बीते तीन दिनों में शायद ही ऐसा कोई नुस्खा या प्रयास बचा हो जो कि पल्लवी नें अपने नीरस पति पर आजमाया न हो ! और इस सिलसिले में आज उसके पास जो नुस्खे की पुड़िया थी वो उसे उसकी सहेली दीपा से मिली थी जो अपने मोहल्ले,गली और गाँव हर जगह अपने इसी हुनर के लिए कभी खासी मशहूर हुआ करती थी, खैर ! अब तो उसकी गिनती सीधी-साधी,सुशील और शरीफ़ बहुओं में हुआ करती है तो छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी ! हाँ ये और बात है कि आज भी गाँव की पढ़ी से पढ़ी लड़कियां भी अपने पति को खुश करने या कह लें कि पति को अपने काबू में रखने के नुस्खे हमारी दीपा दीदी से ही लिया करती हैं मगर भईया हमें उससे क्या ? हमारी तो बेचारी पल्लवी का भला हो तो हमारी बात बने ! !
आज सुबह से ही मौसम का मिजाज़ कुछ रूमानी सा था जो पल्लवी की नयी शादीशुदा जिंदगी के नये-नये, मचलते हुए अरमानों को और भी हवा दे रहा था ।
पल्लवी का तो मन था कि आज सुमित ऑफिस ही न जाये मगर सुमित कहाँ रुकने वाला था ?
आप इतने खराब मौसम में बाहर जायेंगे ?
"अरे ! इसमें खराब जैसा क्या है ? बस ये कुछ आध काली घटाएँ और ये हल्की सी बूंदाबांदी ? अभी तुमने दिल्ली का असली खराब मौसम देखा ही कहाँ है ?", हंसता हुआ सुमित ब्रेकफास्ट करने लगा ।
मगर ये बिजली...उसका क्या ? देखिए न कितनी जोर-जोर से कड़क रही है ।
इस बार सुमित नें कोई उत्तर नहीं दिया और वो नाश्ता करके चुपचाप अपना लैपटॉप-बैग लेकर ऑफिस के लिए निकल गया ।
शाम को भी सुमित जब रोज़ के टाइम पर घर नहीं लौटा तो पल्लवी नें उसे डरते-डरते फोन मिलाया जिसपर सुमित का जवाब मिला कि वो आज एक घंटे देर से घर आयेगा और हाँ उसने पल्लवी से ये भी कहा कि वो चाय बनाकर पी ले क्योंकि आज वो घर आकर सीधे खाना खायेगा !
अब डिनर तैयार था और सुमित भी आ चुका था !
आज पल्लवी नें अपना डिनर बड़ी ही फुर्ती से फिनिश किया और उसने किचेन भी आज रात में न समेटकर सुबह के लिए छोड़ दी और सुमित के डाइनिंग-टेबल से उठने के पहले ही वो उठकर बेडरूम में चली गई ।
जब सुमित रूम में आया तो वहाँ का माहौल ही कुछ अलग था । लैवेंडर की भीनी-भीनी खुशबू से पूरा कमरा महक रहा था और नीले रंग के नाइट बल्ब की हल्की मद्धम रौशनी पूरे रूम में बिखरी हुई थी तभी सुमित की नज़र खिड़की के पास खड़ी हुई पल्लवी पर पड़ी जो हल्के गुलाबी रंग की साटन की शोर्ट लैन्थ वाली स्लीवलेस नाइटी पहने हुए थी ।
सुमित के कदम भी खिड़की की ओर बढ़ गए..."अरे , ये खिड़की अब बंद कर लो । देखो न हवाएँ कितनी तेज़ हैं और ये बौछार".....कहते हुए सुमित नें खिड़की बंद कर दी जिसे बंद करते हुए वो पल्लवी से कुछ इस तरह से टकरा गया कि जैसे किसी संगीतकार नें बरसों से सोए हुए किसी वींणा के तारों को झंकृत कर दिया हो । सच आज कामदेव के साथ ही साथ इन्द्रदेव भी पल्लवी का पूरा साथ दे रहे थे जिसका पता भीगे हुए मौसम को देखकर लग रहा था ।
सुमित अब जाकर बिस्तर पर बैठ गया और वो बस पढ़ने के लिए एक किताब उठाने ही वाला था कि उसके साइड-टेबल की ओर बढ़ते हुए हाथों को पल्लवी ने अचानक ही आकर थाम लिया...नहीं, आज नहीं ! आज क्यों न हम थोड़ा एक-दूसरे को पढ़ते हैं !
सुमित इस अकस्मात हुए आग्रह से अंदर तक हिल गया, तभी उसकी निगाह पल्लवी के सीने के उस हिस्से पर गई जो खिड़की के सहारे खड़े होने के कारण बारिश की बौछार से काफी भीग गया था...अरे ! मैंने कहा था न कि बौछार तेज़ है , अब देखो भीग गई न !
भीगना ही तो चाहती हूँ मैं....पल्लवी के इस जवाब के लिए शायद सुमित बिल्कुल भी तैयार नहीं था । पल्लवी के इस शोख और निमंत्रित करने वाले अंदाज़ के आगे वो ज्यादा देर तक टिका न रह सका । आखिरकार सुमित की तेज होती हुई साँसों नें और उसके बहुत ही तेज गति से धड़कते हुए दिल नें पल्लवी के सामने बड़ी शीघ्रता से अपने हथियार डाल दिये । सुमित अब पल्लवी के मक्खन जैसे गोरे और चिकने बदन पर फिसल चुका था । पल्लवी की चिकनी, गुलाबी नाइटी नें कब सुमित को फिसलन के साथ पल्लवी के आगोश का रास्ता दिखाया वो खुद भी समझ नहीं पाया ! आज एक अशांत सागर और एक प्यासी नदी के भरपूर मिलन की रात थी और इस खूबसूरत मिलन की साक्षी बनी रिमझिम बरसती बारिश,पत्तों से टप-टप टपकती बूदें, काली गरजती घटाएँ और बाहर खुले आसमान में कड़कती हुई बिजली !
सुमित इस नयी शुरुआत के नये अनुभव से काफी खुश था और अब वो अपनी पत्नी पल्लवी से सामान्य तरीके से बातचीत भी करने लगा था और पल्लवी भी उसके साथ सहज रूप से हंसने-बोलने लगी थी मगर फिर भी सुमित के दिल के किसी एक कोने में जो सपना का एक एहसास था वो आज भी उसकी पत्नी पल्लवी से अछूता ही था ।
सच कहा जाये तो आज सुमित के पास ईश्वर की कृपा से कोई भी कमी नहीं थी जहाँ प्रोफेशनल-लाइफ में अगले महीने ही उसका प्रमोशन था तो पर्सनल-लाइफ में एक नेक,सुशील तथा समझदार जीवन-संगिनी का साथ उसे नसीब था मगर फिर भी उसकी संतुष्टि के पैमाने पर अभी भी वो खाली ही था !
आज सुमित के विवाह को पूरा एक वर्ष बीत गया था। सुमित और पल्लवी नें एक-दूसरे को विश किया और फिर रोज की तरह ही सुमित ऑफिस चला गया । इधर घर में पल्लवी सारा दिन अपनी शादी की प्रथम सालगिरह की तैयारियों में जुटी रही । शाम को सुमित के लौटने पर उन दोनों नें मिलकर बड़ी ही खुशी से इस ऑकेजन को सैलिब्रेट किया । पल्लवी नें सारे घर को दुल्हन की तरह सजाया था और उसने एक रेड-वैलवेट ,हार्ट शेप वाला केक भी अपने हाथों से बनाया था । केक काटने के बाद वो दोनों बाहर रेस्टोरेंट में डिनर करने के लिए गये जो कि सुमित का ही आइडिया था । वहीं सुमित नें पल्लवी को एक सिल्वर कलर का पैकेट दिया जो कि शायद पल्लवी का गिफ्ट था ।
मैं तो आपके लिए कुछ भी गिफ्ट नहीं लायी !
अरे, तुम इस लाल रंग की सुर्ख लाली और इस सुर्ख लाल रंग की साड़ी में लिपटी हुई खुद ही किसी गिफ्ट से कम हो क्या और फिर अगर इतनी ही प्रबल इच्छा है आपकी हमें गिफ्ट देने की तो ....रात अभी बाकी है ...घर चलकर फुर्सत से लेंगे !
"धत्त"...शर्म से लाल होते गोरे गालों को अपने दोनों हाथों से ढकते हुए पल्लवी ने कहा !
घर पहुंचकर जब पल्लवी, सुमित का दिया हुआ गिफ्ट खोलने में व्यस्त थी तभी सुमित के ऑफिस से उसके सीईओ का कॉल आया ।
ओके सर , मैं देख लूंँगा ! डोन्ट वरी सर ! सर क्या नाम
बताया... स्वेतलाना सक्सेना....ओके सर, सेफ एंड हैप्पी जर्नी सर, गुडनाइट सर ! !
अरे, इतनी रात में किसका फोन है ?
अरे वो कुछ नहीं, बॉस था । दरअसल वो आउट ऑफ सिटी है आज से अगले कुछ दिनों के लिए तो बस...खैर तुम वो सब छोड़ो और ये बताओ कि तुम्हें गिफ्ट पसंद आया या नहीं !
"बहुत ज्यादा पसंद आया", पल्लवी ने अपनी बाहों को सुमित के गले में डालते हुए और सुमित का दिया हुआ डायमंड का ब्रेसलेट उसे दिखाते हुए कहा !
"ये तो बहुत अच्छी बात है ! अच्छा अब सो जाओ,प्लीज़ ! मुझे कल सुबह थोड़ा जल्दी ऑफिस पहुंचना है", सुमित नें खुदको पल्लवी की बाहों से अलग करते हुए कहा !
पल्लवी चुपचाप सुमित से अलग होकर लेट गई, जबकि उसका मन आज की रात इतनी जल्दी सोने का तो बिल्कुल भी नहीं था ! करवटें बदलते-बदलते बड़ी मुश्किल से वो नींद की गोद में जा पायी !
क्या ये पल्लवी की सिर्फ एक शारीरक बेचैनी थी या फिर उसके मन में आने वाले तूफान की हलचल का आभास ???
जान पायेंगे अगले भाग को पढ़ने के बाद... क्रमशः
लेखिका...
💐निशा शर्मा💐