Mayavi Emperor Suryasing - 6 in Hindi Fiction Stories by Vishnu Dabhi books and stories PDF | मायावी सम्राट सूर्यसिंग - 6

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मायावी सम्राट सूर्यसिंग - 6


पर इन दोनों में से पहले किसे लाना होगा? सूर्या ने आदर से उन जादूगर ध्यानचंद को पूछा.
जादूगर ध्यानचंद ने कहा की इसमें से पहले उस टूटे हुए भाले को लाना होगा फिर उस जिन को जो वही सिर्फ टूटे भाले को जोड़ सकता है।।पर जादूगर ध्यानचंद ने कहा कि तुम मुझसे एक वादा करो की तुम इस मोहिम के बारेमें किसको कुछ भी नहीं बताओगे.
सूर्या ने थोड़ी देर तक सोचा और थोड़ा मुस्कुराकर कहा कि आप बे फिकर रहो मैं किसको कुछ भी नहीं बताऊंगा..
तो फिर ठीक है में चलाता हूं ये कहेलर सूर्या चलने लगा थोड़ी देर गया और वापस आया।
जादूगर ने पूछा कि तुम वापस क्यों आए हो। सूर्या ने कहा कि मुझे माफ करना पर मुझे ये नही पता है की टूटे भाले का पहला हिस्सा कहा है और वह तक में केसे पहोचूंगा।
हा ये सवाल ठीक है जादूगर ध्यानचंद बोला
वो हिस्सा एक जादुई आहरे में है। और वो ऊंची पहाई वाली विस्तार में है। हा और एक बात उस पहाड़ पर एक बड़ा सिल्प भी है पता नहीं वो जगह कोनशी है,.
ठीक है में ढूंढ लूंगा पर मुझे कोई ऐसी चीज दो इसीमे वहा तक पहुंच सकू।।
जादूगर ध्यानचंद ने कहा कि तुम्हारे पास जो जादुई शक्तियां हैं उसी से तूमे वहा पहुंचना होगा में इनमें कोई सहाय नही करूंगा ।।।।ये कहे कर वो जादूगर ध्यानचंद वहा से हवा में गायब हो गया।
सूर्या खुद अपने से बात करते हुए बोला की एक बार मुझे तेरा खेल समझ ने दे फिर तू देख में क्या करता हूं। ये गुनगुनाते वो भी वहा से हवा में गायब हो गया।।
सूर्या एक गने जंगल में के आ पहुंचा ओर अपनी जादुई शक्तियां से चारो ओर से इस पहाड़ को ढूंढने लगा।
थोड़ी देर हुई उसे बहुत दूर कुछ ऊंचा हुआ दिखा । वो वही पहाड़ था जहा पर वो पहेला हिस्सा था.
वो जैसे ही उस पहाड़ तरफ बढ़ा की चारो ओर से बड़ी बड़ी बेलो से जकड़ा गया। वो जितना उसमे से निकल ने की कोशिश करता वो उतना ही उसमे जकड़ता गया। देर तक वो सोचने लगा और उसे एक युक्ति सुजी की जो इस वेल में से जितनी छुटने की कोसिस करेंगे उतना ही जकड़ा जाएंगे।।अगर उसको उल्टा करके उसने जकड़ाने किशिस करे तो ।।
सूर्या की ये तरकीब काम कर गई। वो जितना उस वेल में जकड़ाने की कोशिश करता उतना ही उन में से छूटता गया। थोड़ी देर में वो वहा से आजाद हो गया ।और फिर से उस पहाड़ तरफ बढ़ा...
पर कहते है ना कि मुस्किलात कभी खत्म नहीं होती वो सिर्फ रूप बदलते है।
वो जैसा ही उस पहाड़ पे पहोचा वैसे ही वहा से दूर गिर गया जैसे किसीने उसको धक्का दिया ही.
सूर्या जमीन से उठा और देखा तो वो पहाड़ एक जादुई दाहेरे में कैद हो रहा था. सूर्या ने अपनी जादुई शक्तियां से उस जादुई दाहरे को तोड़ने की कोशिश की पर वो नाकाम रहा. उस ने हर कोशिश कर के देख लिया पर वो कामियाब नही हुआ..
उसने सोचा की उसको सिर्फ में ही ला सकता हु.
तो फिर ऐसा तो कोई तरीका होगा जिससे ये दायरा है सकता है.. हो अपनी ताकत से उस पहाड़ की तरफ दौड़ा जेसेही वो जादुई दायरे से टकराया और फिर से गिर पड़ा पर वहा पर सूर्या को हाथ में थोड़ी चोट आई और वहा से खून निकल आया वो जब गिर रहा था तब सूर्या का खून उस जादुई दायरे पर पड़ा और वो वहा से खुल गया।
सूर्या बोला की ओह ये बात है तब वो जादूगर ध्यानचंद मुझे कहा रहा था कि इनको सिर्फ मेही ला सकता हु।।ये सब मेरे खून की बूंदों से खुलेंगे..
सूर्या फिर से उस पहाड़ तरफ बढ़ा और देखतेही देखते वो उस पहाड़ पर पहुंच गया.. ओर चारो ओर सुंगधी फूल लहेरा रहे थे। और चारो ओर भंवरे उड़ा उड़ कर रहे थे...
सूर्या ने सोचा कि ये सब मेरा ध्यान भटकाने के लिए बनाए गए हैं मुझे यह सिर्फ इस टूटे भाले के पहले हिस्से को ढूंढना होगा....