे ऐसा लग रहा था कि पुरानी दिल्ली की किसी गली में जा रहे, पर वहीं अंदर जाते ही, उसका अलग लुक उभर कर आया, एक और जहाँ दीवार पर कई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स टंगे हुए थे वहीं दूसरी ओर थे बेहतरीन किताबो से सज बुक शेल्फ़स और ना तो वो रेस्तरां पूरी तरह खाली था और ना ही पूरी तरह भरा था, जिससे उसकी खूबसूरती अलग ही लग रही थी,निलय के इस गुण से अंजान अवनी, उसे देखते हुए खुद से कहती है,
"पहली बार है,शायद इसलिए इम्प्रेस कर रहा है, अवनी मेहरा फोकस"
"तो कैसी लगी मेरी चॉइस मिस अवनी मेहरा?"
"नो डाउट अच्छी है।"
"हाँ वो तो मुझे पता ही है", अपनी शर्ट चढ़ाते हुए निलय बोला।
फिर उस जगह उन दोनों अपने पसंद का खाना खाया, किसका फ़ेवरेट सिंगर ज्यादा अच्छा हैं, उसकी लड़ाई से फुर्सत मिली, तो वहाँ रखी किताबें देखी और खाने के कुछ बचे निवालों के साथ, कोशिश करी एक दूसरे को जानने की,
"बहुत खा लिया यार, बस तुम्हारी ये लड्डू वाली कहानी ने ना अचानक से मीठा खाने का मन बना दिया है", बाहर आते हुए निलय अवनी से बोला।
"तो चले,लड्डू खाने?"
"लड्डू नहीं, यहाँ तक आए हैं तो रस मलाई ही खाए जाए,
क्या कहती हो, पसंद है तुम्हे?"
"हाँ बहुत.."
"जल्दी चलो फिर कहीं खत्म ना हो जाए", निलय अवनी का हाथ पकड़ के भागने लगा।
वो दोनों फिर एक बड़ी सी दुकान के आगे आकर रुक गए, "यही वो जगह है, जहाँ वर्ल्ड की बेस्ट रसमलाई मिलती है"
"निलय.."
"हां सच्ची में, तुम एक बार खा कर तो देखो"
"नहीं.. मेरा हाथ, अब छोड़ सकते हो!"
"छोड़ तो सकता हुँ पर छोडूंगा नहीं आखिर डेट पर आए हैं हम", निलय अवनी को चिढ़ाते हुए बोला।
अवनी का हाथ पकड़ अंदर जाते हुए निलय बोला,
"भैया..",
"आपके वाले स्पेशल दो रसमलाई, है ना सर??"
हाँ कह कर दोनों अंदर चल दिए, और अवनी का हाथ धीरे से छोड़ते हुए निलय ने बताया,
"वो क्या है ना कभी-कभी रसमलाई को लेकर, मैं कुछ ज्यादा ही, वो क्या कहते है, उत्साहित हो जाता हूँ"
"हाँ, वो तो दिख रहा है, लगता है, कि तुम अपनी सारी पहली डेटो पे यही आते हो"
"नहीं,तुम पहली हो"
"आपकी रसमलाई सर!!"
"खा कर बताओ जल्दी", निलय अपनी भोए ऊपर चढ़ा कर अवनी की तरफ़ तारीफ़ की उम्मीद में देखता हुआ बोला, और फिर वो दोनों उस स्वाद में इतना मग्न हो गए, की उम्मीद से दोगुना खा कर ही बाहर आए।
अपने घर के रास्ते पर मुड़ती अवनी को निलय बोला,
"अब मुझे तुम्हारे कॉल का इंतजार रहेगा!"
"वो इंतजार तो फिर लंबा होने वाला है, मिस्टर निलय वाधवा"
"उम्मीद है कि 8 हफ्तों से ज्यादा लंबा नहीं होगा"।