The Author Palak Jain Follow Current Read लखनऊ मर्डर केस - 1 By Palak Jain Hindi Crime Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ક્રોધ, ઈર્ષા અને પ્રાયશ્ચિત. ક્રોધ, ઈર્ષા અને પ્રાયશ્ચિત.ખુબ જુના કાળની આ વાત છે. એક ગામમ... નિલક્રિષ્ના - ભાગ 13 આ બાજુ હેત્શિવાની બોટ ભયાનક તૂફાનમાંથી તો નિકળી ગઈ.પરંતુ એ વ... નારદ પુરાણ - ભાગ 52 સનત્કુમાર બોલ્યા, “હવે હું આગળ જે મંત્રો અને વિધિ કહું છું ત... સપ્રેમ ભેટ " મંજુ...એ..મંજુ... " સવારના પહોરમાં મંજુબેનને બહાર હિંચકા પ... પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 19 નિરાશગરમીથી રેબઝેબ થઈ ગયેલી માનવી ઘરમાં આવી ચહેરા પર બાંધેલો... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Palak Jain in Hindi Thriller Total Episodes : 5 Share लखनऊ मर्डर केस - 1 (8) 9.5k 16.9k 2 इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं। कहानी में उल्लेखनीय स्थानों का इस्तेमाल सिर्फ कहानी को जीवंत बनाने के मकसद से किया गया है। कहानी का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से सम्बंध संयोगिक मात्र है।सर्वाधिकार सुरक्षित© लखनऊ मर्डर केस। भाग-1लखनऊ, उत्तर प्रदेश फैजाबाद रोड (जंगल एरिया) 20 जुलाई 11:00 सुबह "हटिए हटिए...... चलिए दूर होइए आप लोग।" कहते हुए कांस्टेबल चहल भीड़ को लाश से दूर हटाने लगा। इंस्पेक्टर अनिरुद्ध खत्री, कांस्टेबल चहल और एक लेडी कॉन्स्टेबल प्रीति पाटिल के साथ मौका-ए-वारदात पर मौजूद थे। ये इलाका फैजाबाद पुलिस के अन्तर्गत आता है इसलिए फैजाबाद पुलिस वहां पर उपस्थित थीं। कंट्रोल रूम में किसी व्यक्ति का सुबह 10:30 बजे फोन आया था कि उसने फैजाबाद के जंगल में एक महिला की लाश देखी है, जिसके आधे घंटे बाद फैजाबाद पुलिस मौका-ए-वारदात पर जांच पड़ताल के लिए उपस्थित थी। इंस्पेक्टर खत्री और दोनों कॉन्स्टेबल नाक और मुंह पर रुमाल रखे.. भोंहे सिकोड़ते हुए उस महिला की लाश और वारदात कि जगह को देख रहे थे। कातिल ने महिला का चेहरा बिगाड़ दिया था जिससे वो पहचान में नहीं आ रही थी। उसके पेट पर कई सारे वार करने की वजह से अब तक काफी खून बह चुका था। एक कार थी लाल रंग की जो पेड़ में घुसी हुई थी। शायद पेड़ से टकराने कि वजह से उसका एक्सिडेंट हो गया था। कार के शीशे वगैरह टूट चुके थे। इंस्पेक्टर खत्री ने भीड़ की ओर देखते हुए पूछा "फोन किसने किया था?" लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। खत्री ने सवाल दोहराया तो एक आदमी बोला कि "साहब जब मैं यहां आया था तब मैंने एक आदमी को बाइक पर यहाँ से जाते हुए देखा। हो सकता है उसने फोन किया हो..?" खत्री ने एक दम से उसकी ओर बढ़ते हुए पूछा "मतलब सबसे पहले लाश तुमने देखी थी?" "हाँ... साहब ऐसा कह सकते है क्योंकि सबसे पहले तो में ही पहुंचा था पर जैसे ही इस ओर बढ़ रहा था दो तीन आदमी मेरे पीछे पीछे ही आ गए थे और फिर हम सबने एक साथ ही इस ओर कदम बढ़ाए।" वो कुछ रुकते हुए बोला। "तुमने उस बाइक वाले कि शक्ल देखी थी?" खत्री ने उसी आदमी से पूछा। "नहीं साहब मैनें सिर्फ उसकी पीठ देखी।" वो आदमी बोला। "हम्मम... ठीक है।" खत्री एक सांस लेते हुए बोला। "तुम में से कोई पहचानता है इस औरत को?" खत्री ने भीड़ कि ओर देखते हुए पूछा। "नहीं हम में से इसे कोई नहीं पहचानता।" उसी आदमी ने बोला। "चहल जाओ तुम उधर जाके देखो कुछ मिलता है तो।" अनिरुद्ध ने झाड़ियों कि तरफ इशारा करके कहा। "प्रीति तुम एम्बुलेंस और फॉरेंसिक टीम को बुलवाओ।" इंस्पेक्टर खत्री ने कॉन्स्टेबल प्रीति पाटिल से कहा। जब तक एम्बुलेंस और फॉरेंसिक टीम आ रही थी तब तक इंस्पेक्टर खत्री उस महिला की लाश के सामने बैठे अपनी डायरी में कुछ बातें नोट कर रहे थे और पाटिल से कह रहे थे "इसके गले को देख कर लगता है कि इसके गले से चैन खींची गई है।" "जी सर,और इसके हाथों और कानों पर भी ज्वेलरी खींचने के निशान है।" पाटिल ने कहा। इतने में एम्बुलेंस सायरन बजाती हुई वहां पर पहुंची। उसमें से सफेद कपड़े पहने दो आदमी उतरे और स्ट्रेचर पर उस महिला को लेटा के एम्बुलेंस में रख दिया और खुद भी वापस बैठ गए। एम्बुलेंस वापस चली गई। इसी बीच फॉरेंसिक टीम भी आ चुकी थी और अपनी जांच शुरू कर चुकी थी। "सर यहां कुछ नहीं है सिवाय उस कार की चाबी के,मैंने सब तरफ अच्छे से तलाशी ले ली है पर लगता है कातिल कुछ भी छोड़ के नहीं गया है..!! ना सबूत और ना ही इस महिला का पर्स वगैरह।" कॉन्स्टेबल चहल ने खत्री से कहा। "चहल तुम इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो कि इस महिला के पास पर्स था।" खत्री बोले। "अरे.... सर आजकल सभी महिलाएं पर्स रखती है चाहे सस्ता रखें या महँगा। अब मेरी ही पत्नी को ले लीजिए..मेरी इतनी तनख्वाह नहीं है पर फिर भी पर्स एक से बढ़कर एक रखती है..!! चहल ने कहा तो खत्री ने उसे घूरा। चहल हड़बड़ाते हुए बोला "अं..मेरा कहने का मतलब है कि आप इस महिला के कपड़े ही देख लीजिए..और ये इतनी महंगी कार..!! इन सब को देख कर आपको नहीं लगता कि ये महिला हाई सोसाइटी से बिलोंग करती है और इसका पर्स मंहगा ही होगा। तभी तो कातिल ने पर्स भी नहीं छोड़ा। उसमे जरूर कैश और मोबाइल तो होगा ही। पर कार क्यों नहीं ले गए ये समझ नहीं आ रहा..?" चहल ने सिर खुजाते हुए कहा। "तुम्हे क्या लगता है चहल ये मर्डर क्यों हुआ होगा?" खत्री ने पूछा "सर देख के तो यही लगता है कि किसी ने इस महिला को लूटने की कोशिश की होगी और इस महिला ने उनसे छुटने की..!! और लगता है इसी जद्दोजहद में ये मारी गई।" चहल बोला। "हम्म...हो सकता है। कातिल ने इसे चोरी की वारदात बनाने की कोशिश की है।" अनिरुद्ध बोला। "तो क्या सर आपको लगता है कि ये जानबूझ के किया गया एक प्लान मर्डर है?" इस बार पाटिल बोली। "चलो चलते है..। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने दो फिर ही कुछ क्लियर होगा। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।" इंस्पेक्टर अनिरुद्ध खत्री ने चलते चलते कहा। सब गाड़ी में बैठ गए और थाने में आ गए। फॉरेंसिक टीम वाले अभी भी सैंपल ले रहे थे। इंस्पेक्टर अनिरुद्ध अपने केबिन में गया और चहल को अंदर आने का बोला। "लाश का फोटो सारे न्यूज पेपर में दे दो,देखते है यदि कोई कपड़ों या किसी और चीज से विक्टिम कि पहचान कर ले। और हां साथ में उस कार की फोटो भी दे देना। सोशल मीडिया और न्यूज चैनल्स से भी मदद लो हमें जल्द से जल्द महिला की इंफॉर्मेशन पता करनी होगी।" अनिरुद्ध ने चहल से कहा तो चहल ने हाँ में सर हिलाया और वहाँ से चला गया। 21 जुलाई फैजाबाद रोड पुलिस थाना समय 12:00 पीएम "सर पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है।" चहल ने अनिरुद्ध के केबिन में अंदर आते हुए कहा। "आओ आओ चहल इसी का तो इंतज़ार था मुझे।" खत्री ने आंखो में चमक लाते हुए कहा। खत्री ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखी और एक गहरी सांस लेते हुए फाइल को टेबल पर पटक दिया। "क्या हुआ सर क्या लिखा है रिपोर्ट्स में?" चहल ने पूछा। "वही जो हमे देख कर लग रहा था। जैसे विक्टिम के पेट में किसी धारदार हथियार से चार बार वार किए गए और अत्यधिक खून बह जाने की वजह से विक्टिम की मौत हो गई। और जो हमें नई बातें पता चली वो ये हैं.. विक्टिम की उम्र,मौत का समय और सेक्सुलिटी। "विक्टिम की उम्र 30 से 32 के बीच है। और मौत 36 घंटे पहले हुई है यानी की 19 जुलाई की रात 11 से 12 के बीच। और विक्टिम सेक्सुअली एक्टिव थी।" इंस्पेक्टर खत्री ने गंभीर आवाज़ में कहा। "चहल तुम ऐसे मिसिंग रिपोर्ट्स की फाइल चेक करो जो 18 से 20 जुलाई को दर्ज करवाई गई हो और महिला कि उम्र 30 से 32 साल हो।" अनिरुद्ध ने चहल कि ओर देख कर आदेशात्मक लहजे में कहा। "ठीक है सर" चहल ने कहा और सैल्यूट ठोंक के बाहर आ गया। थोड़ी देर बाद एक दूसरा कॉन्स्टेबल श्याम अनिरुद्ध के केबिन में आया और बोला कि "साहब बाहर एक आदमी आया है जो आपसे मिलना चाहता है।" "कौन है श्याम?" अनिरुद्ध ने पूछा। "साहब ये तो नहीं बताया उसने पर बस वो यही कह रहा है कि इंस्पेक्टर अनिरुद्ध खत्री से मिलना है मुझे।" श्याम ने बताया। "ठीक है भेजो उसे अंदर मैं देखता हूं।" खत्री ने कहा। श्याम चला गया और तुरंत ही उस आदमी को भेज दिया। जैसे ही वो आदमी अंदर आया अनिरुद्ध ने उसे बैठने का कहा। "हां क्यों मिलना चाहते थे तुम मुझसे?" "सर ये फोटो...!!" उस आदमी ने अपने मोबाइल में एक फोटो दिखाते हुए कहा। "तुम इसे जानते हो?" अनिरुद्ध ने चौंकते हुए उससे पूछा। "हां सर।" उस आदमी ने कहा। › Next Chapter लखनऊ मर्डर केस - 2 Download Our App